पारूल दीदी का भीगा बदन
मैं पिछले दो सालों से अन्तर्वासना को रोज़ ही देखता हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मैंने कई कहानियाँ पढ़ी हैं और आज मैं उनसे प्रेरणा लेकर अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
मेरी यह कहानी सच्ची है और मेरे साथ बीते हुए पलों को मैं आप के साथ बाँटना चाहता हूँ।
पहले मैं अपना परिचय दे रहा हूँ : मेरा नाम समीर है, उम्र 28 साल है, कद 5 फ़ीट 9 इंच और मेरा लंड 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है।
दोस्तो, बात तब की है जब मैं 21 साल का था, अपनी छुट्टियों में अपनी मामा के घर गया था। उसी दिन मेरी मामा की लड़की यानि पारूल का फ़ोन अपनी मम्मी के पास आया कि किसी रिश्तेदार की मौत हुई है, आप और पापा मेरे घर आ जाओ, हम लोग मिलकर जायेंगे।
मामा शहर से बाहर गए हुए थे तो मैं ही मामी को लेकर पारूल के घर गया और हम तीनों जाकर वापस आ गए और पारूल दीदी ने मुझे रोक लिया अपने घर पर यह कह कर कि दो चार दिन यहीं रुक जाएगा समीर तो मामी अपने घर चली गईं।
मेरे दीदी का नाम पारूल है, तब वो 25-26 साल की थी, उसके पति आर्मी में हैं, साल में कभी कभार ही घर आते हैं। मेरी दीदी को कोई बच्चा नहीं था उनकी शादी को तब चार साल ही हुए थे लेकिन जीजा जी शादी से पहले ही आर्मी में थे इसलिए दीदी के साथ ज्यादा समय नहीं रह पाए थे।
अगले ही दिन दीदी अपनी किसी सहेली के घर किट्टी में गई हुई थी कि अचानक बारिश शुरू हो गई। मैं टी वी पर मूवी देख रहा था, मूवी में कुछ सीन थोड़़े से सेक्सी थे जिन्हें देख कर मन के ख्याल बदलना लाजमी था। उस समय मेरे मन में बहुत उत्तेजना पैदा हो रही थी। मैं धीरे धीरे अपने लंड को सहलाने लगा।
तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया। बाहर दीदी खड़ी थी, उनका बदन पूरी तरह पानी से भीगा हुआ था और वो आज बहुत जवान और खूबसूरत लग रही थी। मैंने दरवाजा बंद कर दिया।
दीदी ने सामान रखा और मुझसे बोली- समीर, मैं पूरी भीग चुकी हूँ, मुझे अंदर से एक तौलिया ला दो, मैं तौलिया ले आया तो दीदी मुस्कुराते हुए बोली- सामान हाथों में लटका कर लाने से मेरे हाथ दर्द करने लग गए हैं इसलिए तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे?
मैंने पूछा- क्या काम है?
दीदी बोली- जरा मेरे बालों से पानी सुखा दोगे?
मैंने कहा- क्यूँ नहीं?
दीदी ज़मीन पे बैठ गईं और मैं सोफे पे बैठ गया । मैंने देखा बालों से पानी निकल कर उनके बूब्स की धारीओं से लेके नाभि तक बह रहा था। मैं दीदी के पीछे बैठ गया, उनको अपने पैरों के बीच में ले लिया और बालों को सुखाने लगा। दीदी का गोरा और भीगा बदन मेरे लंड में खुजली पैदा कर रहा था। बाल सुखाते हुए मैंने धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया। दीदी ने कोई आपत्ति नहीं की। धीरे से मैंने उनकी कमर सहलानी शुरू कर दी।
तभी अचानक दीदी कहने लगी- मेरे बाल सूख गए हैं, अब मैं भीतर जा रही हूँ।
वो कमरे में चली गई पर मेरी साँस रुक गई। मैंने सोचा कि शायद दीदी को मेरे इरादे मालूम हो गए। कमरे में जाकर दीदी ने अपने कपड़े बदलने शुरू कर दिए। जल्दी में दीदी ने दरवाजा बंद नहीं किया। मेरी निगाह उनके कमरे पे रुक गई। वो बड़े शीशे के सामने खड़ी थी। मेरे मुँह से तो सिसकारी ही निकल गई, आज से पहले मैंने पारूल दीदी को इतना खूबसूरत नहीं समझा था। वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में खड़ी थी।
