प्रीति चूत चुदाने को मचल रही थी
नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम बबलू है, मैं एक प्रसिद्ध कंपनी में कार्यरत हूँ। मेरा काम के सिलसिले में घर से बाहर ज्यादा समय रहता है और घर पर कम.. मैं अक्सर सफ़र में ही रहता हूँ.. और ज्यादातर सफ़र बस से ही होता है।
यह बात तब की है.. जब मैं एक शाम वॉल्वो बस से दिल्ली से कालका जा रहा था। बस में भीड़ कम होने की वजह से बस में यात्री कम ही थे। पीछे वाली सीट पर मुझे सोने की आदत है.. सुबह का समय था, मैं पीछे लम्बी सीट में जाकर सो गया।
मुझे सोए हुए आधा घंटा ही हुआ था कि मुझे मेरी जाँघों पर कुछ रेंगता सा महसूस हुआ.. थोड़ी आँख खोलकर देखा तो एक सुंदर गोरा हाथ मेरी पैन्ट के ऊपर फिर रहा था।
थोड़ी देर बाद उसका चेहरा भी देख लिया.. यह तो एक हसीन पंजाबन लड़की थी। एक सुंदर फिगर 34-30-34 वाली मस्त कुड़ी.. गोरा रंग.. बेहद खूबसूरत।
उसने अगले ही पल मेरे गालों पर एक प्यारी सी पप्पी भी ले ली।
मेरी तो जैसे किस्मत ही चमक गई, कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बस में सफ़र करते हुए ही कोई अनजान लड़की पर सेक्स इस कदर हावी होगा कि मुझ पर मेहरबान हो जाएगी।
खैर.. मैं भी ज्यादा देर न लगाते हुए उठा और उस लड़की को देखने लगा।
उस लड़की ने मुझे शरमाते हुए देखा और बोली- सॉरी.. जो भी हुआ..
मैंने कहा- ठीक है.. लेकिन मैं तुमको जानता नहीं हूँ।
तो उसने अपना नाम प्रीति बताया.. वो मोहाली, पंजाब से थी।
साथ ही उसने बताया कि वो दिल्ली बाईपास से बैठी है और बस खाली होने की वजह से पीछे ही बैठ गई थी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. मगर आप अपने हाथ से कुछ कर रही थीं..
प्रीति ने कहा- वो तो मैं..
वो इतना कहकर रुक गई।
मैंने कहा- क्या हुआ?
तो उसने कुछ नहीं कहा। अचानक ही मेरी नज़र उसके हाथ में पड़े मोबाइल पर चल रहे मादक वीडियो पर पड़ी।
मैंने कहा- तो यह बात है..
प्रीति ने शरमाते हूँ कहा- जी.. यह वीडियो देखते हुए मुझसे रुका नहीं जा रहा था और तुम गहरी नींद में पीछे सो रहे थे.. किसी के पीछे न होने के कारण मेरा हाथ उधर चला गया।
मैं भी मुस्कुराने लगा.. तो वो शर्मा गई।
मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- प्रीति अब आगे क्या इरादा है?
तो वो बोली- यहाँ.. लेकिन बस में कैसे?
मैंने उससे कहा- मैं अभी कंडक्टर से सैटिंग करके आता हूँ।
मैंने कंडक्टर को बुलाया और कान में समझाकर उसे 500 रूपये दिए.. कंडक्टर हँसता हुआ आगे चला गया और पीछे की लाइट बंद कर दी।
अब मैं पीछे की सीट पर प्रीति को बांहों में लेकर उसके होंठ चूमने लगा।
प्रीति ने कहा- मैं तुम्हें काफी पसंद भी कर रही हूँ.. अब और देर न करो और मुझे प्यार दो।
मैं प्रीति के मस्त सुडौल चूचों को मसलने लगा, वो भी मुझे किस करते हुए मेरे लण्ड को दबाने लगी।
करीब 15 मिनट तक ऐसे ही चलता रहा।
मेरा लण्ड पैन्ट में काफी सख्त हो गया और जैसे ही मैंने उसकी सलवार में हाथ डालकर चूत को छुआ.. तो उसकी चूत भी पानी छोड़ रही थी।
उसकी चूत बाल रहित थी।
मुझे और प्रीति को काफी मजा आ रहा था.. करीब आधा घंटा ऐसे ही मस्ती करते रहे।
इतने में बस एक होटल पर रुक गई। वहाँ सभी लोग उतर गए.. मैं तुरंत ड्राईवर के पास गया और 100 रूपए देकर बस को थोड़ा आगे खड़ा करने को और 20-25 मिनट में आने को बोला।
ड्राईवर ने रूपये लेकर बस होटल के बाहर साइड में खड़ी कर दी और जल्दी करने को बोलकर होटल में चला गया।
मैं और प्रीति अब बस में अकेले थे, मैंने प्रीति का कमीज उतार दिया, प्रीति शर्मा कर मुझसे लिपट गई और जोर का किस कर दिया।
मैं उसके मस्त मम्मों को देखकर जोश में आ गया और उसके चूचों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। प्रीति ने भी मेरी बेल्ट खोलकर पैन्ट का बटन खोलकर चैन भी खोल ली, अब मेरी पैन्ट घुटने पर आ गई।
मैंने भी प्रीति की सलवार का नाड़ा खींच कर खोल दिया। प्रीति की सलवार सरक कर नीचे आ गई।
अब मैंने प्रीति को ब्रा और चड्डी में देख कर उसकी तारीफ की और एक प्यारी सी किस की।
प्रीति ने कहा- अब जल्दी करो.. लोग आ जाएंगे।
मैंने कहा- तुम्हारी चूत में आग बहुत तेज लगी है..
