जरा ठीक से बैठो-2
प्रेषक : हरेश जोगनी
हम दोनों थक चुके थे उस स्थिति में कोई भी सेक्सी औरत आती तो भी लौड़ा उठ नहीं पाता। हम दो घंटे एक दूसरे की बाहों में हाथ डाल कर मियां-बीवी की तरह सो गए। शाम के सात बजे हम उठे और फिर बाहर घूमने की योजना बनाने लगे।
मैं- राजेश, तुम्हारी एक तमन्ना तो पूरी हुई, दूसरी तमन्ना मेरी है।
राजेश- क्या?
मैं- चलो, किसी रेड लाईट एरिया में जाते हैँ वहां भी चोदेंगे। कभी गए हो?
राजेश- नहीं यार, कभी गया नहीं हूँ। और तुम?
मैं- मैं एक बार गया था, उसको काफी समय बीत चुका है।
राजेश- तो चलो चलते हैं ! आज तो सब काम पूरा करेंगे और सुबह या दोपहर को अलग-अलग हो जायेंगे।
हमने होटल से निकल कर टैक्सी की और चल दिए मुंबई के रेड लाईट एरिया में। वहाँ रात की रंगीनियाँ चलने लगी थी, औरतें भड़काऊ मेकअप में अधनंगे कपड़ों में ग्राहकों को बुला रही थी।
एक आदमी हमारे पास आया और बोला- सलाम साब, बन्दे को सलीम कहते हैं। नए हो क्या?
मैं- नहीं यार, मैं तो इस काम का खेलाडी हूँ। बोलो, क्या है तुम्हारे पास?
सलीम- साब, ऐसी मस्त जगह ले जाता हूँ कि तबीयत खुश हो जाएगी।
मैं- यार, रोने धोने वाली और मुँह फुलाए बैठी कोई रण्डी नहीं चाहिए।
सलीम- मैं जानता हूँ ! मैं तुम्हें ऐसी जगह ले चलता हूँ जहाँ तुम मस्ता जाओगे।
वो हमें एक कोठे पर ले गया। वहाँ दरवाजे पर पर्दा टंगा था। हम पर्दे के पीछे गए और उसने वहाँ बैठी मुँह में पान चबाने वाली औरत को कहा- रेशमाआंटी, ये देखो मस्त ग्राहक ! इनको मस्त लौंडिया दिखाओ।
रेशमा- बैठो रे तुम दोनों ! रात भर रुकना है या एक शॉट मार के जाना है। कितना दोगे?
मैं- एक शॉट ही मारना है।
राजेश- यार एक शॉट मतलब? क्या होता है?
रेशमा- एक बार चोदने का ! पानी निकला यानि बाहर।
राजेश- नहीं यार हरेश, रात भर रुकते हैं। कल दोपहर को निकलेंगे घर के लिए।
मैं- नहीं यार मेरा… ?
रेशमा- क्या रे भड़वे ! तेरा दोस्त बोलता है तो उसकी भी सुन। रुक जा रात भर के लिए। मेरी ये लड़कियाँ तुम्हें खुश कर देंगी। सब ख़ुशी ख़ुशी चुदवाती हैं, कोई नाटक नहीं करेंगी। मुँह में लेगी, गाण्ड मरवाएँगी और मस्त तरीके से चुदवाएँगी रात भर सोएँगी नहीं और तुमको भी नहीं सोने देंगी।
मैं- चलो, अच्छा बुलाओ लड़कियों को।
रेशमा के घण्टी दबाते ही दस लड़कियाँ और औरतें बाहर आई। उसमे एक मस्त गोरी गोरी लड़की करीब तीस की होगी, उसके ऊपर दिल आ गया। साली ने बदन से चिपकी काली पैंट और और वैसे ही तन से चिपकी बिना बाहों वाली गहरे गले की काली टीशर्ट पहनी थी जिसमें से उसकी छाती बाहर आने को तड़प रही थी।
मैंने उसे अपने पास बुलाया और हल्के से उसकी छाती को छू लिया और पूछा- क्या नाम है तुम्हारा?
वो बोली- स्वीटी और तुम्हारा?
मैं- हरेश।
रेशमा- क्या रे? बहुत उछल रहा था न रात भर रुकने के लिए? क्या हुआ, कोई पसंद नहीं आई क्या?
राजेश- जो हरेश ने पसंद की वो मुझे भी पसंद है पर?
