ननद भाभी-2
बीच रात में मैं बाथरूम जाने के लिए उठा। इस कमरे में बाथरूम नहीं था बाकी के दोनों के कमरों में बाथरूम साथ में था। इसलिए जब मैं हॉल में आया तो मेरे होश उड़ गए और मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
मैंने देखा कि डिम्पल भाभी के कमरे के पास झुकी चाबी वाले छेद से अन्दर देख रही थी, एक हाथ से अपनी चूची को मसल रही थी और दूसरा हाथ पजामे में डाल कर चूत को रगड़ रही थी। उसका टीशर्ट गले तक ऊपर उठा हुआ था।
मैंने अपने आप को संभाला और चुपके से डिम्पल के पीछे जा कर खड़ा हो गया। वो भैया-भाभी की चुदाई देखने में इतनी मग्न थी कि उसको पता ही नहीं चला कि कब मैं उसके पीछे आकर खड़ा हो गया। मैंने अपने दोनों हाथ धीरे से डिम्पल की चूचियों के ऊपर रख कर मसलते हुए उसके कान में कहा- ज़रा मुझे भी दिखाओ क्या देख रही हो?
डिम्पल घबरा गई और पीछे देखा। मैंने जल्दी से डिम्पल के मुँह पर हाथ रखा और पीछे ले जाते हुए कहा- क्या देख रही हो?
तो डिम्पल बोली- कुछ नहीं!
मैंने डिम्पल को छोड़ दिया और धीरे से बोला- एक मिनट! मैं भी देख कर आता हूँ!
और उसकी चूची को जोर से रगड़ दिया।
मैंने भैया के कमरे में छेद से देखा तो भैया भाभी की चूत चाट रहे थे और भाभी भैया का लण्ड चूस रही थी।
और जब मैंने डिम्पल को देखा तो वो अपना टीशर्ट ठीक कर रही थी। मैंने डिम्पल के पास में जाकर कहा- छी छी! तुम अपने भैया के, वो भी सगे भैया के कमरे में झांक रही हो? शरम नहीं आती? मैंने तुमको ऐसा नहीं सोचा था।
डिम्पल मेरे सामने सर झुकाए खड़ी थी, वो पूरी मेरी पकड़ में आ चुकी थी।
डिम्पल जैसे ही अपने कमरे में जाने लगी, मैं भी उसके पीछे पीछे हो लिया और जैसे ही वो दरवाजा बंद करने लगी, तभी मैंने रोक लिया और कहा- मैं तुम से बात करना चाहता हूँ।
मैं अन्दर गया और दरवाजा बन्द कर लिया। डिम्पल सर झुकाए खड़ी थी। मैंने उसे पूछा- तुम कितने दिनों से देख रही हो? सच सच बताना।
वो कुछ नहीं बोली। मैंने उसके चेहरे को ऊपर उठा कर पूछा- तुम नहीं बताओगी तो मैं भैया को सब कुछ बता दूँगा।
तो वो बोली- प्लीज़! ऐसा मत करना, मुझे शर्म आ रही है।
मैंने उसको शान्त किया- देखो डिम्पल, इस उम्र में सब जायज़ है। डरो मत, मैं किसी को कुछ नहीं कहूँगा।
और उसका हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर पर बिठाया, कहा- मैं टॉयलेट जाकर आता हूँ, तुम बैठी रहना।
मैं टॉयलेट होकर जल्दी डिम्पल के पास आकर बैठ गया, डिम्पल तब भी सर झुकाए चुपचाप बैठी थी। तभी मैंने डिम्पल के चेहरे को ऊपर उठाया और उसके होंठों के पर ऊँगली से सहलाया, फिर पूछा- बताओ ना, कितने दिनों से देख रही हो?
डिम्पल ने कहा- आज पहली बार ही देखा है भैया, आज के बाद मैं कभी नहीं देखूँगी। प्लीज़ भैया, मुझे माफ़ कर दो आज! ऐसा कभी नहीं करुँगी मैं!
और उठने लगी।
तभी मैंने डिम्पल का हाथ पकड़ कर बिठाया और पूछा- ओ के ,तो कल तुम और भाभी क्या कर रही थी?
तो बोली- कुछ नहीं!
