गेटपास का रहस्य-5
मुझे मयूरी से मिले हुए दो दिन हो गए थे हमें ऐसा कोई अवसर नहीं मिला पर हाँ हम एक दूसरे को देख जरूर लेते थे, पर जब- जब मैं उसको देखता था तो मेरी लंड की प्यास ओर भी बढ़ जाती और शायद मयूरी का भी यही हाल था।
तीसरे दिन की बात है मैं अपने ऑफिस में था, तो करीब चार बजे मेरे चाचा जी फोन आया और उन्होंने कहा- आज मैं और तुम्हारी चाची घर पर नहीं हैं क्योंकि तेरी चाची के पिताजी की तबियत बहुत ज्यादा खराब है, हम उनको देखने आये हुये थे पर उनकी ज्यादा तबियत खराब हो जाने के करण हम आज घर पर नहीं आ पायेंगे। घर पर दीपशिखा और आशु दोनों अकेले हैं, तुम एक काम करना ऑफिस से घर जल्दी चले जाना और हमारे घर पर ही सो जाना ! वैसे तो मैंने भाभी (मेरी मम्मी) को बोल दिया है, हम कल सुबह तक आ जायेंगे !
मैंने कहा- ठीक है चाचा जी, मैं घर जल्दी चला जाऊँगा !
और उन्होंने फ़ोन काट दिया।
नानाजी की तबियत के बारे में सुनकर में दु:खी तो बहुत हुआ पर मुझे इस बात की खुशी भी थी कि मैं आज चाचा जी के यहाँ सोऊँगा और दीप से कह कर मयूरी को भी बुला लूँगा।
मैंने ऑफिस का काम जल्दी से निपटाया और अपने घर पहुँच गया, घर पहुँच कर मम्मी ने मुझे बताया- तेरे चाचा का फ़ोन आया था आज तू उनके घर पर सो जाना, दोनों बच्चे अकेले हैं।
मैंने मम्मी जी कहा- चाचा जी ने मुझे फ़ोन पर बता दिया था !
और इतना कह कर मैं नहाने के लिए बाथरूम में चला गया।
जब मैं नहा कर आया तो मम्मी ने कहा- मैं खाना बना देती हूँ, तू खाना खाकर वहीं पर चला जा और उन दोनों के लिए भी खाना ले जाना !
मैंने मम्मी से कहा- मैं भी उन्हीं के साथ खा लूँगा, आप खाना बना दो !
कुछ देर बाद मम्मी ने हम तीनों का खाना पैक कर दिया, मैं खाना लेकर दीप के घर पहुँच गया, मैंने दीप को खाना देते हुए कहा- खाना मत बनाना क्योंकि इसमें हम तीनों का खाना है। आज चाचा जी और चाची जी नहीं आयेगे और आज रात मैं यही पर सोऊँगा।
दीप ने मुझसे कहा- भाई, मुझे पता है, मुझे पापा जी ने फ़ोन करके बता दिया था और यह अच्छा हुआ कि आप खाना भी ले आये, अब मुझे खाना नहीं बनाना पड़ेगा।
मैंने दीप से कहा- आज तुमको खाना तो बनाना पड़ेगा नहीं, तो मेरा एक काम कर दे?
मेरी बात सुनकर दीप बोली- मुझे पता है भाई, आप क्या बोलोगे ! आप चिंता मत करो, मुझे जैसे ही पता चला कि पापा और मम्मी आज नहीं आयेंगे और आप यहाँ पर सोओगे तो मैंने मयूरी की मम्मी को बोल दिया था कि आज घर पर मम्मी और पापा नहीं आयेंगे इसलिए मयूरी को हमारे घर भेज दो सोने के लिये ! और उसकी मम्मी मान भी गई, मयूरी आज रात यही पर सोयेगी।
मैंने खुश होते हुये कहा- दीप, यह तो तुमने बहुत ही अच्छा काम कर दिया, मैं भी तुमको यही कहने वाला था।
दीप बोली- भाई मुझे पता था इसलिए तो आपके कहने से पहले ही मैंने ये सब कर दिया।
दीप मुझसे बोली- भाई, उसकी मम्मी को ये पता नहीं चलना चाहिए कि आप भी यहीं पर सोओगे, नहीं तो वो मयूरी को यहाँ आने नहीं देगी।
मैंने दीप से कहा- ठीक है, मयूरी किस टाइम यहाँ पर आ जायेगी?