दूधिया बदन, सुराहीदार गर्दन, बड़ी बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा जिसमे उनके 36 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्त कैद कर दिया हो। उनकी चूचियाँ बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं। चूचियों से नीचे उनका सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो। उनकी कमर 26 से ज्यादा किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती। बिल्कुल ऐसी जैसे दोनों पंजों में समा जाये। कमर के नीचे का भाग देखते ही मेरे तो होंठ और गला सूख गया।
उनके चूतड़ों गांड का साइज़ 36″ के लगभग था। बिल्कुल गोल और इतना ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था। कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स की देवी लग रही थीं…
मेरा दिल अब और भी पागल हो रहा था और उस पर भी बारिश का मौसम जैसे बाहर पड़ रही बूंदें मेरे तन बदन में आग लगा रही थी। अचानक दीदी मुड़ी और उन्होंने मुझे देख कर मुस्कुराकर दरवाज़ा बंद कर लिया। मुझे उनकी आँखों में अपने लिए प्यार और वासना साफ़ नजर आ गई थी।
वर्षा ॠतु चल रही थी, जुलाई का महीना था, सुबह धूप थी पर दोपहर होते होते मौसम बहुत ख़राब होने लगा था, बूंदाबांदी शुरू हो गई थी। किसी भी वक्त तेज़ बारिश हो सकती थी, दीदी बोली- समीर मैं कपड़े लेने जा रही हूँ छत से।
मैंने कहा- मैं भी चलता हूँ।
हम छत से कपड़े उतार ही रहे थे कि अचानक बारिश तेज़ हो गई और मैं और दीदी पूरे भीग गए। मैं दीवार की ओट में छुप गया पर दीदी बारिश में नहाने लगीं। दीदी बारिश के मज़े ले रही थी !! उन्होंने मुझे भी आने को कहा तो मैं भी बारिश में नहाने लगा। उसी वक़्त न जाने क्यूँ फिर मेरी नज़र उनके पेट पर गई, जोकि कपड़े गीले होने बाद साफ़ नज़र आ रहा था !!
मुझे देखते ही दीदी ने अपने आपको थोड़ा संभाला और कहा- काफी दिनों बाद इतनी अच्छी बारिश हुई है !!
मैंने पूछा- आपको शायद बहुत अच्छा लगता है बारिश में नहाना !!
तो उन्होंने कहा- हाँ नहाना भी, बारिश में नाचना भी..
इस बात पर मैंने हंसते हुए बारिश का कुछ पानी उनके मुँह पर फैंका तो उन्होंने भी बदला लेने के लिए ऐसा ही किया.. देखते ही देखते हम दोनों एक दूसरे के साथ बारिश में ही खेलने लगे। फिर ना जाने कैसे अचानक दीदी का पाँव फिसला और वो सीधी मेरे ऊपर आकर गिरी !! उन्हें गिरने से बचाने के लिए मैंने अपने दोनों हाथों से उन्हें पकड़ना चाहा तो मेरे हाथ उनकी कमर पर रुके लेकिन हम दोनों ही नीचे गिर पड़े !!
दीदी मेरे नीचे थी और मेरे हाथ उनकी कमर पर, वो लम्हा मेरी ज़िन्दगी का सबसे मुश्किल लम्हा था !! पता नहीं क्यूँ मेरे हाथों ने कमर पर से हटने की बजाय अपनी पकड़ और मज़बूत कर ली !! हम दोनों की आँखें एक दूसरे की आँखों में ही देख रहे थे और मुझे उन आँखों में आज कोई रुकावट नज़र नहीं आ रही थी !! उनकी नजरो में वो वासना साफ़ दिख रही थी। शायद इसीलिए मैंने उनकी नंगी गर्दन पर चूम लिया !!
मेरे अचानक चूमने से वो थोड़ा घबराई और उठने की कोशिश करने लगी, मगर मेरी पकड़ काफी मजबूत थी। यह सब कुछ खुली छत पर तेज़ बारिश में हो रहा था !!
बारिश का पानी हम दोनों के बदन को गीला कर चुका था.. लेकिन तब भी मैं उनके बदन की गर्मी को महसूस कर सकता था !! मेरी आँखें उनकी आँखों में ही देख रही थी, मेरे हाथ उनके दोनों हाथों को संभाले हुए थे, मेरे पैर उनके पैरों में लिपटे हुए थे !! हम दोनों के बदन एक दूसरे से सटे हुए थे !!
तभी दीदी बोली- छोड़ मुझे, यह सही नहीं है।
मैंने कहा- सब सही है दीदी, मुझे पता है कि आप भी वही चाहती हो जो मैं चाहता हूँ।
दीदी बोली- नहीं यह गलत है।
मैंने कहा- दीदी आप चाहें कुछ भी करो, आज मैं आपको तड़पता नहीं रहने दूँगा। मुझे पता चल गया है कि आप जीजा जी के बिना कैसे अकेली तड़पती हैं।
फिर मैंने उनके रसीले गुलाबी होंठों पर अपने होंठ जमा दिए और उनके होंठो को चूसने लगा !!