तो मैंने ही बता दिया- कल तुम और भाभी कही एक दूसरे की चूत चाट रही थी।
डिम्पल मेरे मुँह से चूत शब्द सुन कर चौंक गई और बोली- नहीं, मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ।
मैंने कहा- वो तो मुझे मालूम है कि तुम कैसी हो।
मैंने उसको पूरा बताया कि कैसे मैंने भाभी के कमरे में देखा, तो वो कुछ नहीं बोली। तभी मैंने डिम्पल के चेहरे को अपने दोनों हाथ से पकड़ कर उसके होंठों पर चुम्बन किया और जैसे ही मैंने डिम्पल के होंठों से मेरे होंठ छुए, वो छटपटाने लगी और मुझे धक्का देने लगी। मैंने भी जोर से पकड़ कर रखा था और चुम्बन करते करते उसके नीचे वाले होंठ को थोड़ा सा दांतों से काट दिया तो उसने मुझे जोर से धक्का दिया लेकिन मैंने भी उसको कस कर पकड़ रखा था, मैं उससे बोला- क्यों इतने नखरे करती हो? देखो ना मेरा लण्ड को कितना तड़प रहा है!
और मैंने जल्दी से अपनी निक्कर अन्डरवीयर समेत नीचे सरका कर उतार दी और उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रखा और हाथ हटाने नहीं दिया, ऐसे ही पकड़ कर लण्ड को मैंने आगे-पीछे करने लगा। तभी डिम्पल दूसरे हाथ से मेरे हाथ को हटाने लगी। मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और दूसरे हाथ से उसको अपने ऊपर खींचा।
वह मेरे ऊपर गिर गई, मैंने उसको बाहों में ले लिया और उसको अपने नीचे कर लिया, मैं उसके ऊपर आ गया।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसका टीशर्ट को एक ही झटके में निकाल दिया, डिम्पल को ऊपर से नंगी कर दिया और उसकी दोनों चूची को जोर जोर से मसलने लगा।
डिम्पल कहने लगी- नहीं, प्लीज़ ऐसा मत करो भैया! मैं किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगी।
मैंने उसको गले के ऊपर चूमते हुए कहा- एक बार मुझे प्यार करने दो, कल रात से तुम दोनों को एक दूसरे की चूत को चाटते हुए देखा है तो मेरी तो नींद और चैन ही गुल हो गए हैं।
मैं उसकी चूची पकड़ कर जोर जोर से मसलने लगा साथ में उसके गले और कान को चाटने लगा।डिम्पल भी तड़पने लगी और नहीं ऊँ! नहीं ऊह! करने लगी और मैं उसकी दोनों चूचियों को मसलने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसके एक चुचूक को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरी चूची के चुचूक को जोर से मसलने लगा।
करीब दस मिनट के बाद मैं दूसरे चुचूक को चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसका पजामा नीचे करने लगा।
डिम्पल पजामा उतरने नहीं दे रही थी, तभी मैंने उसे नीचे से थोड़ा ऊपर उठाया और एक झटके में उसका पजामा उतार कर फेंक दिया।तब मैंने दोनों हाथ से उसके चेहरे को पकड़ कर उसके होंठों को फिर से चूमा।
डिम्पल को भी मज़ा आने लगा और वो भी अब धीरे धीरे नहीं नहीं आआआ भैया आआअ नो नो भैया आह मेरे साथ ऐसा मत करो कहने लगी और मेरा साथ देने से शर्मा रही थी और थोड़ा थोड़ा साथ भी देने लगी।
मैं डिम्पल के चेहरे, गाल, गर्दन, कान को चाटने लगा और कुछ देर उसको कुत्ते की तरह ऐसे ही चाट चाट कर पूरा गीला कर दिया। जब मैंने उसकी नाभि में जीभ घुमाई तो उसको गुदगुदी होने लगी, वो मछली की तरह तड़पने लगी, मेरे बाल नोचने लगी।
पांच मिनट के बाद में मैंने साफ़ और सीधे सीधे डिम्पल से कहा- अब क्या इरादा है?
वो कुछ बोली नहीं।
मैंने फिर पूछा- बोलो न मेरी रानी!
तो वो बोली- भैया, मुझे छोड़ दो!
मैंने डिम्पल से कहा- क्यों? कल तो तुम भाभी की चूत को बड़ी मस्त हो कर चाट रही थी और अपनी चूत भाभी से चटवा रही थी?आज तुम मेरा लण्ड और
मैं तुम्हारी चूत चाट लेता हूँ।
डिम्पल मुझे घूरते हुए बोली- भैया, आपको शर्म नहीं आती ऐसी बातें करते हुए?
