रोनी का राज-2

रोनी का राज-2

रवि ने मेरे बताये संवादों से चोपड़ा आंटी को चुदने के लिए तैयार कर लिया और उसकी चुदाई कर डाली।

फिर मेरे से कहा- तुम भी मजे कर लो !

तो मैंने कहा- आज तुम कर लो, मैं कल कर लूँगा !

फिर सोने से पहले रवि ने एक बार फिर ठोका उसे !

दूसरे दिन रात दस बजे रवि से कहा- यार मैं दूसरे कमरे में जा रहा हूँ, आज आंटी को तुम ही बुलाकर मेरे पास भेज देना ! फिर रवि आंटी को बुला लाया और कहा- आंटी, रोनी को भी मजे करा दो तो उसका भी मुह बंद रहेगा, रोनी उस कमरे में है !

बेमन से आंटी मेरे कमरे में आ गई, मेरे बिस्तर पर जो जमीन पर लगाया हुआ था आकर बैठ गई, मैंने दरवाजा लगा दिया और उसे पकड़कर अपने पास खींच लिया, उसका गदराये जिस्म का मखमली अहसास बड़ा कामुक था !

मैंने उसके साड़ी, ब्लाउज, पेटीकोट निकाल दिए, चड्डी उसने पहनी ही नहीं थी, उस उम्र में मुझे चूत की ललक हमेशा लगी रहती थी उसकी चूत पर घुंघराले बालों वाली झांटे देख मेरे लंड तो झटके ले रहा था। मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए पर मैं उसकी चूत मजबूर करके नहीं उसे राजी करके मारना चाह रहा था ताकि वो भी पूरा मजा ले सके।

मैं उसके को बदन चूमने लगा, फिर उसके बड़े बड़े चूचों पर से ब्रा को हटा कर उन्हें भी अनावृत कर दिया बड़े-बड़े, गुदगुदे, भरे हुए चूचों की बड़ी सी घुंडी को मुँह में लेकर उसकी चूत को सहलाने लगा तो उसके मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगी- स्स्स्स… आःह्ह्ह… की आवाज करते हुए उसने मेरे लंड को मुट्ठी में ले लिया और सहलाते हुए मुझे अपनी ओर खींचने लगी।

मैं समझ गया कि अब यह चुदने को तैयार हो गई है या फिर यह छंटी हुई चुदक्कड़ औरत है !

फिर मैंने उसकी चिपचिपी हो चुकी चूत पर अपने लौड़े को रख कर अन्दर ठूंस दिया।

आह्ह … स्स्स्स .. करते हए उसने मुझे चूम लिया ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने पेलाई शुरू कर दी जोर जोर से लंड को उसकी गीली चूत में घुसाता रहा जो उसकी बच्चेदानी से टकराकर ही वापस आता। कुछ मिनट बाद वो अकड़ने लगी और पानी छोड़ दिया। उसी के साथ मेरे लंड ने भी पानी छोड़ दिया, उसने मेरी कमर को थामकर अपनी चूत से लंड को बाहर निकलने से रोकने का प्रयास करते हुए अपनी विशाल जंघाओं में मेरी टांगों को फँसा लिया, बोली- रोनी, आज बहुत दिनों बाद तुमने मुझे संतुष्ट कर दिया, मेरे पति को समय ही नहीं मिलता, इसीलिए मैंने बॉयफ्रेंड बनाया था पर वो भी जल्दी..!

फिर तो मेरी और रवि की निकल पड़ी थी, जब चाहे बुला लो आंटी को, आंटी के सहयोग से तीन साल में कई किरायेदारनियों की चुदाई की हमने मिलकर !

मैं भी पुरानी बातों को लेकर बैठ गया। जब हम कॉलेज के आखिरी साल में थे तो रवि की शादी की बात चली और एक बड़े घराने में उसकी शादी तय हो गई ! लड़की को पसंद करने का काम रवि के पिताजी ने मेरे को सौंपकर कहा- रोनी, तुम रवि के दोस्त और भाई जैसे हो, मेरे घर में तुम्हारा स्थान भी रवि के जैसा ही है, तुम हमारे घर के सदस्य हो ! तुम रवि को लेकर लड़की देख आओ और रवि को समझाना कि लड़की और घराना अच्छा है !

मैंने कहा- आप निश्चिन्त हो जाओ बाबूजी ! आपने कह दिया तो समझो हो गया !

हम और रवि बाबूजी की कार से लड़की वालों के घर गए, लड़की देख कर रवि के साथ-साथ मेरे भी होश ही उड़ गए, बिल्कुल प्रीति जिंटा की तरह भरी-पूरी, रंग गोरा और सारा बदन तराशा हुआ ! उसका नाम डॉली है।

रवि को मैंने उससे बात करने के लिए भी मौका दिला दिया। फिर हम वापस आ गए। बाबूजी को मैंने कह दिया- रवि को डॉली पसंद है परीक्षा बाद शुभ मूहूर्त में बड़े ही धूमधाम से रवि की शादी हो गई !

शादी में शुरुआत से सुहागरात से पहले तक मैंने अपनी भूमिका बखूबी निभाई मुझे जितनी ख़ुशी थी उतना ही दुःख इस बात का था कि डॉली भाभी के कारण अब रवि और हमारी दोस्ती कम हो जाएगी, मैं भी उसके बाद एकाध बार ही उनके घर गया था !

दस दिनों बाद रवि की पत्नी जब मायके चली गई तो रवि मेरे पास आया, बोला- रोनी तुम कहाँ थे? मैंने कितने बार बुलवाया तुम्हें, मेरे से मिलने ही नहीं आये तुम? मैं रोज डॉली से तुम्हारी चर्चा करता रहता था !

