दोस्ती और प्यार के बीच का अहसास-1
हैलो दोस्तो.. वैसे तो मैं अन्तर्वासना बहुत सालों से पढ़ रहा हूँ.. पर लिखने का यह हसीन मौका मुझे आज ही मिला है। मैं पहली बार लिख रहा हूँ.. आशा करता हूँ कि आप लोग मेरी गलतियों को नज़रअंदाज़ कर देंगे।
मैं अपने साथ हुई सच्ची घटना का जो दोस्ती और प्यार के बीच का अहसास से सम्बंधित घटना है। मैं अपने बारे में बता दूँ। मैं सिर्फ़ 20 साल का हूँ.. दिखने में स्मार्ट बन्दा हूँ और बातें भी बहुत खूबसूरत कर लेता हूँ। इस कहानी को अगर आप दिल से अनुभव करें.. तो आपको भी इसमें आपके प्यार के झलक मिलेगी।
उसका नाम श्री था.. और हम दोनों की एक क्लास में मुलाकात हुई थी।
जैसे कि मेरी आदत है कि मैं लड़कियों से बातें करते समय माहौल इतना अच्छा बना देता हूँ कि वो हंसे बिना नहीं रह पातीं.. और ये ही मेरी सबसे अच्छी खूबी है।
आज मेरी क्लास थी.. पर मैं नहीं गया क्योंकि उसने मुझे 4 बजे मिलने का वादा किया था.. पर किसी कारण मुझे 2 बजे कॉलेज जाना पड़ा।
फिर वहाँ से मैं दोस्तों के साथ एक रेस्टोरेंट में चला गया.. और उसको वहाँ आने को कहा। उसके आने के करीब 30 मिनट पहले मैंने दोस्तों को किसी बहाने से भगा दिया और उसका बेसब्री से इंतज़ार करने लगा।
फिर वो आई.. और हम दोनों बातों में मशगूल हो गए।
तभी उसने कहा- भूख लगी है..
फिर हमने चॉकलेट केक और मीठा दही खाया।
फिर उसने मुझसे बोला- चल यार शॉपिंग के लिए चलते हैं।
मैं तैयार हो गया। फिर हमने बस से जाना था.. तो वहाँ भी बहुत मज़ा आया। बस में भीड़ बहुत थी.. तो उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा.. फिर हटा लिया।
मैंने उससे कहा- अरे पागल वो मेरा हाथ है.. तुमने क्या समझा?
तो मुस्कुरा कर उसने अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख दिया और रगड़ने लगी।
मुझे भी अच्छा लगा तो मैंने भी कुछ नहीं बोला।
फिर जब उसने मेरा हाथ पकड़ा तो उसने मेरे हाथ को अपने पेट के पास कर दिया सच मानो यारों.. क्या मस्त फीलिंग आई.. उसको शब्दों में उतारना बहुत मुश्किल है।
मुझे तो ऐसा लग रहा था मानो अभी उसकी गर्दन को चूम लूँ.. पर ये बस का मामला था.. सो ज्यादा कुछ किया नहीं जा सकता था।
अब मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था। सिर्फ़ उसके बदन का स्पर्श पाके.. उसके जिस्म से निकलने वाली खुशबू ने तो सच में मुझे पागल ही कर डाला था।
वो हल्की-हल्की सी आने वाली खुशबू मुझे तो जैसे पागल ही बना रही थी।
फिर मैंने अपने आप पर काबू किया और फिर हम बस से उतर गए। मेरे लण्ड महाराज ने तो इतने तड़प मचा दी कि मुझे अब दर्द होने लगा था।
फिर मैंने अपने भावनाओं को कंट्रोल किया और उसके साथ शॉपिंग करने चला गया।
इसे बीच मैंने उसके लिए बहुत सारे टॉप पसंद किए.. आते वक़्त ऐसा कुछ नहीं हो पाया क्योंकि वो अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड से बातें करने में लगी हुई थी।
अब मैंने उससे एक पार्क में चलने को कहा.. फिर उसको मैंने अपने से चिपक कर बैठने को बोला। वो भी अन्दर से ये ही चाहती थी.. तो उसने कोई इनकार नहीं किया।
फिर करीबियाँ बढ़ीं.. और मैंने उससे कहा- यार थोड़ा तो रोमाँटिक बनो.. इतना सुंदर नज़ारा है.. थोड़ा तो प्यार करो।
उसने कहा- देख यार तू मेरा सबसे अच्छा दोस्त है तो..