स्वीटी- दीदी, तुम्हें एतराज न हो तो दोनों को लूँ क्या?
रेशमा- जा साली राण्ड, तू तो दो क्या तीन-चार भी लौड़े एक साथ लेगी तो भी कम पड़ेंगे। ए लड़को, दोनों के दो-दो हज़ार रुपये निकालो। पूरा मज़ा देगी। चलो लड़कियों, तुम जाओ अपने-अपने कमरे में दूसरे ग्राहक आयेंगे तुम्हारे लिए।
हमने पैसे दे दिए और स्वीटी के पीछे पीछे कमरे में जाने लगे।
स्वीटी- क्या रे हरेश? हरेश ही है न नाम?
मैं- हाँ-हाँ, बोल?
स्वीटी- साले, चूचे दबाने के लिए पूरी रात है, उधर क्यों दबाया?
मैं- देख रहा था कड़क है या दब-दब कर ढीले हो गए?
मैंने उसको गोद में उठा लिया और राजेश ने भी बात बात में उसकी छाती को छू लिया। हम कमरे में पहुँचे, उसने पंखा चालू किया और बैठ गई पलंग पर और उसके अगल-बगल में बैठने कहा। राजेश ने उसकी छाती को छू लिया।
स्वीटी- अरे, डर-डर के क्यों छूता है ? ले ये ले अपने हाथों में मेरे दोनों चूचे। अब तुमने पैसे दिए तो आज की रात ये तुम्हारे हैं।
इतना कहते वो मेरी गोद में बैठ गई। मेरी गोद में उसकी मुलायम गाण्ड आ गई, यह सोच कर मैं पागल सा हो गया और राजेश दोनों हाथों से उसकी गेंदों को सहलाने लगा। स्वीटी ने ओंठ चबा कर ऐसी मस्त अदा दिखाई कि मैं तो फ़िदा हो गया।
स्वीटी- मेरे लौड़ो, आज मस्त चोदो। मुझे बहुत दिन बाद दो ग्राहक एक साथ मिले है मुझे एक साथ चार-चार तक बहुत पसंद हैं।
मैं- स्वीटी, तुम कहाँ से हो? कैसे इस धंधे में आई?
स्वीटी- देख मैं यह बता-बता कर थक गई ! मैं भूलना चाहती हूँ जहाँ से मैं आई हूँ। सिर्फ छः महीने पहले मुझे मेरा मर्द झूट बोलकर छोड़ गया। सुबह जब आँख खुली तो मैं पूरी तरह नंगी थी, रेशमा आंटी ने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए थे जिससे मैं भाग न सकूँ और मुझे साफ साफ शब्दों में कहा कि मेरा मर्द पच्चीस हज़ार रुपये में बेचकर गया है। अब जो भी है यही तेरा घर और सब कुछ। फिर बहुत सोचा कि अब कहाँ जा सकती हूँ, मैं थी तो अनाथ ! एक अकेली औरत को लोग नजरों से चोदते हैं, तो क्यों न मैं सही में मर्दों से चुदवाकर पैसे कमा लूँ ?
