सेक्सी टीचर की स्टोरी कैसे वो मेरी दिलरुबा बन गई-2
अब तक आपने इस सेक्सी स्टोरी में पढ़ा कि मेरी टीचर शिखा मेरे साथ मुहब्बत करने लगी थी और अब वो मेरे सामने ब्रा-पेंटी में खड़ी होकर मुझे बर्थडे का गिफ्ट देने जा रही थी।
अब आगे..
मैंने उठ कर उसे चादर से कवर करके कहा- यह क्या कर रही हो?
तो उसने चादर फेंक दी और कहा- मैं आज तुम्हें खुद को सौंप रही हूँ।
मैंने उसे समझाने की कोशिश की, पर वो मेरी सुनने को तैयार नहीं थी। वो मुझे ज़बरदस्ती किस करने लगी, मैं भी उसे चूमने लगा। मैंने उसे बांहों में उठा कर बेड पर लेटा दिया। मैं उसे चूमते हुए उसके ऊपर आ गया और उसे स्मूच करने लगा। स्मूच के बाद मैंने उसकी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया.. उसके कान के निचले हिस्से को मुँह में लेकर चूसने लगा।
वो मदहोश होने लगी और कामुकता से सिसकारने लगी।
मैंने उसकी ब्रा को खोल कर उसके मम्मों को आज़ाद कर दिया। मैं उसके एकदम ठोस संतरे जैसे मम्मों को देख कर पागल होकर उन्हें चूसने लगा।
वाकयी एकदम गोरी चुची पर लाइट ब्राउन निप्पल बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे। मैं उसकी चुची को चूसते हुए निप्पलों को हल्के-हल्के से काटने लगा। मैंने देर तक उसकी चुची चूसी।
उसने कहा- यार, दर्द सा हो रहा है।
मैंने उसकी चुची छोड़ कर उसके पेट पर चूमते हुए उसकी पेंटी की तरफ आ गया।
उसने अपनी टाँगें भींच रखी थीं.. मैंने ज़ोर लगा कर उन्हें खोला और पेंटी के ऊपर से ही उसकी चुत को चूम लिया, वो उत्तेजना से ज़ोर से चीख पड़ी।
मैंने उसकी जाँघों को चूमा और उसकी पेंटी उतार दी। उसकी चुत एकदम गुलाबी चिकनी थी, चुत की दरार हल्के ब्राउन रंग की थी, चुत पर बाल बिल्कुल नहीं थे।
उसने मुझे बताया कि स्पेशली उसने आज ही झांटों को साफ किया है।
यह बात सुनकर मैं उसकी चुत पर टूट पड़ा, मैंने अपनी जीभ से उसकी चुत को चोद-चोद कर उसका बुरा हाल कर दिया।
वो बस, ‘अया.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ससस्स..’ जैसी आवाज़ें निकाल रही थी।
कुछ मिनट चुत चुसवाने के बाद उसने अपनी टाँगों में मेरा सर दबा लिया और मुझसे कहने लगी- विकी, मुझे कुछ हो रहा है.. अह.. मुझे ऐसे लग रहा है कि मैं पिघल रही हूँ.. ज़ोर से काटो, चबाओ.. इसस्स.. कुछ करो विकी.. वरना मैं मर जाऊँगी।
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मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है, मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी चूचियाँ पकड़ कर उसकी चुत को ज़ोर-ज़ोर से चाटने और काटने लगा।
तभी वो चिल्लाई- अयाह.. हट जाओ, मुझे सूसू आ रही है।
यह कहकर उठने लगी, पर मैंने उसे उठने नहीं दिया.. और वो ‘अह विकी.. मुझे सुसू.. आअहह..’ कहते हुई झड़ गई।
इसके बाद मैंने चुदाई की स्थिति में आकर थोड़ा ज़ोर लगाया तो मेरा लंड फिसल गया। दो बार ऐसा होने पर मैंने उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखी और उस पर थोड़ा झुक गया।
मैंने उससे कहा कि वो मेरे लंड को अपनी फुद्दी पर पकड़ कर रखे, उसने वैसा ही किया।
मैंने जैसे ही ज़ोर का शॉट मारा तो मेरे लंड का टोपे का आधा हिस्सा उसकी चुत में फँस गया। वो दर्द से चीखने लगी। मैंने एक और धक्का मार कर अपना टोपा उसकी चुत में फंसा दिया।
अब वो बुरी तरह से चीखने लगी और लंड को छोड़ कर मुझे खुद पर से हटाने लगी। पर मैंने उसके कंधों को पकड़ कर दोबारा धक्का मारा और मेरा लंड 2 इंच तक अन्दर चला गया।
