सेक्सी हॉट माल दिखने के चक्कर में चुत चुदवा ली- 1

सेक्सी हॉट माल दिखने के चक्कर में चुत चुदवा ली- 1

देसी कॉलेज गर्ल सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मेरी चूचियां छोटी और ढीली थी तो मुझे कोई लड़का पसंद नहीं करता था. तो मैंने अपने को हॉट और सेक्सी बनाने के लिए क्या किया?

हाय फ्रेन्ड्स, मैं आप सभी लोगों का तहे दिल से शुक्रगुजार हूं कि आप मेरी गर्म व सेक्स कहानी बड़ी रूचि के साथ पढ़ते हैं और आनन्दित होते हैं.

मेरी पिछली सेक्स कहानी
बहू के तन की प्यास का इलाज
के लिए आप लोगों ने मुझे बहुत ही खूबसूरत-खूबसूरत मेल किए, जिसके लिए मैं आप सभी को धन्यवाद करता हूं.

दोस्तो, कल्पना रूपी सेक्स संसार का एक अपना अलग ही मजा होता है. आज की ये देसी कॉलेज गर्ल सेक्स स्टोरी पूरी तरह से काल्पिनक है और इसका वास्तिवकता से कोई लेना देना नहीं है.

यह सेक्स कहानी एक ऐसी लड़की की है, जिसका नाम नंदिनी है और वो एक कॉलेज में पढ़ती है.

उसके कॉलेज में पढ़ने वाले जितने भी लड़के-लड़कियां है, वो इसको बहन जी, बहन जी कहकर पुकारते थे.

ये उसका मजाक उड़ाने के लिए एक ऐसा शब्द था, जिससे नंदिनी काफी आहत हो गई थी.
फिर उसने अपने दोस्तों के कहने पर अपना पहनावा बदला.

यह कहानी सेक्सी लड़की की आवाज में सुनें.


अब वो जींस और टॉप पहनकर कॉलेज जाने लगी, लेकिन फिर भी कुछ लोगों को शायद उसे ‘बहन जी, बहन जी ..’ कहने की आदत पड़ गयी थी.

अब नंदिनी को भी आदत सी हो गई थी और वो इन बातों का बुरा नहीं मानती थी.

नंदिनी का एक बेस्ट फ्रेंड मोहित था, जिसको वो मन ही मन प्यार करता था. मोहित ही ऐसा लड़का था कि जो उसका हर काम में बहुत सपोर्ट करता था.

नंदिनी भी उसके किसी काम को मना नहीं करती थी. पर एक दिन उसका दिल टूट गया, जब उसने अपनी क्लास में पढ़ने वाली एक लड़की के साथ मोहित को सेक्स करते देख लिया.

दोस्तो, अब आगे की सेक्स कहानी नंदिनी की जुबानी ही सुनकर मजा लीजिएगा.

हैलो फ्रेंड्स, मैं नंदिनी आपसे मुखातिब हूँ. एक दिन मोहित और संध्या कॉलेज के टॉयलेट के दीवार के पीछे सेक्स कर रहे थे. मोहित संध्या को पूरे वेग से चोद रहा था.

उस समय इत्तेफाक से मैं अपनी सहेलियों के साथ वॉशरूम की तरफ फ्रेश होने के लिए गयी थी.

तभी मैंने कुछ आवाज सुनी और हम सभी सहेलियां उस तरफ चली गईं. मैंने देखा कि मोहित संध्या के पीछे खड़ा होकर उसमें धक्के मार रहा है.
और संध्या मस्ती से चिल्ला चिल्ला कर मोहित का जोश बढ़ा रही थी- आह … और जोर से … और जोर से करो ..’

इस सीन को देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए. मैं रोहित को बहुत प्यार करती थी. मैं उसके लिए कुछ भी कर सकती थी.
उसने एक बार मुझसे भी इस तरह करने के लिए बोलकर देखा होता, तो मैं उसकी खातिर झट से राजी हो जाती. पर वो संध्या के साथ सेक्स कर रहा था.

मुझे इस समय बहुत गुस्सा आ रहा था. फिर भी मैं चुप रही और अपनी आंखों में आंसू भरकर वहां से चली आयी.

थोड़ी देर बाद मोहित मेरे पास आया.
उसको देखकर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन अभी भी मेरा दिल उसके लिए धड़क रहा था.

मोहित मेरी ठुड्डी को हिलाते हुए बोला- क्या बात है नंदिनी, तुम उदास सी दिख रही हो?
मैं बोली- कुछ नहीं.
मोहित- नहीं, कुछ तो जरूर है.

उसके ऐसा बोलने पर मेरी आंखों में एक बार फिर से आंसू आ गए.

