गेटपास का रहस्य-3
दीप के जाने के बाद मैंने किताब को एक तरफ रखी और मयूरी के पास पहुँचा, उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ कर उससे पूछा- दीप ने क्या कहा आपसे?
मयूरी ने कहा- कुछ नहीं कहा बस ! ऐसे ही ! कोई खास बात नहीं है।
पर यह कहते हुए उसके चेहरा शर्म से लाल हो रहा था, मुझे यह तो पता था कि दीप ने उसको कुछ ऐसी बात बोली है जो उसको बताने में संकोच हो रहा था।
मैंने मयूरी के दोनों कंधों पर अपने हाथ रख कर उसको अपनी तरफ खींचा और वो भी मेरे पास खिंचती हुई चली आई, मैं अपने होंठ उसके कान के पास ले जाकर उससे बोला- बोलो न, क्या कहा था?
पर उसने कुछ नहीं कहा और वो चुपचाप खड़ी रही। उसको बोलता न देख मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख दिए। उसकी गर्दन पर चुम्बन अंकित करने लगा।
मयूरी ने अपने सर एक तरफ कर लिया जिससे मैं उस जगह को सही से चूम सकूँ, वो भी अपने एक हाथ से मेरे सर के बाल सहलाने लगी और मैं उसकी गर्दन को चूमता हुआ उसके कंधे तक पहुँच नीचे की ओर जाने लगा, अब मैं उसको चूमता हुआ उसके वक्ष पर पहुँच गया, फिर मैंने टीशर्ट के ऊपर से दोनों उभारों को चूमा ‘म्मूऊऊऊ आआह्ह्ह्ह !’ और मयूरी के मुँह से आवाज निकलने लगी, मैं मयूरी की तरफ देखने लगा।
उस वक़्त वो अपने निचले होंठ को अपने दांतों से काट रही थी और कोशिश कर रही थी उसके मुख से कोई आवाज न निकले पर इतनी कोशिश के बावजूद उसके मुँह से आवाज निकल ही गई। मैं उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया अब उसके कूल्हे मेरे लंड के सामने थे, मेरा लंड भी पूरी तरह तैयार हो चुका था, मैंने अपने लंड को मयूरी के चूतड़ों पर लगाते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा और साथ ही मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों बूब्स पकड़ लिए।
जैसे ही मेरे हाथ उसके बूब्स पर पहुँचे, मयूरी का बदन कांपने लगा जिसको मैं महसूस कर रहा था, मयूरी के बूब्स बहुत ही कठोर हो चुके थे। मैंने उसके उरोजों को अपने हाथों से हल्का सा दबाया तो मुझे पता चला कि उसने टी शर्ट के नीचे कुछ भी नहीं पहना था, मयूरी के बूब्स पकड़ कर ही मुझे उसका सही साइज का पता चला उसके बूब्स का साइज शायद 26 था।
मैं मयूरी के बूब्स आहिस्ता आहिस्ता दबा रहा था और वो भी मदहोश होकर अपने बूब्स मुझे मसलवा रही थी, कुछ देर ऐसे ही टीशर्ट के ऊपर उसके बूब्स मसलने के बाद मैंने अपने दोनों हाथ उसकी टी शर्ट के अन्दर डाल दिए और उसकी नग्न चूचियों को अपने हाथों में थाम लिया। जैसे ही मैंने उसकी नग्न चूचियों को पकड़ा तो मेरा लंड मानो फटने की कगार पर आ गया था।
इससे पहले में कुछ और आगे बढ़ता, उसने मुझे रोक दिया और बोली- दरवाजा खुला हुआ है।
मैंने एक नजर उसको देखा और फिर दरवाजे को, जो सही में खुला हुआ था, मैंने किसी तरह अपने को कंट्रोल किया और कुछ समय के लिए मैं मयूरी से लग हो गया, मैंने मयूरी से कहा- तुम ही बताओ, क्या करें?
तो वो शरमाते हुये बोली- पहले दरवाजा बन्द कर आओ !
मैं उसकी मन की बात को समझ चुका था, फिर भी मैं उससे बोला- कोई आ गया तो? तब क्या होगा?
मेरी बात सुन कर वो मेरे सीने से लग गई और बोली- कोई नहीं आएगा और अगर कोई आएगा भी तो दीपशिखा संभाल लेगी। दीपशिखा ने मेरे कान में यही कहा था।
मयूरी की बात सुनकर मुझे पता चल गया था कि आग बराबर की लगी हुई है, मैंने मयूरी से कहा- अच्छा जी, पहले क्यों नहीं बताया तुमने?
