छत पर पड़ोसन
लेखक : डैडली प्रिंस
सभी पाठकों को नमस्कार !
मेरा नाम आवश्यक नहीं है, आवश्यक है तो यह कि मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाऊँ जो आपके अंतर्मन को संतुष्ट कर दे !
एक मित्र के माध्यम से मैं अन्तर्वासना के बारे में काफी पहले जान गया था और यहाँ की अच्छी कहानियों का आनन्द भी मैंने उठाया है ! देवियों और सज्जनो, मैं आपको जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ, यह काफी हिचक के बाद मैं अंततः हिम्मत जुटा कर लिखा हूँ। यह कहानी मेरे जीवन काल में घटित एक बहुत ही रोमांचक और आनंदपूर्वक घटना है। यह कहानी एकदम सच्ची है और मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको यह पसंद आयेगी !
मैं एक कॉलेज जाने वाला और सभी आम लड़कों की तरह मौज मस्ती करने वाला लड़का हूँ और मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ। भगवान् की कृपा से मेरा शरीर अच्छा और स्वस्थ है, लम्बाई 5’10”, रंग गोरा और मित्र कहते हैं कि स्मार्ट दिखता हूँ। मैंने कभी सेक्स नहीं किया था कुछ नैतिक कारणों से और कुछ मौके की कमी की वजह से। पर जैसा कि इस उम्र में होता है मन बहुत करता था और उत्तेजना भी बहुत होती थी।
मेरा परिवार छोटा सा है जिसमे मेरे माता पिता, मैं और मेरा छोटा भाई है बस। हर गर्मी की छुट्टी में हम गाँव अपनी नानी के यहाँ पर जाते थे पिताजी को सरकारी नौकरी के चक्कर में बहुत कम मौका मिलता था हमारे साथ जाने का और वह अक्सर काम के रहते हमारे साथ नहीं आ पाते थे। मुझे अपने पिताजी से मुझे बहुत डर लगता था इस कारण उनकी गैर मौजूदगी में काफी राहत महसूस करता था।
मेरे कॉलेज की छुट्टियाँ शुरू हो गई थी और मैं घर वापस आ गया था। कुछ दिन घर पर बीते ही थे कि पता चला ननिहाल जाना है। मैं काफी खुश था क्योंकि गाँव की लड़कियों से बात करने का मौका मिलता और गाँव में हमारी इज्ज़त थी तो लोगों से मिलने-जुलने में उनकी खातिरदारी का भोग भी करने को मिल जाता था।
खैर सामान बांधा गया और मैं भाई और माँ के साथ गाँव के लिए दोपहर की ट्रेन से निकल गया। गाँव तक जाने के लिए ट्रेन से उतर कर एक घंटे की और सवारी थी।
कुल मिला कर हम पाँच घंटे में गाँव पहुँच गए। गर्मी की वजह से काफी थके हुए थे। जैसा कि ननिहाल में होता है, हमारा बड़ी ही खुशदिली से स्वागत हुआ और जलपान हुआ। ननिहाल में मेरे नानी नाना और मामी रहते हैं, मामा काम के चलते बाहर रहते थे !
मामी और मेरी काफी बनती थी। मेरा भाई बहुत कम बोलता है और नॉवल का ख़ास शौक़ीन है तो वह एक नॉवल लेकर चला गया और मैं मामी से बात करने लगा।
मुझे गाँव गए लगभग एक साल हो गया था तो मामी ने गाँव की काफ़ी बातें बताई जिसमें से काम की यह थी कि हमारे सामने वाले घर में एक लड़की गौरी (बदला हुआ नाम) थी उसकी सगाई होने वाली थी।
गौरी और मैं समौरी, यानि की हम उम्र के थे और मैं उसके साथ बचपन में खेला करता था पर बीच में हमारी बातचीत कम हो गई थी। मैं कॉलेज में दाखिले के चक्कर में लगा था और गाँव नहीं आ सका था। मुझे एक दुःख सा हुआ सुन कर कि उसकी सगाई हो रही है पर यह तो होना ही था।
हालाँकि गाँव के हिसाब से गौरी की काफी देर से सगाई हो रही थी। कुछ दिन बीते और एक दिन गौरी हमारे घर आई, मामी से उसे गप्पें मारनी थी शायद !
मुझे देख कर थोड़ा शरमा गई, संकोचवश कुछ बोल न सकी तो मामी ने कहा- पहचाना?
जिस पर वो हंस दी।
मुझे उसकी अदा और नखरे बड़े ही कोमल और मनभावुक लगे। वह लगभग मेरे कंधे तक की लम्बी, गेहुंआ रंग और एकदम साफ़ चेहरे की थी, बेहद सुन्दर थी। गाँव की होने के कारण शरीर भी बेहद अच्छा था उसका, भरा और कटा हुआ !
