किराये का घर-2
कहानी का पिछला भाग: किराये का घर-1
मैं शाम को सोनल का इन्तज़ार करता रहा. सात बजने पर मैंने अपनी पेन्ट कमीज़ उतार कर पज़ामा और बनियान पहन ली. मुझे लगा कि अब वो नहीं आयेगी.
तभी नीचे गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज़ सुनाई दी. मैंने झांक कर देखा तो सोनल के पापा गैराज़ से गाड़ी निकल कर सड़क पर ले आए थे और शायद तनूजा और सोनल की प्रतीक्षा कर रहे थे, शायद कहीं जा रहे थे.
मेरा मन उदास हो उठा.
इतने में मेरा मोबाईल बज उठा. सोनल का फोन था.
सोनल के कुछ बोलने से पहले ही मैं बोल पड़ा- कहाँ हो जानम! कब से इन्तज़ार कर रहा हूँ तुम्हारा! कहीं जा रहे हो तुम लोग?
‘मैं नहीं, मम्मी और पापा जा रहे हैं, उनके जाते ही मैं ऊपर आती हूँ…!’
मैं खुश हो उठा. मेरे मन तार बज उठे… सोनल जैसी कमसिन… कुंवारी लड़की के साथ मजे करने के ख्याल से ही मेरे लण्ड में उफ़ान आने लगा. मैंने अंडरवियर पहले ही नहीं पहन रखी थी. लण्ड का कड़ापन पजामे में से साफ़ उभरने लगा था. इतने में किसी के ऊपर आने की आवाज आई… तो देखा तनूजा थी.
तनूजा को देखते ही मैंने फ़ोन बंद कर दिया.
‘हम लोग थोड़ी देर के लिए जा रहे हैं इनके दोस्त के घर और थोड़ी शॉपिंग भी करनी है बाज़ार से!… तुम घर का ख्याल रखना…!’ अचानक उसकी नजर मेरे लण्ड पर पड़ी…’अरे वाह! मुझे देखते ही ये तो खड़ा हो गया…!’
उसने मेरे लण्ड को हाथ में ले कर मसल दिया. मेरे मुँह से सिसकारी निकल पड़ी.
‘अभी आती हू बाज़ार से… ये रात की शिफ़्ट पर चले जायेंगे… तब तक लण्ड पकड़े रहो हाथ में…’ शरारत से मुस्कराते हुए बोली.
‘अब मेरे लण्ड को छोड़ तो दो…’
‘हाय कैसे छोड़ दूं… मस्त मुस्टन्डा है…’ और झुक कर मेरे लण्ड को दांतो से काट लिया और लहराती हुई चली गई. मेरा हाल बुरा हो चला था. नीचे से कार के जाने की आवाज आई और कुछ ही क्षणों में सोनल ऊपर आ गई… छोटी सी स्कर्ट में वो काफ़ी अच्छी लग रही थी.
‘मैं आ गई भैया…’ वो इठलाते हुए बोली.
‘भैया नहीं पंकज!… मुझे मेरे नाम से बुलाओ सोनल!’ मैंने समझाया.
सोनल की नज़र मेरे पूरे शरीर पर घूम रही थी कि उसने मेरे पज़ामे पर वहीं हाथ रख दिया जहाँ अभी अभी सोनल की मम्मी तनूजा ने काटा था.
‘यह क्या है लाल लाल? कुछ गुलाबी सा!’ सोनल ने पूछा.
‘क्या है?’ मुझे भी कुछ मालूम नहीं था.
सोनल ने पज़ामे के ऊपर से ही मेरे लण्ड को पकड़ कर कुछ ऊँचा उठा कर दिखाया. मैं चौंक गया. यह तो तनूजा के होंठों की लिपस्टिक का निशान था जो अभी कुछ क्षण पहले ही वो छोड़ गई थी.
मैंने उसे टालते हुए कहा- ‘पता नहीं! ऐसे ही कुछ लग गया होगा.’
‘नहीं यह तो शायद लिपस्टिक का निशान है! अच्छा! समझ गई! अभी अभी मम्मी ऊपर आई थी, तभी उन्होंने यह किया होगा! मम्मी भी ना बस! सुबह मन नहीं भरा उनका?’ सोनल बोली.
‘छोड़ो ना…! अब यह सब तो चलता ही रहेगा! चलो अब सुबह वाला खेल खेलें… तुम तो देखती ही रह गई सुबह और तुम्हारी मम्मी सारे मज़े ले गई!’ मैंने कहा.
हाँ चलो! वही बड़ों वाला खेल…’ सोनल चहकते हुए बोली.