वो छटपटाने लगी और मुझे अपने से अलग करने की कोशिश करने लगीं। थोड़ी देर बाद उनका ऐतराज़ करना भी बंद हो चुका था, लेकिन वो खामोश ही थी ! मेरे हाथों ने उनके बदन पर चलना शुरू किया, मेरा एक हाथ उनके पेट पर था और दूसरा उनकी गर्दन पर !! तभी मैंने अपने हाथ से उनकी साड़ी को ढीला कर दिया और उनकी साड़ी को बदन से अलग कर दिया, अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थीं। तभी मैंने अपना एक हाथ उनके पेटीकोट में डाला और उनकी चिकनी जांघ को सहलाने लगा, मैं पागल सा होने लगा था, फिर मैंने उनके पेटीकोट को भी उनके बदन से आज़ाद कर दिया।
मैंने उन्हें चूमना शुरू कर दिया और तभी मैंने दीदी की पहली कराह सुनी- आ आआ आअह्ह्ह !!
वो अपने हाथ से मेरे सिर को पीछे धकेलने लगी, क्यूँकि मैं अभी भी उनके रसीले होंठों को चूस रहा था। मैंने दोनों जाँघों को हाथ में पकड़ कर कमर पर चूमना शुरू किया और धीरे धीरे उनके ब्लाउज को भी उतार दिया !
अब एक ऐसा नज़ारा मेरे सामने था जिसके लिए मैंने हजारों मन्नतें की थी.. दीदी का गोरा चिकना गठीला बदन मेरी आँखों के सामने था और वो भी उस हालत में जिसमें मैं सिर्फ सोच सकता था.. उन्होंने अपनी आँखों को बंद कर लिया क्यूंकि वो मेरे सामने अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में थीं। उन्होंने काली ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी.. जोकि उनके गोरे बदन के ऊपर और भी खूबसूरत लग रही थी।
मैंने उनकी छाती पर हाथ फेरना शुरू किया और उनकी कड़क चूचियों को दबाने लगा.. अब शायद उन्हें आजाद करने का समय आ गया था। मैंने उनकी ब्रा का हुक खोल कर उन्हें भी आजाद कर दिया।
उनकी चूचियों को देखकर मैं मदहोश सा हो रहा था, मैंने उन्हें चूसना शुरू किया तो दीदी सिसक उठी.. उनकी सिसकियाँ अब तेज़ होती जा रही थी, उनकी आआह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह् सुनकर मुझे एक अलग सी ताक़त मिल रही थी !
मेरे हाथ उनके पूरे बदन पर चल रहे थे.. और तभी मैंने हाथ उनकी पैंटी के अन्दर घुसा दिया और वो जैसे पागल सी हो गई..
मेरी एक उंगली ने उनकी पैंटी के अन्दर हरकत शुरू कर दी थी.. उनके दोनों हाथ मेरी कमर को खरोंच रहे थे..
अब तक उन्होंने भी मुझे कपड़ों से अलग कर दिया था और मेरे बदन पर सिर्फ मेरा अंडरवियर ही बचा था !!
तभी उन्होंने अपने नाज़ुक हाथों से मेरे लण्ड को पकड़ा और उसे सहलाने लगी.. मैं पागल हो रहा था..
यह सभी कुछ हम बारिश में गीली छत पर ही कर रहे थे कि अचानक दीदी बोली- बाकी का काम बिस्तर पर करना।
और मुझे भी लगा कि काम को आखिरी अंजाम देने के लिए हमें बेड पर जाना ही पड़ेगा..
मैंने दीदी को उसी हालत में उठाया और अंदर उनके कमरे के बेड पर ले जाकर लिटा दिया.. वो बुरी तरह सिसक रही थी.. वो वासना की आग में जल रही थीं। वो इतनी गर्म हो गईं कि कमरे में पहुँचते ही उन्होंने मुझे बुरी तरह चाटना शुरू किया और एक झटके में मेरे लंड को मेरे अंडरवियर से आज़ाद कर दिया।
मैंने भी उन्हें जोर से जकड़ लिया.. और उनकी चूचियों को मसलते हुए उनकी बुर को उनकी पेंटी से आज़ाद कर दिया।
मैंने दीदी की पैंटी उतारी, वाह एकदम चमाचमा उठी उनकी चिकनी चूत ! कामरस से भीगी हुई ! कितने मोटे मोटे होंठ थे उनकी फ़ुद्दी के ! एक भी बाल नहीं था !एकदम सफाचट थी ! और चूत में उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा, उसको मज़ा आने लगा था।
मैंने उनकी चूत को खोला दोनों हाथों की उंगलियों से, तो उनका लाल सुर्ख दाना चमक उठा और बुर का छेद पच्चीस पैसे के सिक्के जितना छोटा था। मैं तुरन्त ही अपना मुँह उनकी बुर के पास ले गया और चाटने लगा। मैं अब दीदी की बुर के दाने को चुभला रहा था और दीदी आहह उहह सीईई ऊफ आहह की जोरदार आवाज निकाल रही थीं और कह रही थीं- खा जाओ मेरी बुर को और अंदर तक जुबान डालो !