उसने फिर से एक ज़ोर से चीख मारी। क्योंकि लंड को उसकी फुद्दी ने जकड़ रखा था, इसलिए मैं उसकी टाँगें छोड़ कर उसके ऊपर लेट कर उसकी चुची चूसने लगा।
वो रोने लगी और मैंने उससे कहा- अभी थोड़ी देर में दर्द ठीक हो जाएगा।
मैं उसकी चूचियां चूसता रहा। थोड़ी देर बाद वो जब नॉर्मल हुई तो मैंने दोबारा हल्के-हल्के लंड अन्दर घुसेड़ना शुरू किया। मेरी इस कोशिश में उसे दर्द तो अब भी हो रहा था.. मगर इतना नहीं।
तभी मैंने थोड़ा ज़ोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल पड़ी- बस करो जान, मुझे अब दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- बस जान थोड़ा और बाकी है बाहर, अब ज़ोर से धक्का नहीं मारूँगा।
मैंने उससे झूठ कहा था, सच तो यह था कि पहले 2 इंच तो ज़ोर से ठोक दिया था.. मगर अगले 2 इंच घुसेड़ने में मुझे बड़ी मेहनत करनी पड़ी।
अब तक कई मिनट लग गए थे और अभी भी 2 इंच लंड उसकी चुत से बाहर ही था। मेरा लंड उस वक्त 6 इंच का होगा मगर मोटा बहुत था.. तकरीबन 2.5 इंच मोटा था।
तभी मुझे एक आइडिया आया और मैंने अपनी कमर को गोलाई में घुमाना शुरू कर दिया। इससे मेरे लंड के लिए उसकी फुद्दी को खुलने में मदद मिल रही थी और उसे भी मजा आ रहा था।
फिर मैंने उसके होंठों को चूमा और उसके कुछ देर बाद मुझे अपने लंड पर गर्म-गर्म सा एहसास हुआ। मैंने देखा तो वो काँप रही थी और झड़ रही थी।
बस मेरी लंड को तरावट मिल गई और मैंने ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए।
इधर शिखा भी थोड़ी बेसुध सी हो गई थी, मैंने पूरा लंड उसकी फुद्दी में ठोकने के बाद उसे हिलाया- शिखा तुम ठीक तो हो ना?
‘हाँ.. जान.. बस दर्द के साथ अब जलन भी हो रही है..!’ शिखा ने कहा।
मैंने फिर वैसे ही रुक कर उसके होंठों, चुची और कंधों को चूम-चूम कर उसे दोबारा गरम किया और जब वो अपनी कमर हिलाने लगी तो मैंने भी उसे पागलों की तरह चोदना शुरू कर दिया।
‘अह.. बस.. नहीं.. अह विकी बस.. मेरी जान..’ शिखा पता नहीं क्या-क्या बड़बड़ाए जा रही थी.. पर मैं उसे पागलों की तरह चोद रहा था।
तकरीबन दस मिनट चोदने के बाद मुझे लगने लगा कि मैं झड़ जाऊँगा। तभी मुझे अपने लंड पर दोबारा वही गर्म गर्म पानी का अहसास हुआ, अबकी बार शिखा बहुत ज़्यादा माल झाड़ रही थी और अपनी फुद्दी को अन्दर से सिकोड़ भी रही थी।
उसकी इस हरकत से मेरे लंड में और तनाव आ गया और मैंने भी उसके अन्दर ही अपने पानी को छोड़ दिया। उसे जब मेरे झड़ने का अहसास हुआ तो वो मुझसे लिपट गई और हम दोनों ही नींद के आगोश में चले गए।
जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा वो बिल्कुल मेरे सीने से लग कर सिमट कर सो रही थी। मेरा लंड उसकी फुद्दी के मुँह के पास था। मैं उसे देखता रहा, जब तक वो उठ नहीं गई।
उसने उठ कर मुझे किस किया.. फिर जब वो बाथरूम जाने के लिए उठने लगी तो उससे उठा नहीं गया। मैंने उसे सहारा देकर उठाया और जब उसने चादर की तरफ देखा तो वो घबरा के मेरी तरफ देखने लगी।
क्रीम कलर की चादर पर उसकी चुत का खून लगा था। चादर पर उस जगह बहुत बड़ा खून का धब्बा लगा था.. जहाँ उसकी कमर थी।
मैं उसे बाथरूम लेकर गया और उसको कमोड पर बिठा कर उसकी टाँगें खोल कर गीले तौलिए से उसकी चुत को साफ करने लगा।
उसने जब अपनी चुत देखी तो वो मेरी तरफ देख कर कहने लगी- कैसा लगा तोहफा?
