घर में कोई नहीं है
प्रेषक : राकेश पटेल
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को राकेश का प्यार भरा नमस्कार।
अन्तर्वासना साइट एक टोनिक का कम करती है, पढ़ कर तो बुड्ढे का लण्ड भी जवान जैसा हो जाता है। मैं अन्तर्वासना का प्रशंसक हूँ। आज मेरा भी अपनी सच्ची कहानी लिखने का मन हो गया। यह कहानी पढ़ कर अच्छी अच्छी लड़कियों की चूत पानी पानी हो जाएगी और लड़को का लण्ड खड़ा का खड़ा रह जायेगा।
मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ यहाँ गर्मी कुछ ज्यादा ही पड़ती है।
यह एक साल पहले की घटना है, उन दिनों गर्मियों का मौसम था, मैं और मेरा दोस्त घर से निकले, हमें एक दोस्त के घर से रुपये लेने थे।
हम उसके घर गए और हमने घर के बाहर से आवाज दी पर कोई बाहर नहीं आया। हमने दरवाज़े की घण्टी बजाई तो अंदर से एक खूबसूरत सुन्दरी बाहर आई।
आह ! क्या नशीला बदन था ! उसको देखकर मेरे होश उड़ गए पर उसने चेहरे पर मुल्तानी मिटटी लगा रखी थी। उसने हमें देखा और वो दौड़ कर बाथरूम में गई। उसने अपना चेहरा धोया, फिर वो बाहर आई। उसके चेहरे में निखर आ गया था। वो बिल्कुल अप्सरा लग रही थी।
उसने कहा- घर में कोई नहीं है !
यह सुनकर मुझे यकीन हो गया कि उसका इशारा क्या है।
फिर वो मेरे पास ही सोफ़े पर बैठ गई। मैंने थोड़ी बात की और फिर उसने जोर देकर कहा- घर में कोई नहीं है !
मेरा विचार अब पक्का हो गया, मैंने अपने दोस्त को इशारा किया तो वह बाहर चला गया।
फिर मैं उसके बिल्कुल बाजू में बैठ गया और उसकी जांघों से मेरी जांघें टकराने लगी। वो कुछ नहीं बोली, मेरा विश्वास बढ़ गया। मेरा बदन भी अब गर्म हो गया।
मैंने अब अपना हाथ उसकी जांघ पर रखा और धीरे-धीरे हाथ फ़िराने लगा। वो पत्थर सी हो गई।
मैं अपनी कोहनी उसके चूचों पर टकराने लगा। धीरे धीरे और नजदीक आ गया मैं उसके बदन के !
अब उसका सब्र टूटा और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
हम एक दूसरे से लिपट गए।
अब उसकी मीठी आवाज निकली- चलो, बेडरूम में चलते हैं।
आहा !
बेडरूम में जाते ही वो मुझसे लिपट गई जैसे वृक्ष से लता लिपटजाती है। उसका बदन मेरे बदन से रगड़ने लगा, वो लेट गई तो मैंने अब उसके होंठ चूसने शुरू किए, जिसके कारण वो अतिउत्तेजित हो गई। फिर मैंने उसके मम्मे को कपड़ों के ऊपर से दबाना शुरु किया। उसके कपड़े एक-एक कर उतरने लगे।
अब बारी थी उसको वो मजा देने की जो कोई पुरुष ही उसे दे पाता ! वो था उसकी चूत का मजा।
यह भी एक कला है जिसे कुछ इस प्रकार करते हैं- उसकी दोनों टाँगें फ़ैलाना, फिर अपने होंठ पास लाना और जीभ अन्दर डालना, उसकी चूत को गुब्बारे की तरह खींचना और उसकी नाजुक पंखुडियों को चूमना)
अब वो अपने बस में नहीं थी। उसके आँसू निकल आये जैसे उस पर प्यार की बरसात हो रही हो।
वो बोली- जानू, अब डालो !
मैं खड़ा हुआ और उसे चोदना शुरु किया, पहले धीरे धीरे फिर जल्दी जल्दी !
अ..आह…
अगर पुरुष चाहे तो वो करीब एक से दो घंटे लगातार चोद सकता है, जो मैंने किया।
डेढ़ घंटे मैंने उसको अपनी बाहों में रखा, वो प्यार और दर्द से रोती रही। फिर मैंने प्यार से उसे गले लगाया।
वो बोली- यह क्या था? इतना प्यार ? आज तक मैंने सुना था कि मर्द होते हैं, पर आज मैंने उसका अनुभव किया।
फिर मालूम चला कि वो भोपाल से तीन दिन के लिए रहने आई थी !
वो चली गई, साथ में यादें देकर और लेकर !
दोस्तो, कैसी लगी मेरी यह जीवन की हकीकत !
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