मुझे लगा आज ये चुद कर ही जायेगी. मजा आ जायेगा…! मैंने प्यार से उसकी कमर में हाथ डाल दिया और चूतड़ों को सहला दिया. उसने भी स्कर्ट के अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी.
‘बोलो सोनू… क्या करूँ?’
‘कुछ भी… मुझे क्या पता? पर तुम्हारा ये खड़ा क्यों है…?’ उसने मेरा लण्ड पकड़ते कहा.
‘पकड़ ले सोनल…जोर से मसल दे…’ मैंने उसके चूतड़ सहलाने चालू रखे. एक हाथ स्कर्ट के अन्दर उसके नंगे चूतड़ो पर फ़िसलने लगा.
‘भैया… जोर से दबाओ ना… मुझे जाने कैसा अच्छा सा लग रहा है!’ उसकी जिस्म में कंपकपी छूट रही थी.
‘साली! तुझे कहा ना! मुझे भैया नहीं पकंज कह!’ मेरी सांसे भी बढ़ गई थी. उसकी नंगी जांघे आज ज्यादा सेक्सी लग रही थी. एक कमसिन कुंवारी लड़की को चोदने का ख्याल ही मेरे रोंगटे खड़े कर रहा था. उसने मेरा पज़ामा उतार दिया और नीचे से नंगा कर दिया. मेरा लण्ड अब मैदाने जंग में खड़ा था.
‘पंकज…अब पापा की तरह मेरे साथ खेलो ना… मेरे पर चढ़ जाओ और मेरी छाती को मसलो…’
‘सच सोनल…आ जाओ… यहाँ सो जाओ…’
मैंने उसका स्कर्ट और टोप उतार दिया. उसकी गोरी और छोटी सी नीबू सी उभरी हुई अनछुई चूंचियाँ, सीधी तनी हुई खड़ी थी. उसकी पहली चुदाई मैं करने वाला था. मैं उसके नीचे आ कर बैठ गया और लण्ड उसकी पनीली और चिकनी चूत पर रख दिया. मैंने लण्ड ने धीरे से जोर लगा कर उसकी चूत की पंखुड़ियो को चीरते हुए द्वार पर दस्तक दी. सोनल खुश हो उठी…
‘भैया अब मैं चुद जाऊँगी ना… जैसे सुबह मम्मी चुदी थी…’
‘फ़िर भैया? भैया नहीं सैंया करते हैं ये काम मेरी जान!’ मैंने सोनल को डाँट लगाई.
‘अच्छा बाबा अब आगे भी कुछ करेंगे मेरे सैंया या यूँ ही डाँट डपट चलेगी!’ सोनल रूआंसी सी बोली.
‘हा मेरी बेबी… ये लो…’ मैंने धीरे से लण्ड अन्दर घुसा दिया. उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. मैंने हौले से थोड़ा और घुसाया.
‘जोर से घुसाओ ना… कितना कड़ा हो रहा है तुम्हारा लण्ड…’ मुझे डर था कि झिल्ली फ़टने से कहीं वो डर ना जाये.
‘सोनू… देखो अब जब तुम्हारी झिल्ली फ़टेगी तो थोड़ा दर्द होगा… देखो झेल लेना… फिर मजा ही मजा है…!’
‘अब चोदो ना… सब सह लूंगी… मुझे पता है दर्द होता है…कितना होता है जरा देखूं तो…’ मैं मुसकरा उठा. तो ये पहले से तैयार है.
मैंने धीरे धीरे और जोर लगा कर अन्दर डाला. मुझे भी लगा कि जैसे नरम सा कुछ छुआ हो… हल्का सा और जोर लगाया तो उसे थोड़ा सा दर्द हुआ.
‘हुआ ना दर्द…’
‘ना ऐसा तो कोई खास नही.’ मैंने और धीरे से घुसाया तो चूत चिकनी सी लगी. सोनल चिहुंक उठी.
‘हुआ ना दर्द…अब तो…’
‘नहीं नहीं…हाँ हुआ तो पर खास नही…’
मुझे ताज्जुब हुआ लण्ड आधा घुस चुका था…पर उसे कुछ नहीं हुआ था. अब मेरी सीमा टूट चुकी थी. मैंने जोर लगा कर अब धीरे धीरे पर बिना रुके पूरा लण्ड घुसा डाला.