और इतना कह कर उसके होंठ चूम लिए और फिर मैंने उसको अपने से अलग किया और दरवाजा बंद कर दिया।
जैसे ही मैं दरवाजा बंद करके मयूरी के पास पहुँचा तो मयूरी बोली- एक मिनट, मैं फ्रेश हो कर आती हूँ !
और इतना कह कर मयूरी बाथरूम में चली गई जो उसी रूम में अटैच था, अन्दर जाकर उसने बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया था, मुझे वहीं पर खड़े हुए सब दिख रहा था कि वो क्या कर रही है, वो अपना चेहरा पानी से धो रही थी, मुझसे से अब यह दूरी बर्दाश्त नहीं हो रही थी, इसलिए मैं भी उसके पीछे-पीछे बाथरूम में पहुँच गया, वो अभी अपना मुँह धो ही रही थी।
मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया और अपने दोनों हाथ उसके बूब्स पर रखा दिए, वो सीधी खड़ी हो गई और मैं उसकी गर्दन पर किस करने लगा, मयूरी ने अपना गीला हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख दिया और मेरे हाथ से अपने बूब्स को पकड़ कर दबाने लगी, फिर मैं भी उसके बूब्स को और जोर से दबाने लगा।
मयूरी ने अपना चेहरा पीछे की तरह घुमाया और मेरे होंठ से अपने गीले होंठ मिला दिए और उनको चूसने लगी।
फिर मैंने उसको घुमाकर अपने सामने की तरफ किया और उसकी टीशर्ट को उतरने लगा तो मयूरी ने मेरे हाथ पकड़ लिए और मुझे मना करने लगी, पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसकी टीशर्ट उतार कर ही दम लिया, उसने टीशर्ट के नीचे कुछ भी नहीं पहना था, उसकी नग्न चूचियाँ अब मेरी नजरों के सामने थी, मयूरी ऊपर से नंगी हो चुकी थी, इसलिए वो मुझसे शर्म के मारे नजरे नहीं मिला पा रही थी।
मयूरी अपनी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथ से छुपाने की कोशिश करने लगी पर मैंने उसके हाथ को हटाते हुए उसको कहा- जानम, इतनी खूबसूरत चीज को क्यों छुपा रही हो और वैसे भी अब इन पर मेरा ही तो हक है।
मयूरी ने मेरी बात सुनकर कुछ नहीं कहा और धीरे धीरे अपने दोनों हाथ अपनी चूचियों से हटा दिए ! क्या मस्त उभार थे उसके वक्ष पर ! मौसमी के आकार के, उन पर उसकी गुलाबी निप्पल ! मन बेकाबू हुए जा रहा था।
मैंने उसके नग्न बूब्स पर अपने हाथ रखे तो मयूरी का शरीर कांप गया अब मेरे हाथों में उसके दोनों बूब्स थे और उनको मैं बड़े ही प्यार से सहला रहा था, मैंने सहलाते हुए एक स्तन के ऊपर अपने होंठ रख दिए अब तो मयूरी की हालत और भी पतली हो गई, पहले मैंने उसके बूब्स को बारी-बारी चूमा और फिर एक बूब्स को अपने मुँह में लेकर उसको ऐसे चूसने लगा जैसे कोई बच्चा टॉफ़ी चूसता है।
मयूरी के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी, वो बहुत ही गर्म हो चुकी थी।
गर्म तो मैं भी हो चुका था पर मैंने अपने आप को संभाला हुआ था वरना इन कुँवारी चूचियों को छूने मात्र से ही लंड पानी छोड़ देता, मैं अपना पूरा मुँह खोल कर उसकी पूरी की पूरी चूची अपने मुँह में लेकर उसको चूसने लगा, दोनों चूचियों को बारी-बारी जी भर कर चूसा, चूस-चूस कर पूरा गीला कर दिया। उसकी चूचियाँ उत्तेजना के कारण और भी कठोर हो गई थी।
फिर मैंने उसको अपने सीने से लगा लिया और उसको चूमते हुए मैंने अपना एक हाथ उसके हाफ पेंट के ऊपर उसकी चूत पर रख दिया, उसको ऊपर से ही सहलाने लगा। मेरा हाथ जैसे ही उसकी चूत पर पड़ा, वो सीधी हो गई और मेरे होंठ को जोर-जोर से चूसने लगी,
अब तक मैंने उसकी हाफ पेंट के बटन खोल दिये थे, जैसे ही हाफ पेंट के बटन खुले तो वो नीचे सरक कर उसके पैरों में आ गई।
इससे आगे मैं कुछ और करता पर, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और साथ ही दीपशिखा की आवाज भी आई- भाई, मैं हूँ दीपशिखा, जरा बाहर आओ !
कहानी जारी रहेगी।
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