प्यासी माँ कि सुहागरात – Sex Stories

प्यासी माँ कि सुहागरात – Sex Stories

मेरा नाम सुनन्दा है उमर 46 और मेरा बैटा अरविन्द उमर 19. यह कहानी हम माँ और बैटे कि है.

अब मैं कुछ अपने बारे मैं बताउं. मेरे उमर 46 साल, रन्ग सांवला, 5.7’’ हाइट. थोडे ओवर वैट जैसे 89 kg, पर मैं यह बता दूं कि 89 kg लेकिन मैं मोटी और थुलथुल नहीं हूँ, क्योंकी मेरे बदन का बनावट कुछ एसा हि है कि बावजूद 89kg के पर पूरी शरीर शेप में है. थोडी सी भूरी आखें, लम्बे काले बाल. 40G बूब्स, 34 कमर, 46XXL चूतड, पूरी सहेलियां मुझे कभी कभी बिपाशा बासू या फ़िर सांवला लैटिन पपाया कहतें हैं, क्योंकी मेरे बदन का शटक्चर कुछ लैटिन या ब्राजील औरतों जैसे हि है. पूरी सहेलियां इसीलिए कहतीं हैं कि बहुत मोटी बडी गाण्ड कि बजाये. वो कहतीं हैं कि मेरे शरीर कि हिसाब से पूरी गाण्ड और बूब्स काफ़ी बडी है जो मुझे होट और सेक्सी बना देती है.

कई बार मुझे भि मेरी बडी गाण्ड और बूब मेरे लिये असुविधाजनक लगती है क्योंकी जब मैं कहीं बाहर जाती हूँ तो मेरी उभरती हुई छातियां और मटकती गाण्ड के लिये मुझे बहुत लोग नोटिस करतें हैं और इस लिये मैं बहुत असहज हो जाती हूँ.

अब मैं पु्री कहानी पर आ जाती हूँ, मेरे हसबैन्ड कि जोब कि ट्रान्सफ़र हो जाने से हमें आकर पुने में एक 2bhk फ़्लैट मैं किराए पर रहते थे. मैं, मेरे पति और अरविन्द हम तीनो रहा करतें थे. और यहीं से शुरु हुई मेरी सच्ची कहानी.

मेरी पति मुझसे 8 साल बडे हैं और govt जोब करतें हैं. मैं पुरी तंरह एक हाउसवाइफ़ हूँ, और घर के सारे काम, और अरविन्द कि देखभाल में मेरी दिन गुजर जाया करतीं थी. अरविन्द मेरे बैटा 19 साल का है और वो इन्जीनरीयगं करता है. मेरे पति सुबह 9.30am ओफ़िस्स चले जाया करतें थे और शाम को 8 pm तक वापिस आ जाया करतें. ज्यादातर घर मैं अकेली रहती. उसके बाद अरविन्द कोलेज से आ जाता और तब जाकर मुझे थोडी टाइम पास का मौका मिल जाता था. कभी मेरी सहेली पदमा मेरे घर में आ जाया करतीं थि और हम लोग बैठते और मज़े करतें.

अब मैं अरविन्द के बारे मैं बता दूं, वो 19 साल का और 5.6’’, गोरा, स्मार्ट, समझदार, तगडा गठा बदन, मजबूत और चौडी छाती, मजबूत बांहे, क्योंकी वो जिम जाया करता है, हां थोडा सा नटखट है क्योंकी उसके सारे दोस्त में कुछ अच्छे नहीं है, वो हमेंशा मेरे साथ दोस्ताना रहता है,

अब मैं कुछ बहुत बडी सच्च बात बोलती हूँ, क्योंकी मेरे पति मेरे से 8 साल बडे है और उनकी उमर कुछ 54 साल है और उनकी बडी उमर के कारण मुझे हमेंशा सेक्स में कमी खलती थी. क्योंकी मैं बहुत हि होट और सेक्सी हूँ, मुझे सेक्स बहुत अच्छी लगती है और काफ़ी सालों से मैं सेक्स नहीं कर सकती थी, यह बात मैंने काफ़ी बार मेरी सहेली पदमा को भि बताइ थी और वो भि काफ़ी दुखी थी और कभी कभी पदमा कहती थी कि मैं किसी को पटा के सेक्स करू और अपनी सेक्स लाइफ़ को भरपूर करू. हालांकी मैंने पदमा को नहीं बोला था पर उस दिन से मेरे मन्न में एक बात खटकती रहती थी कि पदमा ने यह बात मुझे क्यों कही ?

फ़िर एक दिन पदमा मेरे घर पर आइ थी और मैंने पुछा कि क्यों उसने मुझे ऎसी बात कहि जो मैं कर हि नहीं पाउंगी, तो वो बोली ‘’देख सुनन्दा, तुम काफ़ी सालों से सेक्स नहीं कर पा रही हो क्योंकी तेरे हसबैन्ड कि उमर काफ़ी बडी और तेरी उमर कुछ एसी है जहां से हि असली सेक्स कि शुरुआत होती है, और तु तो बहुत हि होट है और जिस हिसाब से तेरी जवानी है, तेरी इस जवानी कि जलन को कोइ एक जबर्दस्त मर्द चाहिए जो तुझसे जि भर के सेक्स करे. और वैसे भी क्या फ़र्क पडेगा अगर तु किसी से सेक्स कर भी ले तो. हर दिन हवस कि आग में जल जल के मरने के बजाए अगर तु किसी से चुदवाती तो क्या बुराइ है, कम से कम तेरे होट बदन को ठंडक तो मिल जाएगी.

यह सब बात पदमा से सुनने के बाद मैं तो हिल सि गई और मेरी समझ में यह नहीं आ रहा था कि कैसे और किसके साथ मैं सेक्स करू? और डर तो लगेग हि. अगर मेरे पति और किसी हाल में अरविन्द को पता चला तो मैं उनके सामने मुन्ह दिखाने कि काबिल नहीं रहुगीं. मुझे क्या पता था कि जिस चीज के लिये मैं हमेंशा तडपती रहती हूँ वो बहुत जल्दी मेरी राह पर है.

फ़िर आया वो दिन जो कभी मैं सोच भि नहीं सकती, पदमा कि सलाह और मेरी देह के लिये मैं तडप रही थी. एक दिन अरविन्द के पापा 3 दिन के लिये बिहार चले गए, उस दिन शनीवार था और मैं और मेरा अरविन्द दोनो साथ थे. उस दिन सुबह अरविन्द के दोस्त का कोइ पार्टी है बता के अरविन्द बोला ‘’माँ ? प्लीज मेरे कपडे थोडे प्रेस कर दो क्योंकी मुझे मेरे दोस्त के यहां जाना है, वक़्त कुछ 9.30am का था. फ़िर मैं उसके कपडे प्रेस करने लगी, उस वक़्त मैंने एक सफ़ैद टाइट स्लवार पहन रखी थी, हो सकता है टाइट कपडो में मेरी मस्त जवानी उभर कर दिख रही होगी. हालांकी मुझे हमेंशा टाइट पहनने कि आदत है पर मेरी बडी बू्ब्स और गाण्ड कि वजह से मुझे बहुत अजीब और उत्साह महसूस होता है, मैं कपडे प्रेस कर रही थी और अरविन्द मेरी पास हि था पर किसी काम के बजाए वो वहां से उठ कर चला गया,

मैंने सोचा कि वो अपनी बालकोनी पर गया होगा, क्योंकी वो काफ़ी समय बालकोनी पर बैठना पसंन्द करता है, उसके कुछ दो मिनट के बाद कपडो को प्रेस करना बीच में छोड कर मैं बाथ-रूम जाने लगी, पर जैसे हि मैं गई और बाथ-रूम का दरवाजा लोक्क नहीं था पर बन्द था, मैंने दरवाजे कि कडी बाहर कि तरफ़ पकडी और खोलने से पहले कुछ आवाज सुनाई दी और मैं चोन्क गई, फ़िर मैं दरवाजा बिना खोले आवाज क्या है और किसकी है फ़िर से दोबारा सुनने कि कोशिश करने लगी, इस बार मुझे मालुम पडा कि किसी के बोलने कि आवाज है, आवाज कुछ ‘’उस्स्स्स्स्स्स्स्ह्ह्ह्ह्’’ और ‘’वाओ’’ ऐसा था, मैंने सोचा कौन हो सकता है और घर में हम दोनो कि सिवाए दुसरा कोइ है हि नहीं, फ़िर मैंने हल्का सा दरवाजा खोला और जो देखा मैं हिल गई, ‘’भग्वान” यह क्या अन्दर अरविन्द और वो टोइलेट फ़ैलेश के पास खडा होकर अपने लण्ड को जोर जोर मुट्ठ मार रहा था, मैंने तुरन्त दरवाजा हल्के से बन्द किया और आ गई और जो देखा मुझे यकीन नहीं हो रहा थी, फ़िर मैं आइ और उसके कपडे प्रेस किए और टेबल पर रख दिए और किचन मैं चली गई, उसके लिये नाश्ता बनाने. फ़िर अरविन्द आया और अपने दोस्त कि पार्टी पर चला गया. अब क्या मैंने जो देखा उस पर यकीन हो नहीं रहा था….

फ़िर मैं घर के सारे काम करने लगी, मेरी सहेली पदमा आइ हम लोग ने कुछ बातें करी और वो भि चली गई, फ़िर अरविन्द और उसके 2 दोस्त 09.30pm बजे पर अपने बाइक से आए, उस वक़्त मैं किचन में सब्जीयां काट रही थी, अरविन्द अपने दोस्त को अपने कमरे में ले गया और मेरे पास आया किचन में और बातें करने लग. मैं अब भि वही टाइट स्लवार में हि थी. अब मैं काम कर रही थी और अरविन्द मेरे साथ बात और वो बोला ‘माँ? मेरे दोस्त के लिये कुछ स्नेक्स बनाओ, मैंने कहा ठीक है, तुम लोग अपने कमरे में बैठो और मैं अभी आइ, फ़िर अरविन्द किचन पर हि बैठा रहा और मैं काम करने लगी उस वक्त उसकी बातें और उसकी आंखे कुछ अलग अलग सी लग रही थी, मुझे लग रहा था कि अरविन्द कि आंखे मेरे बदन को देख रहीं थी, फ़िर मैं यह सोच के सर झटक दिया कि अरविन्द मेरा बैटा है, लेकिन एक बात मुझे थोडी सी असुविधाजनक लगने लगी क्योंकी मैं अरविन्द को जो टोइलेट में देख चुकी थी. फ़िर अरविन्द अपने कमरे में चला गया,

मैं पुरे स्नेक्स तयार करके अरविन्द के कमरे में लेकर आइ, और उस के दोस्तो ने “हाय आन्टी” बोला और मैंने उनको हाय बोला, पर फ़िर एक बात मेरे दिमाग में लगी रही क्योंकी अरविन्द मेरा बैटा होने के बावजूद वो मेरे बदन को क्यों देखता है. मुझे बहुत हि खराब लगने लगा,

अब समय कुछ रात को 10pm. अरविन्द और मैंने अपना डिनर किया और मैं अरविन्द का बिस्तर लगने उसके कमरे गई.. कुछ मिनटो में अरविन्द आया और बोल माँ ? पापा कब वापिस आयेन्गे? मैंने.. कहा वो सोमवार सु्बह तक आ जाएगें. वो बोल ठीक है, फ़िर मैं बिस्तर लगा रही थी और अरविन्द मेरे पीछे से मुझे जोर से और टाइट से पकड के कहने लगा ‘’माँ, तुम दुनीया में सबसे अच्छी हो” उसकी पकड कुछ इस तरह थी कि मुझे थोडी सी असुविधाजनक लग रही थी, फ़िर मैंने कहा वो क्यों..? अरविन्द बोल क्योंकी तुम मेरा इतना ख्याल रखती हो.. मैंने कहा.. बैटे जो हो तुम मेरे. फ़िर उसने ‘’Good night’’ माँ बोला और मैं उसके कमरे से आ गई और अपने कमरे में सो गई,

इतवार कि सुबह, मैं 8.30 बजे जगि और अरविन्द सो रहा था. मैं अपने सुबह कि सारे काम करने लगी और 9.30 बजे तक अरविन्द सोया हुआ था, फ़िर मैं कोफ़ी ले कर उसके कमरे में गई और उसे उठाने लगी पर मुझे क्यों ऐसा लगा कि जैसे अरविन्द पूरी रात सोया हि न हो, फ़िर कोफ़ी उसके कमरे रख दि और आ गई.