मोहित- अरे अरे, ये क्या … क्यों रो रही हो?
वह मेरी आंखों में आए आंसुओं को पौंछते हुए बोला.

मैं उसके सीने में अपने सिर को छिपाते हुए बोली- मोहित, मुझमें क्या कमी है … जो तुम संध्या के साथ …
आधी बात कहकर मैं रूक गयी.

मोहित मुझसे अलग होते हुए बोला- तुम क्या कहना चाहती हो?
मैं- मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं.
मोहित- प्यार … पर मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त मानता हूं.

मेरे दिमाग में अभी भी वही चुदाई का सीन चल रहा था.
मैंने मोहित से पूछा- मोहित मेरे में क्या कमी है … जो मैं तुम्हारे काबिल नहीं हूं.
मोहित- तुम अपने आपको देखो … और उसको देखो. तुम एक बुझी हुयी मोमबत्ती हो और वो भभकती हुई मशाल है. उसको देखते ही …

मैं- उसको देखते ही क्या?
मोहित- मेरा पूरा जिस्म में हिलोरें मारने लगता है. उसको देखकर उसको बांहों में भरने का मन करता है. उसकी उठी हुई छाती को देखो, उस पर से नजर ही नहीं हटती … और एक तुम हो, जिसमें कुछ है ही नहीं.

उसकी इस बात को सुनकर मैं तड़फ गयी और बिना कुछ सुने या बोले मैं तुरन्त ही घर आ गयी.

मैं अपने कमरे में आयी और खूब फूट-फूट कर रोयी. फिर खुद को नंगा करके शीशे के सामने खड़े होकर निहारने लगी.

क्या गलत कहा था मोहित ने, मेरे सीने में कुछ तो नहीं है. ऐसा लग रहा है कि दो पिलपिले से आम लटक रहे हैं. जो कपड़ा पहनने पर दिखते भी नहीं थे.

और संध्या और दूसरी लड़कियों की छाती पर से तो लड़कों की नजरें ही नहीं हटती होंगी. उनकी चूचियां कितनी तनी हुई रहती हैं. ये सब सोच कर मेरा एक बार फिर रोने का मन कर रहा था.

तभी मेरा दरवाजा खटखटाया गया. मैंने जल्दी से अपने आंसू पौंछे और कपड़े पहन कर दरवाजा खोला.

सामने मेरी नई नवेली भाभी खड़ी थीं.
मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए भाभी बोलीं- अरे नंदिनी क्या बात है, क्यों रो रही हो?
मैं- नहीं नहीं … ऐसा कुछ नहीं है भाभी.

भाभी बिना किसी अवरोध के कमरे के अन्दर आ गईं और दरवाजा बन्द करके बोलीं- कुछ तो बात है. मुझे अपना दोस्त समझ और मुझे बता.
मैं उनसे लिपटकर खूब रोई और उनको एक-एक बात बता दी.

ये सुनकर भाभी बोलीं- साले मर्द होते ही इसी तरह के … वो केवल जिस्म देखते हैं.

तभी मेरी नजर भाभी की छाती पर नजर पड़ी. मैं उनकी चूची पर हाथ रखते हुए बोली- भाभी आपके मम्मे भी तो बड़े-बड़े हैं.
भाभी मेरे हाथ को पकड़ कर बोली- नंदिनी, मर्द को रिझाने के लिए ये बहुत काम करता है. तेरे भईया रात को सबसे पहले मेरे मम्मे पर ही अपनी पूरी शक्ति लगा देते हैं.
मैं- भाभी मैं अपने मम्मों के लिए क्या करूं?

कुछ देर के बाद भाभी बोलीं- तू चाहे तो किसी डॉक्टर से सलाह ले ले.

उनकी इस बात को लेकर मेरे मन में एक आशा की किरण जल उठी. मैंने उनसे इस बारे में और भी बात की. उनसे बात करने के बाद और उनकी बात सुनकर मेरा थोड़ा मन हल्का हुआ.

उस रात मेरे सपने में मोहित मुझे प्यार कर रहा था, लेकिन जैसे ही उसने मेरी कुर्ती उतारी और मेरी छाती की तरफ देखा, तो मुझसे छिटक कर दूर हो गया और बोला- तुममें तो कुछ है ही नहीं. उसकी ये झिड़की सुनकर मेरी नींद टूट गयी और बाकी की सारी रात अपने जिस्म पर खुद का हाथ फिराते-फिराते बीती.

मेरा मन इस समय न तो पढ़ाई में लग रहा था और न ही किसी अन्य काम में. मैं अब चिड़चिड़ी सी होने लगी थी.

दूसरे दिन, मेरा पहला काम एक ऐसे डॉक्टर को सर्च करना था, जो मेरी इस समस्या से मुझे निजात दिला दे.

