चालू छोकरी की चुदाई की दास्तान
मैं श्रेया आहूजा एक बार फिर पेश करती हूँ अपने एक दोस्त की चुदाई की दास्तान, जो कि वैलेंटाइन्स-डे के दिन घटी। एकदम नई उत्तेजक गर्म कहानी।
मैं रवि प्रकाश हूँ, तीस साल का हूँ, मेरी इमेज शहर के छंटे हुए बदमाश के रूप में है। एक लड़की थी अनु, जिसे मैं चोदना चाहता था पर जबरदस्ती नहीं। पर वो मुझे नहीं चाहती थी। वो मोहित को चाहती थी और उससे अक्सर चुदती थी।
इस वैलेंटाइन्स-डे पर अनु का दिल टूट गया था क्यूंकि उसको पता चला था कि जिस मोहित को वो चाहती थी वो उसे नहीं किसी और लड़की रानी को प्यार करता है।
अनु मेरे पास आई, उसने मुझे मोहित को सबक सिखाने को कहा इसके बदले अनु ने मेरे साथ सेक्स करने की हामी भरी। उसके चूचे ऊपर की ओर निकले हुए थे और उसके ये मोटे-मोटे होंठ गुलाबी होंठ।
उसने मुझे एक सस्ते होटल ‘रोज़ी’ में बुलाया। उसका एक रात का किराया तीन सौ रुपये था।
मौका था, दस्तूर भी था, मैंने बोला- चूस-चूस मेरे लंड को आज तू चूस।
वो बड़े मस्त तरीके से चूस रही थी।
अगर आप भी उसके मुँह को देखेंगे तो यही कहेंगे कि उसका मुँह बस मर्दो। के लंड चूसने के लिए बना है। देखने में ऐसा लगता था कि वो शुरु से लंड चूसते हुए बड़ी हुई है।
मैं कभी उसके गालों के अंदर, कभी जीभ के नीचे अपने लंड को घुसाये जा रहा था। उसके गीले मुँह में मेरा लण्ड मस्ती कर रहा था। आज मैंने साली का मुँह चोद दिया था। वही चेहरा जिससे मैं बहुत प्यार करता था, आज उसी चेहरे पर मुठ मारने जा रहा था।
मैंने अपना लंड उसके मुँह से बाहर खींचा और फिर ‘पिच…पिच्च’ करके दस-बारह बार मुठ के झटके उसके चेहरे पर दे मारे। उसके आँख, नाक, मुँह हर जगह मेरा गाढ़ा वीर्य ही वीर्य था।
मैं- अहह अह !
अनु- अह… बस भीग गई मैं तो तेरे माल से… मैं अभी आई मुँह साफ़ करके।
अनु… साली रंडी मुँह साफ़ करने वाशरूम चली गई।
मैं सोफे पर नंगा ही बैठा था और सामने टीवी देख रहा था। मैंने फिर उसके आने के बाद व्हिस्की के दो-दो पैग बनाए।
मैं- ये ले !
अनु- मैं नहीं पीती !
मैं- अरे ले ले, सुरूर आयेगा, फिर और मज़ा भी आएगा।
अनु- क्या ये पीने से मैं मोहित को भूल सकती हूँ?
मैं- हाँ… सब भूल जाएगी…ले उतार ले गले के नीचे।
मैं सोच रहा था इसी तरह दारु पिला कर खूब पेलूँगा। हम दोनों दो-दो पैग दारु के चढ़ा लिए। फिर मैंने उसको पलट दिया और स्कर्ट उठा कर पैंटी नीचे खिसका दी।
उसके साँवले गोल-गोल चूतड़ एकदम दमक रहे थे। जब मैंने उसकी गांड को दो उँगलियों से फैलाई, तब मैंने एक काला सा मल-द्वार देखा और फिर अंदर गुलाबी छिद्र था।
दोस्तो, मल-द्वार सभी लड़कियों का गन्दा होता है। उसी चाटने की कोशिश भी मत करना, न ही उंगली घुसाने की, गन्दी बास भी मारता है।
मैंने उसके गांड में अपना लंड टिकाया और दे धक्का अंदर-बाहर करने लगा।
अनु- अह्ह… धीरे मर जाऊँगी..!
मैं- नहीं मरोगी मेरी जान… बस गांड हिलाते रहो।
मैं भी हैरान था, वो बीस साल की और मैं तीस लेकिन चुदने में उसमे एकदम औरत वाले गुण थे। मैं उसकी गांड मार रहा था और वो सिगरेट सुलगा रही थी।
अनु- फक मी… फक मी..
मैं- ये ले पूरा लंड !
जब मेरा पूरा लण्ड अंदर घुसा तब थोड़ा कसमसाई।
मैं हैरान था इतना बड़ा लंड वो अंदर कैसे खा गई थी ! फिर वो खुद ही घूम गई और चूत फैला कर चोदने को कहा। मैंने उसकी बुर में लंड घुसा दिया और फिर ‘फ़काफ़क’ चुदाई करने लगा।
वो भी अपनी साँवली सुडौल जांघें से मुझसे लपेट चुकी थी। मैं अब उसके मोटे लेकिन नुकीले निप्पल चूस रहा था। उसका रंग सावला था, इसीलिए निप्पल एकदम काले अंगूर जैसे मस्त थे… बोले तो ‘पिच ब्लैक’! मुझे गुलाबी निप्पल पसंद हैं, लेकिन ये काले भी मज़ेदार थे।
अनु- ओइ अम्मा आउच अम्मा अहह…!
