दीदी मेरे साथ घर पर अकेली। 1
हेलो दोस्तो
मेरा नाम सोनू है और ये कहानी मेरी और मेरे दीदी की की है जिसका नाम सुमन है। उसकी उम्र 24 वर्ष है और मैं उससे 2 वर्ष छोट हु मैं उसे सुमन दीदी कह कर बुलाता हु। वह देखने में एकदम गोरी है उसकी लंबाई 5फुट3इंच के आस पास होगी। उसकी चूची और चूत्तर दोनो फुले हुए थे वो घर पर शूट ओर सलवार ( कुर्ता पजामा) पहनती थी उसके कुर्ते का गला बहुत बड़ा रहता था जिसके कारण उसके क्लेवेज हमेसा थोरे से दिखते रहते थे और जब जो ज़ुकती थी तो यारो मैं क्या बताऊँ मेरे सामने तो जन्नत खुल जाते थे।उसके गार भी हिलते रहते थे जब वह चलती थी।
दोस्तो हम मिडल क्लास परिवार से हु दो रूम बरामद किचेन और एक अगन है। बाथरूम नही होने के कारण मा और दीदी आगान में ही नहाती थी और उस वक्त हमे बाहर जाना पड़ता था और दरवाजा अंदर से बंद कर लेती थी। कभी-कभी वह दरवाजा बंद करना भूल भी जाती थी ।मैं आपको बता दु की मेरे घर मे हम दोनों के अलावा माँ और पापा हैं। पापा काम के सिलसिले में बाहर ही रहते थे और भाई घर और बाहर का कम करती थी। 1 दिन की बात है दीदी नाहा रही थी तभी मैं आ गया मुझे नहीं पता था दीदी नाहा रही है और मैं दरवाजा खोल कर अंदर चला गया उस समय दीदी अपना कुर्ता और पजामा उतार चुकी थी और अपने ब्रा को भी पीछे से खुल चुकी थी लेकर अपने चूची से हटाई नहीं थी। उसकी चूची हवा में आजादी से झूल रही थी लेकिन पूरी दिख नहीं रही थी क्योंकि उसके ऊपर अभी भी ब्रा था। उसके चिकन बदन देखकर मेरा तो जी कर रहा था उसे पकड़ कर चूस करो लेकिन क्या करता डर लग रहा था क्योंकि वह मेरी अपनी दीदी थी। दोस्तों यह पहली बार नहीं था कि मैं उसे कपड़ा बदलते हुए देखा था लेकिन इतना ज्यादा नंगा मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था इससे पहले केवल में उनकी नंगी टांगो देना था लेकिन इस बार मैंने उसके पूरे बदन को देख लिया हम दोनों के नजरें मिले की दीदी ने मुस्कुराती दी मैं ने भी मुस्कुरा दिया और सॉरी दीदी बोल कर वहां से चला गया फिर सब कुछ नार्मल चल रही थी। एक दिन मैं सुबह-सुबह बेड पर पेशाब करने गया टॉयलेट रूम का दरवाजा बंद था तब मैं दरवाजा के बाहर दूसरी तरफ पेशाब करने लगा तभी त्योलेट रूम का दरवाजा खोला उसके अंदर दीदी थी। दीदी ने मेरा लैंड देखा और जोर से हंसते हुए वहां से चली गई मैं यह समझ नहीं पा रहा था की दीदी हंसी क्यों फिर दोपहर को मां परोस में गई हुई थी और घर पर मैं और दीदी अकेले थे मैं एक चारपाई पर बैठा हुआ था दीदी आकर मेरे पास बैठ गई और बोली
दीदी: भाई तुम नाराज हो क्या
मैं: हा दीदी
दीदी:पर क्यों
मैं: दीदी आप ने मेरा वो देख लिया
दीदी: वो क्या साफ-साफ बोलो
मैं : लंड और क्या
दीदी: अच्छा तो ये बात है और तुम भी तो मुझे कपड़ा बदलते बहुत बार देखे हो
मैं: तो क्या दीदी तुम ने तो कभी अपना चूत नही दिखाई और नआ ही अपनी चूची
दीदी: तो क्या भाई जितना तुमने देखा है उतना भी किसी नसीब बालो को ही देखने को मिलता ह। वो भी मेरी जैसे लड़की की।
मैं: दीदी एक बात पुछु
दीदी: है भाई एक क्या दो तीन पूछो
मैं: दीदी आपकी साइज क्या है
दीदी: क्यों भाई साइज जानकर क्या करेगा
में: आपके लिए नई बाली ला दूंगा।
दीदी: रहने दो भाई में खुद ही खरीद लुंगी
मैं:;फिर भी दीदी बता दो ना प्लीज।