मैंने कहा- दोस्त, याद तो तुम्हारी भी मुझे रोज आती रही पर मजबूर था !

उसने पूछा- मेरे को बता यार, रवि के होते तू कहाँ मजबूर हो गया?

मैंने बात बदल कर पल्ला झाड़ लिया !

आज उसे डॉली के जाने से अकेलापन लग रहा था, बोला- चल यार कुछ ड्रिंक हो जाये !

शाम को दोनों पीने बैठ गए, रवि बोला- यार तू कुछ मजबूरी की बात कर रहा था, बोल न क्या मज़बूरी है तेरी?

बहुत पूछने पर मैंने कहा- बुरा मत मानना रवि, बात यह है मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी !

नजरें नीचे करके कहा- कि मैं कैसा हूँ, यह तो तू जानता ही है, सुन्दर महिलाएँ और लड़कियाँ मेरी कमजोरी हैं। मैं नहीं चाहता कि तुम कभी मुझे और डॉली भाभी को लेकर गलतफहमी के शिकार हो जाओ क्योंकि शक का कोई इलाज नहीं होता, कुछ देखी सुनी बातें भी गलत हो सकती हैं जो हमारी दोस्ती को छिन्न-भिन्न कर सकती हैं, इसलिए तुम्हारे जैसा दोस्त खोने से अच्छा है कि तुम्हें भले ही कम मिलूँगा, देखूँगा पर तुम मेरे अपने तो रहोगे !

एक ही साँस में यह बात कहकर अपना गिलास खाली किया !

नजरें उठाई तो रवि की आँखें नम थी, वो रुंधे गले से बोला- यार, मैं अपने आप पर शक कर सकता हूँ, तुझ पर नहीं, यकीन करो, जिस दिन तुझ पर शक करूँगा, शायद फिर जी नहीं सकूँगा !

अब मेरे मन से धुआं छंट गया था, मेरा रवि के घर आना जाना फिर शुरू हो गया। डॉली भाभी भी मायके से आ गई, मैं भी उनके साथ खूब बातें करता ! वो मुझे छेड़ती रहती- अब रोनी भैया, तुम भी शादी कर लो !

मैं कह देता- आपके जैसी मेरे को मिलेगी तो जरूर कर लूँगा !

उनके घरेलू और बाजार के कामों में उनकी मदद करता, खूब हंसी मजाक चलता रहता, उन्हें खूब हँसाता रहता !

इस तरह एक साल निकल गया !

एक दिन रवि ने कहा- यार रोनी, एक समस्या है ! माँ डॉली से अक्सर कहती है कि पोते का मुँह कब दिखाओगी?

मैंने कहा- इसमें परेशान होने की क्या बात है, महीने के वो दिन जो गर्भाधान के लिए उपयुक्त होते हैं, उन दिनों में जम कर चुदाई करो।

हर महीने वो दिन उसे बता देता था, ऐसे ही एक साल और निकल गया, अब तक उसकी शादी को दो साल हो गए पर कोई फायदा नहीं हुआ !

फिर मैंने सलाह दी- रवि, तुम डॉली भाभी को लेकर किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ को चेकअप करा लो, कोई प्रोब्लम होगी तो उसे इलाज द्वारा सुधार किया जा सकता है !

उसने चेक अप कराया कुछ परीक्षण भी हुए दोनों के डॉली की सोनोग्राफी खून की जाँच सही आई !

पर रवि की वीर्य परीक्षण की रिपोर्ट देख डाक्टर ने बताया कि वीर्य में शुक्राणु की मात्रा सामान्य से कम है पर इतने कम होने पर भी गर्भ धारण हो सकता है जिसके लिए अधिक समय लग सकता है !

फिर कुछ दवाए रवि को लिख कर दी कि इन्हें खाते रहना !

इसके बावजूद भी एक साल और निकल गया यानि रवि की शादी को तीन साल हो गए रवि तनावग्रस्त सा रहने लगा था, डॉली से भी उसकी अक्सर बहस हो जाती थी उसके व्यवहार में चिड़चिड़ापन सा आने लगा था !

मैंने भी समझाया- रवि, परेशान मत रहा करो, भगवान पर भरोसा रखो, तुम्हारे शुक्राणु की संख्या भले कम है, तो करोड़ों में न होकर लाखों में तो होंगे ही, और गर्भ के लिए एक ही शुक्राणु का काम होता है !

उस समय मैं मकानों के निर्माण के ठेके लेकर ठेकेदारी करने लगा था, काम भी अच्छा चल निकला, मेरे घर पर माँ और बाबा मेरी शादी के लिए लड़की की खोज में लग गए थे !

एक लड़की पसंद करने के बाद बाबा बोले- चाहो तो तुम भी देख लो !

मैंने रवि और डॉली भाभी के साथ जाकर लड़की देखी, डॉली भाभी ने मेरे लिए उसे चुन लिया, बात पक्की हो गई !

एक रोज रवि ने कहा- चल यार, तेरी शादी पक्की हो गई, एक पार्टी हो जाये !

तो उसने खाने और पीने का सामान लेकर पैक करवाया और मेरे को लेकर अपने फार्म हॉउस ले गया ! दो पेग के बाद कुछ सुरूर सा होने लगा तो रवि ने कहा- रोनी, मैं तुमसे एक काम के लिए कहना चाहता हूँ, उम्मीद है तुम मना नहीं करोगे।

मैंने कहा- आज तक तेरी कोई बात को मना किया रोनी ने, यार मेरी जान भी मांग कर देख, मैं हंस कर दे दूंगा !

कहानी जारी रहेगी !
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