चूत का ढक्कन खुलवाया – Sex Kahani & Antarvasna Story

चूत का ढक्कन खुलवाया – Sex Kahani & Antarvasna Story

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हेल्लो दोस्तों.. मेरा नाम सुनीता है और में 29 वर्षीय मॉडर्न महिला हूँ.. मेरी शादी को 5 साल हो चुके है लेकिन बात पिछले महीने की है. मेरा ए.सी. रात को चलते चलते अचानक बंद हो गया तो मेरे पति ने सुबह एक मैकेनिक को फोन किया और उसने 11 बजे आने का वक़्त दिया. मेरे पति 10 बजे ऑफिस चले गये और मुझसे बोले अगर कोई बड़ी प्रोब्लम हो तो मुझे कॉल करना. में अपने रोज के काम मे व्यस्त हो गई और में 11.30 बजे तक इंतज़ार करती रही..

मैकेनिक नहीं आया तो में नहाने चली गई और में नहाकर वापस आई और कांच के सामने अपना नंगा बदन निहारने लगी. फिर में अपने पूरे शरीर पर बॉडी लोशन लगाने लगी.. क्योकि कल रात को ए.सी. खराब होने से गर्मी बड़ गई और हमारी चुदाई भी अधूरी रह गई थी और जिसकी खुमारी अभी तक मेरे बदन में थी.. मेरा हाथ मेरी चूत को छूने लगा और में हल्के से चूत सहलाते हुयें उत्तेजना में गुम हो गई.

अचानक से मुझे लगा कि जैसे मुझे कोई देख रहा हो तो मैने तुरंत अपनी नाइटी पहन ली और जल्दबाज़ी में ब्रा और पेंटी नहीं पहनी और में अक्सर घर पर शोर्ट नाइटी पहनती हूँ.. जो मेरे घुटनो के थोड़े ऊपर रहती है. में कमरे के बाहर आई तो वहां कोई नहीं था लेकिन घर का मेन दरवाजा खुला था और में शायद लॉक करना भूल गई थी.

में दरवाजा लॉक करने गई तो वहां एक 30-32 साल का पुरुष दरवाजे पर खड़ा था और उसके हाथ में टूल किट था और वो मुझे मुस्कुराती नज़रों से देख रहा था तो मुझे ऐसा लगा कि यही मुझे अभी बेडरूम में देख रहा था और मेरी आहट आते ही बाहर खड़ा हो गया. ग़लती मेरी ही थी.. मुझे ध्यान से गेट लॉक करना चाहिये था और उसकी नज़रों में वासना दिखाई दे रही थी और नीचे पेंट में उसके खड़े लंड का उभार था.. जो कि करीब 8 इंच का लग रहा था.

वैसे में जानकारी के लियें बता दूँ कि मेरे पति का लंड सिर्फ़ 5 इंच का है. सॉरी मेडम थोड़ी देर हो गई.. मेरा नाम फ़िरोज़ है और में ए.सी. ठीक करने आया हूँ. मैने उसे अंदर आने दिया और बेडरूम में ले गई और उसे ए.सी. दिखा दिया.. तो वो ए.सी. का कवर खोलने लगा और कवर खोलकर उसे रखने के लिये बेड की तरफ मुड़ा.. तभी हम दोनो की नज़र एक साथ बेड पर पड़ी और जहाँ पर में अपनी चूत को सहला रही थी वहां मेरी चूत से टपकी बूँदो के कारण निशान पड़ गया था और कॉटन सफ़ेद बेड शीट पर साफ दिखाई दे रहा था..

हम दोनो की नज़रे मिली और वो मुझे वासना से घूर रहा था. में शर्म से लाल हो गई और मैने तुरंत उसके ऊपर एक चादर रख दिया और रूम से बाहर आ गई. थोड़ी देर बाद मेरे दिमाग़ में आया कि बेडरूम में मेरी ज्वेलरी और दूसरे कीमती कागजात है.. इसलिये में बेडरूम में वापस जाकर स्टूल पर बैठ गई.

