Tag: वदष
विदुषी की विनिमय-लीला-7 लेखक : लीलाधर संदीप और इनका स्वाद एक जैसा था। सचमुच सारे मर्द एक जैसे होते हैं। इस खयाल पर हँसी आई। मैंने मुँह में जमा …
विदुषी की विनिमय-लीला-5 लेखक : लीलाधर वे हौले-हौले मेरे पैरों को सहला रहे थे। तलवों को, टखनों को, पिंडलियों को… विशेषकर घुटनों के अंदर की संवेदनशील जगह को। धीरे-धीरे …
विदुषी की विनिमय-लीला-4 लेखक : लीलाधर काफी देर हो चुकी थी- “अब चलना चाहिए।” अनय ताज्जुब से बोले,”क्या कह रही हो? अभी तो हमने शाम एंजाय करना शुरू ही …
विदुषी की विनिमय-लीला-3 लेखक : लीलाधर मिलने के प्रश्न पर मैं चाहती थी पहले दोनों दंपति किसी सार्वजनिक जगह में मिलकर फ्री हो लें। अनय को कोई एतराज नहीं …
विदुषी की विनिमय-लीला-2 लेखक : लीलाधर धीरे-धीरे यह बात हमारी रतिक्रिया के प्रसंगों में रिसने लगी। मुझे चूमते हुए कहते, सोचो कि कोई दूसरा चूम रहा है। मेरे स्तनों, …
विदुषी की विनिमय-लीला-1 पाठकों से दो शब्द : यह कहानी अच्छी रुचि के और भाषाई संस्कार से संपन्न पाठकों के लिए है, उनके लिए नहीं जिन्हें गंदे शब्दों और …
विदुषी की विनिमय-लीला-6 लेखक : लीलाधर उन्होंने एक हाथ से मेरे बाएँ पैर को उठाया और उसे घुटने से मोड़ दिया। अंदरूनी जाँघों को सहलाते हुए आकर बीच के …