मासूम भाई बहन की फुल एन्जॉय वाली सेक्स स्टोरी xxx kahani
फ्रेंड्स मैं एक और नई शुरू कर रहा हूँ जो आपको पसंद आएगी और आप सब भी साथ बनाए रखेंगे. दोस्तो मैं घर मैं सब से छोटा हूँ और सब को बहुत प्यारा लगता हूँ मैं जब छोटा था तो बहुत इनोसेंट था लेकिन घर वालो की नज़र मे लेकिन बाहर मैं किसी लड़की को देखता तो उसकी हर वो चीज़ देखता जो एक हज़्बेंड ही देख सकता है मैं अपने दिमाग़ मैं तस्वीर बना लेता मतलब इमॅजिन करता था उस का फिगर देखता बहुत बहुत ज़्यादा हरामी हूँ मैं बचपन से ही.
मेरे मोम डॅड की काफ़ी इयर पहले डेत हो गई जब मैं 4 साल का था और मेरे भाई और बड़ी बहन ने हम सब का बहुत ख्याल रखा जॉब कर के हमारी हर ज़रूरत को पूरा किया हमारा सारा बोझ उन पे था. मेरी दीदी मनिषा की जॉब बॅंक मे है प्राइवेट बॅंक मे. भाई की पहले यहाँ जॉब थी लकिन उन्हे यूएई का वीसा मिला तो भाई वहाँ चले गये.
मेरा जब जहाँ दिल करता वहीं सो जाता मतलब कभी किसी सिस्टर के साथ कभी किसी के साथ क्योंकि मैं सब से छोटा था तो मुझे कोई मना भी नही करता था. ये बात काफ़ी साल पहले की है उमर नही लिख सकता वरना स्टोरी पोस्ट नही हो गी. मेरी दीदी मनिषा मुझे नहलाती थी जब मैं छोटा था उस वक़्त मुझे सेक्स का कुछ पता नही था मैने मूठ मारना 12 साल की उमर मे शुरू किया था.
हमारा मुहल्ला बहुत गंदा है मतलब बच्चे बच्चे को हर बात का पता है.
मोम डॅड थे नही इसलिए कोई मुझे बाहर जाने खेलने या किसी भी बात से नही रोकता था जिस की वजह से मैं भी उन बाय्स के साथ खेल खेल के ऐसी बाते सीख गया और सेक्स का भी पता चल गया कि ये किया होता है और कैसे होता है.
मुझे याद है जब मैं पहली बार मूठ मार रहा था लेट नाइट जब सब सो गये थे गर्मी का मौसम था और हम एक ही रूम मे सोते थे क्योंकि एसी सिर्फ़ एक ही अफोर्ड कर सकते थे…
मैं तेल लगा के मूठ मार रहा था मुझे बहुत मज़ा आ रहा था जिस की वजह से मैं तेज़ तेज़ हाथ चला रहा था और पचक पचक की आवाज़ निकल रही थी कि अचानक मनिषा दीदी ने मुझसे पुछा..
मनिषा दीदी : भाई क्या कर रहे हो? क्या बबल गम खा रहे हो?
बिल्कुल वैसी आवाज़ थी जब मूह खोल के बबल गम को चबाओ तो मैं ने फ़ौरन कह दिया “जी दीदी बबल गम खा रहा हूँ”
” भाई इतनी रात को बस करो और सो जाओ” दीदी बोली
फिर मैने आराम आराम से मूठ मारी और पहली बार झाड़ा मुझे बहुत मज़ा आया फिर मैं सो गया. कुच्छ दिन मैं डेली मूठ मारता रात मे फिर मैं दिन मे antervasna नहाने जाता तो साबुन लगा के मूठ मारता मैं बहुत कुच्छ सीखता डेली कुच्छ ही मंत्स मे लगभग फुल सेक्स का पता चल गया मुझे.
