शालिनी ने जो चाहा वो पाया-2
नहाते समय उसने जो कुछ देखा, महसूस किया और उसके बाद खुले आसमान के नीचे गंदी सी पड़ी बालकनी के खुरदरे फर्श पर किये हस्त-मैथुन ने उसे असीम आनन्द प्रदान किया था।
दोपहर के खाने के समय भी वो यही सब सोचती रही, फिर दिन में जब वो सोने गई, तो फिर उसे वही काला, मजदूर और उससे भी ज्यादा काला उसका लंड उसके मन मस्तिष्क पर छा गए और उसे सोने नहीं दिया, एक बार फिर से उसका हाथ सरकते हुए अपनी चूत पर चला गया, लेकिन उस बेफकूफ को पता नहीं था कि नारी शरीर में योनि वो स्थान है जिसे छूने से वासना की आग कम नहीं होती बल्कि और ज्यादा भड़कती है।
और वही उसके साथ भी हुआ, एक एक करके फिर सारे कपड़े उतरते गए उतरते गए और वो एक बार फिर से पूर्ण नग्न हो गई और अपने आप को खुद की चूत सहलाने से रोक नहीं पाई, पलंग पर उलट-पलट होने लगी, बुरी तरह से वासना की आग में तड़पने लगी और एक बार फिर हस्त-मैथुन करते हुए, मन ही मन कुछ निश्चय किया।
उसने दोपहर के चाय के समय अपने रसोइये को बुलाया और फरमान किया- बंगले में इन दिनों जितने भी नौकर काम कर रहे हैं, सभी को मेरे सामने हाज़िर करो तुरंत !
रसोइया घबरा गया- क्या बात है मेम साब, सब ठीक तो है, किसी से कोई गुस्ताखी तो नहीं हुई न?
शालिनी बोली- जो कहा है, वो करो ! मुझे भी तो मालूम होना चाहिए कि घर में कौन कौन है और कैसे कैसे है।
“जी मेम साब !” बोल कर रसोइया चला गया और थोड़ी देर में ही घर के तीन नौकर वहाँ हाज़िर थे, पर उनमें वो उत्तेजक काला पुरुष नहीं था।
वो बोली- कौन नहीं आया?
रसोइया बोला- मेम साब सब आ गये हैं, यह दीनू है घर के अंदर की साफ़ सफाई करता है, यह रामू है माली का काम देखता है और ड्राईवर शंकर है जिसे आप जानती हैं, वो बड़े साब को लेकर बाहर गया है।
उसने कहा- तो कल पीछे के पेड़ और डालियाँ कौन काट रहा था, वो कहाँ गया, वो कौन है?
माली बोला- मैडम जी वो राजेश है, मेरा भांजा है, कुछ दिनों के लिए यहाँ आया है, दिन भर कमरे में फालतू बैठा रहता था, इसलिए उसे काम पर लगा दिया, वैसे भी उसे कसरत करने का शौक है, मैडम जी उसने कोई गुस्ताखी तो नहीं की ना आपके साथ? उसे ड्राइविंग बहुत अच्छी आती है, आप लोग आ रहे थे तो इसे काम में सहायता के लिए बुला लिया और साब की मेहरबानी होगी तो इसे कोई काम दिलाने को उनसे बोलूँगा।
शालिनी बोली- उसे बुलाओ !
“जो हुकुम मैडम जी !” कहते हुए माली गया और कुछ ही देर में वो काला शख्स जिसने उसके होश उड़ा दिए थे वो हाज़िर था, वो कसरती बदन वाला बन्दा इस समय सकपकाया सा आकर उसके सामने खड़ा हो गया।
उसने उसे ऊपर से नीचे तक तेज़ और तीखी नजर से बहुत गौर से देखा, और फिर उसकी धड़कने तेज़ हो गई, लेकिन अपने आप पर काबू पाते हुए उसने कहा- ओके ! जब तक मैं यहाँ हूँ, यह मेरे काम करेगा, वैसे भी पापा का ड्राईवर उनके साथ ही बिजी रहता है। अब तुम लोग जाओ, मैं इससे कुछ बात करती हूँ।
माली अपने भांजे को समझाते हुए बोला- देख राजू, जो जो मैडम जी कहें, वो सब बात अच्छे से सुनना और और इनका हुकुम बजाना ! समझा, कोई शिकायत का मौका मत देना !