हमारे बीच काफी बातचीत हुई और मैंने उसे कॉलेज-लाइफ के बारे में बताया। उसने मेरी पसंद और आदतों के बारे में पूछा और उन्हें बेहद साधारण पाकर प्रभावित सी लगी। मामी हमारी बातचीत का माध्यम थी। मुझे पता चला कि गौरी मामी से सिलाई बुनाई सीखती है और इस कारण काफी आती जाती है।
उस दिन के बाद मैं उसके ख्यालों में खोया रहता था, उसका सुन्दर चेहरा, प्यारी हंसी और घने बालों के बारे में सोचकर गर्मी की दोपहर में ठंडक महसूस करता था।
वह कुछ दिन के अंतराल पर हमारे यहाँ आती रहती थी और अक्सर हमारी बात होती थी पर और लोग भी रहते थे इसलिए संकोचवश मैं ज्यादा बोलता नहीं था। मैंने उसे अक्सर अपनी ओर देखते हुए पाया और मैं खुद उसे नज़र बचा कर देखता था। हम अक्सर एक दूसरे को अपने घर की छत से देखा करते थे। मुझे लगा कि वह मुझमें कुछ रुचि ले रही है पर मैं कुछ कर नहीं सकता था क्योंकि उसकी सगाई हो रही थी और जोखिम उठाना ठीक न था।
खैर मैं उससे हंसी मजाक भी करता था। कुछ दिन बीते ही थे की उसके परिवार वाले उसके ससुराल जाने लगे किसी काम से ! पर क्योंकि अभी सगाई होनी थी, इस कारण लड़की को ससुराल नहीं ले जा सकते थे, तो उन्होंने गौरी को हमारे यहाँ मामी के साथ रहने के लिए कहा। वह हमारे यहाँ रहने आई, पहले दिन सबकुछ ठीकठाक गया, काफी हंसी-मज़ाक हुआ और अगला दिन आया। हमारे यहाँ नानी और माँ नीचे सोते थे और नाना बाहर ! मैं और मामी ऊपर छत पर सोते थे जहाँ भाई को भी सोना होता था पर वो नीचे सोना पसंद करता था माँ और नानी के पास।
गौरी जब आई तो तय हुआ कि वो मामी के साथ ऊपर सोएगी। अब ऊपर यह व्यवस्था थी कि मैं एक तरफ़ सोता था, मामी बीच में और गौरी उनकी बगल में !
एक दिन की बात है मैं गाँव के बाज़ार घूमने चला गया लड़कों के साथ, उसके कारण थक गया था, इसलिए मैं खाना खाकर छत पर जल्दी सो गया।
रात को करीब 2 बजे आँख खुली तो देखा कि काफी चाँदनी रात है। मुझे आदत है चादर के साथ सोने की तो मैंने चादर के लिए इधर उधर देखा तो देखा बगल में मामी के सिरहाने के उस तरफ है। मैंने अपना बिस्तर थोड़ा मामी के बिस्तर के पास खींच लिया और उनके उस तरफ रखी चादर उठाने के लिए झुका तो देखा मेरे बगल में मामी के बजाये गौरी लेटी थी। एकदम से मेरी धड़कन तेज़ हो गई !
मैं वापस लेट गया चादर खींच कर और सोचने लगा कि क्या करूँ? मेरा मन बिजली की रफ़्तार से भाग रहा था ! फिर मैंने सोचा अगर आज कुछ नहीं किया तो बहुत पछतावा होगा तो मैंने चादर अपने ऊपर से हटा कर देखा कि गौरी उस तरफ चेहरा किये लेटी थी और पीठ मेरी तरफ थी। उसने साड़ी पहन रखी थी, नीचे से उसकी साड़ी घुटनों तक उठी हुई थी और पल्लू कंधे से उतर चुका था, जिसके कारण कमर साफ़ दिख रही थी। मैंने आँख मली और ध्यान से देखा, मुझे विश्वास नहीं हो रहा था जो मैं देख रहा था। उसके गोरे चिकने पैर और उन पर सजी चांदी की पायल, तीखे कटाव वाली कमर और उठे हुए गोल गोल कूल्हे… आय हाय !!!
उसकी कमर साफ़ गोरी सी, ब्लाउज़ में छिपी मक्खन जैसी चिकनी पीठ, चाँद की रोशनी में वो क़यामत लग रही थी ! ज़िन्दगी में पहली बार ऐसी चीज़ देख कर मैं हैरान रह गया था !