दीदी: 36/28/32
मैं : वाह दीदी आप तो सुंदरता की दुकान हैं।
वो मेरे पास बैठी थी मैं बात करते करते अपना हाथ उसकी मुलायम जांघो पर रख दिया और पैजामा के ऊपर से ही उसे सहलाने लगा वो कुछ बोल नही रही थी। यह यह तो समझ रहा था कि वह भी वही चाहती है जो मैं चाहता हूं लेकिन मैं पूछने से डर रहा था क्योंकि अगर वह गुस्सा हो जाती तो फिर इतना भी नहीं मिलता जितना अभी मिल रहा था कुछ देर बाद मां आ गई और दीदी भी वहां से चले गए मैं भी बाहर धूमने चला गया अब हम दोनों पहले से ज्यादा खुले खुले रहने लगे मैं जब उसके पास से गुजरता तो उसके बदन को छूते हुए जाता वो कुछ भी नही बोलती वो भी जब जब मौका मिलता अपने चुकी के दर्सन करा दिया करती थी जब वो किसी काम से झुकती थी तो कुछ अजीब तरह से झुकती थी। मैं जानता था वो भी सेक्स के आग में जम रही है लेकिन इस बारे में हमारी कवही कोई बात न हुई। दिन ऐसे ही गुजरते गए। हम दोनो इसके आगे नही बढ़ पाए क्योंकि मा का डर था कि कही माँ को पता न लग जाये।
एक दिन खबर आई कि मेरे नानी की तबीयत बिगड़ गई है जिसके कारण माँ को नानी के यहा जाना पड़ा और हम दोनों घर पर अकेले रह गए। मैं माँ को सुबह सुबह गाड़ी पाकर कर घर आ गया। उस समय दीदी खाना बना रही थी। आप उसके पास गया औरत अपना हाथ उसके चुत्तर पर रख दिया। दीदी कुछ नहीं बोली और अपने काम में लगी है मैं उसके चुत्तर को सहलाने लगा। सहलाते सहलाते अपना हाथ उसके दोनों जंगो के बीच मे ले जाकर आगे की ओर ले गया और उसके चूत तक ले जा कर उसे जोर से रगड़ दिया। वह चिल्ला पारी और कहने लगी भाई मुझे काम करने दो तुम जाओ यहां से और मैं चला गया कुछ देर बाद जब ख़ान बन गया मैं खाना खाने के लिए बैठ गया उसी समय दीदी नहाने के लिए आई। और बोली भाई मुझे नहाना है हंसते हुए मैन कह दिया हा तो नाहा लो न दीदी मैंने कब मना किया है दीदी बोली भाई तुम बहुत बदमाश हो गए हो और कपड़ा पहने हुए ही नाहाने लगई। मैं उसे ही देख रहा था शरीर पर पानी परते ही उसका बदन चमकने लगा उसके काले काले बाल गालों पर चमक रहे थे शरीर से कपड़ा चिपक जाने के कारण उसकी ऊंचाई और गहराई भी स्पष्ट नजर आ रही थी। दीदी को भी पता था मैं उसे देख रहा हूं और वह भी इस बात का मजा ले रही थी। वह जानती थी कि मैं दीदी का दीवाना हूं। मैं सोच रहा था आज अच्छा मौका है। अगर अभी कुछ नही कर पाया तो फिर कभी नही हो पायेगा मुझे यह भी पता था की दीदी का भी मन कर रहा है लेकिन बात शुरू करने से डर रही है और यही हाल मेरा भी था तभी दीदी बोल पर ही भाई क्या सोच रहे हो मैं बोला कुछ नहीं दीदी आरे भाई मैं तुम्हारे बहन हू मुझे बताओ क्यों शरमा रहे हो मैं बोला दीदी मैं बस यह सोच रहा था जिस से भी तुम्हारी शादी होगी वह कितना खुशनसीब होगा दीदी बोली और वो क्या फिर मैं बोला आप इतनी खूबसूरत हो की मैं क्या बताऊँ। दीदी हंसने लगी और बोली नही भाई ऐसी कोई बात नही है देखना मैं तुम्हारी सदी मुझे से भी खूबसूरत लड़की से करवाउंगी। मैन कहा दीदी तुमसे सुंदर , हो ही नही सकता है इसी बीच उसे नाहाया हुआ हो गया कर बोली भाई तुम बाहर जाओ मुझे अपना कपड़ा बदलना है। मैं बोला दीदी बदल लो ना मैं तो तुम्हारा भाई हूं और मैंने तो पहले भी तुम्हें देखा है वह बोले नहीं भाई दो अनजाने में हुआ था लेकिन जानबूझकर