हम सब लाइफ को बहुत एंजाय कर रहे थे हम ने इस साल होली भी खेली घर मे भाई काम पे गये हुए थे मैं और बाकी सब सिस्टर्स घर पे थी मैं बाजार से काफ़ी कलर ले आया और हम ने फुल तैयारी कर ली फिर हम बाहर आ गये गार्डन मे और होली स्टार्ट की सब एक दूसेरे पे रंग फेक रहे थे कुछ पानी मे रंग मिला के कलर वाला पानी एक दूसरे पे डाल रहे थे. मैं ने भी सब सिस्टर पे रंग डाला उनको गालों पे रंग लगाता मुझे बहुत मज़ा आ रहा था कभी मेरा हाथ किसी की गान्ड पे टच होता कभी किसी के बूब्स पे सब से ज़्यादा मज़ा मुझे आ रहा था हम काफ़ी देर तक खेलते रहे और मैं ने पूरे टाइम बहुत मज़ा किया सब के जिस्म को टच कर के फील कर किया फिर हम सब घर आ गये और सब ने नहा के कपड़े चेंज कर लिए.
एक रात हम सब रूम मे सो रहे थे मेरी एक साइड पे मनिषा दीदी सो रही थी और ऐक साइड पे प्रीति दीदी सो रही थी मैं सब के सोने का वेट कर रहा था जब सब सो गये तो मैने मूठ मारना शुरू कर दिया तभी मेरे दिमाग़ मे आया क्योना मनिषा दीदी की गान्ड पे टच करूँ मैने एक हाथ मे अपना लंड जो उस वक़्त छोटा सा था को पकड़ा हुआ था और एक हाथ मनिषा दीदी की गान्ड पे रख दिया कुछ देर मैने अपना हाथ ज़रा भी नही हिलाया लेकिन मैं मनिषा दीदी की गान्ड को फील करना चाहता था तो मैने आराम से अपना हॅंड मूव किया दीदी की गान्ड पे. मैं दीदी की गान्ड पे हाथ फेरने लगा और फिर मैने अपना हाथ दीदी की गान्ड की लाइन मे ले गया मुझे बहुत मज़ा आया क्योंकि वो जगह बहुत गरम थी.
कुच्छ देर मज़ा करने के बाद मैं फारिग हो गया और सो गया. नेक्स्ट नाइट फिर वैसे ही सोए थे हम और दोबारा काफ़ी देर बाद मैने अपना हॅंड मनिषा दीदी की गान्ड पे रखा और मज़ा करने लगा लेकिन लालच बढ़ गया था तो मैने करवट ली दीदी के पिछे और अपना लेफ्ट हॅंड दीदी के उपेर रखा बाजू पे शोल्डर के करीब दीदी ने कुच्छ नही कहा वो सो रही थी मैने हिम्मत कर के अपना हॅंड मूव किया और दीदी की कमीज़ साइड पे कर के अंदर ले गया और थोड़ा अंदर ले जा के दीदी के पेट पे रख दिया दीदी का पेट भी गरम था लेकिन बहुत मुलायम था. कुछ देर बाद मैने अपना हॅंड वहाँ से मूव किया और थोड़ा आगे ले गया तो मेरा हॅंड दीदी के बूब्स को टच हुआ.
दीदी करवट पर सो रही थी जिस की वजह से दीदी के बूब्स साइड पे थे और ब्रा लूस हो गया था और तक़रीबन दीदी के हाफ बूब्स ब्रा मे थे और दीदी का हाफ ब्रा फ्री था और मेरा हॅंड दीदी के दोनो बूब्स के बीच था.
मैं अपनी बड़ी दीदी के बूब्स को फील करने लगा वो बहुत सॉफ्ट और मुलायम थे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था मैं काफ़ी देर मनिषा दीदी के बूब्स को फील करता रहा और जब मूठ मारते मारते झाड़ गया तो सो गया.
