पैसेन्जर ट्रेन में चूत चोदी
अन्तर्वासना के तमाम पाठकों को मेरे प्यासे लण्ड का प्रणाम है। मेरा नाम धीरेन्द्र राठौर है, मैं झान्सी का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 23 बरस है, मेरे लण्ड का साईज 6 इन्च है।
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है।
बात उन दिनों की है जब मैं लखनऊ में बी टेक कर रहा था, मैं 19 साल का था और दूसरे साल में पढ़ता था।
उस समय अक्सर ट्रेन से मेरा घर आना जाना लगा रहता था।
दिवाली के समय मेरी छुट्टियाँ हो गई थी और मैं घर जा रहा था।
उस दिन पता नहीं किसका चेहरा देख कर उठा था कि वो दिन मेरे लिये सुबह से ही अच्छा जा रहा था।
जब मैं कमरे से ट्रेन पकड़ने के लिये बस से चारबाग स्टेशन जा रहा था तो बस में मेरे बगल बाली सीट पर एक एक मस्त लड़की बैठी। उसकी चूचियाँ इतनी मस्त थी कि मन कर रहा था कि अभी पकड़ कर दबा दूँ। किसी तरह काबू करके मैं स्टेशन पहुँच गया।
मैं उस दिन स्टेशन पहुँचने में लेट हो गया था इसलिये मेरी इन्टरसिटी एक्सप्रेस छूट गई और मुझे पेसेन्जर से झान्सी जाना पड़ा।
लेकिन कहते हैं ना खुदा जो करता है अच्छे के लिये करता है, मैं जिस सीट पर बैठा था कुछ देर बाद उसी सीट पर एक आन्टी और उनकी एक लड़की उसी सीट पर बैठे।
वह लड़की देखने में इतनी सुन्दर थी कि उसको पाने के लिये कोई भी कुछ भी कर जाये। उसके होंठ बिल्कुल सुर्ख लाल देख कर ऐसा लग रहा था जैसे लिप्स्टिक लगाये हो। और उसका जिस्म तो मानो जैसे खुदा ने उसे फ़ुरसत में बनाया हो। उसकी चूचियाँ ज्यादा बड़ी नहीं थी पर एकदम कसी हुई थी, लग रहा था अभी उसका टॉप फाड़ कर बाहर आ जायेंगी।
गाड़ी अपने समय से लेट छुटी। एक बात बताता चलूँ, यह ट्रेन बहुत खाली चलती है इस वजह से अधिकान्श सीटें खाली ही पड़ी रहती हैं, जब ट्रेन चली तो हमारी बातें शुरु हो गई।
बातों में मुझे पता चला कि उसका नाम मोना है और उरई में रहती है और बी ए में पढ़ती है।
मैंने भी बताया कि मैं लखनऊ में पढ़ता हूँ।
बातों बातों में कब कानपुर आ गया पता ही नहीं चला। ट्रेन इतनी लेट हो गई थी कि कानपुर आते आते 8 बज चुके थे।
जब ट्रेन कानपुर से चली तब तक उसकी मम्मी को नीन्द आने लगी थी और वह सामने वाली सीट पर सो गई। मैंने उससे पूछा कि क्या उसे भी नीन्द आ रही है।
तो उसने भी हाँ कहा तो मैंने उसे अपनी सीट पर लेटने को कहा तो वो तैयार हो गई।
मैं भी उसके सिर के पास बैठ गया।
थोड़ी देर बाद मुझे उसका हाथ अपने पैर पर महसूस हुआ। जब मैंने कोई प्रतिउत्तर नहीं दिया तो उसकी हिम्मत बढ़ गई और उसका हाथ अब मेरी जान्घों पर आ गया।
मैं भी अखिर हूँ तो इन्सान ही, मेरा लण्ड भी अब खड़ा होने लगा था। मैं भी अब अपना हाथ उसकी चूचियों पर पहुँचाने लगा था। मुझे डर लग रहा था कि कहीं उसकी मम्मी जाग गई तो आज ट्रेन में ही इज्जत खराब हो जायेगी।
मैंने उसे टोयलेट में आने के लिये कह कर टोयलेट में उसका इन्तजार करने लगा। मुझे भरोसा नहीं था कि वो आयेगी।