सुबह को 11बजे जाकर अरविन्द उठा और तब तक मैं अपने काम खत्म कर चुकी थी, और मैं पदमा के साथ फोने पर बातें कर रही थी, फ़िर अरविन्द “Good Morning” माँ,… मैं हम्म! गधे जैसे सोया मत करो सुबह के 11 बजे हैं पता है या नहीं, अरविन्द माँ सोरी..

अब अरविन्द बाथ-रूम में था और मैं किचन में नाशते कि तैयारी में, फ़िर मैं अरविन्द कि कमरे आइ और कोफ़ी कप उठाया और सारे चदर और तकिए बिखरे पडे थे मैं उन्हें उठाने लगी फ़िर जो देखा और पाया उसने मुझे हिला कर रख दिया, मैं तो जैसे रोने लगी…. मेरी धडकने जैसे तेज हो गई, वो यह था कि 3 दिन पहले सुबह मैंने बाथ-रूम जाने से पहले मैं अपने रात से पहनी हुई पैन्टी उतार कर अपने कमरे में रखी और नहाने से पहले उसे साफ़ कर लुन्गी सोच के मैं बालकोनी पर जो मेरी स्लवार धूप में डाली हुई थी उसे लेने गई और नहने चली गई थी और जैसे नहा कर आइ तो मुझे ख्याल आया कि मुझे अपनी पैन्टी धोने के लिये ले लेनी चाहिए थी, फ़िर मैं फ़िर पैन्ती ढून्दने लगी पर वो नहीं मिली थी… और यह वही पैन्टी जो अब मुझे अरविन्द कि बैड शीट के साथ मिली… समझ नहीं आ रहा था कि क्या करू, अपने बैटे को कैसे पूछू कि मेरी पैन्टी उस कमरे में कैसे आई?….

अब दोपहर 2.30 बजे खाने के बाद अरविन्द अपने बाइक ले कर निक्ला और कहीं जाने को निकल पडा, फ़िर अपने हाल में जो कंप्यूटर था, जो मैं इस्तेमाल करतीं हूँ वो खराब था, इसिलिये मैंने अरविन्द को अपना लैपटोप देने को कहा और अपने ईमैल चेक्क करने के लिए, उसने कहा माँ मेरे कमरे है, ले लो और वो चला गया. फ़िर मैं लैपटोप ले के अपने कमरे में आ गई फ़िर स्विच ओन कर के अपनी ईमैल खोली और चेक्क करने लगी. फ़िर मैंने देखा कि डेक्सटोप पर एक फ़ाइल पडा है जो xxxन.कोम करके थी. फ़िर मैंने उत्सुक्ता से उसे क्लिक किया ‘’बस जैसे हि फ़ाइल ओपन हुई पता चला वो एक पोर्न फ़िल्म है, जो incest है,.. हैडिंग उसकी कुछ इस तरह थी‘’ “होट माँ कि चुदाइ बैटे द्वारा’’ ओह भग्वान !! यह क्या.. मैं पुरे पसीना पसीना होने लगी. वो क्लिप कुच्छ 1.30 घन्टे का था.

अब मैंने वो क्लिप आधा देखा और बन्द कर दिया, फ़िर internet explore में हिस्टरी चेक्क कि तो यह सब शनीवार रात को देखी हुई है और उस में ज्यादा तर क्लिप incest हि थी … मैं तो शर्म कि मारे जैसे पानी पानी हो गई, मैं सोच रही थी कि कैसे मेरा हि बैटा incest में भि यकिन करता है और अगर वो ऐसा है तो वो जरूर मेरे बारे में सोचता होगा, क्योंकी मेरी पैन्टी उसके कमरे में मिलना और उसका मेरी तरफ़ देखना … ओह्ह्ह !!, हे भग्वान यह क्या …याने कि मेरी हि बैटा और मुझे………?????. क्या करू ? क्या अरविन्द इतना बिगड गया होगा, मैं सोच भि नहीं सकती.. फ़िर मैंने लैपटोप बन्द किया और वापिस अरविन्द कि कमरे में रख दिया, मैं सोच रही थी कि अपनी सहेली पदमा को इसके बारे में बताऊं, पर कैसे कहुं कि मेरा हि बैटा इस तरंह बन चुका है कि अब मेरे पर भि वो सेक्स फ़िल्म देखने लगा है.

शाम को 5.30 बजे और अरविन्द वापिस आया और बोल माँ मुझे आज घर पर डिनर नहीं करना, क्योंकी मेरे कुछ दोस्तों मिलकर बाहर डिनर करने कि प्लान बनाया है.. और ऐसा कह कर वो फ़्रेश होने के लिये बाथ-रूम में गया …तब मेरे पति के फोन आया और तब पता चला कि वो सोमवार को वापिस नहीं आ पाएन्गें क्योंकी उनका जो काम था उसे कुच्छ 4 से 5 दिन ज्यादा चाहिए …मैंने कहा ठीक है अपने काम खत्म करके आएं.

फ़िर शाम 7.30 बजे अरविन्द बाहर चला गया, और मैं अपने कमरे पर TV देख रही थी और इतने में अरविन्द के कमरे से मोबाइल बजने लगा और मैंने जाकर देखा तो वो अरविन्द का हि था और वो अपना फ़ोन घर पर भूल के गया था …रोहन ने अपने दोस्त के फोने से डायल किया ताकी उसे पता चले कि उसका फोन मिस्स हो गया है या फ़िर वो छोड कर गया है..

मैं तो जैसे यह सब सोच सोच के परेशान हो चुकी थी कि मेरे बैटा ओह्ह्ह्ह् नो …मैं अपने कमरे बैठे बैठे अरविन्द कि फोन चेक्क कर रही थी, उस में मैंने एक फ़ोल्डर पाया, जिस मैं सिर्फ़ फ़ोटो हि थी तो मैं देखने लगी और फ़िर जो देखा वहां से पूरी पूरी समझ में आ गई कि अरविन्द का इरादा मेरे उपर कैसा है. धक्के से जैसे मेरी धडकने अभी बन्द न हो जायें.. सच्च कहुं तो मैं कांपने लगी और समझ नहीं आ रहा था कि जो मैं देख रही हूँ वो सच्च न हो …मेरा बैटा मुझे हि.. भग्वान !!!, उस फ़ोल्डर में कम से कम 20 से 25 मेरे हि फ़ोटो थे, पर वो एसे वैसे फ़ोटो नहीं. यह सारे फ़ोटो’स कब लिए गए मुझे मालुम हि नहीं. ज्यादा तर फ़ोटो’स मेरे बूब्स, चूतडो, पिछले हिस्से से कमर, नहाते हुए, के थे. फ़ोटो’स सारे नन्गे नहीं बल्की जब जब जो मैंने पहन रखी थी उस हिसाब से लि गई थी,. मेरे ख्याल से यह सारी फ़ोटो जब मैं कुछ काम या फ़िर बिजी हूँ हो सकता है कि तब ली गई हो …

फ़िर मैंने कुछ सोचे बिना तुरन्त पदमा को फोन लगाया और अपने घर पर उसी वक़्त आने के लिये कहा, मेरी आवाज सुन कर वो भि चोन्क गई और बोली अरे बाबा पर क्यों ? और क्या हुआ ?.. मैंने कहा पदमा प्लीज तुम कुछ बोलो मत और अभी मेरी घर पर आ जाओ.. जैसे कि पदमा मेरी घर से बस कुछ 500 मीटर कि दूरी पर है इसलिए 10 मिनट के अन्दर वो आइ और मुझे देख के वो भि चोन्क गई, पुरे पसीने में डूबी हुई और कांपते हुई. मैं उसे पूरी कहानी बताने लगी..

और यहां तक कि मैंने उसे मेरी फ़ोटो जो अरविन्द कि मोबाइल में है और पोर्न क्लिप के बारे में भि. सब कुछ सुनने के बाद पदमा चोन्क गई और एक जगह पर चुप कर के बैठ गई.. क्योंकी ऐसा है कि वो भि समझ नहीं पाई कि क्या वो बोले.. फ़िर कुछ गिलास पानी पीकर के वो बोली, तू भी कितनी बडी गधी है कि तुझे यह भि पता नहीं कि तेरी एसि फ़ोटो तेरी बैटे ने कब खींच ली और तुझे पता हि नहीं. उसके बाद पदमा थोडी देर के लिये खामोश रही और बोली हो सकता है कि अरविन्द उतना भि बुरा नहीं और वो इस के बजाए तुम्हें पसंन्द करता हो और यह सब आज कल होता भि है, मैं एसी कयी कहानियां जानती हूँ जहां माँ और बैटे भि सेक्स करतें हैं. पदमा से यह बात सुनकर मैं और घबराने लगी और बोली चुप कर! पदमा यह तुम क्या बोल रही हो, मैं और अरविन्द !!!

फ़िर पदमा बोली.. सुन सुनन्दा, मैं तेरी सबसे अच्छी सहेली हूँ, अगर तु बुरा न मानो तो मैं कुच्छ कहना चाहती हूँ. पहले सब सुन लो फ़िर तेरे उपर निरभर करता है कि तु जो करना सोच समझ के कर. मैंने कहा ठीक है बोल फ़िर.. पदमा बोली.. देख सुनन्दा, आज से 6 या 7 सालों से तु अच्छा सेक्स कर नहीं पा रही हो और तडपती रहती हो. जिस तरह का सेक्स तुझे पसंन्द है कभी तुझे वो तक भि तेरे पति से नहीं मिली है, अगर तु बुरा न माने तो अरविन्द अच्छा चुनाव है तेरे लिये, पदमा बस इतना हि बोली थी के मैं थोडी गुस्सा होकर बोली पदमा यह तु क्या बोल रही है. अपने बैटे से मैं कैसे. चुप कर प्लीज …फ़िर पदमा बोली देख यह सच्चाई है और जो तुए जानती भि है. अरविन्द तुझे कभी माँ जैसे नहीं देख रहा है अगर होता तो तेरे बारे में यह ख्याल नहीं होते उसके.

और पदमा बोली वैसे दुनिय में बहुत माँ और बैटे है जो सेक्स करतें है पर वो सब बाहर किसी को कम मालुम होता है. अरविन्द अभी जवान है और तगडा भि, तु जितना चाहे जी भर के अपनी जलन को ठन्डी कर सकती है और यह भि बिना रिस्क के. अगर तु राजी है तो बोल.. मैं तेरी पुरी पुरी हेल्प करुन्गी, सोच ले और मुझे बता बैसे भि तेरे पति बिहार दुबारा जाने वाले हैं गांव में अपना घर बनवाने के लिये, वो भि पूरे 3 महिनो के लिये, इस दोरान तु काफ़ी कुछ कर सकती है, यह कह कर पदमा चली गई, ओप्स्स् ! , हेय भग्वान यह क्या.. मैं क्या करू? क्या किसी माँ का अपने बदन कि जलन को ठन्डी करने के लिये अपने हि बैटे का भि इस्तेमाल करना सही है, क्या अरविन्द भि यही चाहता है..? सेंकडो सवाल और शायद मेरे पास कोइ जवाब हि नहीं था,,,,

फ़िर उस दिन रात को मैं सो नहीं पाई और पूरे रात भर एक हि सवाल कि जवाब ढून्डती रही, जो मुझे मेरी सहेली पूछ रही थी.. सुबह हुई, पिछली रात को मैंने अरविन्द के साथ ज्यादा बात भि नहीं कि थी तो अरविन्द ने सुबह पूछा,,, माँ क्या तुम ठीक हो? रात को क्या हुआ के आप ने मेरे साथ बात हि नहीं कि. मैं तो जैसे जागी और बोली, नहीं बैटा बस तबियत कुच्छ ठीक नहीं थी….