नेक्स्ट नाइट दोबारा मैने अपना हॅंड दीदी की कमीज़ मे डाला और दीदी के बूब्स तक पहुँच गया. आप यकीन नही करोगे दीदी ने उस रात ब्रा नही पहना हुआ था उफ्फ मेरा तो खुशी से बुरा हाल था खैर मैने आराम से दीदी का लेफ्ट बूब पकड़ लिया और आराम से दबाने लगा फिर मैने दीदी के निपल को टच किया तो वो हार्ड था.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं दीदी के बूब्स के साथ खेलने लगा अचानक दीदी थोड़ा सा हिली तो मैने डर से फ़ौरन अपना हॅंड बाहर निकाल लिया. लेकिन तभी मुझे दीदी की आवाज़ सुनाई दी.
“भाई आराम से सो जाओ या उठाऊ बादल को” दीदी धीरे से बोली
मेरी तो गान्ड ही फट गई क्योंकि भैया भी वहीं सोए हुए थे और यू ही गान्ड फट.ते फट.ते पता नही मैं कब और कैसे सो गया. सुबह उठा तो सब कुच्छ नॉर्मल था किसी ने कोई बात नही की ना ही भैया न्र और ना ही मनिषा दीदी ने. उस रात मेरी ऐसी गान्ड फटी कि कई दिन तक मैने सेक्स का सोचा ही नही.
एक दिन मैं मनिषा दीदी के रूम मे गया दीदी बेड पे बैठी हुई थी मैं साथ जा के बैठ गया. “दीदी क्या बात है आप परेशान लग रही हैं और चुप चुप भी है सब ठीक तो है ना?” मैने दीदी को परेशान देख कर पुछा “कुछ नही भाई ऐसे ही थक गयी हूँ आज कल काम बहुत होता है इस लिए थक जाती हूँ” दीदी बोली.
“दीदी आप कहे तो मैं आपके हाथ पैर दबा दूँ बहुत आराम मिलेगा आपको” मैं बोला
“नही भाई मैं ठीक हूँ रहने दो” दीदी बोली
“दीदी आप लेट जाओ ना प्लीज़ मेरा दिल कर रहा है अपनी प्यारी दीदी को दबाने का” मैं ज़िद करते हुए बोला और मैने दीदी को ज़बरदस्ती बेड पे लिटा दिया और दीदी के पैर दबाने लगा.
मैने दीदी को दबाना शुरू किया तो दीदी को आराम मिलने लगा कुच्छ देर बाद दीदी की आँख लग गई अब मैं दीदी के बदन को दबा भी रहा था और फील भी कर रहा था और मज़े कर रहा था. कुच्छ देर बाद निवेदिता दीदी अंदर आई और मुझे दीदी को दबाते देख के मुस्कुराने लगी.
“अरे वाह भाई तुम्हे दबाना भी आता है मुझे तो कभी नही दबाया क्या मैं तुम्हारी बहन नही हूँ” निवेदिता दीदी बोली.
“दीदी जब आप थकि होंगी तब आप को भी दबा दूँगा” मैं भी मुस्कुराते हुए बोला.
तभी दीदी उठ गई और बोली “भाई बस करो तुम थक गये होंगे. हां निवेदिता बेटा क्या बात है”
दीदी हम सब को बेटा बुलाती थी.
निवेदिता दीदी :- कोई काम नही है दीदी वैसे ही आ गई, वैसे आपकी तबीयत तो ठीक है ना छोटा दबा जो रहा है आपको?
मनिषा दीदी :- हां मैं ठीक हूँ बस थकि हुई थी तो छोटा ज़िद करने लगा कि दीदी आप लेट जाओ मैं दबा देता हूँ और इसने इतना अच्छे से दबाया कि मेरी आँख लग गई.
निवेदिता दीदी :- अच्छा दीदी फिर आप रेस्ट करो मैं जा रही हूँ.
निवेदिता दीदी चली गई तो मैं मनिषा दीदी को दोबारा दबाने लगा.
