ऊपर वाली मंजिल

ऊपर वाली मंजिल

प्रेषक : संजय शाह

मैं संजय दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैंने अन्तर्वासना पर लगभग सभी कहानियाँ पढ़ी हैं और इनको पढ़कर बहुत बार मुठ मारी है। इन कहानियों को पढ़कर मेरा भी मन किया कि मैं अपनी सच्ची कहानी लिखूँ।

मैं पहले अपने बारे में बता दूँ। मेरी उम्र 22 साल, कद 5 फुट 9 इन्च और मेरा लण्ड सात इन्च का है और इसने अब तक दो चूतों का स्वाद चखा है। मुझे सेक्स बहुत पसन्द है, मैं सेक्स का दीवाना हूँ। गोरी-चिट्टी, मोटे चुच्चों वाली ल्ड़कीयाँ मुझे बहुत पसंद हैं, मोटे चूतड़ देखकर तो मेरा लंड पागल हो जाता है। खैर मैं अपनी कहानी पर आता हूँ:

मेरा घर तीन मंजिल का है सबसे नीचे की मंजिल पर मम्मी-पापा और उसक्से ऊपर की मंजिल पर मैं और मेरा बड़ा भाई सोते थे। सबसे ऊपर वाली मंजिल हमने किराये पर दी हुई थी।

बात आज से दो साल पहले की है। किराये पर एक जोड़ा रहने के लिये आया था। उनकी शादी को तीन साल हो गये थे मगर कोई बच्चा नहीं था। पति सुबह जल्दी काम पर चला जाता था लगभग सुबह सात बजे, और शाम को लगभग सात बजे घर पर आ जाता था । इस बीच किरायेदारनी अकेली रहती थी।

मेरे घर में बड़ा भाई भी काम पर चला जाता था और मेरे पापा भी काम पर चले जाते थे। सिर्फ मैं और मेरी मम्मी घर पर रहते थे, मैं कॉलेज पास करके नौकरी की तैयारी किया करता था। मेरी मम्मी को गठिया-बाय की बिमारी है जिसके कारण उनके घुटनों में दर्द रहता था, इसलिये वो ऊपर कम ही आया करती थी।

अब मैं अपनी किरायेदारनी के बारे में बता दूँ, उसकी उम्र 24 साल थी, उसके चुचे 38 के थे और कमर 28 की। कोई उसके कूल्हे यानि गांड देख ले तो मुठ मारे बिना नहीं रह सकता था।

हम अकसर सीढ़ियों पर आते जाते टकरा जाते थे। जब भी वो मेरे पास से गुजरती थी तो उसकी महक मुझे पागल बना देती थी। दिल करता था अभी ही उसे बिस्तर पर लिटा दूँ।

एक दिन उसने मुझसे कहा- आप क्या करते हो?

तो मैंने बताया कि मैं नौकरी के लिये तैयारी कर रहा हूँ।

वो- आप हमेशा घर पर ही क्यों रहते हो, कहीं कोचिंग जोयन क्यों नहीं करते?

मैं- मैंने कोचिंग जोईन की थी तीन महीने के लिये और मुझे उसका फायदा भी मिला। लेकिन अब मैं घर पर ही तैयारी करता हूँ और मैंने यू डी सी की परीक्षा भी पास कर ली है।

वो- यह तो बहुत अच्छी बात है, कोंग्रेचुलेशन्स !!

मैं- शुक्रिया !

तभी मेरी मम्मी ने आवाज लगाकर मुझे नीचे बुला लिया।

मैं नीचे गया तो मम्मी ने कहा- बाजार से सामान ले आ।

और मैं बाजार चला गया।

मैं तो उसे कब से चोदना चाहता था मगर कैसे चोदूँ यह समझ नहीं आ रहा था। वो मुझे जिन नज़रों से देखती थी उससे लगता था किवो भी वही चाहती है जो मैं चाहता था।

वो जुलाई का महीना था। एक दिन करीब दोपहर 1:30 बजे लाईट चली गई तो मैं छत पर चला गया वहाँ वो भी थी।

मैंने कहा- आज गर्मी बहुत है।

वो- हाँ ! ऊपर से लाईट भी चली गई।

मैं- इतनी गर्मी में तो पढ़ाई भी नहीं हो पाती।

वो- सही कह रहे हो ! अच्छा संजय, तुमसे एक बात पूछूँ?

मैं- हाँ ! क्यों नहीं।

वो- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?

मैं- अभी तो नहीं है।

वो- तुम्हारा दिल नहीं करता क्या?

मैं- क्या करने के लिये?

वो मेरा इशारा समझ गई ! बोली- हट पागल, मैं वैसी बात थोड़े ही कर रही हूँ।

मैं अन्जान बनकर बोला- कैसी बात?