मैं अब दीदी की बुर में जोर जोर से उंगली करने लगा लेकिन मेरी उंगली आसानी से अंदर नहीं जा रही थी, बड़ी ही कसी हुई बुर थी दीदी की। जीजा जी आर्मी में थे और साल में एक बार आते थे। इसीलिए दीदी की बुर ज्यादा खुली नहीं थी। बिल्कुल जवान चूत थी। उफ़्फ़ ! इतना मजा आ रहा था कि सारा वर्णन करना ही असम्भव है। थोड़ी ही देर बाद दीदी झड़ गईं और मैं उनका सारा रस पी गया।
फिर उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया। मेरा लंड जो 8 इंच लंबा और गोलाई लिए हुए 3 इंच मोटा था को देखकर दीदी खुश हो गईं। दीदी अपना मुँह मेरे लंड के पास लाईं और कहा- तुमने मेरी बुर चूसी है, अब मैं भी तुम्हारा लंड चूसूंगी !
दीदी मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने और आइसक्रीम की तरह चाटने लगी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था, लग रहा था कि मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ। पाँच मिनट तक मेरे लंड को चूसने के बाद दीदी ने मुझे सोफे पर बिठा दिया और मेरे सामने घुटनों के बल बैठकर मेरा लंड चूसने लगीं और मेरी गोलियों को मुँह में भर लिया।
मैंने दीदी से कहा- अब छोड़ दो, नहीं तो मेरा रस बाहर निकल आयेगा।
लेकिन दीदी मानी नहीं और मेरा लंड चूसती रहीं। कुछ समय के बाद मेरा रस निकलने लगा तो मैंने दीदी का चेहरा पकड़कर ऊपर उठाया लेकिन वो हट ही नहीं रही थी तो फिर मेरा लंड रस उनके मुँह में ही भर गया।
फिर मेरी तरफ सेक्सी निगाहों से देखती हुई अपने होठों को चाटने लगी। मैंने आगे बढ़कर दीदी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा। मैं कहने लगा- आपने तो मुझे स्वर्ग की सैर करा दी !
दीदी हंसने लगी और मेरे सीने को सहलाने लगी। इससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। अचानक वो मेरे ऊपर आ गईं और मेरे घुटनों पर बैठकर मेरा लंड अपने हाथ में पकड़कर अपनी बुर के दाने पर घिसने लगी और जोर जोर से सीत्कारें भरने लगी। वे मेरे ऊपर बैठी हुईं थी जिससे कि उनकी बुर का पानी मेरे लंड को पूरा भिगो गया था और अब किसी चिकनाई की जरूरत नहीं थी। फिर दीदी ने मेरे लंड का अपनी बुर के छेद पर निशाना बनाया और धीरे धीरे बैठने लगी।
उफ़्फ़ ! बड़ा मजा आने लगा मुझे !
मेरा लंड बडा ही कसा हुआ उनकी बुर में घुस रहा था। मैंने देखा कि दीदी ने अपने जबड़े भींच रखे थे और धीरे धीरे करके मेरे लंड पर जड़ तक बैठ चुकी थीं और उसके बाद मेरे होंठों को अपने होठों में भर लिया और चूसने लगी। मैं अपने हाथ उनकी कमर से चूचियों पर लाया और दोनों हाथों में भर कर दबाने लगा।
अब दीदी सीईई सीसी आह अअहाहह की जोरदार आवाजें निकाल रही थी और ऊपर से झटका भी मार रही थी। पूरे कमरे में फच फच सीईसीइइई और तेज ! और तेज तेज करो ! की जोरदार आवाजें हो रही थीं। करीब 15 मिनट तक दीदी मेरे लंड पर कूदती रहीं। दीदी ऊपर से और मैं नीचे से एक दूसरे की चुदाई करते रहे और 20 मिनट बाद दीदी का पानी निकल गया तो दीदी रूक गईं और मुझसे कहने लगीं- बस अब और न करो !