मैं- क्यूँ री अम्मा को भी चोद दूँ क्या?
अनु- अहह… साले तू उसे नहीं चोद पायेगा… उसके चूतड़ और मम्मे बहुत मोटे हैं…
मैं- तेरे क्यूँ नहीं है तेरी माँ के जैसे मेरी रंडो? तेरे क्या छोटे हैं !
अनु- अबे भोसड़ी के…तेरे मुँह में आ जाते है ना ! बस बहुत है… अब चूस।
मैं- वाह क्या बात है.. चुदे जा रही है और मस्त बातें भी किए जा रही है।
अनु- वो छोड़…बस चोदते जा… आज मोहित को भुलवा दे मुझे..
मैं- मोहित की तो माँ की चूत.. तेरे को दम से चोद के जाऊँगा, फिर उसकी माँ चोद दूँगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अनु- अहह… दमदार है तू, अहह… छोड़ना नहीं उसे और उस रानी की बच्ची को भी नहीं छोड़ना.. छिनाल को चोद चोद कर उसकी चूत का भोसड़ा बना देना।
मैं- तेरी कसम जानेमन फोड़ डालूंगा दोनों को..!
अनु- अहह.. आज तुझे पूरा मज़ा दूँगी !
मैं- आह… तेरी तो सारी उम्र चोदूंगा मेरी रंडो !
आधा घंटा चोदने के बाद मैं झड़ने वाला था।
अनु- अहह… नहीं.. अच्छा ठीक है मेरे अंदर ही अपना मुठ छोड़ दे !
मैं- अहह.. लेकिन?
अनु- कुछ नहीं होगा, मैं सम्भाल लूँगी। कुछ हुआ तो साला बच्चा गिरवा दूँगी.. पहले भी गिरवा चुकी हूँ.. तू अंदर निकाल मेरी जान !
मुझसे रहा नहीं गया और बस अंदर ही बह गया।
अनु- आह आई लव इट, हॉट स्पर्म ..!
मैं निढाल हो गया और अनु मेरे बगल के बालों से खेल रही थी।
अनु- अह.. बस और नहीं करेगा?
मैं- अहह.. दो बार झड़ा हूँ.. थकान हो गई है।
अनु- कम से कम पांच बार चुदती हूँ मैं.. समझे !
अनु एक बहुत ही मुँह-फट और कामुक लड़की थी। वैसे फिगर अच्छी थी लेकिन सावला रंग होने के कारण लड़के उसे देखते नहीं थे मगर वो बिस्तर में किसी शेरनी से कम नहीं थी। गांड, मुँह और फ़ुद्दी सब चोद चुका था लेकिन उसकी कामुकता शान्त नहीं हुई थी। हर घंटे उठ-उठ कर चोदने को कह रही थी।
अनु- अहह.. मादरचोद खड़ा हुआ या चूस कर खड़ा करूँ?
मैं- रुक जा लंड की मालिश तो कर लूँ
अनु खुद ही मालिश करने लगी और मेरे ऊपर बैठ कर लंड अंदर लेकर उछलने लगी।
अनु- कम ऑन माय मैन.. फक योर लेडी..
इस अनु नाम की लड़की के साथ मैंने भी खूब मस्ती मारी।
अनु- यार आज वैलेंटाइन्स-डे है और हरामज़ादे मोहित ने उस रानी के साथ मनाया होगा।
मैं- बन्दे मैंने तैयार रखे है तू टेंशन न ले। मैं देख लूँगा तू बस चुदाई कर !
रात भर चोदने के बाद सुबह मैं मोहित की तलाश में निकल पड़ा। वो मुझे सरकारी बॉयज कॉलेज के सामने मिला। मैं चार लौडों के साथ कॉलेज पहुंचा और साले के जीन्स के अंदर हाथ डाल उसके टट्टे दबा दिए।
मोहित- आह… आप कौन हैं, और यह क्या बदतमीजी है?
मैं- मादरचोद… मैं तेरा बाप हूँ, आज के बाद रानी से मिला तो तेरी खैर नहीं और चुपचाप अनु के पास लौट जा।
मोहित- अह.. अच्छा आप जो बोलेंगे, मैं करूँगा।
फिर वही हुआ, साली रंडी अनु का बॉयफ्रेंड मोहित बन ही गया और वो रानी को भूल गया।
इस तरह मैंने मोहित और अनु को मिलवा दिया। अनु ने रिलेशनशिप में रहते हुए बहुत बार मुझे अपने को चोदने को बुलाया। काम धन्धे के चक्कर में मैं रांची आ गया और वो बरेली में रह गई।
खैर मैं उसका फ़ोन नंबर न जाने कितनी ही ट्रेनों के बाथरूमों में लिख चुका हूँ। मौका मिले तो आप भी उसे चोदियेगा। अनु एक मस्त माल है।
हैप्पी वैलेंटाइन्स-डे मतलब चोदन-दिन !
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