खुश करने के लिए या?
प्रेषिका : माया सिंह
कई साल पहले की बात है मेरे पति वरुण ने मुझसे पूछा- क्या तुम मेरे साथ नागपुर जाना चाहोगी?
उनको अपने जॉब के किसी काम से ही वहाँ जाना था। मैंने ख़ुशी खुशी हाँ कर दी, इस बहाने मैं भी घूम सकती थी।
हम दोनों ट्रेन से नागपुर पहुँचे। स्टेशन पर हमको लेने एक कार आई थी। मेरे पति ने बताया कि यह कार उनके सी.ए. ने भिजवाई है।
कार से हम एक पाँचसितारा होटल में आ गए। होटल का नाम मैं गुप्त रखना चाहती हूँ क्योंकि इससे होटल की बदनामी हो सकती है। हम करीब 4 बजे दोपहर तक होटल में आ गए थे। फिर वरुण ने बताया कि शाम को उनको अपने बॉस से नागपुर के एक क्लब में मिलना है। मुझे उन्होंने अच्छी तरह से तैयार होने को कहा।
मैंने गुलाबी रंग की एक बहुत बढ़िया साड़ी पहनी और उनके साथ क्लब गई। क्लब में वरुण का बॉस और सी.ए. दोनों मिले। उनके साथ वरुण ने मेरा परिचय करवाया और फिर हम चारों एक मेज़ पर बैठ गए। मेरे एक तरफ इनका बॉस था और दूसरी तरफ वरुण खुद थे।
इनके बॉस ने पूछा मुझसे- आप क्या ड्रिंक लेंगी?
मैंने थोड़ी आनाकानी और उनके जिद करने पर कह दिया- मैं बकार्डी ले लूँगी।
मैंने कभी एक बार बकार्डी पी थी, इसमें बहुत कम अल्कोहल होता है, वो अच्छी लगी थी। पर जब यह बकार्डी आई तो यह तो हार्ड ड्रिंक जैसी थी। पर अब मैं कैसे मना करती, मैंने ही तो कहा था।
बॉस ने कहा भी कि मेरी पसंद बहुत हाई है और तारीफ़ भी की।
अब ड्रिंक्स चल रही थी और सब थोड़ा थोड़ा बेतकल्लुफ़ भी होते जा रहे थे। थोड़ी हंसी मजाक होते होते फ्लर्टिंग में बदल रही थी।
मैंने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया तो वे और उत्साहित हो गए। इसी बीच मेरे पति यानि वरुण वाशरूम के लिए गए तो उनकी सीट पर वो सी.ए. साब आकर बैठ गए, वरुण आया तो खली कुर्सी में बैठ गया। अब मेरे आजू-बाजू इनका बॉस और सी.ए. हो गए। इनका बॉस एक बहुत ही खूबसूरत 6 फुट का जवान था। उसकी उम्र करीब 26-27 ही होगी। मैं भी 28 की थी। सी.ए. की करीब 35-36 होगी। वह भी आकर्षक तो था पर व्यक्तित्व में बॉस से कम ही था। बॉस तो ऐसा था कि कोई भी महिला पिंघल जाए उसकी बाँहों में।
मुझे ऐसी कोई उम्मीद नहीं थी कि उनकी भी मुझ पर नज़र है। पर मैंने महसूस किया की बॉस ने मेज के नीचे नीचे ही मेरे पैर पर अपने पैर से थोड़ा सा दबाव बनाया। मैं जब चुप रही तो दुबारा किया। मैंने भी जवाब दिया पैर से ही। मुझे ऐसा करने में बड़ी गुदगुदी हो रही थी, मज़ा आ रहा था। अब बॉस थोड़ा आगे बढ़े और अपने घुटने को मेरे घुटने से रगड़ने लगे। ऊपर से सब सामान्य दिख रहा था। थोड़ी देर मेरी रेशमी साड़ी पर ही उनके घुटने की रगड़ बहुत आनन्दित कर रही थी। मेरी ओर से भी उनको बराबर जवाब मिल रहा था, मैं भी अपनी टांग उनसे चिपका रही थी।