शालिनी यह सब सुन कर मन ही मन मुस्कुराने लगी।
फिर वो सब लोग चले गए, और वो अकेला ही वहाँ रह गया।
सबके जाने के बाद शालिनी अपने बदन से लापरवाह होकर पास ही पड़े सोफे पर पसर कर बैठ गई। उसने इस समय छोटी और कसी केपरी पहन रखी थी और एक बिना बाहों वाला टॉप पहन रखा था, बाल खुले हुए थे, कपड़ों से बाहर निकलती उसकी गोरी गोरी बाहें और पिंडलियाँ बहुत सेक्सी लग रही थी और ऊपर से उसके बैठने का सेक्सी अंदाज़ अब उस काले नौकर राजेश को भी बेचैन करने लगा था।
यह बात शालिनी ने भी भांप ली थी, उसे और उकसाते हुए उसने अपने पैरों को एक दूसरे से रगड़ते हुए कहा- कल तुम पीछे क्या खट-खट कर रहे थे?
वो घबराते हुए बोला- मैडम जी, उधर बहुत पेड़ बढ़ गए थे और फ़ैल रहे थे इसलिए उनकी छंटाई कर रहा था।
शालिनी बोली- तो पूरी तरह से क्यों नहीं किये? वहाँ तो अभी भी काफी डालियाँ बेतरतीब बढ़ रही हैं?
वो तुरंत बोला- आप बताइये मैडम, कल सुबह वो भी कर दूँगा।
वो बोली- ओके, आओ मेरे साथ !
और अपनी लो वेस्ट केपरी को सोफे पर तेज़ दबाते हुए जानबूझ कर इस तरह से उठी कि वो उसकी कमर से काफी नीचे तक खिसक गई और उसके कूल्हों की गोलाइयाँ और उनकी गहरी विभाजन रेखा थोड़ी बहुत दिखाई देने लगी और वो उसके आगे कूल्हे मटकाते हुए चलने लगी, अब वो और ज्यादा उत्तेजक दिख रही थी।
अब शालिनी का चेहरा तो आगे था, राजेश की निगाहें उसके चूतड़ों पर ज़म कर रह गई और यही वो चाहती भी थी।
बंगले के पिछवाड़े पहुँच कर उसे अपने बाथरूम की खिड़की के बाहर का हिस्सा दिखाया, जहा शाखाओं और पत्तों का बहुत झुरमुट हो रहा था।
उसने कहा- मेडम मुझे इसके लिए वहाँ चढ़ कर ही काटना पडेगा, कल कर दूँगा।
इसके बाद वो चला गया और शालिनी अगली सुबह की योजना बनाने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
वो एक बहुत ऊँचे रसूख वाली और रईस लड़की थी, उस नौकर के साथ में वो खुद पहल करना नहीं चाहती थी, इसलिए उसने यह खेल रचा था।
अगले दिन वो बाथरूम में गई और उस जगह को खाली किया जहाँ से उस खिड़की से साफ़ दिखाई देता था, क्योंकि आज वो उसी जगह पर नहाने वाली थी, और साइड की खाली जगह पर अपने मेकअप किट से एक छोटा सा शीशा ऐसे कोण से रखा कि वो खुद खिड़की का नज़ारा देख सकती थी और बाथरूम की सभी तेज़ लाइट्स उसने ऑन कर दी।
देहरादून में उस समय बारिश का मौसम था घने काले बादल की वजह से दिन में भी काफी अन्धेरा हो जाता था, ऊपर से शाखाओं और पत्तों का झुरमुट की वजह से वो नौकर वहाँ आसानी से उसे छिप कर पूरे इत्मिनान से देख सकता था।
अब वो अपने नहाने की पूरी तैयारी करके पूरी बत्तियाँ बन्द करके बैठ गई, बाथरूम में अँधेरा होते ही उसे खिड़की के बाहर दिखाई देने लगा था, उसकी धड़कने तेज़ हो रही थी, एक बार को तो उसे लगा कि क्या वो सही कर रही है? उसे थोड़ी शर्म भी आ रही थी, पर दोस्तो, इतिहास गवाह के दो विपरीत चीज़ों में जबरदस्त आकर्षण होता है। पाठको, आपने एक बहुत ही प्रसिद्ध और अपने ज़माने की निहायत ही खूबसूरत और जांबाज़ मुस्लिम शासिका ‘रज़िया सुलतान’ का नाम जरूर सुना होगा जिसे अपने अस्तबल में काम करने वाले काले हब्शी गुलाम से प्यार हो गया था, और जिसे पाने के लिए उसने अपनी हैसियत और सल्तनत की भी परवाह नहीं की, इस पर एक बेहतरीन फिल्म भी बन चुकी है जिसमें ये किरदार क्रमश: हेमा मालिनी और धर्मेन्द्र ने निभाये थे।
चलिए हम तो अभी शालिनी की ही बात करें, वो मन पक्का करके बाथरूम से बाहर निकलने ही वाली थी कि उसे उस खिड़की में कोई आहट सुनाई दी और उसके कदम वहीं रुक गये।
उस पर एक बार फिर से कामवासना का नशा चढ़ने लगा, सारी शराफत, डर और शर्म ना जाने कहाँ चले गए, उसने उस शीशे से उस की स्थिति का जायजा लिया, वो सिर्फ एक बनियान और धोती में बिलकुल बाथरूम की खिड़की के सामने ही था, यानि अब वो जैसे ही बाथरूम की रोशनी चालू करती, उस नौकर को बाथरूम का पूरा नज़ारा साफ़ साफ़ नजर आने वाला था और साथ में ही वो खुद भी !