थोड़ी देर बाद फ़िरोज़ बोला मेडम ए.सी. के आउटडोर में पानी जा रहा है और शायद पानी की लाइन में प्रोब्लम है.. किसी प्लमबर को बुलाना पड़ेगा.. लेकिन में किसी प्लमबर को नहीं जानती और कभी ज़रूरत ही नहीं पड़ी. फ़िरोज़ बोला कोई बात नहीं मेडम आप कहे तो मेरा एक दोस्त है राजेश उसे बुला लूँ.. मैने हाँ में सर हिलाया और कोई उपाय भी नहीं था.

उसने राजेश को फोन करके बुलाया और फिर दोनों रिपेयर करने लगे और तभी फ़िरोज़ ने मुझसे वारंटी कार्ड किट माँगी. मैने अपने पति को फोन लगाया और उनसे वारंटी कार्ड के बारे में पूछा तो उन्होने बताया कि वो उपर वाली ड्रॉ में है.. अलमारी की ड्रॉ में भी जरुरी कागजात थे और इसलिये मैंने ही ऊपर से उतारना उचित समझा. इसलियें में स्टूल पर चड़ने लगी लेकिन स्टूल थोड़ा ऊँचा था तो फ़िरोज़ ने स्टूल पकड़ लिया और मुझे सहारा देकर चड़ा दिया.. उपर चड़ने के बाद मुझे ध्यान आया कि मैने पेंटी नहीं पहनी है और मैंने नीचे देखा तो फ़िरोज़ मेरी नंगी जाँघो और चूत को घूर रहा था.

में फिर से वारंटी कार्ड खोजने लगी और तभी मेरी नज़र साइड के कांच पर पड़ी.. उसमे बाथरूम का नज़ारा साफ़ दिख रहा था और राजेश मेरी पेंटी को सूंघ रहा था और पेंट के उपर से ही लंड सहला रहा था. यह सीन देख कर मुझे शक हुआ कि ये दोनो मुझे चोदने का प्लान तो नहीं बना रहे.. इसी ख्याल में वापस मुड़ी और स्लिप हो गई और फ़िरोज़ ने मुझे संभालने की कोशिश की तो उसका हाथ मेरे नंगे बूब्स के बीच में पड़ा और दो उंगलिया चूत के अंदर प्रवेश कर गई.

इस अचानक वार को मेरी चूत नहीं झेल पाई और में चिल्ला कर उछल पड़ी और बैलेन्स खोकर नीचे गिरने लगी और फ़िरोज़ का दूसरा हाथ मेरी नाइटी पर पड़ा और इसके कारण वो सिर्फ़ नाइटी पकड़ पाया और जब तक हम दोनो संभल पाते तो इसके कारण नाइटी फटकर फ़िरोज़ के हाथ में थी.. तो आवाज़ सुनकर राजेश भी कमरे में आ गया और में दो लोगो के सामने नंगी खड़ी थी. दोस्तों

मैंने शर्म से नज़रे झुका ली और मैने तुरंत पलट कर दीवार की तरफ अपना मुँह छुपा लिया और राजेश को सामने से टावल देने को कहा और उन दोनो को बेडरूम से जाने को कहा.. मेडम क्यों शरमा रही हो और में तो आपको पहले ही नंगा देख चुका हूँ और जब दो मर्द आपके सामने है तो हाथ से चूत क्यों सहलाना.. हमारे जाने के बाद तो हाथ से सहलाओगी और आपकी चूत गर्म है.. जिसके निशान इस बेड पर है.. लगता है आपका पति आपकी प्यास नहीं बुझा पाता.. इसलियें आपकी चूत प्यासी है. इतना बोलते बोलते कब उन दोनो ने अपने कपड़े उतार दिये.. पता ही नहीं चला और फ़िरोज़ मुझसे आकर चिपक गया.

उसका लंड मेरी गांड पर दस्तक देने लगा और ऐसा मत करो तुम दोनो.. में शादीशुदा हूँ.. मेरे पति को पता चल गया तो में कहीं की नहीं रहूंगी. इतना कहकर में पलट कर दूसरे रूम मे जाने की कोशिश करने लगी.. लेकिन जैसे ही पलटी उल्टा फ़िरोज़ की बाहों मे आ गई.