इतने में बिजली आ गई और वो बोली- अच्छा, बाद में बात करते हैं, अभी मुझे नीन्द आ रही है।

मैंने कहा- ठीक है।

उसने कहा- तुम नीचे नहीं जाओगे क्या?

मैंने कहा- नहीं, अभी थोड़ी देर रुकूँगा !

और वो नीचे चली गई।

वो अकेली थी और सोने जा रही थी। मेरे मन में एक ख्याल आया।

लगभग दस मिनट बाद मैं नीचे उसके कमरे के बाहर खिड़की से उसे देखने लगा। वो करवट बदल रही थी लेकिन उसे नीन्द नहीं आई थी।

मैंने हिम्मत करके उसे खिड़की से ही कहा- मैं भी यहीं सो जाऊँ क्या?

उसने कहा- क्यों आपके कमरे में जगह नहीं है क्या?

यह सुनकर मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई, मैंने कहा- मेरे कमरे मे थोड़ी गर्मी ज्यादा है।

उसने कहा- गर्मी तो यहाँ भी उतनी ही होगी।

मैंने कहा- “मैं एडजस्ट कर लूँगा।

उसने कहा- कोई आ गया तो?

बस फिर क्या था, मुझे हरी बत्ती मिल गई थी लेकिन अभी भी मन में डर था।

मैं उसके बिल्कुल पास जाकर लेट गया तो उसने कहा- तुम इतनी पास क्यों आ गये?

वो लेटी हुई थी, मैंने हिम्मत करके उसे लेटे हुए ही किस कर लिया।

वो अचानक ही खड़ी हो गई और गुस्से से कहा- यह तुम क्या कर रहे हो?

मेरी गांड फट गई, हाथ काँपने लग गए, मैंने मन में कहा “आज तो तू गया बेटा ! आज तेरा जनाजा निकलेगा !

थोड़ी देर तक हम दोनों कुछ नहीं बोले। मेरा दिल अब भी जोर-जोर से धड़क रहा था, हाथ अब भी कांप रहे थे, दिल कह रहा था कि अभी उससे माफी मांग लूँ और अपने कमरे में चला जाऊँ।

कमरे में बिल्कुल भी शोर नहीं था। मैं अपने दिल की धड़कन साफ सुन सकता था।

तभी उसने बोला- यह सब ठीक नहीं है।

उसके ये शब्द सुनकर मेरी तो जान में जान आ गई। औरतें हो या लड़कियाँ अपनी इच्छा छुपाने के लिये हमेशा यही कहती हैं- यह सब ठीक नहीं, हम गलत कर रहे हैं।

मैंने वक्त ना गंवाते हुए उसे एक बार और चूम लिया। इस बार थोड़ा लम्बा चुम्बन किया था।

उसने मुझे पीछे धक्का दे दिया।

मैंने उसका हाथ पकड़ा और चूमने लगा।

उसने फिर कहा- संजय, यह सब ठीक नहीं है, मैं शादीशुदा हूँ।

मैंने कहा- मैं तुमसे शादी करने के लिये नहीं कह रहा हूँ।

वो कुछ बोलने ही वाली थी कि इतने में मैंने अपने होंट उसके होंटों पर रखकर उसे चुप करा दिया।

इस बार वो मेरा साथ देने लगी और मुझे भी चूमने लगी। हम दोनो एक दूसरे को कुत्ते की तरह चाट रहे थे।

मैंने अपना हाथ उसके ब्लाऊज में घुसा दिया और उसके मम्मे मसलने लगा। उसके मुँह से आह आह की आवाज़ आने लगी।

फिर मैंने उसका ब्लाऊज खोल दिया और अपने हाथ उसकी पीठ की ओर ले जाकर उसकी ब्रा के हुक खोल दिये।

मेरे सामने जन्नत का नज़ारा था। क्या चुच्चे थे साली के, मैं भूखे शेर की तरह उसके चुचों पर टूट पड़ा।

एक हाथ उसकी गर्दन से होकर उसके कन्धे पर रखकर उसे थोड़ा झुकाया और दूसरे हाथ से उसके मम्मे को पकड़कर चूसने लग गया।

फिर मैंने देर ना करते हुए अपने सारे कपड़े उतार दिये लेकिन अपना अन्डरवियर नहीं उतारा।

उसे बिस्तर पर लेटाकर मैंने अपने होंट उसके दोनों चुचों के बीच रख दिये और आहिस्ता-आहिस्ता चूमता हुआ उसकी नाभि तक ले गया।