मनिषा दीदी :- भाई बस करो मैं ठीक हूँ अब.
“नही दीदी कुच्छ देर तो दबाने दो आज मैं अपनी दीदी की खिदमत कर लूँ पता नही फिर कब ये मौका मिलता है” मैं बोला
“भाई पढ़ते भी हो या सारा दिन खेलते ही रहते हो?” दीदी बोली
“पढ़ता हूँ दीदी सारा काम ख़तम कर दिया kamukta है इसलिए तो आप के पास बैठा हूँ” मैं बोला और वापस दबाने लगा अब दीदी भी आराम से दबवा रही थी.
“दीदी आप शादी कब करेंगी, आप शादी कर लो ना सच बहुत मज़ा आएगा” कुच्छ देर बाद मैं बोला
“भाई तुम्हे मेरी शादी की इतनी फिकर क्यों है अगर मैने शादी कर ली तो घर कौन संभाले गा और मैने सोच लिया है कि पहले मैं अपनी सिस्टर्स की शादी करूँगी बाद मे अपनी शादी का सोचूँगी” दीदी बोली
“नही दीदी मैं तो वैसे ही कह रहा था क्यों कि सब लड़किया तक़रीबन आप की एज मैं शादी कर लेती हैं ना वैसे दीदी शादी क्यों होती है और शादी करके क्या फ़ायदा होता है” मैने पुछा
“भाई शादी के बाद हज़्बेंड अपनी वाइफ का और वाइफ अपने हज़्बेंड का ख्याल रखते हैं एक दूसरे से बहुत प्यार करते है और शादी के बाद बच्चे पैदा होते है जिस से माँ और बाप दोनो को खुशी मिलती है बुढ़ापे के लिए सहारा मिल जाता है” दीदी ने बताया.
“अच्छा दीदी इसलिए, और दीदी बच्चे कैसे पैदा होते है” मैने एक बार फिर नादान बनते हुए पुछा.
“बस शादी के बाद भगवान जी बच्चे दे देते है” दीदी ने भी मुझे एडा समझते हुए बताया लेकिन वो नही जानती थी कि ये एडा बहुत जल्द पेड़ा खाने की सोच रहा है.
“दीदी ये तो मुझे पता है कि भगवान ही बच्चे देते है लेकिन दीदी वो सुहागरात क्या होती है और उसमे हज़्बेंड और वाइफ क्या करते है” मैने फिर पुछा.
“भाई ऐसी बाते नही करते कभी अपनी एज देखी है और बाते देखो कैसी पुछ रहा है और ज़रा ये तो बताओ कि किसने बताया तुम्हे ये सब” दीदी तुनक्ते हुए बोली.
“वो……वो दीदी जब मैं अपने कज़िन की शादी मे गया था और जब दुल्हन घर आ गई थी तब कुच्छ लोग बाते कर रहे थे कि अब तो दूल्हा दुल्हन मज़े से सुहागरात मनाएँगे और आज रात दूल्हा दुल्हन को सोने नही देगा” मेरी तो गान्ड फटी हुई थी लेकिन किसी तरह मैने बात को संभाला.
“कौन कह रहा था ये सब और तुम क्यों सुनते हो किसी की बाते, किसी की बाते सुन.ना बहुत बुरी बात है बेटा आगे से ऐसा नही करना” दीदी मुझे समझाते हुए बोली.
“दीदी मुझे नही पता वो लोग कौन थे और दीदी वो लोग मेरे साथ एक ही रूम मे सो रहे थे अब मैं अपने कान कैसे बंद करता” मैं बोला.
दीदी मेरी बात सुनकर चुप हो गई आख़िर मेरी बात भी सही हो थी.
“दीदी बताओ ना सुहागरात क्या होती है कैसे होती है और हज़्बेंड वाइफ को रात भर क्यों नही सोने देता” थोड़ी देर बाद मैं फिर बोला.