‘आह्… अब हुआ थोड़ा सा दर्द…’
मैंने सोचा ये तो चुदी चुदाई है…बस नाटक कर रही है. अगला धक्का मैंने फिर मारा… और फिर मारता ही गया. वो मस्ती से झूम उठी. उसकी चूत मेरे लण्ड को लपेट रही थी. घर्षण बढ़ता ही जा रहा था. उसकी कमर जबरदस्त उछाले मार रही थी. मैंने भी लण्ड के झटके मारने चालू कर दिये… वो दांत भींच कर चुदवा रही थी.
‘मेरी रानी…तू तो बड़ी चुदक्कड़ निकली रे…तेरी जवान चूत तो कमाल की है…क्या गजब की चिकनी है…’
‘बोलो मत!… बस लगाओ जोर से और मस्त हो जाओ… तुम्हारे सुख में मेरा सुख है…’
‘बड़ा अच्छा डायलोग है रानी…तूने तो मेरा दिल ले लिया…’
मैं अपनी पूरी तेजी पर था. सोनल भी मुँह कठोर बना कर आंख बन्द कर…दांत भींच कर चुदा रही थी. उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे… पर जोश गजब का था. मुझे लगा कि अब मेरा माल निकलने वाला है… मेरा शरीर जैसे अकड़ने लगा…सारी नसें खिंचने लगी. इतने में सोनल ने मुझे कस के थाम लिया और चूत ऊपर उठा कर चीखी…
‘हाय…मैं मर गई! क्या हो रहा है मुझे!… मैय्या री…चोद दिया रे…भैया…हाय…भींच लो मुझे…मैं तो गई…उईईईऽऽऽ’ और उसकी चूत की कसावट के साथ मेरा वीर्य भी निकल पड़ा. दोनों के चूत और
लन्ड का मिलन दबाव के साथ एक हो रहा था. जैसे दोनों एक होना चाहते हो. हम दोनों अब एक दूसरे पर चिपक कर लेट गये. और लम्बी लम्बी सांसे भरने लगे. कुछ ही देर में मैं उठ खड़ा हुआ. उसने भी करवट बदली… ये क्या…चादर पर खून ही खून… पर उसे तो कोई खास दर्द भी नहीं हुआ था…फिर ये इतना खून तो कुंवारी चूत से ही…
‘सोनल ये खून…’
‘झिल्ली फ़टी ना तो खून तो आयेगा ही…’
‘पर तुम्हें तो दर्द हुआ ही नहीं था…’
‘हुआ था… पर तुमने इतने प्यार से झिल्ली फ़ाड़ी थी…दर्द ज्यादा नहीं हुआ…सह गई…तुम्हारा मजा खराब हो जाता ना…’
‘क्या… सोनू… तूने मेरा इतना ख्याल रखा…’
मैंने प्यार से उसे गले लगा लिया.
उसने भी अपने ऊपर एक बार और गिरा लिया. अब सोनल चुद कर तैयार हो चुकी थी… उसने मेरा दिल जीत लिया था.
‘तेरी मम्मी आने वाली होगी… तू अब जा… अब मम्मी को भी तो चोदना है ना…’
‘नहीं मुझे और चोदो…’ सोनल मचलने लगी.
आज नहीं कल चुदाई करेंगे…देखो अभी चादर भी गन्दी हो गई है और तुमने ही धोनी है…!’ मैंने सोनल को समझाया.
सोनल मान गई और उसने अपने कपड़े सम्भाले और ठीक से पहन लिये. मेरी चादर को सावधानी से लपेटा और लेकर नीचे चली गई.
थोड़ी देर बाद सोनल फ़िर आ गई ऊपर खाना ले कर… मैंने अपना डिनर लिया… और आराम करने लगा. सोनल मेरे पास बैठी कभी मुझे चूमती और कभी अपनी चूंची मेरी छाती पर रगड़ती. खाना खा कर मेरे में नई ताकत आ गई थी. अब मैं अपने आप को फ़्रेश महसूस कर रहा था.
इतने में कार की आवाज आई. तनूजा आ चुकी थी. सोनल लपक कर खाने के बरतन उठा कर नीचे जाने लगी. तनूजा ऊपर ही आ रही थी.
‘अरे खाना खा लिया… जा सोनल तू बरतन लेजा नीचे!… हेल्लो…मेरे राजा…’ तनूजा चहकते हुए बोली.
‘आ गई…? सोनल के पापा कहाँ हैं? उन्हें छोड़ कर तुम सीधा ऊपर आ गई…?’ मैंने पूछा.
‘हाँ! उन्हें कह कर आई हूँ कि तुम्हें खाना खाने के लिए बुलाने जा रही हूँ, पर तुम तो पहले ही खाना खा चुके हो!’ तनूजा बोली.