दीप बोली- 9 बजे तक मयूरी यहाँ पर आ जाएगी।
मैंने टाइम देखा तो अभी रात के 8 ही बजे थे, मैंने दीप से कहा- मैं अभी अपने दोस्तों के पास जा रहा हूँ और मैं 9:30 बजे आ जाऊँगा, फिर उसकी मम्मी को भी पता भी नहीं चलेगा।
दीप ने कहा- ठीक है भाई, आप टाइम पर आ जाना, हम खाना तभी खायेंगे जब आप आ जाओगे।
फिर मैं जैसे ही जाने के लिये मुड़ा तो दीप ने कहा- भाई एक बात पूछूँ, अगर आप बुरा न मानो तो?
मैंने कहा- हाँ-हाँ पूछो ना, क्या बात है?
दीप बोली- भाई, आपने मयूरी पर ऐसा क्या जादू कर दिया, जब देखो आप ही के बारे में बात करती रहती है और आपसे मिलने के लिए वो आप से भी ज्यादा उतावली है।
अब मैं दीप से क्या कहता, उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा- मुझे नहीं पता, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया, तुम मयूरी से ही पूछ लो। दीप बोली- वो तो कुछ बताती नहीं है, बस आप ही के बारे में बात करती रहती है !
मैं दीप की बात सुनकर मुस्कुराता हुआ बाहर घर से बाहर निकल गया, उसको कुछ बता भी तो नहीं सकता था।
फिर मैं अपने दोस्तों के पास गया तो देखा वो कैरम खेल रहे थे, मैं भी उनके साथ खेलने लगा पर मेरा कैरम खेलने में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था, मैं तो बस यही सोच रहा था कब 9:30 बजें और मैं मयूरी के पास पहुँचूँ और उसको अपनी बांहों में समेट लूँ, पर मुझे अभी कुछ देर और इंतजार करना था ! ये इंतजार के पल भी कितने लम्बे होते हैं, यह आप सब को पता ही होगा, इसलिये ना चाहते हुए भी मैं कैरम खेल रहा था।
कैरम खेलते-खेलते मुझे वहाँ पर रात के 9 बज गए, मुझसे अब और इंतजार भी नहीं हो रहा था इसलिए मैंने अपने दोस्तों से कहा- यारो मैं चलता हूँ !
प्रेम बोला- क्या बात है? आज इतनी जल्दी जा रहे हो?
मैंने प्रेम से कहा- हाँ यार, मुझे कुछ काम है जो आज ही करना है !
मैंने प्रेम से झूठ बोला, प्रेम ने मुझसे कहा- कम से कम यह गेम तो पूरा कर ले, फिर चले जाना।
फिर से मैं ना चाहते हुये कैरम खेलने बैठ गया और वो गेम 10 मिनट में ही खत्म हो गया। मैंने टाइम देखा तो 9:12 मिनट हो चुके थे, मैंने अपने दोस्तों से विदा ली और अपनी चाची के घर के लिए निकल पड़ा।
रास्ते में मैं सोच रहा था अब तक तो मयूरी भी आ गई होगी और यही सोचते-सोचते मैं चाची जी के घर के सामने पहुँच गया।
मैंने घड़ी में टाइम देखा तो 9:28 हो चुके थे।
दीप भी मेरे इंतजार मैं बाहर ही खड़ी थी, दीप ने मुझे देखकर गेट का दरवाजा बिना आवाज किये खोल दिया, मैं घर के अन्दर आ गया, अन्दर पहुँचते ही मेरी नजर मयूरी को तलाश करने लगी, पर वो मुझे कहीं भी नज़र नहीं आई, आशु बैठा टी वी देख रहा था।
दीप मुझे कुछ परेशान दिखाई दे रही थी, दीप ने मुझे इशारे से रसोईघर में आने को कहा और फिर दीप ने आशु को बोला- भाई आ गए हैं, मैं खाना गर्म करके लाती हूँ !
और इतना कह कर वो रसोईघर में चली गई मैं भी हाथ मुँह-धोने का बहाना करके मैं भी रसोईघर मैं चला गया।
रसोई में पहुँच कर मैंने दीप से कहा- क्या बात है दीप? मयूरी कहीं दिखाई नहीं दे रही?
दीप ने कहा- पता नहीं भाई, मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा है कि वो अभी तक क्यों नहीं आई !
फिर मैंने दीप को कहा- कम से कम पता तो करती कि वो अब तक क्यों नहीं आई?
दीप ने कहा- भाई मैं आपका इंतजार कर रही थी, पहले हम खाना खा लेते हैं। फिर मैं उसके घर जाकर पता करती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है !
दीप ने खाना गर्म किया और हम तीनों ने मिलकर खाया।
दीप ने मुझसे कहा- भाई आप ऊपर वाले कमरे में चले जाओ, मैं पता करके आती हूँ ! कहीं ऐसा न हो कि मयूरी की मम्मी भी साथ आ जायें !
मैंने कहा- ठीक है, मैं ऊपर के कमरे में जा रहा हूँ।
कहानी जारी रहेगी।
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