फिर मैंने धीरे से खिसक कर अपना सर उसके पैरों की तरफ कर लिया और कुछ देर वैसे ही लेटा रहा यह देखने के लिए कि कोई जाग न रहा हो। फिर मैंने बहुत ही आराम से अपने हाथ से उसकी साड़ी का छोर पकड़ा और बहुत धीमे धीमे उसे ऊपर खिसकाया। मैंने साड़ी इतनी ऊपर कर दी कि उसकी जांघें दिखने लगी, चाँद की रोशनी में कसी हुई दूध सी जांघें देख कर मुझे पसीने आ गए। मेरा दिल ऐसे धड़क रहा था जैसे बाहर आ जायेगा, मेरा हाथ कांपने लगा इसलिए मैं वापिस सीधा हो गया और थोड़ा रुक कर गहरी साँसें लेने लगा।
मैं बार बार उसकी चिकनी जांघ को देख रहा था जिससे मेरा लंड काफी कड़ा हो गया था। फिर मैंने धड़कन धीमी होने पर थोड़ी हिम्मत जुटाई और गौरी के करीब खिसक कर लेट गया। मुझे उसके बालों की मंद मंद सी महक आ रही थी। मैंने आँख बंद की और फिर हाथ को संतुलित कर के धीरे से उसके जांघों पर रख दिया, अगर वो जाग जाती तो सोचती कि मैंने नींद में रखा होगा। मैं थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा और जब लगा वो गहरी नीद में है तो मैंने हथेली को फैला कर उसकी जांघ को महसूस किया। उसकी जाँघ गजब की मुलायम-चिकनी थी मैंने हाथ को जांघों पर फेरा और उसकी चिकनाहट को भी महसूस किया। मेरे रोयें खड़े हो गएथे।
फिर मैंने हाथ हटा लिया और गौरी के और करीब खिसक गया। थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा क्योकि मुझे डर था कि अगर वो उठ गई तो शायद मामी से सब बोल देगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
डर के मारे मैं और कुछ नहीं कर रहा था। मैं वैसे ही लेटा रहा और पता नहीं कितना समय बीता होगा कि वो पीछे की ओर यानि मेरी तरफ पलटने लगी पर मैं इतनी करीब था कि वो मुझसे सट गई और वो एक तरह से मेरे बदन के ऊपर उसका बदन टिक गया था। मेरे दिल की धड़कन फ़िर बढ़ गई !
पर जब वो सीधी नहीं हुई तो मुझे लगा कि शायद वह भी जाग रही और जानबूझ कर ऐसा कर रही है। इससे मुझे थोड़ी हिम्मत मिली और मैंने धीरे से, फिर भी सावधानी के साथ, उसकी कमर पर हाथ रख दिया।
कोई हलचल नहीं हुई।
मैं थोड़ा सा नीचे खिसक गया इतना कि उसके कूल्हों के बीच मेरा लिंग बैठ जाए, पर उसके पुट्ठे थोड़ा नीचे थे तो मैंने धीरे से उन बड़े बड़े कसे हुए पुट्ठों पर हाथ रखा और थोड़ा ठेलने लगा, मुझे डर था कहीं गौरी जाग न जाए पर वो धीरे धीरे वापस पुरानी अवस्था में हो गई और उसकी पीठ सीधी हो गई पहले जैसे।
अब उसके पुट्ठों के बीच की दरार थोड़ी ऊपर हो गई। मेरा लंड पत्थर की तरह कड़ा था और खड़ा होकर फड़फड़ा रहा था। मैंने धीरे से अपनी निक्कर नीचे सरकाई और अपनी चड्डी उतार कर बगल में रखकर वापस निक्कर पहन ली। उसकी साड़ी को मैंने धीरे धीरे ऊपर खींचा और कमर तक ले आया। अब तक मुझे विश्वास हो गया था कि गौरी जाग रही है और मेरी मदद कर रही थी क्योंकि अन्दर पेटीकोट के नीचे उसने कुछ नहीं पहना था।
इस कारण बिना समय बर्बाद किये मैंने अपनी निक्कर को नीचे खींच दिया और अपना लंड निकाल लिया। वह एकदम फनफना रहा था और 7 इंच का हो रहा था। लंड आगे से थोड़ा सा गीला हो चुका था इस कारण और आनन्द आ रहा था। हम छत पर थे और कोई देख न ले इसलिए मैंने चादर को खींच कर गौरी के खुले हुए उभरे भरे चूतडों पर भी डाल दिया।
अब दृश्य यह था कि गौरी और मैं एक चादर में थे, उसकी साड़ी कमर तक उठ चुकी थी जिससे उसका पिछवाड़ा पूरा नंगा था और मैंने भी अपनी निक्कर उतार दी थी और नीचे से पूरा नंगा था।
चूँकि मुझे पता था कि गौरी साथ देने वाली है इसलिए मुझे अन्दर ही अन्दर काफी ख़ुशी और आवेश महसूस हो रहा था, मैंने अपने गर्म-गर्म सख्त लंड को पकड़ा और उसके सुपारे को गौरी की चिकनी गांड की दरार में धीरे से खिसका दिया। मैं उसे गौरी की योनि में डालना चाहता था पर वह चिकनेपन के कारण बार बार फिसल जा रहा था।
मैंने पुनः प्रयास किया और उसके एक पुट्ठे को थोड़ा ऊपर करके लंड को उस दरार में सटा दिया। उस चिकनी, गर्म गांड के गूदों के बीच में फंसे लंड को मैंने हल्का सा आगे पीछे किया तो वो मज़ा आया जिसे मैं बयान नहीं कर सकता !