और उसके बाद अरविन्द कोलेज चला गया … मैं तो बस, एक हि सवाल कि घेरों में.. क्या मुझे अरविन्द से भि चुदवा लेना चाहिए ? क्या अरविन्द को मैं अपने वो सब देखने दूं या दे दूं जो उस्ह्कि पापा को भि… ओफ़्फ़्फ़ मैं भी क्या सोच रही हूँ….????

नाश्ता तक भि कर नहीं पाई मैं.. फ़िर अपने कमरे में बैठे सोचती रही.. हालांकी कभी कभी दिल और दिमाग बहक जाती और सोचती कि काश अरविन्द ह्म्म्म्.. फ़िर शर्म आने लगती और नहीं यह क्या मैं सोचती हूँ, अरविन्द मेरा बैटा है… फ़िर मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों न मैं पहले पूरी तरह जान तो लूं कि अरविन्द क्यों और क्या मेरे बारे में सोचता है, कहां तक उसका ख्याल है …अब मैंने ठान लि कि अरविन्द को परख के रहुगीं…. फ़िर मैं अरविन्द का जैसे इन्तेजार करने लगी, कि कब वो कोलेज से आए.

अब समय कुछ 3.30 बज चुके थे, और अरविन्द आ गया, मैंने पहले से मेरी सबसे पतले कपडे वाली और टाइट स्लवार पहन रखी थी वो कपडा कुछ कोटन और रुबिया टाइप कि थी, जो शरीर को इतना कस के रखे कि मेरी छाती जैसे खुल के दिख रही हो और मैं जान भूज के ब्रा नहीं पहनी ताकी मेरी निप्पल और बूब्स पूरे मस्त दिखे. क्योंकी मुझे अरविन्द को परखना है.. जैसे हि डोर बेल्ल बजि मैंने दरवाजा खोला और अरविन्द बस “शहीद” मेरी बडे बडे मस्त बूब्स के उपर नज़र डाली और फ़िर अपराधी जैसे नीचे सर करके अन्दर अपने कमरे में चला गया.

अब मेरा एक प्लान थोडा सा कामयाब, फ़िर मैं दूसरा सोचने लगी, बात बहुत खराब जरूर लगती थी पर क्या करू, अरविन्द फ़िर अपने कमरे में था और उसकी खिडकी मेरी कमरे के बिलकुल सामने थी, अब मैं अपने कमरे से अरविन्द को देखने लगी और कमरे से बात करने लगी ताकी जवाब देने के चक्कर में उसे अपने खिडकी खोलनी पडे, अब वही हुआ जो मैं चाहती थी, जैसे हि अरविन्द अपने खिडकी खोली तो मैं कुछ एसे ढंग से नाटक किया जैसे मैं अब अपने कपडे खोल रही हूँ और मेरी खिडकी के परदे थोडे बन्द करके जैसे उसे दिखे कि क्या मैं कर रही हूँ, फ़िर मैं खिडकी के पास से थोडी दिखने जैसे अपने हाथ में लेकर पहनी हुई पैन्टी निकाली और दूसरी पहन ली,

फ़िर खिडकी पास के आइ और पैन्टी दिखे जैसे नाटक करके उसे बैड पर रखी और बाहर आ गई और जानभूज के मैं दुबारा कमरे पर आइ और मेरी कमरे में अटैच बाथ-रूम है जहां मैं छुप गई, अब अरविन्द मेरे कमरे में आया और माँ …कहां हो आप करके बोला, फ़िर बैड पर बैठा रहा, और उसके बाद उसने बैड पडी मेरी पैन्टी को हल्के से हाथ लगाया और देखा, फ़िर उसने पैन्टी को हाथ से उठाया और सुन्घने लगा, फ़िर यहां वहां देखा और दुबारा सुन्घने लगा. उसके बाद वो वहां से उठ कर चला गया, यकीन मानो मैं यह सब मेरे बाथ-रूम से हि छुप के देख रही थी …

अब मेरे सारे शक शुबहे दूर हो गए, मुझे यकीन होने लगा कि अरविन्द मुझे चाहता है, अब जैसे कि मैं शर्म से मरने लगी यह सोच के कि पदमा यह सब सुनेगी तो क्या सोचेगी,

अब मैंने डिनर बनाया और हम खाने बैठे, मुझे शर्म सि आ रहा थी और मैं अरविन्द को देख भि नहीं पा रही थी, डिनर खत्म करके मैंने पदमा को फोने किया और कहा कि कल सुबह अरविन्द के कोलेज जाने के बाद तु मेरे घर पर आना, क्योंकी अरविन्द के बारे में हि बात करनी है,

उस रात भि मैं अच्छे से सो नहीं पाई बस अक तो दूर हो गया था, पर अरविन्द अपने माँ को भि चोदना चाहता है, अब मैं उस सवाल में थी …क्या मैं अरविन्द से चुदवा लूं और कैसे? फ़िर मैंने सोचा क्यों न अरविन्द से कैसे भि करके आज रात हि सब बात कर साफ़ कर लुन्गी..

फ़िर मैंने एक नाइटी पहनी और अरविन्द कि कमरे में बहाने से गई और अब भि मैं ब्रा और पैन्टी के बिना गई, अरविन्द बोल माँ पापा कब आयेन्गे ? मैंने कहा अरे पापा नहीं हैं तो तुम्हें मेरे साथ अच्छा नहीं लगता, फ़िर मैं उसके पास बैठे TV देखते हुये उसे बातें करने लगी, फ़िर मैंने अपने बदन को उसके बदन से थोडा टच किया और देखा कि अरविन्द 2 मिनट में असुविधाजनक हो गया और उसकी पहनी हुई ट्रेक सूट से उसका लण्ड जैसे सख्त सा होने लगा, मुझे पूरा मालुम हो रहा था, फ़िर मैंने दुसरा प्लान किया और बोली बैटा जरा रुको मैं अभी आइ, कह कर अपने कमरे में आइ और दुबारा वही टाइट स्लवार पहनी और अरविन्द कि कमरे में गई… वाओओओ ! ह्म्म्म्म्, अब क्या अरविन्द तो बस, हो सकता है अरविन्द के ना चाहते हुए भि उसकी नजरें मेरे मस्त बडे बूब्स पर आ हि जातीं थीं, फ़िर अरविन्द अपसेट हो के शायद उसके कबर्ड के पास गया और कुछ ढूंडने लगा,

फ़िर मैंने अपनी बडी गाण्ड को उसके तरफ़ पूरे 10 इन्च के फ़ासले से एक टेबल पर हाथ रखे झुके हुये डोगी स्टाइल जैसे एक किताब पडने लगी और पूरा ध्यान रक्खा कि अब अरविन्द क्या करता है, फ़िर मैं बातें करने लगी और किताब को पडने का नाटक करते उस पर नज़र रखी, फ़िर थोडी देर बाद अरविन्द ने मेरी गाण्ड को देखा और अपने बैड पर बैठा.. मैंने बस जैसे पीछे देखा हि नहीं और इन्तेजार किया कि अब क्या होगा, फ़िर अरविन्द ने अपना मोबाइल उठाया और कुछ करने लगा और बस फ़टा-फ़ट 2 क्लिक मेरे पीछे से शायद मेरी गाण्ड कि हि फ़ोटो ली हों… बस मैं तो सब समझ गई, फ़िर अब मैं शर्म से 1 मिनट भि वहां रह नहीं पाई, और सो गई, बस सुबह कि इन्तजार था,

अगले दिन अरविन्द कोलेज चला गया और बाद मैं 10.30 बजे पदमा मेरे घर पर आइ, मैंने पूरे कहानी बताइ, अरविन्द ने अब भि मेरी गाण्ड कि फ़ोटो ली है और यहां तक मेरे पैन्टी को भि उसने सुन्घा था, पदमा सुनते हि गुस्सा हुई और बोली, यह सब तु मुझे क्यों कह रही हो, मैं तुझे पहले कह चुकी हूँ कि एसा मौका दुबारा नहीं मिलेगा, हो सकता है अरविन्द तेरी बैटा हो पर ये सब बहुत होता है, पदमा बोली.. सुनन्दा सोच मत ज्यादा, बस मज़े ले लिया कर.

अगले कुछ दिनो के बाद तेरे पति 3 महिनो के लिये बाहर, और तुझे एसा अच्छा वक़्त शायद न मिले, लिपट जा अरविन्द के उपर और तेरी भरी पडी जवानी को ठन्डक दे और अरविन्द को भि तेरी मस्त मस्त गरम जवानी का स्वाद भि चखने दे… क्योंकी वो तेरी जवानी को जी भर के भोगना चाहता है, अगर तु उसे खिला भि दि तो क्या बुरा है, और जब जब मुझे मौका मिले, जरूर अपने गरम परांठे भि अरविन्द को खिलाउगीं, मैंने पुछा गरम परांठे ??? पदमा, अरे बाबा चूत! फ़िर मैंने पूछा याने कि तु भि..? पदमा हां, क्यों नहीं, इस उमर मैं अगर कोइ सख्त और जावन लण्ड हम जैसी 40+ औरतों को मिले तो क्यों ना चख लिया जाए और उसे भि हमारी उमर कि गर्मीं महसूस होने दि जाए ? क्या ख्याल है सुनन्दा. सोच मत और जल्दी मुझे जवाब चाहिए, हां अगर तु नहीं मानती है तो मुझे अरविन्द के साथ फ़िर सेक्स करने दे.

फ़िर.. मैं तो अरविन्द कि इस तरंह कि अदाओं पर फ़िदा हूँ, सच्च बोलूं सुनन्दा ! मेरी चूत भि गिलि हो जाती है जब तु अरविन्द के बारे में बोलती हो …अब मैं कुच्छ ज्यादा नोटंकी दिखा के पदमा को गुस्सा दिलाना नहीं चाहती थी क्योंकी मैंने भि मन हि मन सोच लिया था कि पदमा सही बोलती है, अब मैं पदमा को बोली हां पदमा ‘’मैं इस के लिए तैयार हूँ’’.. ह्म्म्म्म्म्म्म् अब तु समझी गधी बस मज़े ले और अरविन्द को जी भर के तेरे बदन कि मस्त मस्त बडी चीज़ों का मजा लूटने दे… उस के बाद पदमा ने एक कोफ़ी लि और बोली सुनन्दा वादा कर कि मुझे भि अरविन्द कभी कभी चाहिए, मैं बोली तु मेरी सबसे अच्छे सहेली है, जितना चाहे तु अरविन्द को एन्जोय कर ले… फ़िर पदमा बोली जाती हूँ पर आज और अब से इस काम पर लग जा, जब तक तेरे हसबैन्ड 3 महिनो के लिये जयेन्गे तब तक हमारा काम हो जाना चाहिए और अरविन्द हमारे कब्जे में और तुम पर फ़िदा, बस उसे के बाद हर रात तेरे लिये एक ‘’सुहाग रात’’ .. हेहेहेएएए करके.. पदमा चली गई..

अब मैंमे पूरा ठान लिया था कि अपनी सेक्स कि पूर्ती मैं अपने बैटे से हि पूरे करुन्गी और वो जो मेरे बडी गाण्ड और बूब्स को बहुत चाहता है उसे भि जी भर के भोगने दूगीं. अब मैं धीरे धीरे भूलने लगी कि अरविन्द मेरे बैटा है, फ़िर उसके बारे में सोचना उसके साथ मेरी इन्टीमेसी कि खूब दिखने लगी. सिर्फ़ एक बात से मैं परेशान थी कि कैसे शुरु किया जाए, जहां तक अरविन्द का सवाल है वो कभी भि पहले शुरु नहीं कर पाएगा क्योंकी मैं उसकी माँ हूँ, हो सकता है कि काफ़ी दिनो से अरविन्द मेरे मस्त बदन को अपनी हवस का शिकार बनाना चाहता हो पर बच्चा है और हिम्मत जु्टा न पा रहा हो…. अब मैंने सोचा जो करना है सब मुझे हि शुरुआत करनी होगी… फ़िर मैं अरविन्द का कोलेज से वापिस आने का राह देखती रही..