अब मेरी बारी आई चोंकने की। हुआ यह कि बॉस ने अपना दायां हाथ अचानक मेरी जांघों के बीच में रख दिया। मेरे हाथ का गिलास गिरते गिरते बचा। बॉस का यह हाथ मेरी जांघों के बीच में धंसता जा रहा था और मेरी योनि के उभार को छू रहा था। मैं तो काम्पने जैसी हालत में थी। उधर मेरी योनि में खलबली मच रही थी और वो गीली होती महसूस हो रही थी।
थोड़ी देर तक जब किसी ने नोटिस नहीं किया तो मैंने भी अपना बाया हाथ नीचे ही नीचे बॉस के लण्ड पर पैंट की ज़िप के ऊपर रख दिया। बॉस का लण्ड गरम और कड़क हो चुका था। पता नहीं कैसे सी.ए. की नज़रों ने हमारी यह हरकत पकड़ ली और वो भी चालू हो गया। उसने मौका देखा और बॉस का हाथ वहाँ से हटते ही अपना हाथ मेरी चूत पर धर दिया।
मुझे लगा कि आज तो कुछ गजब ही हो रहा है, मेरी चूत से जैसे अब पानी बहने लग जायेगा। ऐसा तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था। खैर अब ड्रिंक्स के बाद डिनर भी जल्दी ही हो गया और बॉस अपनी कार से हमको होटल छोड़ने आये। वहाँ पर एक कमरा हमारे बगल का ही सी.ए. के लिए था। वो भी साथ में आये। ऊपर आकर मैं तो अपने कमरे में आ गई गुडनाईट कह कर, वे तीनो सी.ए. के कमरे में बैठ गए, मुझे बताया कि अभी वे कुछ काम भी करेंगे और अभी ड्रिंक्स भी कम रह गई है तो थोड़ा और पियेंगे।
मैंने साड़ी उतारी, ब्रा और पैंटी भी उतर दी और नाईटी पहन कर लेट गई क्योंकि मैं ख्यालों से ही कुछ मज़ा लेना चाह रही थी।
मैं आँखें बंद करके सोने की मुद्रा में लेटी हुई थी कि वरुण मेरे कमरे में आया, उसी के लिए दरवाज़ा भी लॉक नहीं किया था।
मैंने आँख नहीं खोली तो उसने सोचा कि मैं सो रही हूँ। उसने अपनी ज़िप खोल कर अपना कड़क लण्ड मेरे चेहरे पर रगड़ना शुरु किया। मैं चुपचाप मज़ा लेती रही। अब उसने अपने लण्ड को मेरे होंटों पर रख दिया। मैं इतने गरम स्पर्श से आनंदविभोर होती जा रही थी। अब मुझसे भी नहीं रहा गया, मैंने जैसे ही आँखें खोली तो अवाक् रह गई।
मैंने डरते हुए कहा- वरुण आ जायेगा।
वह वरुण नहीं बॉस था, वे बोले- वो इतनी पी गया है कि कल तक भी होश में नहीं आएगा, तुम निश्चिन्त होकर चुदने का मज़ा ले सकती हो।
मुझे क्या मालूम था कि मैं जो सपना बुन कर आनन्दित होना चाह रही थी वो सब सच ही होने वाला था।
मैं फिर भी डर रही थी, तो बॉस ने कहा- सी.ए. वरुण के साथ बैठा है, वो नहीं आएगा, तुम चिंता मत करो।
मैं भी निश्चिन्त हो गई और इस खूबसूरत मर्द से चुदने का मज़ा लेना चाहती थी इसलिए फट से तैयार हो गई और लिपट गई उसकी बाँहों में।
उसने मुझे अपना लण्ड मेरे हाथ में थमाया। बाप रे ! क्या साइज़ था- 7″ से ज्यादा ही होगा। मैंने उसके लिए जल्दी से अपनी नाइटी ऊपर की और बिस्तर पर लेट कर टाँगे चौड़ी कर दी।
बॉस ने कोई देरी नहीं की और मेरी चूत पर अपना फनफनाता लण्ड टिका कर एक धक्का लगाया और लण्ड पिस्टन की तरह अन्दर तक धंस गया।