गौरी ने अब तक कोई हलचल नहीं की थी तो मैंने सोचा कि पहले यह तय करना आवश्यक है कि क्या गौरी सही में सोने का नाटक कर रही है?
मैंने फिर लंड को बाहर खींच लिया और धीरे से और नीचे खिसक कर अपना सर उसकी गांड के पास ले गया। मेरी कोशिश थी कि चादर के अन्दर ही रहूँ। मैंने उसके पैरों को धीरे से आगे पीछे कर दिया, अब वह उस करवट थी जिससे मेरी तरफ उसकी पीठ थी और उसके घुटनों से मुड़े हुए पैर आगे पीछे थे जिससे उसकी योनि और उसके आसपास के घने बालों को मैं देख सकता था। हालाँकि रात के चलते कुछ ख़ास न दिखता पर चाँदनी रात के कारण चादर के अन्दर भी काम भर का दिख रहा था।
मैंने उसकी योनि के अगल-बगल थोड़ा ऊँगली फेरी। एकदम आहिस्ता से उसके योनि के मुंह पर दो उंगली रगड़ी और फिर एक उंगली छोटी सी दरार में पेल दी। मेरी एक उंगली उसकी चूत में और अंगूठा उसके योनि के ऊपर के दाने को दबाने में व्यस्त था। कुछ ही सेकेंड हुए कि वह ऐंठ गई और एकदम से चूत कस ली।
मुझे मेरा जवाब मिल गया था, मैं अपना मुंह उसकी योनि के पास ले गया और पूरी चूत को चाट लिया धीरे से ! हालाँकि मेरे लिए यह सब पहली बार था पर मैंने नग्न फ़िल्मों में और काफी और स्रोतों से यह सीख रखा था और कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था। मैंने एक बार और चूत पर अपनी जीभ चौड़ी करके फेरी ही थी कि उससे एक गीला पदार्थ निकला। मैंने अब सीधे होना ठीक समझा और फट से वापस ऊपर सर करके लेट गया गौरी के पीछे।
मैं अभी भी उसके एकदम पीछे सट कर लेटा था। मैं सीधा हुआ ही था कि गौरी ने अपने कूल्हे थोड़ा पीछे किये और ऐसे चिपक गई मुझसे कि मेरा लंड उसकी योनि के एकदम नीचे छूने लगा। मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था ! मैंने अब अपना संयम खो दिया और उसकी पीठ से अपनी छाती चिपका दी। मेरी गर्म-गर्म साँसें उसकी पतली गर्दन पर लग रहीं थी! मुझे उसकी तेज़ धड़कन महसूस हो रही थी और उसकी छाती भी ऊपर-नीचे होती दिख रही थी। मैं एकदम मदहोश होने लगा।
फिर मैंने चादर को पूरा खींच कर उसको और अपने को अच्छे से ढक लिया। गौरी अभी तक कुछ बोली नहीं थी। हम दोनों एक करवट लेटे थे और मैं उसके पीछे चिपका था। उसने अपने पैरों के बीच में से हाथ डाला और मेरे खड़े हुए क़ुतुब मीनार को अपनी योनि के छेद पर रख कर थोड़ा सा नीचे हो गई, चूत काफी गीली थी और लंड पत्थर सा कड़ा इसलिए लंड का टोपा अन्दर घुस गया।
फिर मैंने धीरे धीरे अपनी कमर ऊपर खींची और पुट्ठे आगे बढ़ाया तो बात बन गई और लंड अन्दर घुसने लगा।
ऐसा लग रहा था जैसे मक्खन में चाक़ू !
मेरा पूरा शरीर रोमांचित हो उठा !