कॉलेज से दो किलोमीटर दूर एक सेक्स कंसलटेंट डॉक्टर था. जिसका नाम शक्ति सिंह था.
अब मैं सोच में पड़ गयी कि मुझे क्या करना चाहिए. क्योंकि डॉक्टर एक पुरुष था.
फिर भी मैंने हिम्मत बांधी और उसके क्लीनिक पर चली गयी.

कुछ ही देर बाद मेरे सामने एक जवान उम्र का डॉक्टर था. अब मेरे दिल की धड़कन बहुत तेज हो गयी थीं. मेरी हिम्मत ही नहीं हुयी कि कुछ उससे पूछ सकूं.

उस डॉक्टर ने मुझसे कई बार पूछा, पर मैं कुछ बता नहीं पायी. मैं वहां से भागकर आ गयी.

एक बार फिर मैं शीशे के सामने खड़ी हुयी और अपने जिस्म को निहारने लगी, पर वही पिलपिले आम की तरह लटके हुए मेरे दो-दो कबूतर, जो बिल्कुल बेजान से लग रहे थे.

मैं क्या करूं, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. पर मुझे मोहित के लिए कुछ करना तो था.

मैं दूसरे दिन बड़ी हिम्मत बांध कर उस डॉक्टर के पास फिर से गयी. मुझे वापस आया देखकर वो मुझे मुस्कुराया.

फिर बोला- हां मैडम, पहले तो आप अपना नाम बताएं.
मैं- जी मैं नंदिनी.

मैं अभी भी थोड़ा झिझक रही थी. तभी वो अपनी सीट से उठा और मेरे कंधे में हाथ रखते हुए बोला- मिस नंदिनी, अगर आप अपनी परेशानी नहीं बताएंगी, तो फिर मैं कैसे समझूंगा कि आप मुझसे किस चीज का इलाज करवाना चाहती हैं.

इतना कहने के बाद एक बार फिर वो मेरे सामने बैठ गया और बोला- क्या आपको ल्यूकेरिया की प्रॉबल्म है.
‘नहीं नहीं … ऐसी कोई बात नहीं है.’

डॉक्टर बोला- ओके तो जरा आप सामने की तरफ खड़ी हो जाओ, ताकि मैं जान सकूं कि आपको क्या प्रॉबल्म है.
मैं- जी … मैं अपनी छाती के ..

ये कहकर मैं चुप हो गयी.

डॉक्टर- लेकिन मुझे आपकी छाती में कोई कमी नजर नहीं आ रही है.
मैं- जी … मतलब मेरे मम्मों के कारण मैं बहुत परेशान हूं.

मैं एक ही झटके में और बहुत जल्दी से अपनी बात खत्म करके अपनी सांसों पर काबू पाने की भरपूर कोशिश कर रही थी.

डॉक्टर एक बार फिर से थोड़ा मुस्कुराया और बोला- मैडम, अब मैं समझ गया. पर आपके मम्मों को जब तक मैं नहीं देख लूंगा, तब तक कुछ नहीं बता पाऊंगा. इसके लिए मुझे आपके मम्मों को नंगा करके देखना पड़ेगा.
मैं- जी!
और मैं जी बोलकर उसको आंखें फाड़-फाड़ कर देखने लगी.

डॉक्टर- सॉरी मैडम, अगर आपको बुरा लगा हो.
मैं- पर मैं आपको बता रही हूं न कि मेरे मम्मे बहुत ही छोटे हैं … और उसी के इलाज के लिए मैं आपके पास आयी हूं.

डॉक्टर- लेकिन सॉरी … बिना एग्जमिन किए तो मैं कुछ कर ही नहीं सकता. बाकी आपकी मर्जी.

मैं उठकर चलने लगी, तो डॉक्टर बोला- मैडम, अगर आप कल फिर से मेरे पास आएं … तो एक निर्णय लेकर आएं. क्योंकि आपको लग रहा है कि मैं आपको नंगी देखने के लिए बेचैन हूं. मैं एक डॉक्टर हूं और जब तक प्रॉबल्म समझ न लूं, तब तक कुछ नहीं कर सकता. हो सकता है कि आपका एग्जामिन करते समय आपके मम्मों को … या और दूसरे अंगों को भी मुझे छूना दबाना पड़े. इसलिए अपना मन पक्का करके ही आइएगा.

मैं उसकी बात का कोई जबाव दिए बिना वहां से वापस चली आयी.

कॉलेज पहुंचकर मुझे फिर से वही ‘बहन जी, बहन जी ..’ शब्द सुनने को मिला और रात को वही डरावना सपना आया, जिसमें मोहित कह रहा था कि नंदिनी तुम्हारे मम्मों से अच्छे तो आम हैं, जिनको चूसने में मजा तो आता है.