फिर मैंने अपनी जीभ उसकी नाभि में चलाना शुरु कर दिया। वो पागल सी हो गई, आह आह ईईईइ की आवाज निकालने लग गई और मेरे बाल पकड़कर मुझे हटा दिया। लेकिन मैं दोबारा शुरु हो गया और अब और ज्यादा नीचे जाने लगा।

उसके पेटिकोट का नाड़ा मेरे मुँह में था, मैंने अपने दाँतों से नाड़ा खोल दिया और फिर और नीचे जाने लगा।

वो तो जैसे आज पागल ही हो गई थी, उसके सिसकारने की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी और मैं और ज्यादा जोश में आ रहा था।

उसकी शेव की हुई चूत ने तो मुझे भी पागल कर दिया, थोड़ी ही देर मे मेरी जीभ उसके दाने को चाट रही थी। क्या महक थी, क्या स्वाद था ! शब्दों में कहना मुश्किल है।

थोड़ी देर में उसकी आवाज़ अचानक कम हो गई लेकिन मैं उसकी चूत में जीभ चलाता रहा।

दो-तीन मिनट बाद जब मैंने मुँह उठाकर देखा तो उसने अपने मुँह में अपनी ब्रा डाल रखी थी और अपने चुचे जोर-जोर से मसल रही थी। तब मुझे समझ आया कि आवाज़ कम कैसे हो गई थी।

वो पूरे ऊफान पर थी, मैंने भी अपना अन्डरवियर उतार दिया और अपने लौड़े पर नज़र डाली तो देखा साला सांप की तरह फुंफ़कार रहा था।

मैंने उसकी गांड के नीचे दो तकिये रख दिये और अपना लंड उसकी चूत में एक बार में ही पूरा दाल दिया और आगे की तरफ झुककर उसके मुँह से ब्रा निकाल दी फिर उसके चुचों पर अपने दोनों हाथ रखकर उन्हें दबाने लगा और जोर-जोर से झटके मारने लगा।

वो मस्ती में जोर-जोर से आह आह आह आअहाअह्हाअहाआ की आवाजें निकालने लगी।

एक मिनट बाद ही उसने मेरे हाथ पकड़कर मुझे उसके ऊपर लेटने का इशारा किया। मैं उसके ऊपर लेट गया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। उसने मुझे कस के पकड़ लिया और कहने लगी “और जोर से, और जोर से, और तेज़ !”

थोड़ी देर मे वो शिथिल हो गई। मैं समझ गया कि वो झड़ चुकी है। मैं फिर भी धक्के जोर-जोर से मार रहा था। उसने मुझे उठाने की कोशिश की लेकिन मैं नहीं उठा तो वो कहने लगी- मैं झड़ चुकी हूँ और मुझे दर्द हो रहा है।

मैंने उसकी परेशानी को समझते हुए अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और हम 69 की पोज़िशन में आ गये।

अब वो मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही थी और मैं उसकी चूत को आइसक्रीम की तरह चाट रहा था।

कुछ ही देर में वो तैयार हो गई, मैंने उसको घोड़ी बनने को कहा, वो फटाफट घोड़ी बन गई। इस बार मैंने उसकी चूत मैं एक बहुत तेज़ झटके के साथ अपना लौड़ा घुसा दिया।

वो चीख़ पड़ी और बोली- आहिस्ता करो राजा ! एक झटके में चूत का चित्तोड़गढ़ बनाओगे क्या?

मैं तेज़-तेज़ झटके मारता रहा और आगे झुककर उसके चुचे मसलता रहा, वो और तेज़ आहें भरने लगी- आह आहा आअह ऊई ईईई ऊई आहाअ आह्ह फाड़ डाल आज इस भोसड़ी को आह आहा अंहह आआअह्ह अंह्ह्ह !

करीब 10-12 मिनट की चुदाई के बाद मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ, बताओ कहाँ निकालूँ, तुम्हारी चूत में या मुँह में?

उसने कहा- चूत में ही निकाल दो !

10-15 तेज़ झटकों के साथ हम दोनों एक साथ ही झड़ गये। मैंने उसे नीचे लिटा दिया और थोड़ी देर तक उसके ऊपर ही लेट गया। वो मुझे किस कर रही थी। थोड़ी देर बाद हम दोनों खड़े हुए और अपने कपड़े पहन लिये, हमने फिर से किस किया। मैंने उसके उरोज जोर से दबा दिये।

उसने कहा- लगता है, अभी दिल भरा नहीं !

मैंने कहा- नहीं !!

उसने कहा- कल फिर से हो जाये?

मैंने हाँ में सर हिला दिया और एक औ चुम्मा लेकर नीचे चला आया।

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके बताएँ।

#ऊपर #वल #मजल