‘हम दोनों तो बाहर ही खा कर आए हैं और वो अब ड्यूटी पर जा रहे हैं… अब मैं बिल्कुल फ़्री हूँ… आज की रात हमारी सुहागरात होगी… खूब चोदना मुझे…’ अपनी रात भर की आज़ादी से वो खुश नजर आ रही थी. ‘पर आज तुम्हें मेरे दिल की एक तमन्ना पूरी करनी होगी.’
‘आज्ञा दो मेरी रानी…’
‘तुम्हें गालियाँ आती हैं ना!… चोदते समय अपन दोनों खूब गालियाँ बकेंगे…जैसे इसके पापा देते हैं…’
‘और कहिये…’
‘और हाँ…’ फिर शरमाते हुए बोली…’ गाण्ड मार सकते हो…प्लीज… मुझे अच्छा लगता है…’
मेरे मन में तरंगें उठने लगी…कही मैं सपना तो नहीं देख रहा हूं. गाण्ड मारना मुझे भी अच्छा लगता था…फिर ऊपर से गालियाँ… आज तो मजा आ जायेगा. इतने में सोनल वापस आ गई.
मैंने तनूजा से कहा- ‘इसे नीचे भेज दो…फिर प्रोग्राम चालू करते हैं!’
‘पहले इसे शान्त करना पड़ेगा…फिर जायेगी ये…’ तनूजा बोली.
मैंने सोनल को प्यार से उसके कोमल होंठों को चूमा…और इशारा किया तो वो समझ गई.
‘तो मैं एक घन्टे बाद आ जाऊँगी… प्लीज इस बार मुझे भी मज़े लेने हैं इस खेल के! दोगे ना…?’
‘अच्छा प्लीज अभी नीचे जाओ…मैं चुद जाऊँ तो आ जाना बस…’ तनूजा ने जरा जोर से कहा. सोनल नीचे चली गई.
सोनल के जाने के बाद मैंने तनूजा को कहा- साली! अपना भोंसड़ा तो दिखा जिसे तू चुदवा कर गई थी मेरे से! अब तक दुःख रहा होगा तेरा भोंसड़ा?’
‘मादरचोद… मेरी भोंसड़ी देखेगा तू…’ उसने अपना भोंसड़ा अपनी साड़ी ऊपर करके दिखाया.
‘तेरी बहन की चूत… ले देख ये रहा मेरा लौड़ा… ये तेरी गाण्ड चोद देगा अब!’ मैंने भी उसका जवाब गाली दे कर पूरा किया.
उसने अपनी साड़ी उतार फ़ेंकी और पेटीकोट भी उतार दिया. उसका भोसड़ा चमक उठा. क्लीन शेव चिकना लाल फूला हुआ. उसका ब्लाऊज और ब्रा मैंने प्यार से उतार दिया. मैंने भी अपना पजामा और बनियान उतार दी. उसका गोरा जिस्म चिकना और लुनाई से भरा था. उसकी गोरे गोरे चूतड़ चमक रहे थे. मैंने उन्हे प्यार से सहलाया.
‘आज गाण्ड की मां चोद दे राजा… बड़ी तरस रही है लवड़ा लेने को…’
मैंने तेल की शीशी उठाई और उसे झुका कर घोड़ी बना दिया और गाण्ड में तेल भर दिया.
‘लो हो गई तैयार तेरी प्यारी गाण्ड…अब देख मेरे लौड़े का कमाल. ‘
तनूजा ने तुरन्त मेरा लण्ड पकड़ा और चमड़ी ऊपर करके लाल सुपाड़ा बाहर निकाल दिया…
‘ये हुई ना बात…अब जाने दे मेरी लपलपाती गाण्ड मे…’ तनूजा मुस्कराई.
मैंने लण्ड को गाण्ड के छेद पर रखा. गाण्ड का फ़ूल खिला हुआ था… पहले से थोड़ी खुली थी. मैंने अपना लौड़ा छेद पर दबा दिया. फ़क से अन्दर उतर गया और उतरता ही गया. तेल का चिकनापन और अभ्यस्त गाण्ड में एक ही झटके में जड़ तक पहुंच गया. गाण्ड की नरम चमड़ी, लण्ड को रगड़ाती हुई मीठा सा अहसास दे गई. गाण्ड का ऐसा आरामदेह चुदना भी मजा दे रहा था.
‘आह मेरी गाण्ड रे… चुद गई गाण्ड रे… भोंसड़ी के लगा धक्के…’
‘मेरी कुतिया… देख मेरा लण्ड अभी कुत्ते की तरह फ़ंसाता हूँ… तेरी माँ चोद दूंगा…रानी!’