एक बार फिर से मेरी नींद टूट गयी. मैं मोहित को लेकर दीवानगी की हद तक जा चुकी थी. रात में ही मैंने निर्णय ले लिया कि अब चाहे कुछ भी करना पड़े, मैं मोहित को अपना बनाकर ही छोड़ूंगी.

दूसरे दिन मैं एक बार फिर डॉक्टर के पास आ पहुंची.

मुझे देखते ही वो मुँह बना कर बोला- सब कुछ सोच समझ कर ही आयी हो ना मिस नंदिनी!
मैं- जी डॉक्टर.

डॉक्टर- तब ठीक है … अब न आप झिझकेंगी … और न ही शर्माएंगी.
मैं- जी … बिल्कुल नहीं, जो आप कहेंगे वो मैं करूंगी.
तभी डॉक्टर बोला- ओके आप अपने ऊपर के पूरे कपड़े उतार दीजिए.

मैंने अपनी कुर्ती और समीज को अपने से अलग कर दिया. डॉक्टर मेरे समीप आकर मेरे दोनों ढलके हुए कबूतरों को घूर-घूर कर देखने लगा.
मुझे थोड़ी शर्म आयी और मैंने अपने दोनों हाथों को क्रास करके अपने पिलपिले से मम्मों को छुपा लिया.

‘हम्म ..’ कहकर वो एक बार फिर अपनी सीट पर बैठ गया.

मैंने जैसे ही अपनी समीज को पहने के लिए उठाई, तो उसने मुझे पहनने के लिए मना किया और बोला कि अब आप अपनी पजामी और पैन्टी को उतारकर सामने की दीवार पर पीठ को मेरी तरफ करके खड़ी हो जाएं.
मैंने पूछा- अब इसको क्यों उतारना है?
तो वो बोला कि तुम अपने मम्मों को जिस शेप में चाहती हो, उसके लिए कुछ टेस्ट करने पड़ेंगे.

अब मैंने वादा कर लिया था, सो मुझे अपनी पजामी और पैन्टी को उतारकर सामने की दीवार पर उसकी तरफ पीठ करके खड़ा होना पड़ा.

दो मिनट बाद मुझे अहसास हुआ कि मेरी पीठ की रीढ़ की हड्डी में उंगली चल रही है.

एक झुरझुरी सी मेरे जिस्म में होने लगी. दो-तीन बार उसने मेरी पीठ में इसी तरह उंगली चलायी.

फिर पूछा कि कैसा महसूस हो रहा है.
मैं कहा- एक सिरहन सी पूरी जिस्म में फैल गयी है.
डॉक्टर- ठीक है. जाओ वहां लेट जाओ.

मैं सामने पड़ी एक टेबल पर लेट गई.

वो मेरे मम्मों के बीच से लेकर नाभि तक उंगली चलाने लगा. मुझे एक बार उसी तरह सा महसूस हुआ.

इस बार उसने मेरे मम्मों पर अपने हाथ चलाना शुरू किया और साथ ही मेरी सहेली (मेरी चूत) पर भी अपनी उंगलियां चला रहा था.

मेरी आंखें बन्द हो गईं, मेरी सांसें बहुत तेज-तेज चल रही थीं. मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.

‘ठीक है, एक लॉस्ट टेस्ट और है. तुम अपने घुटने और हाथ के बल पर खड़ी हो जाओ.’

मैंने ऐसा ही किया. पता नहीं क्यों … मगर अब मुझे कुछ अच्छा सा लगने लगा था, इसलिए मैं विरोध नहीं कर सकी.

उसने एक बार फिर मेरे मम्मों को दबाना शुरू किया और साथ ही मेरे पिछवाड़े में अपनी उंगलियां चलाने लगा. मुझे ऐसा लगने लगा कि मेरी चूत में हजारों चींटियां रेंग रही हैं.

कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने मुझसे मेरे कपड़े पहनने को कहा.
मेरी तरफ देखते हुए डॉक्टर बोला कि तुम्हें 10-12 दिनों तक रोज आना पड़ेगा ताकि तुम्हारे मम्मे तुम्हारे चाहत के शेप ले सकें.

ये सुनकर मैंने हामी भर दी और डॉक्टर के क्लीनिक से बाहर निकल आई.

देसी कॉलेज गर्ल सेक्स स्टोरी में इसके आगे मैं बताऊंगी कि कैसे मेरी चूचियों ने मस्त आकर लिया और इसके लिए मुझे डॉक्टर के लंड से चुदना क्यों पड़ा.

मेरी सेक्स कहानी के लिए आपके मेल आमंत्रित हैं.
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देसी कॉलेज गर्ल सेक्स स्टोरी जारी है.

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