नहीं तब मैं दीदी से रिक्वेस्ट करने लगा प्लीज दीदी मुझे देखने दो ना तुम तो जानते हो दीदी कि मैं तुम्हें कितना पसंद करता हूं मैं तो तुम्हारा दीवाना हु। मान गया और मेरे सामने ही कपड़े उतारने लगई। पहले उसने अपना कुर्ता उतारा दीदी ऊपर से केवल अपने ब्रा में थी। और उसके चूची मेरे सामने थे जो ब्रा से बाहर आने के लिए मचल रही थी। फिर वह दूसरी तरफ मुर गई और उसके चिकने पीठ मेरे सामने थे। उसने अपना बरा उतार दिया और दूसरे बरा पहन ली जिससे उसके पूरी चुची तो मुझे नहीं देखे। लेकिन जितना दिखा उतना ही मेरे लिए काफी था इसके बाद वह अपना कुर्ता भी पहन ली और अपना पजामा उतारने लगी और साथ में अपनी चड्डी भी उतार दी कुर्ता होने के कारण उसका चूत तो मुझे नहीं दिखा लेकिन दीदी की नंगी चिकनी टांगे दिख रही थी फिर वह अपना दूसरा चड्डी पहने लगी चड्डी पहनते समय उसका कुलटा थोड़ा सा उठ गया और उसके चूत दिखी जिस पर बहुत सारे बाल थे मैं तभी दीदी से कहा दीदी तुम अपना बाल नहीं बनाते हो तब दीदी ने कहा बनाती हु लेकिन अभी बहुत दिन हो गए हैं और उसने अपना पैजामा भी पहन ली। मुझे लग रहा था कि दीदी थोड़ी थोड़ी गरम हो गई है और हो क्यों ना वह अपने भाई के सामने जो कपड़ा बदल रहे थे। वह रूम में जाकर अपने शरीर पर तेल लगाने लगी। मैंने देखा उस के शरीर पर अजीब से उजले उजले दाग़ थे मानो सरीर में रुई चिपकी हुई तो। मैंने पूछा यह क्या है दीदी तब दीदी ने कहा नाहने के बाद ऐसा हो जाता है और फिर टेम लगाने के बाद यह ठीक हो जाता है मैंने कहा लेकिन दीदी तुम तो तेल केवल ऊपरी भाग में ही लगती हो। और अंदर तो ऐसा ही रह जाता है। दीदी बोली क्या करूँ भाई मैं कर भी क्या सकती हूं। मैं बोलो दीदी मैं तुम्हारा मालिस कर देता हूं। पहले तो वह मना करने लगी लेकिन फिर मान गई और बोले ठीक है भाई तुम मेरा मालिश कर दो मेरे अच्छे भाई मैं बोला दीदी अपना कपड़ा तो उतारो उसने अपना कुर्ता उतार लि और जमीन पर चादर बिछा कर लेट गई मैंने कटोरे में सरसों का तेल लिया और उसे हल्का गर्म कर दिया और दीदी के पास आ गया। उसकी चिकनी पीठ मेरे सामने थी मैं किसी जवान लड़की की नंगी पीठ इतनी करीब से पहली बार देख रहा था मैं तो उसे देखा ही जा रहा था उसके पीठ पर केवल ब्रा का फीता था। मैं कटोरी से तेल को उसके पीठ पर डाल कर उसे पूरे पीठ पर फैला दिया और फिर मालिश करने लगा मालिस करते करते जब मैं ऊपर की ओर गया तो उसका बड़ा मेरे हाथ में फस रही थी मैंने कहा दीदी ब्रा उतार दो प्रॉब्लम कर रही है दीदी बोली भाई तुम ही उतार दो और मैं उसके ब्रा का हुक खोलने लगा वो बहुत ही टाइट थी मैं किसी तरह ब्रा को उतारा। मैंने दीदी से पूछा दीदी ये इतनी टाइट क्यों है दीदी बोली भाई तुम मालिश करो तुम नहीं समझोगे। मैं तो समझ रहा था दीदी गरम हो रही है जिसके कारण उसकी चूची फूल रही है जिससे ब्रा इतनी टाइट हो गई है। फिर मैं उसके पूरे पीठ पर मालिश करने लगा मालिश करते करते अपना हाथ उसकी चूची तक ले कर चला जाता है और उसे दबा देता कुछ रिप्लाई नहीं दे रही थी फिर मैं उसके पजामा को उतार नहीं लगा दीदी बोली अरे भाई पहले किसका नारा तो खोलो फिर मैं अपना हाथ नीचे दाल कर नारा खोल दिया और पजाम को नीचे कर दिया
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