‘साले! तू मेरी माँ कैसे चोदेगा! वो तो गई ये दुनिया छोड़ के! अब तू सोनल की माँ चोद! कमीने!’ तनूजा ने कहा.
‘सोनल क्या मैं तो सोनल को ही चोद दूंगा साली तू देखती जा, तेरे सामने तेरी सोनल को नंगी करके चोद दूंगा!’
‘चोद क्या दूंगा! चोद दिया साली को!’
‘तेरी लण्ड टुकड़े कर के कच कच करके खा जाऊ हरामी के पिल्ले… तुझे मना किया था ना! कितना रोई होगी मेरी बच्ची! मेरी चूत से तेरा मन नहीं भरा था जो उस कच्ची कली को मसल दिया तूने छोकरी चोद! हाँ लगा जोर…चोद दे…इस खड्डे को…’ उसे पसीना आने लग गया था.
वो मस्त हुई जा रही थी. अपनी गाण्ड हिला हिला कर उसका जवाब भी मिल रहा था. मैं जम कर जोर जोर से चोद रहा था. मेरा लण्ड लगता था बस छूट ही जायेगा. मैंने अब अपना लण्ड निकाला और पीछे से ही उसकी चूत में पेल दिया.
‘हाय रे मैं मर गई…मजा आ गया…चूत मार दी रे… चोद इस रंडी को…राजा…’
‘हाय मेरी रानी…तुझे रंडी की तरह ही चोदूंगा मै… साली की चूत फ़ाड़ के रख दूंगा…’ मैं गालियों से अति उत्तेजना का शिकार हो चुका था.
‘मेरे राजा, फ़ुद्दी चोद…निकाल दे कचूमर मेरे भोंसड़े का…’ वो नशे में बोले जा रही थी… मैंने हाथ नीचे डाल कर उसका दाना मसल दिया और दूसरे हाथ से उसकी चूंची खींचने लगा.
‘मर गई भोंसड़ी के… मा चोद दी तूने मेरी चूत की…मैं गई…चोदू रे…मार दे…चोद दे… निकाल दे सारा पानी…हाय रेऽऽऽऽ’ एक चीख के साथ वो झड़ने लगी…
मेरा लण्ड ने भी उसी समय पिचकारी छोड़ दी. मैंने उसकी कमर जोर से पकड़ ली और जोर लगा कर सारा माल उड़ेलने लगा. वीर्य पूरा निकलते ही मेरा लण्ड भी चूत से बाहर आ गया. मैं पास ही बिस्तर पर गिर पड़ा, साथ ही तनूजा भी मेरे ऊपर आ गिरी. सांसे जोर जोर से चल चल रही थी… आज कुछ ज्यादा ही हो गया था. मेरा जिस्म अब टूटने लगा था.
‘राजा… थक गये ना… ये गाण्ड होती ही ऐसी चीज़ है…साली सारा रस निकाल देती है’
‘तनूजा मेरी तो माँ चुद गई आज… तूने भोसड़ी की… मेरा सारा ही माल निकाल दिया…’
‘बस अब गाली नही…सिर्फ़ चोदते समय… मजा आता है…’
‘हाँ मेरी रानी…सॉरी… पर मजा आ गया…’
थोड़ी देर तनूजा और मैं लेटे रहे.
तभी तनूजा ने पूछा- सचमुच चोद दिया तूने मेरी लाड़ली सोनल को क्या?’
‘नाराज मत हो तनूजा…तेरी सोनल भी अभी थोड़ी देर पहले ही चुदी है…’
‘चलो अच्छा हुआ…उसकी झिल्ली फ़टी तो… मैंने सोचा कि उसे दर्द होगा…इसलिये मना करती थी…पर अब उसे चाहे जितना चोदना…’
‘थेंक्स तनूजा… मुझसे नहीं तो वो कहीं ओर चुदवा लेती…इसीलिये मैंने उसे चोद कर सील तोड़ने का आनन्द ले लिया…’
तनूजा उठी और मेरे पर चादर डाल दी और अपने कपड़े पहन कर मेरे पास ही लेट गई. कुछ ही देर में सोनल भी आ गई. और मेरे पास वो भी लेट गई. तनूजा ने कहा- सोनल…चुद गई रे तू तो…’
‘मम्मीऽऽऽ…’ शरम से उसने मुँह छुपा लिया. तनूजा अब उसे बार बार छेड़ रही थी… और सोनल ने शरम के मारे मुँह छुपा लिया.
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