मैंने मुस्कुराते हुए निक्कर को नीचे सरका दिया।
प्रीति ने भी मेरे लण्ड मेरी चड्डी में से बाहर निकाल लिया और उसको हाथों से सहला कर कहा- यार यह तो बहुत टाइट हो गया है.. काफी सुंदर भी है।
मैंने कहा- जान चूस कर इसे और मस्त कर दो न..
तो उसने लण्ड को मुँह में भर लिया।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं खड़े-खड़े ही उससे अपना लण्ड चुसवाता रहा और उसकी चूचियों को मसलने लगा।
कोई 5 मिनट चूसने के बाद मैंने उसे पीछे वाली सीट पर लिटाया और उसकी चूत को मुँह में भर कर चूसने लगा।
प्रीति ने जल्दी ही पानी छोड़ दिया और मुझे अपने ऊपर लिटा लिया। मैंने उसकी चूत पर लण्ड रखा और एक करारा झटका दिया। मुझे बड़ी हैरानी हुई कि चूत से हल्की सी आवाज के साथ खून भी निकला.. साथ ही वह जोर से चिल्लाई।
मैं बोला- पहली बार है क्या?
और मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया।
वो दर्द से छटपटा रही थी और गर्दन हिलाकर उसने ‘हाँ’ में भी इशारा किया।
मैंने उसकी छातियाँ सहलानी शुरू कर दीं ताकि उसका दर्द कुछ कम हो जाए।
कुछ ही पलों में उसका दर्द कुछ कम हो गया। मैंने भी लगातार तीन-चार धक्के लगाए और उसको चूसते हुए पूरा लण्ड डालकर रुक गया।
अब प्रीति बुरी तरह तड़पने लगी थी, मैं भी उसके दर्द को कम करने के लिए वहीं रुक गया और उसके पूरे शरीर को रगड़ने लगा।
अब प्रीति के शरीर में हलचल होने लगी और वो अपनी गाण्ड उठाने लगी।
मैं भी अब धक्के लगाना शुरू करने लगा.. हमारे धक्के तेजी के साथ लग रहे थे।
प्रीति की मादक आवाजें बस में गूंजने लगीं- उन्न्न्नन्न.. आह यार.. चोद दो.. फाड़ दो आज.. पूरा घुसा कर पेलो.. आह्ह.. मजा आ रहा है जान..
मैंने भी धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।
अब प्रीति का शरीर अकड़ने लगा और वो सिसिया कर बोली- उफ्फ.. मैं आ रही हूँ.. आह्ह..
इतना कहकर वो झड़ने लगी।
मैं भी जल्दी-जल्दी धक्के लगाता हुआ बोला- मेरा भी होने वाला है।
वो बोली- मेरी चूत में ही झड़ना मैं पहली बार का महसूस करना चाहती हूँ.. प्लीज मेरी चूत को अपने पानी से भर दो और मुझे चूमो।
मैं उसकी चूचियों को दबाकर और तेज-तेज धक्के लगाकर उसकी चूत को अपने वीर्य से भरने लगा।
कुछ देर बाद मैं अपने रुमाल से अपने लण्ड को और उसकी चूत को पोंछने लगा।
प्रीति ने और मैंने एक लम्बी किस की और अपने-अपने कपड़े पहन कर बस से बाहर आ गए।
मैंने ड्राईवर को इशारा किया.. ड्राईवर ने आकर 100 रूपए और मांगे.. मैंने उसे दे दिए और बस में प्रीति को बिठाकर कुछ खाने-पीने को लेने चला गया।
लगभग 5 मिनट में बस चल पड़ी और रात के 11 बजे हम मोहाली पहुँच गए.. जहाँ उसके पापा उसका इन्तजार कर रहे थे।
प्रीति ने मुझे एक किस किया.. अपना नंबर देकर बोली- मुझे वापसी पर फ़ोन जरूर करना.. और मन कर रहा है।
मैंने भी उसको एक प्यारी सी पप्पी देकर बस के दरवाजे तक छोड़ा।
अब बस चल पड़ी।
बाद में मैंने प्रीति के नंबर पर उसे फ़ोन किया। प्रीति ने फ़ोन उठाया.. मैंने प्रीति को अपना नाम बताया और बस का नाम लिया।
बस फिर क्या था हमारी लम्बी सेक्सी बात शुरू हो गई।
यह घटना मेरे जीवन की वास्तविक घटना है और आपको बताने के लिए ऐसी ही कई और घटनाएं भी हैं।
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