लेकिन मेरा तो अभी रस निकला ही नहीं था इसलिए मैंने दीदी से कहा- मेरा तो निकल जाने दो !
तो दीदी मान गईं, मैंने दीदी से कहा- घोड़ी बन जाओ !
और पीछे से मैं उनकी बुर में अपना मोटा लंड डाल कर धीरे धीरे चोदने लगा। दीदी के उरोज उछल उछल कर मेरी कामाग्नि को और बढ़ा रहे थे। कुछ समय के बाद दीदी को फिर से मजा आने लगा तो दीदी भी अपनी कमर को चलाने लगीं। दीदी को चोदते हुए मैं उनकी गांड के छेद को फूलते पिचकते हुए देख रहा था और मुस्कुरा भी रहा था। मैंने दीदी की बुर में एक अंगुली डाल कर उसको गीला किया और दीदी की गांड में डाल दिया दीदी उछल पड़ी और उनकी सीत्कारें और भी तेज हो उठीं। फिर मैंने उन्हें सीधा लिटाया और चढ़ गया उनकी फ़ुद्दी पर ! पूरे कमरे में पारूल के चीखने की आवाजें आ रही थीं।
करीब 20 मिनट तक मैं उन्हें चोदता रहा, और जब मुझे लगा कि अब मेरा भी निकल जायेगा तो मैंने दीदी से कहा- मेरा वीर्य निकलने वाला है, कहाँ डालूँ?
तो उन्होंने कहा- मेरी बुर में ही डाल दो ! मेरा भी निकलने वाला है !
मैंने दीदी से कहा कि ऐसे तो आपको बच्चा हो जायेगा तो दीदी ने कहा- हो जाने दो ! मैं तुम्हारा ही बच्चा पैदा करूँगी ! तुम्हारे जीजा जी से तो बच्चे की उम्मीद करना बेकार है, मैं तो तुम्हारा ही बच्चा पैदा करूँगी तो वो तुम्हारे जैसे ही खूबसूरत और गोरा होगा।
फिर मैंने दीदी को उठा कर सोफे पर पीठ के बल लिटा दिया और उनकी बुर में अपना मोटा लंड ठूस कर चुदाई करने लगा। 15-20 धक्के लगाने के बाद दीदी चिल्लाने लगीं- मैं तो गई गई सीर्इसीसीसी ईई….ईसीई आह उह आह आह जोर से और जोर से !
तो मैं समझ गया कि दीदी का निकलने वाला है।
मैंने दीदी के दूधों को दोनों हाथों में भर लिया और जोर जोर से दबाते हुए ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा, 8-10 धक्कों के बाद मेरे मोटे लंड से वीर्य की बरसात होने लगी। किन्तु मैं रूका नहीं और उनकी बुर को अन्दर तक पेलने लगा। मेरे लंड के वीर्य ने उनकी बुर को पूरा भर दिया। मैं दीदी की बुर में ही लंड डालकर दीदी के ऊपर लेट गया।
करीब दस मिनट बाद हमें होश आया तो हम दोनों शरमाने लगे।
दीदी ने मेरे होठों को चूमकर कहा- सच जितना मजा तुम्हारे साथ आया, उतना तुम्हारे जीजा के साथ कभी नहीं आया। आज मैं सही मायने में औरत बन पाई हूँ।
मैंने दीदी से कहा- मैं आया तो थोड़े दिन के लिए ही था लेकिन मैं अभी कुछ दिन और रूककर आपको प्यार करना चाहता हूँ।
तो दीदी ने कहा- यही तो मैं भी कहने वाली थी, जितने दिन चाहो उतने दिन रूको। बहुत प्यासी हूँ मैं, सींच दो मेरी इस फ़ुद्दी को अपने वीर्य से।
हम बाथरूम में गए, सब कुछ साफ़ किया और साथ साथ ही नहाने लगे। हम दोनों शावर के नीचे एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे। वो मेरे लंड को पागलो की तरह चूसने लगीं, मेरा लंड एक बार फिर सलामी देने लगा।
इसलिए मैं बाथटब में लेट गया और वो मेरे ऊपर लेट गई। मैंने धीरे से लंड उसकी बुर पर लगाया और धीरे धीरे अन्दर सरकाने लगा तो मेरा लंड उसकी बुर फाड़ता हुआ अन्दर चला गया।
और मैं चार दिनों तक दीदी के यहाँ रूककर उनकी चुदाई करता रहा।
आज दीदी जब चाहती हैं, मुझे बुला लेती हैं, मैं उन्हें चोदता हूँ। वो मेरे बच्चे की माँ भी बन चुकी हैं।
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