नितिन की टल्ली-2 – Antarvasna
लेखिका : कविता लालवानी
सहयोगी : टी पी एल
जब मैंने नितिन से स्पंज करवा लिया तो देखा कि उसका पजामा गीला हो गया था लिंग के सामने से तो पूछ्ने पर उसने बहाना बना दिया कि पानी गिर गया था।
मैंने मुस्कराते हुए उसे देखा और मेरे मुख से निकल गया- मैं तो समझी थी कि कुछ रिसाव हो गया था !
मेरी बात सुन कर वह कुछ भी नहीं बोला और शरमा कर वहाँ से चला गया।
दुपहर को जब सीमा आई और उसने मुझसे स्पंज करने के लिए पूछा तो मैंने उसे मना कर दिया और बोल दिया कि शाम को काम समाप्त करके घर जाने से पहले कर देना !
नितिन ने मेरे जिस्म को इतनी अच्छी तरह मसला और दबाया था इसलिए मुझे खाना खाने के बाद तुरंत नींद आ गई। शाम का काम समाप्त कर के सीमा ने मेरा स्पंज किया और जब अपने घर चली गई तब नितिन मेरे कमरे में आकर मेरे पास बैठ गया।
मैंने उससे पूछा- क्या बात हो गई जो इतना चुप-चाप क्यों बैठा है?
तो उसने मेरे चूचियों पर हाथ रख कर उन्हें दबाने तथा मसलने की इजाजत माँगी। मेरे हामी भरने पर उसने बड़े प्यार से मेरी कमीज और ब्रा को ऊपर कर दिया और मेरे पास लेट कर मेरे चूचियों पर हाथ फेरने लगा तथा मसलने लगा। कुछ देर के बाद उसने मेरे चूचियों के चुचूकों को बारी बारी अपने मुहँ में डाल कर आहिस्ता आहिस्ता चूसने लगा। मेरे चूचियों की उसके द्वारा इस तरह की प्यारी चुसाई से मैं सातवें आसमान पर तैरने लगी, मेरी चूत में भी गुदगदी होने लगी।
तभी मुझे नितिन की जाँघों के बीच में कुछ हलचल दिखाई दी और उसकी पैंट आगे से भी उभरी हुई सी लगी। मैंने जैसे ही उस उभार की ओर अपना हाथ बढ़ाया तो नितिन ने मेरा हाथ थाम कर आगे बढ़ने से रोक लिया। तब मैंने भी उसे अपने से अलग कर दिया और अपनी ब्रा और कमीज़ ठीक करते हुए कह दिया- तूने तो मेरा पूरा शरीर अच्छी तरह से देख लिया है और उससे खेल भी लिया है लेकिन अपना शरीर अभी तक नहीं दिखाया, अब जब तक तू मुझे अपना पूरा शरीर नहीं दिखाता और उससे खेलने नहीं देता तब तक मैं तुझे अपने पास आने भी नहीं दूंगी!
मेरी यह बात सुन कर नितिन कुछ देर तक सोचता रहा और फिर पूछा- अगर मैं पूरा नग्न होकर अपना जिस्म दिखाऊँ और उससे खेलने दूँ तो क्या आप भी पूरी नग्न हो कर मेरे साथ लेटोगी?
मेरे द्वारा उसकी बात को स्वीकृति देने पर उसने अपनी टीशर्ट, बनियान, जींस तथा जांघिया उतार दिए और मेरे सामने बिल्कुल नग्न हो कर खड़ा हो गया। उसका शरीर बहुत हष्टपुष्ट था और उसका लौड़ा, जो अभी पूरा खड़ा भी नहीं हुआ था, काफी तगड़ा लग रहा था। उस अर्ध-चेतना की अवस्था में भी उसके लौड़े की लम्बाई लगभग 5 इंच और मोटाई डेढ़ इंच के लगभग लग रही थी। उसके डेढ़ इंच साइज़ के दोनों गोल गोल टट्टे नीचे की ओर लटके हुए थे, उसके लौड़े के ऊपर का मांस पीछे हटा हुआ था तथा सुपारा बाहर निकला हुआ था।
यह देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने झट से उसके लौड़े को हाथ में ले लिया और उसे हल्के हल्के मसलने लगी।
क्योंकि मैंने किसी भी मर्द का लौड़े को इतनी नज़दीक से पहली बार देखा और पकड़ा था इसलिए मुझे कुछ अजीब लग रहा था। मेरे छूने से नितिन का लौड़ा एकदम सख्त हो कर तनने लगा जिसे देख कर मैंने घबरा कर उसके लौड़े को एकदम छोड़ दिया।
इस पर नितिन ने हँसते हुए कहा- इससे डरो मत, यह काटेगा नहीं ! यह तो खुश होकर आपको सलामी दे रहा था !
उसका तना हुआ लौड़ा बहुत ही सुंदर दिख रहा था और मुझे उस पर बहुत प्यार आने लगा। उसका सुपारा तो एकदम चमक रहा था और दोनों लटके हुए टट्टे अब सिकुड कर ऊपर की ओर चिपक गए थे !