मुझे हल्का सा दर्द तो हुआ क्योंकि यह लण्ड कुछ ज्यादा ही मोटा था। पर जैसे जैसे उसने बाहर-भीतर, बाहर-भीतर पेलना शुरु किया तो भारी मज़ा आने लगा, मैं भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर पूरा लण्ड अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी। फच-फच की आवाज़ें आने लगी और में आआह्ह ऊउह्ह कर रही थी, सिसकारियाँ भर रही थी।
4-5 मिनट तक इसी तरह चोदने के बाद उसने मुझे घोड़ी की अवस्था में मेरे दोनों पैरों और हाथों पर खड़ी किया और पीछे से मेरी चूत को हाथ से टटोल कर उसमें अपना लण्ड घुसेड़ दिया और चूत में लगा धक्के मारने।
मेरी चूचियाँ हवा में उछलकूद कर रही थी और वो मेरी कमर अपने दोनों हाथों से पकड़े हुए पूरा लण्ड पेलते हुए अन्दर-बाहर कर रहा था, मुझे परम सुख मिल रहा था।
तभी मैंने देखा कि वो सी.ए. मेरे मुँह के सामने खड़ा है और मेरी जुल्फें, मेरे लम्बे बालों को चेहरे से हटा कर अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसाने की तैयारी में था।
मैंने कहा- मैं यह नहीं करुँगी !
पर वो नहीं माना और मुझे भी यह स्वाद चखने की इच्छा हो गई।
अब पीछे से बॉस जब धक्का मारता तो आगे दूसरा लण्ड मेरे हलक तक घुस जाता। सी.ए. मेरे बालो से खेल रहा था। फिर दोनों ने अपनी अपनी जगह बदल ली और फिर दोनों ने जम कर मुझे चोदा।
मैं इतने जोर से झड़ी और इतना पानी चूत से निकला जितना कभी नहीं निकला होगा। सी.ए. ने भी मेरी चूत में पानी भर दिया और ये सब मिलकर मेरी टांगों के किनारे किनारे बह निकले।
उधर बॉस भी जब झड़ने को हुआ तो उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया नहीं तो मेरा मुँह भी भर गया होता। लेकिन बॉस का वीर्य मेरे बालों में गिरा और वो हंसते हुआ बोला- शैम्पू लगा दिया तुम्हारे बालों में, धो लेना।
दोनों के झड़ने के बाद उन्होंने कहा कि उनको बहुत मज़ा आया और वे दोनों अपने कमरे में चले गए।
मैंने सब ठीकठाक किया और सोने का नाटक करने लगी। तभी 5-10 मिनट बाद वरुण धीरे से कमरे में आया, उसको बॉस सहारा देकर छोड़ गया।
वरुण खूब पिए हुए था, उसने मेरी बगल धीरे से लेट कर मुझे हल्की हल्की दो तीन आवाज़ दी, मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो फिर वो सो गया, मैं अपनी चूत को सहलाते हुए और उसे हाथ से थपथपा कर देखते हुए सो गई।
अगले दिन वरुण और मैं वापिस आ गए।
वरुण ने कोई ऐसी बात नहीं कही जिससे कुछ अंदाज़ा लगाया जा सके कि उसे कुछ शक भी हुआ या नहीं, या सब मालूम था, या उसने बॉस को खुश करने के लिए सब षडयंत्र रचा हो।
पर मुझे ऐसी शंका नहीं हुई, आज भी नहीं है।
चुदाई का यह विशेष अनुभव मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी।
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