अरविन्द कोलेज से वापिस आया और मैं कुछ ज्यादा प्लान उस पर इस्तेमाल नहीं किया क्योंकी मुझे पता था कि उसकी पापा कल वापिस आ जाएगें, अगर मैं कुछ ज्यादा अरविन्द को मोटिवेट या उत्तेजित कर दिया तो फ़िर उसके पापा के आने के बाद हो सकता है कि उसका यह स्वभाव सबके सामने ना आ जाए, यह सोच के मैं अपने पति के वापिस आने का और फ़िर 5 दिन बाद दुबारा 3 महिनो के लिये वापिस जाने का इन्तजार किया… उस दोरान अरविन्द को कभी कभी मेरी छातियां देखना, और मेरे शरीर को उसको हल्का सा महसूस करवा लेना जैसे छोटी छोटी हरकतें करने लगी, ताकी अरविन्द का ध्यान मेरे होट बदन पर टिका रहे…. अब फ़िर आया वो दिन जिसका मुझे बेसबरी से इन्तजार था… वो यह है के गांव में अपना नया घर बनवाने के लिये अरविन्द पापा पहले से तैयारी कर चुके थे और उस दिन वो 3 महिनो के लिये जाने लगे..

वो पूरे तैयरि पर और मैं जिन्दगी के उन हिस्से लम्हे का इन्तजार पर जो मेरा बैटा मुझे बहुत जल्द सोंपने वाला है… मैं तो बस खुशी से पागल और पता नहीं क्यों मेरे मस्त बदन के हर एक एक अन्ग जैसे दर्द सा फ़ूटने लग रहा हो और सच्च कहुं मेरी चूत और गाण्ड तो जैसे मुझे कह रही हो के काश अभी कोइ उसे बस खा हि जाए…. अरविन्द के उस लम्बे और मोटे लण्ड का मैं बेसबरी इन्तजार करतीं थी जो मैंने उस दिन टोइलेट पर उसे मुट्ठ मारते हुये देखा था… पुरा शरीर उमन्ग से भरे और मेरे अरविन्द कि वो गरम सख्त तलवार का जबर्दस्ती मेरी चूत पर समा जाना और मेरी सबसे बडी गाण्ड पर मेरे अरविन्द का बिना रुके जोर जोर से धक्के पर धक्का.. वोव! ह्म्म्म्म्म्म्म … मैं पागल सि.. बस इन्तजार और सही ********

अब मेरे पति बोले सुनन्दा, बैग व्गैरहा अरविन्द के साथ बाहर ले आओ, फ़िर हम तीनो हमारे गैट के पास खडे थे तब जाकर एक कैब जो हमने बुक करवा रक्खी थी आइ और तब मेरी पति बोले अरविन्द हमेंशा माँ का ख्याल रखना …तब मैं अरविन्द के नजदीक खडी थी और अरविन्द के पापा बोले सुनो अरविन्द का जरा ख्याल रखा करो ! हां फ़िर से वो बोले अरविन्द, येस पापा, माँ का ख्याल रखना, तब मैंने अरविन्द कि तरफ़ देखा और कहा क्यों अरविन्द रखेगा या नहीं बोल कर उसे एक हल्की आंख मारी और जरा सा अपने हाथ को अपने बूब्स के उपर फ़िरा के वापिस लिया… अरविन्द बस….. … तब अरविन्द और उसके पापा स्टेशन के तरफ़ निकल पडे …

अब मैंने तुरन्त पदमा को फोने लगाया और बोली अरविन्द के पापा चले गए गांओ तब तो पदमा भि बहुत खु्श हुई और बोली अब शुरु कर ले सुनन्दा.. जो भि और जितने यत्न करने पडे कोइ फ़रक नहीं क्योंकी अरविन्द कुच्छ गलत नहीं सोच सकता …मैंने कहा …बस अब अरविन्द का इन्तजार है.. पर एक माँ होने के नाते मैं जो करू सोच समझ के और स्टेप बाइ स्टेप करुन्गी कहा ठान लिया कि अब शुरु…..

अब मैं अपने वो कपडे इस्तेमाल किए जो मैंने कभी 5 साल पहले पहना करतीं थी, मुझे पता था कि मैं सिर्फ़ घर पर अरविन्द को आकर्शित करने के लिये पहनूगीं… अब मैं अपने पुरने 1/3 शोर्ट पैन्ट के साथ एक शोर्ट टोप निकाला.. शोर्ट टोप इसलिए क्योंकी मेरी जबर्दस्त बडी गाण्ड हमेंशा दिखे और इलास्टिक ने 1/3 पैन्ट में वो किय जो आप हिल जाओगे… मैंने उस पैन्ट में सामने से नीचे के तरफ़ याने कि अगर मैं झुकुं के कुछ डोगी स्टाइल ले लुं उस हिसाब से जहां मेरी चूत होगी वहां से मैंने 3 या 4 इन्च में सिलाइ खोल कर फ़ाड दि और बिना पैन्टी के साथ पहन ली.. अब शीशे के सामने से खडी गई मैंने देखा और हुम्म्म्म्म्… उस पोस में मेरी चूत लगभग पूरी देख रही थी.. बस अरविन्द कि इन्तजार में तो बस मैं हवस और अरविन्द के लिये भुख से जल रही थी, सोच रही थी के काश माँ न होती तो मुझे इतने सोचने समझने कि जरुरत न होती …

फ़िर अरविन्द आ गया और अपने कमरे में चला गया …अब तो मुझे जितना जल्दी हो सके अरविन्द को अपने कब्जे में कर लूं और बस एन्जोय करना शूरू करू अब मैंने अरविन्द को बहाने से अपने कमरे में बुलाया और पहले से हि मैं शीशे कि पास खडी रही, ताकी मैं देख सकु कि अरविन्द मेरी चूत को देखता है या नहीं …अब अरविन्द बोला माँ क्या है, मैंने बअतो बातों मैं नीचे झुकी और कुच्छ कम करने लगी डोगी जैसे पोसे में …और आंखे मेरी शीशे पर हि थी… फ़िर अरविन्द ने जैसे हि मेरी मस्त बडी गाण्ड को देखा बस हो सकता है कि मेरी गरम चूत पर नज़र पडी हो और बस वो तो पागल जैसे देखता हि गया, पलक एक मिनट के लिये भि न झुकी येस लग रहा था अरविन्द बस अब हि मेरी चूत को खा जाएगा …मैं सब शीशे पर देख रही थी.. अब अरविन्द ने फ़ोटो भि ले लिए… मुझे पूरा मालुम पड गया और अब मैंने उससे पूछा तेरे गर्ल-फ़्रैन्ड हैं क्या ?

वो बोला नहीं माँ.. मैंने कहा क्यों ? और मैंने कहा,,, अरविन्द यगं हो और होना भि चाहिए, कुच्छ न सही कभी कभी उससे एन्जोय तो कर लेना चाहिए, शायद अरविन्द मेरे से इस तरहं कि बात पहली बार सु्नी तो चोन्क सा गया और वहां से अपने कमरे में चला गया… मेरा बदन बस उसकी भूख से तडप रहा था और मैं पागल जैसे.. यहां तक कि मेरी चूत भि गीली हो रही थी.. अब मैं अरविन्द कि कमरे में गई और बैठी… और फ़िर अरविन्द अटैच बाथ-रूम के अन्दर गया और इधर मैंने अपनी दो उन्गलीयां पनी चूत में डाली और अपनी गीली हुई चूत से शायद सफ़ेद सफ़ेद रस हां रस हि था… अब मैं उसी हाथ के साथ आइ और 1 मिनट के बाद अरविन्द को बोली अरविन्द बोलो यह कोन सी खुशबू है, मैंने अपनी चूत में डाली हुई उन्गलीयां उसके नाक पर रखी और सुन्घने के लिये.… मैं इतना पागल सि बन चुकी थी कि मुझे यह करनी पडा, फ़िर अरविन्द बोला क्या मोम्…? मैं नहीं जानता यह क्या है.. मैंने कहा.. आप को इस उमर में पूरी जानकारी होना चाहिए कि यह क्या है.. पर ऐसा लगता था कि अरविन्द को पता चल गया हो क्योंकी उसकी शक्ल और शरीर कि थरथराहट से मुझे मालुम पडा… उसके बाद अरविन्द कोलेज चला गया…

मैं सारा काम खत्म करके बस अरविन्द कि बारे में सोचने लगी, क्या अरविन्द मुझे मेरी बैबसी को मिटा पाएगा.. क्या वो मुझे भरपूर चोद पाएगा..? जितना मैं चाहती हूँ क्योंकी वो यगं है.. और मेरी शादी के बाद भि मेरी चूत और गाण्ड को कोइ अपने जीभ से चाटना या फ़िर मेरे पति के लण्ड को जी भर के मुझे चुस लेने वाली सेक्स कभी नहीं मिली है, क्योंकी यही एक स्टाइल का सेक्स है जो मुझे बहुत बहुत पसंन्द है और वो आज तक मेरे नसीब में है हि नहीं …यहां तक भि मुझे मेरी गाण्ड में चुदवाना भि बहुत अच्छा लगता है पर क्या करू अगर अरविन्द राजी हो भि गया क्या वो मेरी स्टाइल में मुझे जी भर के चोद पाएगा……? मुझे पूरा यकीन था, अरविन्द मेरा सब कुच्छ अब तक देख चुका है और जरूर वो भि प्यासा और भूखा होगा अपनी माँ के लिये.. अब पदमा आ गई और मैंने जो सारे ट्रिक अरविन्द पर इस्तेमाल किए थे सारे के सारे बताए और पदमा ने कहा बिलकुल ठीक.. बस अब इन्तजार ज्यादा मत कर और बात को खोलने कि कोशिश कर ले कह कर वो गई..

4.30 बजे अरविन्द आया और उसकी शक्ल कुच्छ बिगडी हुई थी.. मैंने उसे एक हल्की किस्स कि जैसे मैं हमेंशा करतीं हूँ और पुछा क्या है बैटा आज तु कुछ ओफ़्फ़ जैसे हो.. शायद वो सिर्फ़ मेरे हि बारे मैं सोच के परेशान था.. फ़िर अरविन्द ने कुछ खाया और कमरे में गया और मैंने फ़िर से मेरी उन्गली वाली तरकीब से दुबारा उसे सु्न्घाई.. इस बार अरविन्द बोला बहुत अच्छी खुशबू है माँ.. क्या है..? फ़िर मैंने एक अच्छी स्माइल देकर कहा, हां बैटा यह अच्छी हि है, बस तुम यगं हो, जब बडे हो जओगे तब.. फ़िर एक स्माइल और हल्की सि आंख मार के मैं उसके कमरे से चली आई..

अब कुछ आधे घन्टे बाद अरविन्द हाल में आया और मेरे पास सोफ़े से बैठा.. मैं तुरन्त अपने शरीर को उस साथ लगा के बातें करने लगी और धीरे धीरे अपने बूब्स को उसके बांहो पर रगडने लगी.. अरविन्द का रिएक्शन कुछ सही नहीं था ऐसा लगा कि अरविन्द भि अपने बांहो को मेरी बूब्स से अलग हटा रहा था.. अब मैं जान बुझ के अरविन्द का मोबाइल खोल कर वही वाली फ़ोल्डर निकाली जैसे मैंने अब देखा हो और बस अपनी ट्रिक का इस्तेमाल किया और एक जोर आवाज निकाली.., यह क्या है..?