मैंने उसके माथे को चूमा और अपने हाथों से उसकी चुत साफ की।
फिर उसने उसी तौलिए से मेरा लंड साफ किया.. जिस पर उसकी फुद्दी का खून लगा हुआ था और सूख चुका था।
फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को नहलाया। नहाते वक्त मेरा लंड फिर खड़ा हो चुका था.. उसने नोटिस किया और घबरा कर मेरी तरफ पीठ कर ली।
मैंने उसे दोबारा सेक्स करने के लिए पूछा तो उसने सिर्फ़ इतना कहा कि वो फिर घर नहीं जा पाएगी।
उसने मना नहीं किया था, पर मैंने भी उससे ज़िद नहीं की।
फिर बाहर आकर हम दोनों तैयार होने लगे और उसने चादर उठाई और साफ़ करने लगी।
‘रहने दो.. मैं आकर इसे साफ़ कर लूँगा।’ मैंने उससे कहा।
उसने कहा- नहीं यह मेरे प्यार की अमानत है, मैं हमेशा इसे अपने पास ऐसे ही रखूँगी।
मैंने कहा- पर तुम घर कैसे लेके जाओगी? तुम इसे यहीं रहने दो, मैं इसे कभी साफ़ नहीं करूँगा।
मेरी यह बात सुन कर शिखा ने मेरे गले लग कर मुझे किस किया। फिर मैं उसे लेकर बाहर निकला और एक रेस्टोरेंट में ले जाकर खाना खाया।
उसने खाते वक्त कहा- मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
उसके चलने से भी साफ़ दिख रहा था कि उसे दर्द है। उसकी चाल बिगड़ गई थी, वो टाँगें फैला कर चल रही थी।
मैंने उसे डॉक्टर से दवाई लाकर दी और उससे कहा- तुम घर में यही कहना कि तुम सीढ़ियों से गिर गई थीं.. इसलिए ऐसे चल रही हो।
वो मान गई और उसके बाद मैंने उसे उसके घर के पास छोड़ा और वापिस घर आ गया।
घर आकर मैंने उसे फोन किया तो उसने कहा कि घर पर सिर्फ़ उसकी छोटी बहन ही थी और उसने कुछ नहीं पूछा।
फिर मैंने उसे रेस्ट करने को कहा और फोन काट दिया। अगले दो दिन वो बीमार रही और कॉलेज नहीं आई। मैं लगातार उससे फोन पर बात करता रहता था।
फिर जब वो ठीक हो गई तो अक्सर वो घर आ जाती.. लेकिन घर पर हम सिर्फ़ चुदाई नहीं करते थे। उसके प्यार में मैं बदल सा गया था।
ऐसा नहीं था कि उससे पहले मैंने किसी को चोदा नहीं था। मेरी पहली गर्लफ्रेंड्स के साथ मैं सिर्फ़ सेक्स करना चाहता था.. मगर शिखा के प्यार ने, उसकी मासूम हरकतों ने मुझे सेक्स के अलावा प्यार करना भी सिखा दिया था।
तो दोस्तो, यह थी मेरी सेक्सी स्टोरी, जो मेरे दिल के बहुत ही करीब है। आपको मेरी सेक्सी स्टोरी पसंद आई या नहीं, मुझे मेल ज़रूर कीजिएगा।
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