“भाई अब मैं मारूँगी सच मे, कहा ना ऐसे बाते नही करते अभी तुम्हारी एज नही है ऐसी बाते पुछ्ने की और जब तुम बड़े हो जाओगे तो तुम्हे खुद-ब-खुद ही सब पता चल जाएगा” दीदी थोड़े गुस्से से बोली.
“दीदी मुझे अभी बताओ ना और देखो ना मैं बड़ा तो हो ही गया हूँ ना” मैं ज़िद्द करते हुए बोला “वैसे दीदी आपने कभी सुहागरात मनाई है क्या”
“भाई सुहागरात शादी के बाद मनाई जाती है पहले नही, गंदे कहीं के पता नही क्या क्या कहते जा रहे हो ना सोचते हो ना कुच्छ……..अब बस करो और जाओ बाहर जाकर खेलो” दीदी मुझे झिड़कते हुए बोली.
अब मैने ज़्यादा बहस करना ठीक नही समझा और उठ कर खेलने के लिए बाहर चला गया कुच्छ देर खेलने के बाद मैं घर वापस आ गया.
रात हमारी मौसी हमारे घर आई वो भैया के लिए रिश्ते के बात करने आई थी लड़की वाले उनके रिश्तेदार थे और लड़की बहुत ही सुंदर थी इसलिए मौसी ज़िद्द कर रही थी कि लड़की भी अच्छी है और वो लोग भी अच्छे है ऐसा रिश्ता फिर नही मिलेगा इसलिए शादी वहीं करते है.
हमने मौसी से कहा कि सोच कर बताते है और फिर बादल भैया आए तो उन्हे बताया लेकिन भैया मना करने लगे फिर हम सबने ज़िद्द की और भैया को मनाया कि एक बार लड़की तो देख लो पसंद नही आए तो मत करना और किसी तरह भैया को मना कर हम लड़की देखने पहुचे लड़की सच मे बहुत सुंदर थी.
लड़की सभी को पसंद आ गई और कुच्छ दिनो के बाद रिश्ता पक्का हो गया भाभी सच मे बहुत ही क्यूट, सेक्सी, स्लिम और हॉट थी मैं तो सोच रहा था कि उनकी शादी भैया से ना होकर मुझसे हो जाए लेकिन ये नामुमकिन था.
रिश्ता तय होते ही हम लोगो ने डिसाइड किया कि जल्द ही भैया की शादी कर देते है लेकिन भैया ने मना कर दिया कि इतनी जल्दी नही करना है शादी के लिए अभी उन्हे थोड़ा वक्त चाहिए तो भाई की बात सुनकर ये तय किया गया कि अभी सगाई कर देते है शादी बाद मे भैया की सुविधा से कर देंगे.
सगाई 2 दिन के बाद रखी गई सगाई पर सब बहनो ने खुलकर मज़े से डॅन्स किया भाभी से भी डॅन्स करवाया गया और भैया की साली ने भी खूब डॅन्स किया. सब मे बहुत सेक्सी डॅन्स किया और सभी लड़किया डॅन्स करते वक्त बहुत सेक्सी लग रही थी. डॅन्स करते वक्त सभी लड़किया सलवार सूट मे थी लेकिन डॅन्स करते वक्त किसी ने भी दुपट्टा नही लिया हुआ था सभी का डॅन्स बहुत अच्छा और सेक्सी था खास कर मनिषा दीदी का.
मनिषा दीदी ने जब डॅन्स शुरू किया तो दुपट्टा पहना हुआ था क्योंकि उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े है लेकिन कुच्छ देर बाद दीदी ने जब दुपट्टा उतारा तो उनकी कुरती के बड़े गले से उनके बड़े बड़े बूब्स बहुत हद तक सॉफ नज़र आरहे थे डॅन्स करते वक्त जब वो उच्छलती तो बहुत हॉट नज़ारा देखने को मिलता.