मेरी एसी एसी फ़ोटो और मेरे हि बैटे के मोबाइल में.. ओह माइ गोड ! यह मैं क्या देख रही हूँ.. अरविन्द बस जैसे.. माँ? उसके बाद उसकी बोलती बन्द, मैं खडी जबर्दस्त नाटक करने लगी कि अरविन्द तु मेरा बैटा है और तु हि अपने माँ कि इस तरंह कि फ़ोटो हे भग्वान, अरविन्द रोने लगा, नीचे सर और उपर जैसे देखने कि हिम्मत न हो उस में.. यह सब तेरे पापा को बोलना पडेगा.. तुम्हें हमारा बैटा होने कि कोइ हक्क नहीं, हे भग्वान कैसे तुने यह सारे फ़ोटो ले लिए.. क्या तु अपनी माँ कि भि इज्जत नहीं करता.. मेरे इतने गन्दें फ़ोटो …क्या करू अरविन्द.. अगर यह बात और किसी को पता चलती तो मैं किसी से मुन्ह दिखने के काबिल न रहती.. तुझे बैटा कहने में मुझे शर्म आती है.. बताओ अरविन्द क्यों ? और किस्लिये …? यह सब तूने क्यों किया ?

वो जैसे रोने लगा चीख कर और मेरे पैरों पर गिर कर गिडगिडा कर बोला माँ I am Sorry.. मैं फ़िर बस नाटक करने लगी उसे हल्की सि मारी पैरों से धक्का लगाया और बोली तु माफ़ी कि लायक नहीं है अरविन्द.. जाओ मुझे कभी अपने शक्ल न दिखाना.., फ़िर एक और नाटक करने लगी और फोन उठा के तेरे पापा को अब हि बात करतीं हूँ बोली.. अब अरविन्द. माँ प्लीज पापा को, रोने लगा.. फ़िर मैंने सारी बात भि कही जो पहले से हुइ थी.. सुनो अरविन्द तु कभी अच्छे हो हि नहीं, मेरी पैन्टी तेरे कमरे क्या करती थी.. सही है या गलत.. वो बोला कोन सि और क्या पैन्टी माँ ?.. नाटक से फ़िर मैं करू फोन पापा को..? अब अरविन्द माँ..! मै : क्यों ? मेरी पैन्टी तेरे किस काम कि …? तु फ़िल्में भि देखता है वो भि incest.. याने कि तु अपने माँ को भि.. शर्म आनी चाहिए अरविन्द.. मैंने तेरे लैपटोप कि पूरी हिस्टरी चेक्क कि है.. बस पोर्न वो माँ और बैटा.. शर्म अरविन्द न जाने क्या क्या गन्दीं बातें सोची होगी तुने मेरे बारे में.. अब तो तेरे पापा को बताना हि पडेगा. बहाने से दुबारा फोने उठाया और डायल करने लगी और डिस्कनेक्ट भि, अब अरविन्द माँ प्लीज, नहीं, हां, माँ, सोरी, अरविन्द बस घबराए हुये रो रहा था..

अब मैं कहा अरविन्द एक बात पर मैं तेरे पापा को नहीं बताउंगी.. बताओ क्यों और किसलिए यह सब तूने किय ? बोलो.. वर्ना, बस …माँ आप मुझे मार डालोगे अगर मैंने आप को सब सच्च बताया तो इससे अच्छा तो मैं घर छोड के हि चला जाउं.. अब मैं नाटक भरे थोडे गुस्से से, मुझे बताओ क्यों? एक बैटा होने कि नाते तुम्हें जरा भी अपनी माँ कि कदर नहीं.. बोलोओओओ? अब अरविन्द रोते हुए बोला.. क्या बताउं मोम माँ यह सच्च है मैं आपको पसंन्द करता हूँ..

अब मेरा नाटक ओह् नोओओओओओओ तुम जरा शर्म करो, माँ को तु.. हो गोड !,
अरविन्द : सोरी माँ’’ पर यह सच्च है..
अच्छा क्यों तु मुझे पसंन्द करता है फ़िर बोलो,
अरविन्द: माँ आप कि बडी और मस्त गाण्ड और बडे बूब्स के लिये, ओह नहीं अरविन्द, मैं और नहीं सुन सकती.. हे भग्वान. याने कि …? ओह्ह्ह्ह्ह, मेरे सामने से हट जाओ, कह कर मैं अपने कमरे पर चली गई और फ़िर नाटक करके दुबारा तुरन्त आ गई, तुमने मेरे नन्गे फ़ोटो भि लिए वो भि मेरी ‘’चूत ‘’ के अब मैं साफ़ शब्द में भि कहने लगी.. अगर मेरे कपडे फटे हुये थे तुने मेरी चूत को देखा और फ़ोटो भि.. दम्म् ? तुम्हें शर्म नहीं आई अरविन्द.

जो तेरे पापा को करना, और देखना चाहिए वो तुम्हें भि.. और फ़िल्म देखते हो incest ? ‘’ होट माँ कि चुदाइ बैटे द्वारा ’’ याने कि तु हमेंशा हि मेरे बारे में यह सब सोचता है ? क्या तुम यह सोचते हो कि मैं तुम्हारी रन्डीं…… ?,
अरविन्द “नहीं माँ,”
…”तो फ़िर यह सब क्या है..?” तु मेरी मस्त जवानी और बदन के बारे में सोच कर मुट्ठ मारता है या नहीं..?, और वो फ़ोटो जो तुमने लिए हैं अपनी माँ कि चूत के, ओह् नोओओओओओ अरविन्द, ‘मैं तुम्हें माफ़ नहीं करुगीं’ …
नहीं माँ ऐसा नहीं है, हां मैं जरूर आपके होट और मस्त बदन पर फ़िदा हूँ पर कभी ऐसा गन्दा सोचा हि नहीं,
अब मैं बोली अच्छा गन्दा सोचा नहीं और क्या क्या सोचता और करता अरविन्द.. बोलो ? तुम मुझे बाथ-रूम, में छुप कर देखते हो गन्दे फ़ोटो लेते हो और कहते हो के गन्दा सोचते नहीं.. अरविन्द, बस रोता चला जा रहा था और मैं बस खुशी से पागल और मेरी मस्त जवानी कि भूख बहुत जल्दी मिटेगी सोच कर…. चलो ठीक… है मान लेते हैं कि तुम गन्दी सोच वाले हो…

अब अरविन्द अपने कमरे में चला गया और रो रहा था …1 घन्टे बाद मैं पूरे प्लान के साथ.. उसके कमरे में गई और बोली… आओ और खाना खा लो, आओ ? वो जैसे हि मुझे देख डर के मारे खडा हुआ और बोला ठीक है मम्मी, फ़िर मैंने कहा सुनो ‘’आज रात को 10 बजे मेरे कमरे में आ जाना ‘’ अरविन्द डर के मारे क्यों माँ..? मैं थोडे स्माइल से.. अच्छा क्यों, ? क्यों के आज तेरी सुहाग रात है.., कह कर मैं चली आई, अब अरविन्द, तुरन्त अपनी बाइक लेकर बाहर चला गया.. मैंने फोन करके सारी बात पदमा बता दी और कहा बस आज तो मेरी.. ह्म्म्म्म्म्म्म होने वाली है. पदमा खुश ! बस इन्तजार रात का…

मैं बैताब थी इन्तजार अरविन्द का उसके गरम बदन का मेरी हवस और भूख के शिकार के लिए.… अब शाम 8.30 बजे फ़िर भि अरविन्द नहीं आया था, अब मैंने फोन लगाया और बोली अरविन्द टाइम क्या है पता नहीं कि घर आना चाहिए, वो घबराना हुए बोला अब कुच्छ देर में आ जाउन्गा माँ..

9.15 बजे अरविन्द आ गया, और मैं तो पहले से नहा के, मैंने हर मस्त चीज़ो पूरी तैयारी करके रखी हुई थी और एक पारदर्शी हरी साडी और ब्लाउज के साथ और थोडी हल्का मेक अप करके मैं तो बस एक मस्त लाल गरम केक लग रही थी, मुझे अरविन्द पूरे तैयारी में देख कर चोन्क गया, खाना खाया और अरविन्द अपने कमरे में गया,… मैं अपने कमरे के शीशे के सामने थोडी सजने लगी, टाइट ब्रा में मेरे बूब्स जैसे उभर के भरे भरे और साथ में मेरे हल्फ़ शोल्डर कट सेक्सी ब्लाउज में बस, पुछो मत, पारदर्शी साडी में मेरे पेट के साथ मेरी नाभी और लोअर बैक पू्री दिख रही थी, मैं हमेंशा साडी लोअर बैक याने कि चूतडो से 1 या 2 इन्च नीचे पहनती हूँ ताकी होट लगु..

उस साडी में मेरी मस्त बडी गाण्ड जैसे ओफ़्फ़र दे रही हो कि लिपट के कोइ उसे बस सजा देने लग,… हल्की लिप्सटिक से साथ बालों का मैंने कुछ स्टाइल बनाया था.. अब बस मुझसे रहा और सहा नहीं गया, समय कुछ 11 बजने वाले थे,… अरविन्द तो मेरे कहने पर आया हि नहीं था.. बैशक वो तो पु्रा डरा हुआ था.. अब मैं अपने कमरे में जिरो पावर लाइट ओन करके और अरविन्द को आवाज लगायी,… अरविन्द बस छुप सा हि रहा था, कोइ जवाब नहीं दिया, फ़िर मैंने उसके मोबाइल पर फ़ोन लगाया और बोली अभी मेरे कमरे पर आ जाओ.. वो बोला. क्यों माँ..? आ जाओ बस ज्यादा सवाल मत किया करो.

अब अरविन्द आया, पूरा डरा हुआ था पर कमरे पर जिरो लाइट और मुझे इस तरह सजे हुए देख कर वो कुच्छ और डरने लगा था,… मैंने अपना बिस्तर पूरा मस्त सजा रखा था. वो बहुत सारे गुलाब के फ़ूलों के साथ, वो… धीरे धीरे आया और खडा होकर बोला माँ..? क्या है ? क्यों बुलाया अपने? अब मैंने अरविन्द को एक स्माइल दिया, उसके हाथ पकडे और उसे बैठने को कहा… और मैं उसके सामने पडे मेरे टेबल के पास खडी होकर… बोली, अरविन्द मैंने तुम्हें बहुत गाली दी और डान्टा बैटा.. ? ‘’I am सोरी’’.. पर क्या करू तूने काम हि कुच्छ ऐसा किया था.. हल्की आन्खो से इशारा करके थोडा अपने बदन को बेन्ड करके अपने शरीर को और नीचे कि और झुकाया मेरे बडे बूब्स और मेरी बडी जबर्दस्त गाण्ड को भि देखते कहा.. बोल अरविन्द तु मुझे पसंन्द करता है ठीक है..

ऐसा होता है कि बहुत सारे बैटे.. अपनी माँ को पसन्द करतें हैं.. यह नेचुरल है.. पर इस से आगे,… क्या हो सकता है.. फ़िर मैं उसके पास आइ और उसे एक जबर्दस्त किस्स के साथ अपने बूब्स को पूरे उसके कन्धे पर दबाया और बोली रोहन… ‘’मैं जानती हूँ, कि तुम मुझे चोदना चाहते हो‘’ अरविन्द अब खडा हो गया.. मैंने कहा अरविन्द! बैठो और सुन लो,… तुम मुझे चोदना चाहते या नहीं?
माँ नहीईई….
तो फ़िर मेरे चूत के, बूब्स कि फ़ोटो क्यों..?, मेरे पैन्टी को सुन्घना.. , मेरे बारे में गन्दी सोच के मुट्ठ मारना, incest पोर्न फ़िल्म देखना वो माँ और बैटा का चुदवाना.. यह सब क्या है फिर
माँ.. !!
फ़िर मैं इस्ह्ह्ह्ह्ह्स्स्स्स्स्स् चुप रहो बस सुनो करके मैंने अपनी उन्गली उसके मुन्ह पर रखी और किस्स किया,… बोलो अरविन्द.. क्या मुझे चोदना चाहते हो ..?
अब अरविन्द बोला नहीं माँ, मैं तो बस आपके बडे गाण्ड और बूब्स को बहुत पसंन्द करता हूँ
और मैं कहा “अच्छा फ़िर आओ और किस्स करो मेरे बूब्स, पर अरविन्द
नहीं माँ !
मैं अरविन्द आज मेरी और तेरी ‘’सुहाग रात’’ है पता है, अरविन्द
डरे हुये ‘सुहाग रात’ ?
मैं हां क्यों नहीं,… फ़िर मैंने उसका मुन्ह खिन्च कर अपने बूब्स पर दबाये रखा और उसके माथे पर किस्स करने लगी.