मगर कहते हैं ना कि अगर चूत को भूख लगी हो तो वो कहीं भी आने के लिये तैयार हो जाती है।
कुछ देर बाद वो टोयलेट के बाहर आ गई, मैंने दरवाजा खोला और आसपास का मुआयना किया।
वहाँ कोई नहीं था, मैंने उसे तुरन्त ही अन्दर खींच लिया जिसके लिये वो तड़प रही थी और दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया।
मैं जिन्दगी में पहली बार किसी लड़की के साथ अकेला था। अन्दर आते ही उसने मुझे किस करना शुरु कर दिया जैसे सालों से भूखी हो। कुछ देर किस करने के बाद वो कुछ शान्त हुई तो मैंने पूछ ही लिया कि अखिर वो इतनी पागल क्यो हो गई थी तो उसने बतया कि उसे आज तक किसी ने छुआ भी नहीं है क्योंकि उसके घर वाले उसे कहीं नहीं जाने देते, इस वजह से आज तक वह कभी नहीं चुदी है और उसका रोज ब्ल्यू फ़िल्म देख कर चुदने का मन होता था।
मैंने उसे हौंसला दिया तो वह मुझसे फिर चिपक गई। अब तक मैं भी गरम हो गया था और मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था, मैंने उसे किस किया और अपनी जीभ उसके उसके मुँह में डाल दी।
वह भी मजे से मेरी जीभ चूसने लगी और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी जिसे मैंने भी चूसा।
इस बीच मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था जो अब और भी ज्यादा कड़क हो गई थी। मैंने उसका टॉप निकाल दिया।
उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी जिसमें उसका दूधिया शरीर किसी परी से कम नहीं लग रहा था।
मैंने उसे अपने लण्ड की तरफ इशारा किया जिसका मतलब वह तुरन्त समझ गई और उसने बिना समय गंवाये मेरी पैन्ट नीचे खींच दी, अब मेरा फनफनाता हुआ लण्ड उसके सामने था।
उसने उसे मुँह में लेने में जरा भी घिन ना दिखाते हुए तुरन्त मुँह में डाल लिया। उसके मुँह में पूरा लण्ड नहीं जा रहा था फिर भी वह पूरी कोशिश कर रही थी। अन्त में मैंने उसका मुँह पकड़ कर एक धक्का लगा दिया तो लण्ड उसके हलक के नीचे तक चला गया। मैंने उसको खड़ा किया और उसकी जीन्स नीचे खिसका दी और उसकी टान्गों से अलग कर दी। अब वह केवल ब्रा और पेन्टी में थी।
मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसके ब्रा के हुक खोल दिये, अब तो जैसे जमाने से कैद दो पंछी आजाद हो गये हों।
आजाद होते ही वो मेरे हाथों की गिरफ्त में थे और मैं बारी बारी उसके निप्पल चूस रहा था, वह भी मजे ले लेकर आह ऊह की आवाजें निकालने लगी थी।
अब मेरा एक हाथ उसकी चूचियों से खेल रहा था और दूसरा हाथ उसकी चूत सहला रहा था। वो तो बस आन्खें बन्द किये मजे में आवाजें निकाल रही थी।
अब मैंने उसकी चूचियों को छोड़ चूत की ओर अपना ध्यान किया, उसकी चूत का रस उसकी पेन्टी को पूरा गीला कर चुका था, मैंने उसकी पेन्टी को उतार दिया, अब वह मेरे सामने पूरी तरह नन्गी थी जो मेरे लिये भी एक अनोखा नजारा था। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और कमर तो इतनी सुन्दर कि मैं बता नहीं सकता!