फंक्षन बहुत रात तक चला फिर हम घर वापस आगये हम सब बहुत थक गये थे घर पहुच कर सब अपने अपने रूम मे चली गये.
मैं मनिषा दीदी के रूम की तरफ बढ़ गया मैं आज कुच्छ और चान्स लेना चाहता था पेड़ा खाने के लिए लेकिन रूम के बाहर पहुच कर देखा तो गैट लॉक था मैने नॉक किया.
“कॉन है” अंदर से दीदी की आवाज़ आई
“मैं हूँ दीदी दरवाजा खोलो” मैं बोला
“क्या बात है बेटा मैं चेंज कर रही हूँ” दीदी बोली
“दीदी खोलो ना चेंज बाद मे कर लेना” मैं बोला और फिर नॉक किया.
अब दीदी ने दरवाजा खोल देता और मैं अंदर जाकर उनके बेड पर बैठ गया.
“दीदी आज आपका डॅन्स बहुत अच्छा था सब से ज़्यादा अच्छा सच मुझे बहुत मज़ा आया आपको डॅन्स करते हुए देख कर” मैं बोला
“थॅंक यू बेटा क्या यही कहना था जिसके लिए तुम यहाँ आए थे” दीदी मुस्कुराते हुए बोली
“नही दीदी आप इन कपड़ो मे बहुत प्यारी लग रही है इसलिए मैं आ गया सोचा कहीं आप चेंज ना कर लो मैं आपको इन कपड़ो मे देखने और आप से बाते करने आया हूँ अगर आप थकि हुई ना हो तो हम बात कर लेते है वरना मैं चला जाता हूँ” मैं बोला.
“नही भाई मैं नही थकि हूँ चलो बाते कर लेते है वैसे भी कल छुट्टी है तो मैने कौन सा जल्दी उठना है” दीदी बोली
मैं खुश हो गया और दीदी एक चेयर लेकर मेरे सामने बैठ गई मेरी नज़रे बार बार उनकी बड़ी बड़ी चुचियो पर जा रही थी
“अच्छा तो सब से ज़्यादा मेरा डॅन्स अच्छा लगा तुम्हे, है ना बेटा” दीदी मुझे देखते हुए बोली.
“जी दीदी, सब से अच्छा डॅन्स आपने किया और मेरी मनिषा दीदी से अच्छा कोई नही है मेरी मनिषा दीदी ईज़ बेस्ट” मैने मक्खन लगाया “उर दीदी आप ब्लॅक कलर के कपड़ो मे बहुत प्यारी लग रही है सच दीदी सब कुच्छ ब्लॅक आप पर बहुत अच्छा लग रहा है”
“सब कुच्छ ब्लॅक से क्या मतलब है भाई” दीदी कुच्छ सकपकाते हुए बोली
“दीदी आपकी कुरती, सलवार, दुपट्टा और आपकी बनियान” मैं बोला
“बनियान………क्या मतलब है भाई तुम्हारा और तुमने कब और कैसे देखा” दीदी हैरान होकर बोली.
“क्या कैसे देखा आपने ब्लॅक सलवार कुरती और दुपट्टा नही पहना है क्या अभी, और मैं कैसे ना देखता” मैं एकदम भोन्दु बनते हुए बोला..
“भाई ये सब नही हो जो तुमने कहा ना बनियान उसका पुच्छ रही हूँ मैं” दीदी बोली
“अच्छा वूऊ………..वो तो जब आप डॅन्स कर रही थी ना तब देखा था मतलब नज़र आ गई थी आपकी ब्लॅक बनियान” मैं बोला
“भाई मैने तो दुपट्टा लिया हुआ था तब तो फिर कैसे नज़र आ गई, कहीं तुमने कहीं और से तो नही देखा आइ मैं जब मैं चेंज कर रही हौं तब” दीदी थोड़ी शरमाते हुए बोली.
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