अब मैं खडी हुई और टेबल पर हाथ रख कर डोगी पोज में उसके मुन्ह के तरफ़ अपनी बडी मस्त गाण्ड दिखलाते हुये बोली.. अरविन्द तुम्हें मेरे पैन्टी सुन्घना पसंन्द है न कह कर मैं अपने उसी पोज में झुक्के हुए पैन्टी उतारी और अरविन्द के उपर फ़ेन्क दी और बोली सुन्घो बैटा,… क्या बुरा है… इसमें पाप भि नहीं, फ़िर मैंने लाइट ओन कि ताकी एक दूसरे को बराबर देख सके, क्योंकि जिरो पावर सही नहीं था.. फ़िर उसके मुन्ह पर लगा कर अपनी पैन्टी को जबर्दस्ती सुन्घवाने लगी..

वो डर के जैसे भागने वाला था.. मैंने कहा अरविन्द बैटा तेरे पर मैं इसलिए गुस्सा हुआ था क्योंकी मैं माँ हूँ जब मैंने बहुत सोचा तो मुझे पता चला कि अगर मेरा बैटा मुझे इतना भि पसंन्द करता हो और मेरी मस्त मस्त सारी चीज़ो को खाना चाहता है तो क्या बुरा है…. कह कर, अरविन्द को किस्स करने लगी और मेरे बूब्स को उसके पीठ पर रगड कर किस्स पर किस्स करने लगी.… अरविन्द तेरा पुरा हक्क है के तु मुझे चोद सके,… चोद मुझे अरविन्द.. कह कर मैं फ़िर टेबल के पास नीचे खडी हुई डोगी पोज में झुक्कि और अपनी साडी उठायी और अपनी गाण्ड को हल्का सा चान्टा मार कर बोली, अरविन्द आ जाओ.. हुम्म्म्… यह सब अब तुम्हारा है अरविन्द, बोली.… फ़िर दोनो हाथ से अपनी बडी गाण्ड को थोडा खोला और अपनी चूत में एक उन्गली डाली और बोली अब आ भी जाओ, अरविन्द, …आओ और चोदो मुझे…. फ़िर भि कोइ रिएक्शन नहीं था अरविन्द कि तरफ़ से..

अब मैं उसके पास गई और उसे टेबल के पास ले आई और दुबारा डोगी पोसे में होकर उसको बोली …सुनो अरविन्द आज से तु मेरा पति है बैटा नहीं, याने कि मेरी दुबारा शादी हुई है वो भि तुझसे यह समझ लो.. अब आज हमारी ‘सुहाग रात’ है.. और मैं नहीं चाहती कि मेरे पति मेरी मस्त जवानी कि चुदायी में कोइ कमी छोड दे..… अरविन्द बस जैसे अपने होश में नहीं था.. क्योंकी पति, शादी, हसबैन्ड, सुहाग रात, चुदायी जैसे शब्द सुन कर वो पू्रा रोने जैसे हो रहा था और हाथ ज़ोड कर मुझे कहने लगा, माँ यह आप क्या कह रहे हो.. प्ल्ज़्ज़्ज़् माँ …अब अरविन्द को क्या पता था कि जिस माँ कि मस्ती भरी जवानी को खाने के लिये वो कयी सालों से तरस रहा था, वो सब आज उसे मिल रहा है. फ़िर अरविन्द बोला ‘मैं यह सब नहीं कर सकता माँ.. मैंने कहा.. इह्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् आज माँ नहीं कह.. ‘’ आज तो मैं तेरी प्यारी चोदने वाली पत्नी हूँ’’ जिसको सिर्फ़ चुदायी चाहिए और तुम मुझे सिर्फ़ चोदोगे…, मैं तो बस जल हि रही थी.. अरविन्द डरता हुआ खडा था, अब मैंने कहा अरविन्द …पहले तु मेरी चूत को छू लो ? ..

अब मैं अपनी गाण्ड को एक चान्टा मार कर अपनी मस्त गाण्ड को हिलाने लगी और चूत में उन्गलीयां डाली और थोडा अन्दर बाहर करने लगी.. यह सब अरविन्द देख रहा था और कभी आंखे बन्द करके नहीं.. माँ प्ल्ज़्ज़्ज़्ज़् .. नो ‘ i m sorry बोल रहा था.. अब अरविन्द मेरे पास खडा था और मैंने जबर्दस्ती करके उसे अपने पीछे से गाण्ड कि सामने झुका लिया और अपनी गाण्ड पर उसके मुन्ह पर लगायी और बोली.. खुशाबू कैसी है अरविन्द? अब मैं अरविन्द के मुन्ह को अपनी गाण्ड पर लगाते हि मैं तो पागल सि बन चुकी थी और मैंने अरविन्द के मुन्ह को अपनी गाण्ड से दब के रखा और उसके सर के बालों को टाइट से पकड कर अपनी गाण्ड पर धम धम्म मारने लगी..

अब हो सकता है अरविन्द समझ गया कि देर न हो जाए, बस अरविन्द ने मेरी गाण्ड को पकडा और बोला.. I love you माँ और मैं सच्च कहता हूँ कि मैं आप को चोदना चाहता हूँ और बहुत जोरो से चोदना चाहता हूँ. ओह् तो आओ अरविन्द कह कर मैं उसे अपने बूब्स पर दबा कर किस्स किया और बोली मैं जानती हूँ अरविन्द, कि तुम मुझे चोदना चाहते हो,… अरविन्द अब से मैं तेरी माँ नहीं बल्की एक रन्डी बिवि हूँ जिसे चुदायी चाहिए.. पता है अरविन्द मेरे पूरे इतने साल जो तेरे पापा के साथ गुजारे है, चुदायी में तेरे पापा बहुत हि कमजोर थे और जिन्दगी में कोइ एक रात नहीं जिस रात को तेरे पापा मुझे चोद कर मेरी जलन को शान्त कर सकें हों… अब मैंने अरविन्द को किस्स किया और वो बोल माँ ‘मैं आपको हमेंशा खुश रखुन्गा, आप जो चाहती हो, हमेंशा दून्गा जो आपको इतने सालों से नहीं मिला, जो आपको पापा नहीं द सके मैं अपनी पूरी कोशिश करून्गा कि मैं आपकी वो कमीं भी पूरी कर दूँ मैं आपको हमेंशा खुश रखने कि कोशिश करता रहुन्गा, मैं आपकी एसी चुदायी करुन्गा जैसी आपको चाहिए थी, जो आपको पापा नहीं दे सके. वो मैं आपको दुन्गा.…

अब मैं तो बस खुशी से अरविन्द को किस्स पर किस्स किए और अरविन्द ने हल्का सा मेरे बूब्स पर हाथ रखा था.. अब मैंने उसको अपनी गाण्ड दिखायी और बोली मेरी चूत को चूसो अरविन्द !… पोज वही थी डोगी वाली और खडी झुकि टेबल पर मेरे छाती और हाथ बस मेरे टेबल के उपर और पैर जमीन पर और मेरी मस्त बडी गाण्ड को एक सेक्सी पोज में रखा.. अब वो हुआ जो मैंने पूरी जिन्दगी में कभी महसूस नही किया था.. अब अरविन्द पूरे अपने घुटनो पर था और पहली बार मुझे मेरी गाण्ड से हल्का सा पकडा हुआ था और मेरी झान्ग को चूमने लगा. जैसे हि उसने चूमा मेरी तो बस’’ वोव्व्व्व्व्व्व्व्व् ‘’करके आवाज सि आइ.. और मैं तो बस अपनी गाण्ड जरा सा उन्ची कि और अरविन्द को पोर्न स्टार के जैसे स्टाइल से उत्तेजित करने लगी.. अब मैंने उसी पोज में अपने सर को घु्माया और अरविन्द को देखने लगी.… ओह अरविन्द ! अहअअअअअअ ! प्लीज अरविन्द..

अब अरविन्द ने मेरी बडी गाण्ड को अपने हाथ से हल्का सा मसाज किया और किस्स किया.. अब मेरी आवाज कुछ ‘हुम्म्म्म्म्म्म्म्म्’ सि थी. फ़िर अरविन्द ने मेरी भरे हुई मोटी सि और बडी चौडी गाण्ड को जोर से दबाया और बोल माँ, आप तो सच्च में गजब कि हो.. आपको को कोयी भी चोदे बिना नहीं छोडना चाहेगा.. आप को तो देख कर किसी बुड्डे के लण्ड में भी जान आ जाएगी माँ, बोल कर मेरे गाण्ड पर एक जबर्दस्त चान्टा मारा. ‘वोव्व्व्व्व्व्व्’ ‘’ औछ्ह्ह्’’ करके मेरी आवाज निकली और मैं तो यह देख कर हैरान हुई कि अरविन्द बिलकुल पोर्न स्टार जैसे एक्टिन्ग कर रहा था.. हो सकता है कि फ़िल्म देख कर हि बहुत अनुभवी बन चुका था मेरा बैटा.. जो भि हो मुझे तो बस एसी हि चुदायी चाहिए थी और मुझे ऐसा एक्टिन्ग करना अच्छे तरंह आता है….

अब अरविन्द मुझे और थोडा झुक कर अच्छे से डोगी पोज में आने को कहा और मैं भि उसके बताये हुए स्टाइल में हो गयी और अरविन्द मेरी गाण्ड के उपरी हिस्से जिसको हिप्स कहतें हैं वहां से दोनो हाथ को एक दुसरे के समने से दबा के रखा और फ़िर मेरी चूत को अपनी नाक से सुन्घने लगा, उसकी सान्स जब मेरे चूत पर लगी मैंने तो ‘उस्स्स्स्स्स्स्स् ‘ , “हाँन्न्न्न्न्न्न्न्न्”, अरविन्द …अब आ जाओ ! डार्लिन्ग.. “अब तो तुम मेरे प्यारे नए हसबैन्ड हो” … ‘’अब यह तुम्हारी रन्डी पत्नी चाहती है कि तुम उसके हर एक छेद को चोद कर उसकी जलन मिटा दो,’’ मैं एसे हि बडबडाने लगी.. अब अरविन्द दुबारा मेरी गाण्ड के दोनो साइड से कस कस के जोर से चान्टा लगाने लगा और बस मेरी गाण्ड के दोनो तरफ़ अपने हाथ से जैसे फ़ाड डालना हो वैसे खोल कर.. मारे तो ब ‘ उम्म्म्म्म् ‘, यअअअअअअ ‘वोव्व्व्व् ‘ कि आवाज रुक नहीं रही थी.… अब अरविन्द मेरी चूत को हल्के से अपनी जीभ से चुसने लगा..’’ ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् भग्वान ! ;ओव्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व् ! यअअअअअअअअअअअअअअअअ’’ करके मेरी आवाज निकल गयी, जैसे मुझे किसि ने रेप हि कर डाला हो..

अरविन्द कि सान्स मेरी चूत पर लग रही थी और मेरे चूत धीरे धीरे गीली हो रही थी.. अब दुबारा अरविन्द ने जीभ लगाया और एक जान्घ पर हल्के हल्के चाटने लगा.. ‘’वोव्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व् ‘’ बैटा… मैं तुम्हारी रन्डी पत्नीनीनीनी.. मैं तो बडबडाने लगी.. ऐसा चुसना मेरे को पहली बार वो भी मेरे अपने हि बैटा से… ओह्ह्ह्ह्’’ अस्स्स्स्स्स्स्स्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्’’ , वोव्व्व् ‘’ कि आवाज मेरी रुक नहीं पा रही थी.… मैं ठीक से टेबल पर झुक्की अपने पोज भि दे नहीं पा रही थी.. इतने में अरविन्द का एक और जबर्दस्त चान्टा मेरे गाण्ड पर पडा.. ‘’वोव्व्व्व्व्व्व्व्व्व् ‘’ औछ्ह्ह्’’ कि मेरी आवाज थी,, अरविन्द मेरी चूत को चूसो पूरे जोर से चूसो,… यअ ! माँ ! तुम तो सचमुच बहुत होट हो.. आपकी चूत कि खुशबू वाह्ह्ह ह्य.. कह कर मेरी चूत को एक तरफ़ से दुसरी तरफ़ चाटने लगा.. मेरी आवाज* रोहन्न्न्न्न्न् ‘वोव्व्व्व्व्व्व्’ मैं तो जैसे अपने उपर अपना कन्ट्रोल खोने लगी थी.. औह्छ्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ! वोव्व्व्व्व्व्व्व्व, यअअअअअअअअ. उस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् कि आवाज मैं जैसे भिग चुकी थी..