मैंने थोड़ी देर लंड को अन्दर ही रहने दिया इस डर से कहीं गौरी को दर्द न हो ! वो कड़ा लोहे सा लंड उसकी गरम गीली और चिकनी योनि में घुसा हुआ था और मैं मदहोश सी हालत में ऊपर उसके ब्लाऊज़ को खोलने की कोशिश कर रहा था।
मैंने ब्लाऊज़ खोला और पीठ पर बहुत ही हल्के से अपनी एक उंगली उसकी पीठ पर फ़िरानी शुरू की। उसे गुदगुदी हुई तो उसने गर्दन घुमा कर मेरी ओर देखा। उसकी गोल गोल काजल लगी हुई हिरनी सी ऑंखें और वो शरारत भरी हंसी ने मुझे अपनेपन का वो एहसास दिया जो इस दुनिया में किस्मत वालों को ही शायद मिलता है !
मैं उससे मंत्रमुग्ध हो गया! इसी दौरान मैंने धीरे धीरे अपने लिंग को थोड़ा अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। फिर मैं अपना एक हाथ उसकी चूची पर ले गया और धीरे से पर अच्छी पकड़ से दबाया तो उसके मुंह से आह निकल गई, मैंने झट से उसके मुंह पर हाथ रख लिया।
मामी को देखा तो वह सो रही थी।
मैंने फिर धीरे से उसके बोबे सहलाए और निप्प्ल को मसला। अब धीरे धीरे वो थोड़ा पेट के बल हो गई थी और मैं उसके थोड़ा और ऊपर !
मैंने अपनी छाती उसकी पीठ से सटा ली और दोनों हाथों से बोबे पकड़ लिए फिर धीरे धीरे पर ताकत वाले झटके देने लगा। इसमें उम्मीद से ज्यादा ताकत लग रही थी पर आनंद उससे कहीं अधिक !
फिर मुझे लगा मैं झड़ जाऊँगा तो मैं रुक गया, अपना लंड बाहर खींचा और अपने एक हाथ से गौरी की घनी चूत रगड़ने लगा। वह कुछ देर में बहुत तेज़ ऐंठ गई और उसे एकदम से परम आनन्द मिल गया। मैंने अपनी जानकारी से इससे झड़ना ही समझा।
इसी दौरान मैं अपने होंठों को उसके कानों पर, गर्दन पर और गर्दन के पीछे फेर रहा था। फिर मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। वह हाथ हटा के सीधे लेट गई पीठ के बल और फिर वापस मेरा लंड पकड़ कर हिलाने लगी। मुझे तो उसको कोमल हाथों के स्पर्श से ही चरम आनंद प्राप्त हो गया। मैंने उसके कंधे को चूमा और धीमे से उसके कान में बोला- थोड़ा और तेज़ !
वो हंस पड़ी, फिर उसने हिलाने की रफ़्तार बढ़ा दी और कुछ ही देर में मैं भी झड़ गया !
मैंने उसके होंठो पर एक बहुत ही मीठा और गीला चुम्बन दिया और फिर कपड़े पहनने लगा।
उसने भी अपनी साड़ी समेटी !
हम और मज़े करना चाहते थे पर थोड़ा थोड़ा उजाला होने लगा था और गाँव में लोग जल्दी उठ जाते हैं तो हम खतरा नहीं लेना चाहते थे ! मैंने अपना बिस्तर थोड़ा पीछे कर लिया और दोबारा सोने का प्रयास करने लगा।
सुबह 9 बजे मेरी नींद खुली तो घर में सब अपने अपने काम में लगे थे। हमें हमेशा की तरह जगाया नहीं गया था।
उस दिन मैंने गौरी से दिन में बात करने की कोशिश की तो उसने की नहीं, वह थोड़ा संकोच कर रही थी।
मैं बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था अगली रात का पर अफ़सोस उसी दिन पिताजी आ गये हमें लेने !
मेरे मन में गौरी से बात करने की कसक रह गई। अभी भी वह कभी कभी मेरे ख्यालों में आ जाती है।
गौरी ने मुझे यय तो दिखा दिया कि औरत के पास वो ताकत है जिसका कोई मुकाबला नहीं और जिसकी कोई सीमा नहीं। हम मर्दों को औरतों के लिए मन में पूरी इज्ज़त रखनी चाहिए! वह हम जो दे सकती है, वह अमूल्य है !
उम्मीद है पाठकों की आप सभी को मेरी यह निजी और गुप्त घटना का वर्णन अच्छा लगा होगा। अगर आप चाहें तो कृपया मुझे अपने विचारों से अवगत कराएँ।
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