मैंने कहा- दोस्त हूँ.. तभी तो तेरे साथ यहाँ हूँ.. वरना यहाँ थोड़े लाता तुझको..
फिर उसने कहा- मेरा एक ब्वॉय-फ्रेण्ड है..
मैंने कहा- तो मैं कौन सा बोल रहा हूँ कि ब्रेकअप कर ले.. मैं तो बस तुझसे थोड़ा रोमाँटिक होने को कह रहा हूँ।
तो वो कुछ कहने जा ही रही थी कि मैंने उसके होंठों पर उंगली रख दी और कहा- इसके आगे कुछ नहीं बोलना.. बस अब थोड़ा फील कर..
फिर मैंने उसके गालों को हिम्मत कर के चूमा.. उसने भी मेरा साथ दिया और मेरे गालों में किस करने लगी।
वो धीरे-धीरे गाल से होंठों पर गई। फिर उसने कहा- चल कहीं और चलते हैं.. यहाँ उजाला बहुत है..
अब हम दोनों वहाँ से दूसरी जगह चले गए।
फिर मैंने उसको कमर पर हाथ फेरना शुरू किया और जैसे ही गर्दन के पास गया.. तो वो सिसक गई और उसने मेरा गाल पकड़ कर अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए।
सच में वो तो पागलों की तरह चूसे जा रही थी और मैं भी..
फिर मैंने उसकी गर्दन पर किस लिया तो एकदम से उसके जिस्म में रोंगटे खड़े हो गए।
मुझे लगा जैसे उसे ठंड लग रही हो.. और मैंने उसे फिर सीने से लगा लिया।
फिर तो उसने चुम्मियों की झड़ी लगा डाली.. कभी यहाँ.. कभी वहाँ चूमने लगी.. कभी कान के पास आकर हल्के से काट लेती..
सच में इस मज़ा का शब्दों में उल्लेख नहीं किया जा सकता।
फिर मैंने उसे लव बाइट्स.. का सिलसिला देना चाहा.. तो उसने बोला- दे सकता है.. पर यार घर में किसी ने देख लिया.. तो दिक्कत हो जाएगी।
फिर मैंने उसको बोला- चल रहने दे..
यह सब बहुत देर तक चला.. फिर एक आवाज़ सुनाई दी और पार्क बंद होने का समय आ गया।
जाने से पहले मैंने उससे पूछा- तू खुश तो है ना?
तो वो बोली- हाँ.. बहुत ज्यादा..
फिर मैंने बोला- जाने से पहले एक हग भी नहीं देगी?
तो उसने जो मुझे अपने गले से लगाया तो मानो सच में बहुत अच्छा फील हुआ।
फिर हम दोनों हाथों में हाथ डाल के चलने लगे।
वो बोलती- तू मुझे बहुत पसंद है.. क्योंकि तू बहुत अच्छा लड़का है.. कभी किसी का बुरा नहीं चाहता है और तू सच में बहुत अच्छा इंसान है।
मुझे पता नहीं कि उसे क्या हो गया था.. पर वो ये सब दिल से बोल रही थी।
अभी भी कहानी का कुछ अंश बाकी है.. लेकिन कहानी के उस हिस्से में मेरा उसके साथ सेक्स ही हुआ है और ये सब तो आप अन्तर्वासना पर लगभग सभी कहानियों में पढ़ ही लेते हैं।
आप सभी से गुज़ारिश है कि अपनी प्रतिक्रिया मेरी मेल आईडी पर ज़रूर भेजें..
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कहानी का अगला भाग: दोस्ती और प्यार के बीच का अहसास-2
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