अरविन्द बस चाटने लगा था, मैं तो बहुत हि गरम हो चुक्कि थी और अरविन्द को मेरी चूत कि अन्दर वाले हिस्से को चाटने के लिये कहा.. अब अरविन्द चाट रहा था और उसकी जीभ कभी कभी अन्दर घुस जाती थी, तो मेरी जैसे ‘’वोव्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व ‘’ कि चीख निकल जाती.. उसी बीच अरविन्द ने एक और चान्टा मेरी गाण्ड पर लगाया और मेरी ‘’उस्स्स्स्स् स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् ‘’ करके आवाज निकल पडी.… अब महसूस हुआ कि अरविन्द कि जीभ मेरी गाण्ड के गद्दे पर जा पहुची थी और अरविन्द हल्के से वहां चाटने लगा था.. ‘’वोव्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व् ! अरविन्द ‘’यह तो बडा मजेदार है डार्लिन्ग’’ .. चूसो मेरी.. ‘अरविन्द अब तुम मेरी चूत चूसो दबा दबा कर और लगातार इसे चूसते रहो और और मेरी गाण्ड को भी मसलते रहो’’ मैंने कहा क्योंकी जिस औरत को अपने जिन्दगी में अच्छी चुदायी न मिली हो वो भि मामुली चुदायी हो और उस औरत को एक साथ वैसे वाली हरकते कोइ कर लें जो कभी उसने महसूस हि ना कि हो मेरी तो बस चीख पर चीख वोव्, औछ्ह्ह् ‘’उस्स्स्स्स्स्स्स्स्स् , यअअअअअअअअअअअअअ‘’, जब अरविन्द गाण्ड चाटने लगा तो मैंने अरविन्द के सर कि बाल को जोर से पकड रखा था बस वो चाटता गया.’’ वोव्व्व्व्व्व्व्व्’’ अरविन्द, कभी मेरी गाण्ड को तो कभी चूत को चाट रहा था.. मैंने कहा ‘’चूसो इसे बैटा’’ बस मेरे बैटा चाटता हि गया..

फ़िर अरविन्द ने दो उन्गली मेरे चूत में डाली और बस चोदने के जैसे खचा खच उन्गलीयां अन्दर बाहर करने लगा..’ वोव्व्व्व्व् ‘ बैटा, ओह् यअअअ, वोव्व्व्व से मेरी आवाज रुक सि रही थी और मैं बस चीख रही थी,…… वोव्, मुझे क्या पता था जिसके लिये मैं तरस रही हूँ वो सब मेरे बैटे के पास से हि मिलेगा.. अब मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत से सफ़ेद सफ़ैद पानी जैसा बहने लगा हो.. अरविन्द बोला माँ.. नीचे जुस .? . यअअअअअअअअ ! ‘’क्या तुम ये जूस पीना चाहते हो बैटा”मैंने पुछा.. अरविन्द बस लिपट गया मेरे चूत पर और चाट चाट कर चूसने लगा मेरे चूत के रस को.. वोव् ! ‘’वोएएएएएएए माँअअ ‘’करके मेरी आवाज निकली, इस बार तो लगा अरविन्द जैसे मेरी चूत खा हि जाएगा, वो भी बडबडाने लगा.. वोव्व्व्व, उस्स्स्स्स्स्स्स्’’ अरविन्द हुम्म्म्म्म् , ‘बैटा तुम सचमुच बहुत तकतवर हो ‘’.. और ‘’तुम सच में वो हि हो जैसा कि मैं इतने बरसों से पाना चाह रही थी. जो कि मेरे घर में हि था…‘’ ओह् यअअअअअअ ‘’वोओओओओओव्व्व्व्व्व्व् , ‘’औछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ‘’ कि आवाज से जैसे कमरा फट रहा था…

अब अरविन्द जोर जोर से लगातार 4 या 5 चान्टे मेरी गाण्ड पर मारे.. ‘’वोव् . औछ्ह्ह् अरविन्द‘’ *फिर मैं बोली* ‘तुम बहुत हि नटखट हो‘’ मुझे क्या पता था कि चान्टा मरने से मुझे भि इतना अच्छा लगेगा.. अब मैं डोगी पोज में हि थी और अरविन्द किस्स पर किस्स किये जा रहा था…. और मैं बोली अरविन्द ‘’ मैं जानती हूँ कि तुम मुझे चोदोगे और मुझे पूरा सन्तुशट कर दोगे मेरी सालो कि प्यास बुझा देगे यह मैं जानती हूँ’’ .. मैं सही कह रही हूँ न बैटा ??
अरविन्द: हाँ माँ क्योंकी मेरे दोस्त हमेंशा आपको होट कहतें है और आपकी बडी बडी गाण्ड और बूब्स को भि.. अब पता चला कि अरविन्द अपने दोस्तो कि बजाए मेरे पर फ़िदा क्यों हुआ था. अब मैं घुटनो पर झुक्कि और अरविन्द खडा था जमीन पर.. पसिनो से भरा भरा मेरा और अरविन्द का शरीर..

अब मैंने कहा ‘’उम्म्म्म्म्म्म् ‘’ अब तो देखु कि ऐसा कितना बडा है मेरे बैटे का सख्त और गरम तलवार कि मुझ जैसे होट मस्त मस्त भरे बदन और जबर्दस्त जवानी वाली होट औरत को भि खाने कि कोशिश करता था.… बोल कर मैंने अरविन्द के लण्ड को छूआ,… मेरी जैसे चूत फ़ुल फ़ुल सि जा रही थी कि बस अब सुनन्दा घुसा ले अपनी चूत को और खाये जा धक्का तेरे नये मस्त पति से.. बस मैं पू्रा एन्जोय कर रही थी, अब मैं मेरी उस रात को मेरे अधुरी पडी ‘सुहाग रात’ बनाना चाह रही थी.. अरविन्द के ट्राउजर से उस का मस्त बडा और मोटा लण्ड पूरे सख्त और खडा था.. ट्राउजर के उपर से मैंने एक किस्स कि और आगे बडने लगी अब यअअ ! माँ, ‘तुम तो सच में चुदने वाली हो’’ ..

मैं; ओह् बैटा.. अब किस्स पर किस्स किया और हाथ में लण्ड दबाया,… अब मैं घुटनो पर खडी थी उपर मुन्ह करके अरविन्द कि आन्खो में आंखे डाली और उसके लण्ड को चाटने लगी.. अरविन्द ओह् यअअअअअ ! हाँ हाँ माँ ! फ़िर वो कहने लगा “जानती हो तुम मेरी रन्डी पत्नी हो विफ़े रन्डी’’ अब अरविन्द हुम्म्म् , ‘’क्या तुम एसी हि माँ नहीं चाहते थे..? हाँ बैटा .. ‘’क्या तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारी गाण्ड में भी अपना लण्ड डाल कर तुम्हें चोदू’’ .. ‘हाँ हाँ बैटा ‘.. उम्म्म्म्म्म् यअअअअ! मैंने उसके ट्राउजर को धीरे धीरे नीचे करतें हुये बोली ह्म्म्म्म्.. “देखें तो सही मेरी नयी नवेली चूत और गाण्ड चीरते हुये ऐसा कोन सा तलवार मेरे बैटे के पास है जो मेरी चूत और मेरी प्यासी गाण्ड कि प्यास भुझाने को तैयार है” मैंने ट्राउजर को पूरा नीचे किया और ‘’वोव्व्व्व्व्व्व्व् ‘’ मेरी आवाज रुकि नहीं,,, अरविन्द का लण्ड देख के मुझे यकीन हि नहीं हुआ कि एक 19 साल का लडका और करिब करिब 10 इन्च का लम्बा, मोट लण्ड.. ‘उस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् !, ह्म्म्म्म्म्म्म्म् ‘’ ..

अरविन्द तेरा लण्ड बहुत बडा है रे, मैं कहने लगी और बोली ‘मैं शर्त लगा सकती हूँ कि यह लण्ड तो मेरी चूत गाण्ड हर छेद कि धज्जीयां उडा देगा” उस्स्स्स् , अहअअअ वोव्व्व्व्व्व्व्! उसके लण्ड को पकड के …’’ हे भग्वान मुझे यकीन हो नहीं रहा था… अपनी चूत में मैंने कभी इतना बडा लण्ड पहले से लिया हि नहीं था.… घुटनो पर बैठ मैंने अरविन्द को देखा और बोली हुम्म्म् ! अपने हाथ से लण्ड को पकडा.. उसका लण्ड कटिन्ग वाला नहीं है क्योंकी हम हिन्दु है और अब मैं लण्ड कि उपरी हिस्से से मास को नीचे तक खिन्चा और ‘’ह्म्म्म्म्म्म्’’ ओह् यअअ’, अरविन्द के लण्ड कि टोपी भि बहुत बडी थी और गोल भि ह्म्म्म् ‘’ उस्स्स्स्स्स्स्स्स् ! ह्म्म्म् …ओह् यअअअ मेरी आवाज निकली..

अब मैंने हल्के से टोपी के उपर किस्स कि और अरविन्द को देख कर आन्ख मारी और मेरी जीभ तो जैसे सम्भल हि न रही हो बस अब अरविन्द के लण्ड कि टोपी को मैं जीभ से चाटने लगी. अरविन्द ओह् यअअअअअअअअअ माँ हाँ… यह एसे हि हाँ यह ठीक है एसे हि.? ‘ओह् वोव् क्या टेस्ट है मैं कहने लगी.. उसके बाद मैं धीरे धीरे पुरा लण्ड अपने मुन्ह में ले लिया और हल्के हल्के चूसने लगी.. ओह् अरविन्द ! हाँ स्स्स्स्स्स्स्
अरविन्द : माँ, ! हाँ… यह एसे चूसो हि हाँ यह ठीक है एसे हि चूसो ! …और मैंने पूरा लण्ड अपने मुन्ह में भर लिया और अन्दर बाहर करने लगी, मेरे लम्बे बाल जो खुले हुये थे उसे पीछे से सख्ती से पकड रखा था. अरविन्द.. मैंने तो बस कभी लण्ड चूसा हि नहीं था.. मेरी तो जान हि निकल रही है..

उस वक़्त रात के 09.30am हो चुके थे,… मेरे होन्ठ और मुन्ह जैसे सु्खी जमिन सि बन गयी हो, क्योंकी ज्यादा गरम हो जाने से इस तरह होता हि है.. अब मैं अरविन्द के खडे सख्त लण्ड चूसने लगी और ओह् यअअअअअअअअअअ .. बस चूसा और चूसते हि चली गई.. धीरे धीरे अरविन्द कि लण्ड बहुत हार्ड और मोटे होने लगा.… मैं उस्स्स्स्स्स्! बैटा तुम्हारा लण्ड तो बहुत हि टेस्टी है लगता है यह मेरी प्यास बुझा देगा.. आज तक मुझे यह सब कभी नहीं मिला था.… मैं तो डरने लगी थी अरविन्द लण्ड को देख के…

मैं बस चूसती गई और अरविन्द हाँ, हाँ फ़ुच्क् ! येअअअअअअअअअअअअ फ़च्किन्ग माँ …चूसो इसे, चूसो इसे मेरी… माँ मेरी रन्डी, चाट, चाट चूस और चूस ! अरविन्द पागल सा हो रहा था.. मैं बस मेरे लोलिपोप को चूसती हि गई.. फ़िर हल्के से उसके लण्ड को किस्स किया और पूरा मुन्ह में ले लिया और चूसने लगी… …

अब मुझे अरविन्द नीचे लिटाया और मेरे दोनो बूब्स को दो चान्टा हल्के से मारा और मुन्ह में ले लिया और मेरी ‘’औछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ! ओह् मैं तो जैसे पागल सि हो गयी,! चोदो मुझे.. चोदो मुझे फ़ाड दो मेरी, मैं अरविन्द को कहने लगी पर अरविन्द मेरे बडे बडे काले निप्पलस को चूसता गया और अपने जीभ से निप्पलस कि टोपी को चूसा ‘वोव्व्व्व! ओह्ह्ह् उस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् अरविन्द.. चोदो मुझे अभी, मुझे अभी चोदो मेरी चूत अपने लण्ड से भर दो ्नहीं तो मैं पागल हो जाउन्गी…… और चाहे मेरा ब्लातकार करो और चोद चोद कर फ़ाड दो मेरी चूत को.’’ मैं बडबडाने लगी… उस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् !