अब मैं उस परी को चोदने जा रहा था जो मेरे लिये किसी सपने से कम नहीं था, मैंने उसे टोयलेट की खिड़की की तरफ झुकाया जिससे उसकी गान्ड और चूत दोनों मेरे सामने थी। मुझे भी कोई अनुभव नहीं था, मैंने भी ब्लु फ़िल्म में देख कर ये सब सीखा था तो आज उसके इम्तिहान का पल था।
मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा जो अन्दर से निकले पानी की वजह से काफी चिकनी हो गई थी जिससे जब मैंने जोर लगाया तो टाइट और चिकनी होने की वजह से मेरा लण्ड फिसल गया।
मैंने फिर से कोशिश की, इस बार मोना ने मेरी मदद की और कहा- मैं अगर चीखूँ तो मेरा मुँह बन्द कर लेना और तब तक नहीं छोड़ना जब तक पूरा अन्दर ना चला जाये।
उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और मुझे धक्का लगाने के लिये इशारा किया। इस बार उसने लण्ड को पकड़े रखा मैंने उसका मुँह अपने हाथों से बन्द कर लिया और एक जोरदार धक्का मारा, उसके पकड़े होने की वजह से इस बार आधा लण्ड चूत की गहराई में उतर गया, आधा जाने पर ही वो छटपटाने लगी लेकिन मैंने उसके कहने के मुताबिक उसे नहीं छोड़ा और कुछ देर रुकने बाद जब उसका दर्द कम हो गया तो मैंने थोड़ा लण्ड बाहर निकाल कर फिर से एक जोरदार धक्का मारा, इस बार वह इतना नहीं छटपटाई और लण्ड भी ज्यादा अन्दर चला गया था।
इसी तरह चार पान्च धक्कों बाद उसका दर्द बिल्कुल खत्म हो गया और वह भी अब गान्ड आगे पीछे कर के मजे लेने लगी थी।
अब मैंने उसका मुँह खोल दिया तो तो वह जोर-2 से आहें भर रही थी।
उसकी आंखों से निकले आन्सू अभी भी नहीं सीखे थे लेकिन अब वह ऐसे आह-ऊह की आवाजें निकाल रही थी जैसे कई बार चुद चुकी हो।
मैंने लण्ड बाहर निकाला तो मैं डर गया क्योंकि मेरा पूरा लण्ड खून से सना हुआ था। तब मुझे यकीन हो गया कि यह अभी तक बिना चुदी थी।
मैंने भी अपने लण्ड की खाल आज इतनी खुली हुई पहली बार देखी थी और मेरा लण्ड भी दर्द कर रहा था। तब मुझे पता चला कि मेरी भी आज सील टूट गई है।
मैंने अब उसको अपनी तरफ मुँह किया और उसको अपने दोनों पैर मेरी कमर के चारों तरफ लपेटने के लिये कहा। अब वह एक छोटे बच्चे की तरह मेरे चारों तरफ पैर डाल कर चिपक गई।
मैंने उसकी पीठ टोयलेट की दीवाल से लगा दी, अब उसका चेहरा मेरी तरफ और पीठ दीवाल की तरफ थी। मैंने नीचे से अपना लण्ड उसकी चूत के छेद पर लगाया और धीरे-2 अन्दर की तरफ सरका दिया, अब वह मेरे लण्ड पर झूला झूल रही थी, इस खेल में उससे ज्यादा मजा मुझे आ रहा था क्योंकि मुझे ऐसा लग रहा था कि उसकी चूत अब मेरा लण्ड चोद रही हो।
इस पोजीशन में उसकी चूचियाँ मेरे मुँह में आराम से आ रही थी और उसकी सिसकारियाँ मुझे और उत्तेजित कर रही थी।
उसके मुँह से आआआ आआह… ऊह्ह्ह ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह की आवाजें भी तेज हो गई थी। कुछ देर इस तरह चोदने के बाद वो झड़ गई और उसके गरम पानी से मैं भी अकड़ने लगा और मैंने उसके चूत से लण्ड निकाल कर उसके शरीर पर झड़ गया।
हम दोनों ने जल्दी-2 अपने कपड़े सही किये और पहले मैं बाहर आया और उसको कुछ देर बाद बाहर आने के लिये कहा।
मैंने बाहर आकर देखा कि उसकी मम्मी अभी भी सो रही हैं। मैं शान्ति से आकर अपनी जगह पर बैठ गया।
कुछ देर बाद मोना भी आ गई और मेरे बगल में बैठ गई। उसने मुझे एक किस किया और अपना फोन नम्बर मुझे दिया, मैंने भी उसे
अपना नम्बर दे दिया।
रात के दस बज रहे थे और ट्रेन उरई स्टेशन पर पहुँचने वाली थी। उसने अपनी मम्मी को जगाया और वह स्टेशन पर उतर गई, मैं उसे जाते हुए देखता रह गया।
दो दिन बाद मेरे नम्बर पर उसकी काल आई और उसने मुझे बताया कि वह दो दिन से मुझे याद करके चूत में उन्गली कर रही है, मैं उससे दिवाली की छुट्टियों के बाद काल करने के लिये कहा।
जब मैं वापस लखनऊ पहुँचा तो मैंने उसे काल की तो उसने मुझसे फिर से मिलने की इच्छा जाहिर की।
फिर से मैं उससे कैसे मिला और मैंने कैसे उसके और उसकी सहेलियों के साथ अपने दोस्तों को भी मजे दिलाये, यह मैं अपनी अगली कहानी में लिखूंगा।
आपको यह कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर लिखियेगा।
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इससे आगे की कहानी : दो सहेलियों की चुत और गांड की चुदाई
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