मुझे रेशमा आंटी ने एकदम कसे कपड़े लाकर दिए जो समझो न कि मेरे बदन की पूरी नुमाइश करते थे। उस रात मैं डरी थी, वैसे मैंने अपने मर्द से चुदवाया था पर ऐसे रंडीबाजी नहीं की थी। फिर पायल नाम की राण्ड ने मुझे मेरा डर भगाने के लिए अपने पास बिठाया और मुझे एक साथ चार मर्दों से चुदवाने वाली औरत की नंगी फिल्म दिखाई और बोली कि देखा कैसे मज़े लेकर चुदवा रही है? तू भी ऐसे चुदवाना चालू कर दे, थोड़ा अजीब लगेगा पर एक बार पराया मर्द चढ़ गया फिर हिम्मत खुल जायेगी। मैंने रोना धोना बेकार समझा। फिर उस रात रेशमा ने मेरे लिए ग्राहक ढूंढे और उन दोनों के सामने मेरी छाती खोल दी और बोली कि देखो, नया माल है, कैसे कड़क गेंद हैं इसके, ज्यादा दबे नहीं हैं, कल ही आई है नई नई धंधे में।
मैं हाथों से छाती छुपाने लगी तो रेशमा आंटी ने मेरे हाथ झटक कर हटाकर कहा- राण्ड, साली, नखरे मत कर, ये दोनों चोदने वाले हैं। मुझे कहा कि बोल किसके साथ पहले चुदवायेगी? तभी उन दोनों ने एक साथ मुझे चोदने की बात कही और पायल ने आँख मार कर मुझे दोनों को लेने कहा। बस कल का दिन और आज की रात, मैं रंडीबाजी सीख गई। और हरेश, आज मैं ख़ुशी ख़ुशी चुदवाती हूँ। तुमको देखकर उन दो ग्राहकों की याद आ गई।
फिर उसकी बात ख़त्म होने पर मैंने उसको खड़ा किया और उसकी मुलायम गाण्ड पर हाथ फेरा। राजेश तो उसकी छाती पर फ़िदा था वो टीशर्ट निकाले बिना ही उसकी छाती के साथ खेल रहा था।
स्वीटी- उह ! उह उह ! आज रात जम कर चोदो, बहुत दिन हुए दो मर्द एक साथ मिले। भला हो मेरे मर्द का जो मुझे रंडी बनाकर भाग गया। अब मुझे बस पूरी जवानी को बेचकर खाना है। हरेश। तुम्हें गाण्ड प्यारी है तो तुम मेरी पैंट निकालो और राजेश तुम्हें छाती पसंद है तो मेरी टीशर्ट निकालो। आओ, मैं तुम दोनों को नंगा करती हूँ।
उसने हमें नंगा किया पर मैं उसको कपड़ों में ही देखना चाहता था।
स्वीटी- क्या हुआ? मुझे नंगी करो ना !
मैं- नहीं स्वीटी, तुम इन कपड़ों में बड़ी मस्त लग रही हो, आँखों में तुम्हारी जवानी भर लेने दो।
राजेश- हाँ स्वीटी, चोदना तो रात भर चलेगा पर तुम्हारा यह काले कपड़ों में लिपटा गोरा बदन जी भर कर देख लेने दो।
हरेश- स्वीटी, तुम हम दोनों के लौड़े चूसो।
उसने पर्स में से कोंडोम निकले और लौड़ो पर चढ़ाये और बारी बारी मुँह में लेना चालू किया। राजेश जल्दी ही बेकाबू हो गया। उसने स्वीटी को ऊपर से नंगा किया।
बड़ा अजीब नज़ारा था, दो गेंद जो मुश्किल से उस कपड़े से बंधे थे, वो उछल कर राजेश के हाथ में आ गए। फिर मैंने भी उसकी पैंट उतारी और पैंटी भी उतारी। अब उसकी गोल गोल गोरी गाण्ड भी हमारे हाथों में थी। मस्त मुलायम मक्खन जैसी गाण्ड थी, मैंने उसकी गाण्ड को चूमना चालू किया तो स्वीटी बोली- हाय, क्या मस्त लग रहा है ! एक के हाथ में मेरे दोनों लड्डू और दूसरे के हाथ में मेरी मुलायम गाण्ड। मेरे भड़वे मर्द के तक़दीर में नहीं थी ऐसी मस्त बीवी। अब तुम्हारे तक़दीर में है।
राजेश- तुम हरेश का लण्ड घोड़ी बन कर चूसो, मैं पीछे से पहले गाण्ड फिर भोसड़े में चोदूँगा।
स्वीटी- हरेश, तुम पलंग पर खड़े हो जाओ, मैं घोड़ी बनती हूँ। चल रे राजेश, डाल दे मेरी गाण्ड में ! मार ले ! तेरे में जितना दम है, निकाल दे।
जैसे ही राजेश का लौड़ा अपनी गाण्ड में लिया और मेरा लौड़ा मुँह में लिया तो थोड़ी ही देर में जवानी का जादू चालू हो गया, तीनों की सिसकियाँ शुरू हो गई।
स्वीटी- राजेश, भोंसड़ी के ! मार मेरी गाण्ड मार ! एक महीने से किसी ने नहीं मारी ! कोई भड़वा इतने पैसे देने को तैयार नहीं था। अह आआअ आया इ इ इ उह उह उह ।
मैं- ले मेरी स्वीटी राण्ड, मेरे लौड़े को भी चखा अपने मुँह का मज़ा।
स्वीटी- हरेश, सीधे से बात कर ! मैं कोई शौक से राण्ड नहीं बनी।
शेष कहानी अगले भाग में !
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