लेकिन आपके पति को कौन बतायेगा मेडम? आप जैसी चिकनी औरत की चूत हम जैसो के नसीब में नहीं होती.. आज किस्मत ने मौका दिया है तो आपको चोदकर ही छोड़ेगे.. चाहे उसके लिये कुछ भी करना पड़े. फ़िरोज़ मेरे बूब्स मसलने लगा और मुझे चूमने की कोशिश करने लगा.. राजेश मेरे पैरो के बीच मे आ गया और बैठ कर मेरे पैर खोल दिये और अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चूत को किसी कुत्ते की तरह चाटने लगा. पहली बार कोई मेरी चूत चाट रहा था.. मेरे पति को ओरल करना पसंद नहीं था.

में उत्तेजना से छटपटाने लगी और रात भर की सेक्स की भूख अपना रंग दिखाने लगी थी. मेरी जांघे सख्त पड़ गई और दिमाग़ सुन्न पड़ गया. में सातवें आसमान पर थी और अचानक एक चीख के साथ चूत से पानी बह निकला और राजेश चाट चाट कर सारा चूत का रस पी गया. में लगातार बह रही थी और थोड़ी देर बाद शांत पड़ गई तो उसके बाद हम तीनों बेड पर आ गये और वो दोनों उपर से नीचे तक सहलाने लगे.. कभी चूमते कभी चूत सहलाते और कभी बूब्स को मसलते में उत्तेजना से आहें भरने लगी.

मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगी तो फ़िरोज़ ने मुझे लंड चूसने को कहा और मैने मना कर दिया तो राजेश ने मेरे चूतड़ो पर एक थप्पड़ बजा दिया. मुझे उल्टा लेटाकर मेरे पेट के नीचे तकिया लगा दिया और मेरी गीली चूत मे अपना लंड पेल दिया. मेरी चूत इतने मोटे लंड से पहली बार चुदवा रही थी.. इसलिये लंड बाहर फिसल गया तो उसने फ़िरोज़ से कहा कि साला इसका पति हिजड़ा लगता है.. इतनी सुन्दर रंडी को भी ठीक से नहीं चोदता. इसकी चूत टाइट है तो इसका छेद बड़ा करना पड़ेगा.. फ़िरोज़ मेरी कमर पर बैठ गया और मेरे पैर फैला दिये और जिससे मेरी चूत फेल गई लेकिन मेरी जांघे दर्द करने लगी.

में चीखी.. आअहह तुम लोग आराम से करो.. दर्द हो रहा है. इसमे हमारी क्या ग़लती है अगर तेरे पति ने तेरा छेद टाइट छोड़ा है तो छेद खोलने के लिये थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. इतना कहकर राजेश ने दो उंगलियां मेरी चूत के अंदर डाल दी और मेरी चूत बहुत गीली हो चुकी थी तो उसे एक लंड की ज़रूरत थी लेकिन ये दोनो चोदने की बजाय मेरी जवानी को तड़पा रहे थे.

करीब 5 मिनट तक अंदर बाहर करने के बाद मे बेकाबू होने लगी. मैने उनसे कहा प्लीज.. अब मत तड़पाओ.. घुसा दो अपना लंड. मेरे दर्द की परवाह मत करो.. फट जाने दो मेरी चूत को.. पर प्लीज आज इसे चोदो.. मेरी प्यास बुझा दो नहीं तो मे मर जाऊंगी. राजेश ने यह सुनकर अपना लंड मेरी चूत पर टिका दिया और उसके मोटे लंड का सुपाड़ा मेरी चूत मे जाने का नाम नहीं ले रहा था.