फ़िर मैं अरविन्द को अपने हाथ से खिन्च के अपने बूब्स से अलग किया और टेबल पास जाकर मेरे पसंद के पोज से उसे उत्तेजित करने लगी.. क्योंकी मैं इससे ज्यादा सम्भाल नहीं पाती और मैं अब अरविन्द ने मेरी हवस भरी आन्खो में देखा और भूख भरे इशारों से अरविन्द को मेरी गाण्ड और चूत दोनो बैक पोज में टेबल पर झुका कर मेरी मस्त बडी गाण्ड को जोर से दोनो तरफ़ खुद दो चान्टे मारे. और खुद ‘’हुम्म्म्म्म्म्म्म्’’ ,’’ तो यह तुम्हारी चोदने वाली जगह है चूत और गाण्ड.. पहले तो मैं गाण्ड में डालता हूँ कह कर दुबारा चान्टा मेरा मेरी गाण्ड को और बस अब अरविन्द मेरे पास.. और बोला माँ .. क्या कहती हो कहाँ चोदू पहले” कह कर मुझे किस्स किया और मेरे पीछे से मेरे गाण्ड को भि चूमा,…

मैंने कहा अरविन्द मेरी गाण्ड मारो.. मैं अपनी गाण्ड में पहले चुदवावा चाहती हूँ क्योंकी वो आज तक इस्तेमाल नहीं हुआ है और पू्री नियू और पैक्ड और सील बन्द है, तुम मेरे दूसरे पति हो.. इस लिए आज रात तुम इसकी सील खोलो.. कह कर मैंने अपनी गाण्ड में हाथ फ़िराया और अरविन्द को इशारा किया.. अब अरविन्द मेरे पास मेरी गाण्ड और चूत है गाण्ड सील बन्द है. चोद दे.. मेरी बस आज ‘वोव्व्व्व्व्! अह्ह्ह्व्व्व्व्व्व् ,,,, ‘’ उस्स्स्स, फ़िर अरविन्द मेरी गाण्ड में उसके सख्त और लम्बे मोटे लण्ड को घुसाने लगा…, अब तो मेरी चीख.. वोव्व्व्व्व्व्व्! ओह् नोओओओओओओ बैटा .. दर्द स् ! अरविन्द,* ह्म्म्म्म् थोडा रुको माँ, घबराओ नहीं, बस हो गया, अरविन्द बोला.… मुझे बहुत दर्द होने लगा था और अरविन्द के मोटे बडे लण्ड से, अरविन्द के लण्ड कि टोपी वो बडी, अब अरविन्द दुबारा अपने लण्ड को मेरे गाण्ड में घुसाने लगा, .. व्वोव्व्व्व्व्व्व् ! औछ्ह्ह्ह्ह.. ओह् दम्म्म्, धीरे डालो धीरे.. धीरे डालो बैटा, ओह्ह हाँ ,,, हुम्म्म्म्म्म्म्’’ … मैं बस दर्द से छटपटायी, पर इससे अच्छे मजे कहाँ थे मेरे जिन्दगी में..

अब अरविन्द का पूरा लण्ड मेरी गाण्ड के अन्दर था.. हुम्म्म्म्.. ओह् बैटाअअअअ .. अब चोदो मुझे . चोदो मुझे. अरविन्द,* हाँ माँ बोल.. ‘तुम बहुत हि गरम हो गरम कुतिया हाँ कुतिया.. फ़िर अरविन्द धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.. उस्स्स्स्स्स्स्स्स् करके मेरी चीख निकली और अब मुझे असल में मजा आने लगा था! अरविन्द तो जैसे भुखे शेर जैसे मेरे पूरे शरीर पर लपक पडा था.. फ़िर उसने मेरी कमर को अपने हाथ से जकड कर पकडा और चोदने लगा.. मैंने तो बोला .’’ह्म्म्म्म्म्… ‘चोदो चोदो अपनी होट माँ को आज रात मेरे प्यारे बैटे चोदो मुझे..’’ माँ ! उस्स्स्स्स्स् ! वोव्व्व्व्व्व्, अहअअअअअअअअअअअअ, इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् कि आवाजें मेरे मुन्ह में काम्प रही थी.. फ़िर अरविन्द अपना मर्दों वाला काम करने लगा जिसका मैं सालों से इन्तजार कर रही थी….

अरविन्द मेरी कमर को पकड के धक्के लगाने लगा.. औछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्, ओह् या या या, ओह् यअअअअ.. चोदो मुझे, चोदो मुझे फ़ाड दे मेरी, अरविन्द ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् यअअअअ उस्स्स्स्स्स्स्स्स् वोव्व्व्व्व्व्व्व्व् ! अरविन्द बस चोदता गया, मैं बस वोव्व्व्व्व्व्व्व्व् चोदो मुझे, मेरे नए खसम. ‘चोदो अपनी रन्डी बीवी को और मेरी गाण्ड और चूत को फ़ाड दो जैसे गधे का लण्ड डाला हो.. ओव्व्व्व्व्व्व्व्व् ! अब अरविन्द धक्के पर धक्का मार रहा था, और मैं ‘औअस्स्स्स्स्स्स्’ वोव्व्व्व्व, उस्स्स्स्स्स्स, यअअअअअअअअअअ’’ कि आवाज से मज़े ले रही थी,… अरविन्द के मोटे और लम्बे लण्ड जैसे मेरे गाण्ड को फ़ाड डाल रहा था,… उसके साथ साथ अरविन्द चान्टा भि मरने लगा था.. वोव्व्व्व्! चोदो मुझे.. चोदो मुझे अरविन्द ‘’ अरविन्द मुझे धक्के पर धक्क मरने लगा था.. वोव्व्व्व्व्व्व्’ अरविन्द चोदो मुझे जोर से और जोर से.. और आज मेरी गाण्ड फ़ाड दे.. मैं कब से प्यासी हूँ..

अरविन्द जैसे इतने जोर से धक्का मार रहा था कि उसके बाप ने भि आज तक वो धक्के मुझे नहीं लगाये थे.. वोव्व्व्व्व्व्व्व्व् ! अब अरविन्द ने मेरी चूत में लण्ड घुसा दिया और वोव्व्व्व्व्व्व्, ‘मैं बहुत खुश हूँ बैटा, यह मेरा पहला बार था कि कोयी लण्ड मेरी चूत में इतनी गहरायी तक गया है‘’ मैंने अरविन्द को कहा.. हुम्म्म्म्, उव्ह्ह्ह्, वोव्व्व्व्व्व्, यअअ बैटा.. अरविन्द ने कहा माँ मैं भि आपकी इन सारी चीज़ो के लिये कब से बैताब था…….. हर पल मैं भि भुखा था और आपके जिस्म कि वो मस्त मस्त बडे और उभरती हई जवानी को खाना चाहता था, अरविन्द ने कहा. आओ बैटा और इन सब को खा जाओ. ‘’मुझे तुम पर गर्व है मुझे गर्व है तेरे जैसा बैटा पाकर’’ .. चोदो अपनी माँ कि चूत को चोदो बाजा बजा दो इसका फ़ाड डालो इसे.. पोज एक हि था और वो मेरा डोगी स्टाइल मेरा पसंदिदा..

अरविन्द ने अब अपना लण्ड मेरी चूत के अन्दर दबाया और पूरा अन्दर डाल दिया. वोव् ! बैटा.. ‘’मैं तुम्हारी नयी ब्याहता रन्डी बीवी हूँ और आज रात हमारी सुहाग रात है और आज आपने मुझे खुश कर दिया है मेरे प्यारे पतिदेव,, ‘मेरे प्यारे पतिदेव ‘’ बोल कर मैं अरविन्द को कहने लगी और अरविन्द बस भुखे शेर जैसे मेरी जवानी को खोद खोद कर खाने लगा था.. मुझे मज़े और जवानी कि वो जलन जो आज तक बुझी नहीं थी थोडी सि ठन्डक आ रही थी…. मैंने कभी सोचा भि नहीं था कि एक 19 साल उमर का लडका और इतना तेज स्ट्रोन्ग सेक्स में, बडा लण्ड, सब कुछ पता सेक्स का पुरा अनुभव,… फ़िर अरविन्द मेरी चूत में चोदने लगा और मैं डोगी पोज में मज़े लेने लगी..

इतने जोर से वो धक्का लगा रहा था कि मैं कभी कभी टेबल से परे खिसक जाती थी और वो फ़िर से दुबारा मुझे खिन्च के ले आता था और धक्के मरने में लग जाता था.. ‘वोव्व्व्व्व्व्’…’ यअअअअअअअ’. उस्स्स्स्स्स्स् कि चीख निकल रही थी मेरी.. चोद बैटा मुझे चोदते चले जाआआ. आज इस नये नवेली दुल्हन को जो पूरे मस्त जवानी में भरी है उसे खाये जा.. ‘मेरे दूसरे प्यारे पतिदेव चोदो मुझे, चोदो अपनी रन्डी प्यारी बीवी को अपनी कुतिया को,… मैं अरविन्द को बोली.. अब करिब करिब अरविन्द मेरी चूत में और मेरी पीछे से मेरे कमर को पकड कर 10 से 09 मिनट तक लगातार धक्के मारने लगा था, वो भि मुझ जैसे जबर्दस्त बडी मोटी और मस्त मस्त बडी गाण्ड के बावजूद वो मुझे सन्तुश्ट करने में कामयाब रहा था और बस उस रात मुझे असल मज़े क्या है पता चला …था.

अरविन्द का लण्ड अन्दर, बाहर.. वोव्व्व्व्, अब बिना रुके लगातर अरविन्द धक्के मारने लगा और बीच बीच में चान्टा मारता मेरी मस्त बडी गाण्ड पर.. ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् उस्स्स्स्स् स्स्स्स् ओह यअअ अरविन्द चोदो, चोदो, चोदो मुझे.. ओह् यअअअअ हुम्म्म्म्म्म्म् बस मेरे चीखे निकल रही थी और मेरा बैटा मेरी जबर्दस्त चुदायी कर रहा था. …चोदो.. ओओव्व्व्व्व्व्व्व्व्व् ! यअअअअअअअअअ, उस्स्स्स्स्, अरविन्द धक्के पर धक्का मार रहा था…. वोव्व्व्व्व्व्व्व्, कि आवाज जैसे मेरे मुन्ह से रुक हि नहीं रही थी.

अब अरविन्द का स्टैमिना थोडा कम होने जैसा लग रहा था और मैं भि जबर्दस्त मस्त चुदायी खाने के बाद जैसे ठन्डा सि होने लगी थी,, बस अरविन्द का वो चीज निकल जाए जो मैं खाने चाहती थी,,, अब अरविन्द जोर जोर से धक्का मरने लगा और मेरी वही चीख वोव्व्व्व्व्व् चोदो और चोदो मुझे‘’ मेरे नये प्यारे चोदू हसबैन्ड ‘’ मैं बोल रही थी.. ह्म्म्म्म्म्म् बोलने लगा, अरविन्द ने कहा “तुम मेरी प्यारी कुतिया हो,…” मैं बोली “तुम मेरे जन्गली पतिदेव हो”.

 

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प्यासी माँ कि सुहागरात – Sex Stories