मैंने कहा- प्यार में शर्म क्यों? और तुम भी तो अपनी जवानी को सहन नहीं कर सकती इसलिए तुम भाभी से जवानी लुटवा रही थी। तुम्हें चाहिए एक लण्ड जो चूत को पसंद है। तेरी चूत के लिए मेरा लण्ड ही काफी है। और तुमको भी कोई चोदेगा जरूर! या फिर सारी उम्र ऐसे ही भाभी के साथ मस्ती करोगी? क्यों ना आज ही मैं तेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दूँ? अब इतना नाटक ना करो और मेरे लण्ड से खूब खेलो और चुदवाओ!
मेरी इस गन्दी बात से डिम्पल झटका लगा और अपनी आंखे बंद करती हुए बोली- नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते।
मैंने कहा- देखो डिम्पल!
और मैंने उसकी टांगों को अपने दोनों हाथों से अलग किया और एक हाथ उसकी चूत पर रखा, उसकी चूत गीली थी, मैंने डिम्पल से कहा- डिम्पल, अब तुम्हारी चूत भी मेरा लण्ड लेने को तैयार है, तो तुम्हें क्यों ऐतराज़ है?
और मैंने डिम्पल से कहा- मैं तुम्हारी चूत चाट रहा हूँ, तुम्हें अगर मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसना है तो चूसो!
मैंने उसके बदन पर उल्टा होकर 69 की तरह लेट गया, चूत के दोनों होंटों को ऊँगलियों से अलग किया और जीभ अन्दर डाल कर चूत को चाटने लगा और एक हाथ से उसकी जांघें सहलाने लगा।
डिम्पल सिसकारने लगी और पूरी मस्ती में आने लगी।
मैं भी जोर जोर से चूत चाटते हुए उसकी भगनासा को भी थोड़ा थोड़ा चाटने-काटने लगा।
डिम्पल और जोर से सिसकारी लेने लगी तो मैं उसकी चूत के होंठों को काटने लगा और कहा- मेरा लण्ड चूसना नहीं चाहती तो कोई बात नहीं लेकिन मेरा लण्ड सहला तो सकती हो।
मैं जीभ को पूरा अन्दर डालते हुए और जोर जोर चाटने व काटने लगा तो उसकी चूत से पानी निकलने लगा और डिम्पल भी अपनी चूत को उठा उठा कर मेरे मुँह पर मारने लगी और एक हाथ से मेरे सिर को नीचे दबाया और जोर से चिल्लाई- भैया, प्लीज़ भैया! मुझे छोड़ दो, छोड़ दो!
और झर गई, जोर जोर से हाँफ़ने लगी।
तभी मैंने सोचा कि अब वक्त आ गया है, मैं सीधा हो गया।
इस सारे खेल के बीच डिम्पल ने ना तो मेरे लण्ड को हाथ लगाया और ना ही मुँह में लिया, मैंने भी उसके साथ जबरदस्ती नहीं की क्योंकि मुझे मालूम था कि आज नहीं तो कल जरूर लेगी।
मैंने डिम्पल से कहा- अब क्य करूँ रानी?
तो बोली- कुछ मत करो, मुझे जाने दो!
मैंने कहा- ओ के! पर एक शर्त है!
बोली- क्या?
मैंने कहा- एक बार मुझे चोदने दो!
तो बोली- नहीं, यह नहीं हो सकता!