फिर उसने हिम्मत करके सभी बतीयाँ जला दी, और एकदम बेफिकरी के साथ अपना तौलिया खूँटी पर टांग दिया। उसने इस समय एक नाइटी पहन रखी थी। उसने गीज़र चलू किया और कोई गाना गुनगुनाने लगी। फिर उसने एक सरसरी सी निगाह उस शीशे पर डाली कि लाईट ओन होते ही वो कहीं डर के मारे भाग तो नहीं गया।
पर वो राजेश वहीं मौजूद था, हालांकि बाथरूम की तेज़ लाईट की वजह से अब सिर्फ उसकी एक झलक ही दिखाई दे रही थी, पर पता चल रहा था कि वो अब पत्तों की ओट से उसे ही देख रहा था।
शालिनी एकाएक ही बहुत ज्यादा उत्तेजना महसूस करने लगी, उसने अपनी नाइटी उतार कर एक तरफ रख दिया, अब वो मात्र पेंटी और ब्रा में ही थी। फिर उसने अपने बालों को लपेट कर सिर पर जूड़े की तरह बांध लिया और शावर कैप पहन ली फिर अपनी ब्रा का हुक खोलते हुए उसे अलग किया, वो किसी के देखे जाते हुए अपने आपको निर्वस्त्र करने के अहसास मात्र से बहुत रोमांचित हो रही थी, उसने इसके तुरंत बाद ही अपनी पेंटी भी उतार डाली और अपने आप को पूरी नंगी कर लिया।
फिर उसने एक मादक सी अंगड़ाई ली, उसे खिड़की में कुछ हलचल सी महसूस हुई, वो समझ गई कि उसकी हालत खराब हो चुकी होगी
उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई, उसे और ज्यादा तरसाने के लिए उसने अपने नंगे जिस्म पर एक लोशन लगाना शुरू किया। अभी तक उसकी पीठ खिड़की की तरफ थी, वो उसके भारी नितम्ब देख चुका था, अब वो अचानक घूम गई अब उसके उन्नत वक्ष और योनि उसके सामने थी।
उसे फिर एक सिसकारी की सी आवाज उस तरफ से आई पर वो उसे नज़रंदाज़ करती हुए, अपने उरोजों, बगल, और पेट पर लोशन मलती जा रही थी, अब उसकी शर्म झिझक सब जा चुकी थी और उसे बहुत मज़ा आ रहा था, अब वो अपनी नाभि के आसपास और जांघों को मसलती हुई पूरी टाँगों पर लोशन लगा रही थी।
फिर उसने अपनी चूत को अच्छे से मसला, और पूरे बदन पर लोशन लगने के बाद उसका समूचा नंगा बदन तेज़ रौशनी में बहुत ही चमक रहा था और वो एक नग्न अप्सरा लग रही थी।
फिर उसने शावर का गर्म पानी चेक किया और शावर चला कर अब वो बहुत ही उत्तेजक अदाएँ बना बना कर नहाने लगी, अपने स्तन, कूल्हे और चूत सब रगड़ते हुए !
उधर खिड़की पर उस नौकर का शायद बंटाधार हो गया था क्योंकि वहाँ से डाल टूटने की और पत्तों की तेज़ आवाज आई।
शालिनी ने एकदम से चिल्ला कर पूछा- कौन है?
“कौन है वहाँ?”
और लपक के अपनी नाइटी उठा कर अपना नंगा बदन छिपाने का नाटक किया और बाथरूम से बाहर भागी। उसके जबरदस्त सेक्सी कारनामे का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका था।
अब इसके आगे की घटना आप लोग इस कहानी के अगले भाग में पढ़ पायेंगे,
पाठक और पाठिकाओं से अनुरोध है कि मुझे मेल करके अपनी राय से अवगत कराते रहें।
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