ऐसा मनभावन नज़ारा देख कर मेरी चूत में अब गुदगदी के साथ साथ खुजली भी होने लगी थी, वह गीली भी होने लगी थी तथा उसमें से पानी रिसने लगा था जिसके कारण मेरी पैंटी भी गीली होने लगी थी ! मुझे पहली बार चूत और लौड़े के बीच के अदृश्य सम्बन्ध के बारे में समझ आने लगी थी !
मैं नितिन के लौड़े को हाथ में पकड़ कर हिलाने, मुठ मारने लगी जिससे नितिन एकदम घबरा गया और सिकुड़ने तथा हिलने लगा। अब उसका लौड़ा मस्त हो गया था और उसकी लम्बाई 8 इंच और मोटाई 2 इंच हो गई थी तथा उसके लौड़े का सुपारा फूल कर ढाई इंच का हो गया था !
मैंने नितिन से पूछे बिना उसके लौड़े को चूम लिया और सुपारे को जीभ से चाटने लगी। उसी समय नितिन को एक झटका लगा और उसके सुपारे के छिद्र में से पानी जैसी दो बूँदे बाहर निकली। उन बूंदों को निकला देख कर मैंने जब नितिन की ओर देखा तो उसने इशारे से चाटने के कहा, तब मैंने उन बूंदों को चाट लिया !
मुझे उनका नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लगा और मेरे से रहा नहीं गया, मैंने अपने होंट उसके सुपारे के उस छिद्र पर लगा कर जोर से चूसा और उसके अंदर से सारा पानी खींच कर पी गई, इसके बाद मैंने मुंह खोल कर सुपारे को अंदर लेने की कोशिश की लेकिन उसे पूरा अंदर नहीं कर सकी इसलिए उसको फिर से चाटने लगी !
नितिन ने पांच मिनट तक मुझे अपने लौड़े के सुपारे को चाटने दिया और फिर मुझे अलग कर उसने मेरी कमीज़, सलवार, ब्रा और पैंटी उतार दी !
पैंटी का गीलापन देख का उसने मेरी जाघों के बीच में हाथ डाल कर मेरी चूत को छूकर देखा और गीले हाथ को अपने मुँह में रख कर चाटा तथा मेरी ओर देखा !
जब मैंने पूछा- स्वाद कैसा है?
तो उसने कहा- शरबत जैसा !
फिर वह जल्दी से मेरे बिस्तर पर मेरी टांगों की तरफ सिर कर के लेट गया और मेरी टांगों को चौड़ा करके अपना मुँह मेरी चूत पर लगा दिया और मेरा रस खींच कर चूसने तथा पीने लगा !
जब उसके लौड़े को अपने चेहरे के पास देखा तो मेरा मुहँ भी अपने आप खुल गया और मैं उसका सुपारा चूसने लगी। कुछ देर के बाद नितिन ने जब मेरे भगांकुर पर जीभ घुमाई तो मुझको झटका लगा और मेरी चूत में से एकदम पानी छूटा जिसे नितिन ने लप लप कर कर पी लिया !
मैंने भी अपने मुँह को और ज्यादा खोला तो नितिन का पूरा सुपारा मेरे मुंह के अंदर चला गया और मैं उसे बड़े प्यार से चूसने लगी। दस मिनट तक हम दोनों की चुसाई ऐसे ही चलती रही और फिर जब मुझे एक और झटका लगा तो मैं चिल्लाई आईई… और नितिन के मुहँ में पानी की धार सी छोड़ दी, नितिन ने सारा पानी पी लिया !
मैं बहुत गर्म हो गई थी इसलिए नितिन के लौड़े को जोर से चूसने लगी, तभी उसका लौड़े ने फड़फड़ा कर अपना रस मेरे मुँह में उड़ेल दिया ! मुझे ऐसा लगा कि उसने मेरे मुँह में रबड़ी डाल दी गई है और मैं उसे मजे से चटकारे लेकर चट कर गई।
इसके बाद नितिन मेरे साथ लिपट के लेट गया और मुझ को चूम लिया ! अब उसका ढीलाढाला लौड़ा मेरी चूत के बालों से चिपका हुआ था और मेरी चूचियाँ उसकी छाती से चिपके हुई थी।
कहानी जारी रहेगी।
आप सब मित्रों से अनुरोध है कि आप सब मेरे साथ घटी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दीजिए !
सिर्फ प्रतिक्रिया ही दीजियेगा, दोस्ती या यौन सम्बन्ध का अनुरोध मत कीजियेगा !
अंत में मैं अपनी सखी टी पी एल के प्रति भी बहुत आभार प्रकट करना चाहूँगी, जिसने मेरी कहानी को सम्पादित किया और उसमें सुधार करके आपके लिए अन्तर्वासना पर प्रकाशित करने में मेरी सहायता की !
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