वो मेरे मुँह के पास आया और कहने लगा कि इसे चूस कर गीला करो.. तभी ये अंदर जायेगा. उसका पूरा उत्तेजित लंड देखकर मेरे पसीने आ गये कि हे भगवान मेरे छोटे से छेद मे ये कैसे जायेगा. यह तो मेरे पति से तीन गुना मोटा है लेकिन उसने मेरा मुँह अपने लंड पर रखते हुये कहा कि तू इसे गीला कर… आज यह तेरी चूत का भोसड़ा बना देगा.. में उसका लंड उत्तेजना मे चूसने लगी.

फ़िरोज़ मेरे बूब्स मसलने लगा और अपना मुँह मेरी चूत पर लगा कर उसे चाटने लगा. उसके बाद अपना लंड मेरी चूत पर लगाकर रगड़ने लगा.. उसका लंड लंबा मगर राजेश की तरह मोटा नहीं था.. मगर मेरी चूत के लिये वो भी काफ़ी बड़ा था. उसने मेरी चूत को हाथों से फैलाया और अपना टॉप मेरी चूत से सटा दिया और पच की आवाज़ के साथ मेरी चूत मे समा गया. मुझे जैसे जन्नत मिल गई हो. दर्द हो रहा था लेकिन वो मज़ा ज़्यादा दे रहा था.. ह्ह्ह्हईईई माँ में मर गई.. उई फ़िरोज़ चोदो.. रहम मत करो घुसा दो.. आअहह मीठी आवाजों से कमरा गूंजने लगा. फ़िरोज़ ने जड़ तक लंड पेल दिया और में एक बार में झड़ गई.

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद में एक बार और झड़ गई तो वो बोला राजेश अब ये तेरे लंड के लिये तैयार है. राजेश थोड़ा संभाल कर करना.. मेरी चूत अभी भी तुम्हारे लिये छोटी है तो वो मेरे पीछे आकर किसी बैल की तरह मेरी चूत पर चड गया और उसका सुपाड़ा मेरी चूत पर टिका दिया.. वो अब भी अंदर नहीं जा रहा था. उसने मेरे बूब्स ज़ोर से पकड़कर फैलाये और पूरा वजन मेरी चूत पर डाल दिया और उसका लंड चूत को चीरता हुआ अंदर जाने की कोशिश करने लगा.. आहह राजेश मत करो मेरी चूत फट रही है अब में नहीं झेल पाउँगी कहते हुये पैर पटकने लगी.. लेकिन उसका टॉप धीरे धीरे अंदर सरक रहा था और मेरी जान निकल रही थी और तभी मेरा दिमाग़ सुन्न हो गया और में बेहोश सी हो गई.

मेरी आँखो के सामने अंधेरा छा गया और फक्क की आवाज़ हुई और वो मेरे अंदर समा चुका था. मेरा सारा बदन अकड़ गया.. जांघे सख़्त हो गई और में दर्द से चीख उठी और चूत से खून बह रहा था. फ़िरोज़ बोला अब चीखना बंद करो और मज़ा लो.. अब तेरी चूत का ढक्कन खुला है और तेरा पति तो सिर्फ़ लंड का वीर्य डाल के मज़े ले रहा था. राजेश अब भी धीरे धीरे लंड अंदर समाता जा रहा था और मेरी चूत की सारी दीवारे उसके लंड पर चिपक चुकी थी और उसने पूरी तरह से चिपककर नीचे से मुझे जकड़ लिया और बूब्स को मसलने लगा और वो धीरे धीरे कमर हिला रहा था. मुझे भी मज़ा आने लगा था और में भी उसका साथ देने लगी..

फिर स्पीड बड़ने लगी और करीब 20 मिनिट के भीषण घर्षण के बाद हम दोनों के फव्वारे छूटने लगे.. उत्तेजना मे मैने फ़िरोज़ का लंड जकड़ लिया और जोर से चूसने लगी और उसने मेरे मुँह में फव्वारा छोड़ दिया. उस दिन हमने करीब शाम को 5 बजे तक 4 बार चुदाई की और वो मेरे पति के आने से पहले चले गये. ऐसा लगता था कि आज सुहागरात मनाई हो और मुझे लगता है कि शादी के कुछ साल बीत जाने के बाद हर लड़की को ऐसी सुहागरात जरुर नसीब होनी चाहिये.

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