मैंने लण्ड को कुछ देर हाथ से हिलाया और एक हाथ से उसकी चूची को मसलने लगा और साथ में कहा- मैं तुझे अब चोदने जा रहा हूँ।
और मैंने उसके ऊपर सीधा लेट कर एक हाथ से लण्ड को पकड़ चूत के मुँह पर रखा और दूसरा हाथ को उसके मुँह पर और एक जोर से झटका मारा। लेकिन लण्ड फिसल कर उसकी चूत से बाहर हो गया। मैं फिर एक हाथ से उसके चेहरे को पकड़ कर उसे चूमने लगा और एक हाथ से लण्ड को पकड़ कर उसकी चूत पर रखा और धक्का मारा तो लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ चला गया।
डिम्पल मेरे पीठ पर मुक्के मारने लगी।
मैंने लण्ड को कुछ देर उसकी चूत में ही रखा और उसकी दोनों चूचियों को मसलने लगा। कुछ देर बाद मैंने लण्ड को बाहर निकाला और उसका मुँह पर एक हाथ रख कर दूसरे हाथ से लण्ड पकड़ कर उसकी चूत में डाल कर जोर से धक्का मारा तो मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर चला गया और डिम्पल बेहाल होने लगी।
मैंने लण्ड को पूरा अन्दर डाल कर कुछ देर ऐसा ही रखा, हाथ को उसके मुँह पर ही रख उसकी एक चूची को चूसने लगा। करीब दस मिनट चूची को चूसने के बाद डिम्पल ठंडी पड़ी और मैंने लण्ड को धीरे धीरे बाहर निकाला और फिर से धीरे धीरे अन्दर डाला और ऐसे ही मैं उसको चोदने लगा और डिम्पल मेरा हर धक्के पर आआ ऊऊऊ ईईई करने लगी। मैं भी चूची को बदल बदल कर चूस कर उसको धीरे धीरे चोदने लगा।
फ़िर मैंने डिम्पल की आँखों में आँखें डाल कर पूछा- अब कैसा लग रहा है?
तो डिम्पल ने मेरे मुँह पर थप्पड़ मारा और मैंने डिम्पल की चूची को चूसते हुए थोड़ा सा काट दिया और चोदने की स्पीड को धीरे धीरे बढ़ाने लगा और चोदने लगा।
अब डिम्पल भी मेरा साथ देने लगी और उसके मुँह से मीठी मीठी सिसकारी निकलने लगी, मैं समझ गया कि उसको भी मज़ा आने लगा है और मेरी हर धक्के पर मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी।
मैंने उसकी चूची को मुँह से निकाला और उसे कहा- मुझे लगता है तेरी चूत को मेरा लण्ड चाहिए और तुझे भी अच्छा लग रहा है। अब तो तुम मुझसे रोज़ चुदवाओगी!
तो डिम्पल अपनी आँखों को बंद करते हुए कुछ नहीं बोली।
मैं भी डिम्पल को जोर-जोर से चोदने लगा और हर धक्के का जवाब मुझे आ आ ऊ ऊह प्लीज़ भैया धीरे! भैया धीरे! में मिलने लगा।मैंने डिम्पल से पूछा- अब तो बता दो तुम और भाभी कितने दिनों से करती हो?
डिम्पल ने कुछ नहीं कहा और मैं उसकी चूची को चूसते हुए चोदने लगा। करीब पांच मिनट के बाद डिम्पल मेरे पीठ पर नाखून गड़ाने लगी और अपने कूल्हे हिलाने लगी और जोर से सिसकारते हुए निढाल हो गई।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- होना क्या था? तुमने मेरी जान निकाल दी! मैं थक चुकी हूँ, मुझे छोड़ दो!
मैंने कहा- आज की रात तो तुमको छोड़ने वाला नहीं, तुझे चोद-चोद कर तेरी चूत का भोंसड़ा बनाकर ही छोड़ूँगा।
तो डिम्पल बोली- प्लीज़!
मैं उसकी चूत से लण्ड निकाल कर जोर से अन्दर कर फिर से जोर जोर से चोदने लगा और लम्बे-लम्बे धक्के मारते हुए उसकी चूत में झर गया और उसके ऊपर लेट कर उसको चूमने लगा।
कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं उठा और बाथरूम में गया और वापिस आकर डिम्पल को बोला- तुम भी पेशाब कर आओ!
तो डिम्पल शरमाते हुए बोली- हाँ!
मैंने डिम्पल को अपनी बाहों में लिया, उसको उठाया, बाथरूम में ले गया और बोला- जल्दी से कर लो!
तो बोली- भैया आप बाहर जाओ, मैं कर लूँगी!
मैंने कहा- अब क्या शरमाना? अब तो हम दोस्त हैं। मतलब प्रेमी! समझ लो कि हम पति-पत्नी की तरह हैं, जल्दी से फ्रेश हो जाओ।
डिम्पल ने मेरी बात सुनने के बाद उलटी हो कर पेशाब किया और पानी से चूत को धोया और उठ कर जैसे ही घूमी, मैंने फिर से उसको बाहो में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया।
मैंने सोचा कि एक बार और हो जाए।
आगे की कहानी बाद में।
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