चाचा ने की मम्मी की चुदाई
मेरी मम्मी का नाम अनीता (बदला हुआ नाम) है, मेरे घर में मैं मेरी मम्मी अनीता मेरे पापा मेरी दीदी नेहा (जो मुझसे चार साल बड़ी है) और मेरे दो छोटे भाई-बहन हैं।
मेरी मम्मी देखने में मस्त हें, उनके बूब्स (चूचे) बड़े और मस्त हैं,
उनकी गाँड और चूतड तो मैं बता नहीं सकता कि कितने मस्त हैं।बस यूँ समझलें कि जैसे दो बड़ी-बड़ी फ़ु्टबाँल हों, जब वो चलती हैं तो ऐसा लगता है कि दो बड़ी फ़ुटबाँल
आपस में टकरा रही हों। मेरे अंदाज से उनका फ़िगर
38-34-42 है।अभी मेरी उम्र बीस साल है पर ये बात आज से लगभग चार साल पहले की है, तब मैं ** का था।
मेरी दीदी मेरी बूआजी के घर घूमने के लिये
गई हुईं थी और पापा दो-तीन दिनों के लिये अपने किसीकाम से बाहर गये हुऐ थे। घर में मैं मम्मी और दोनों छोटे भाई-बहन थे। उस दिन मेरे चाचा गाँव से आये हुऐ थे, क्योंकि
हमारे शहर में ऐक रिश्तेदार की शादी थी। तो शादी में शाम को मैं और चाचा गये और शादी से करीब 10 बजे वापस आ गये क्योंकि लाँज घर से 2-3 किलोमीटर था। हमने
दरवाजे की बेल बजाई तो मम्मी ने आ कर दरवाजा खोला। छोटे भाई-बहन अपने कमरे में सो गये थे,
मैं मम्मी और चाचा मम्मी के कमरे बैठ कर बातें कर रहे थे। थोड़ी देर में
मैं उन दोनों को बातें करते छोड़ कर अपने कमरे में सोने चला गया। रात के करीब डेढ़ बजे मेरी आँख खुली तो मुझको मम्मी के कमरे में से कुछ आवाज सुनाई दी, मम्मी का
कमरा और मेरा कमरा पास-पास हैं। मैं दबे पाँव मम्मी के कमरे के दरवाजे के पास गया और सुनने की कोशिश करने लगा तो मुझको मम्मी की चूड़ियों के खनकने और उनकी
सिसकियों की आवाज सुनाई दी इस तरह की शशशीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईइ आहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्उफ़फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मैं समझ गया कि मम्मी और चाचा का चुदाई कार्यक्रम
चल रहा है। मैं दरवाजे के छेद से कमरे के अंदर झाँकने लगा मगर कमरे के अंदर अन्धेरा था मुझको कुछ दिखाई नहीं दिया। मेरे कमरे के अंदर देखने कीकोशिश में थोड़ी सी आवाज हो गयी।
मेरे पांव से गिलास टकरा गया था अंधेरे की वजाह से।
मैं तुरंत अपने कमरे में अपने बैड पे जा के लेट गया तभी थोड़ी देर में मम्मी मेरे कमरे मे आईं और मुझको देखने लगी की मैं कहीं
जाग तो नहीं रहा में सोने का नाटक करने लगा। मम्मी गयी और चाचा से कहने लगीं कि दूसरे कमरे में चलते हैं, कहीं लड़का जाग गया तो मुसीबत हो जायेगी। चाचा बोले ठीक है मेरी जान
और वो दोनों दूसरे कमरे में चले गये और थोड़ी देर बाद मैं भी उस कमरे की तरफ़ गया। मैं कमरे के छेद से अंदर देखने लगा,जीरो बाट का नाइट बल्ब जल रहा था। उसकी हल्की सी रोशनी
में मैं ने देख कि मम्मी बैड पे लेटी हुई थीं और चाचा उनको चोद रहे थे।
मम्मी चाचा से कह रही थीं कि और जोर से चोदो मेरे राजा मेरी चूत को फ़ाड़ दो मेरी चूत का बाज बजा दो।
चाचा बोले अनीता रानी साली तू मेरी भाभी नहीं मेरी रन्डी है और ऐसा बोल के वो और जोर-जोर मम्मी की चुदाई करने लगे। मम्मी सिसकियॉ ले रहीं थी शशशीईईईईईईईईईईईईई
आहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अरी मंईईईईईईईईईईईईईईइयाआआआआआआआआअ उमम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म चोदो मेरे राजा मेरी चूत में तुम्हारा लन्ड अंदर तक घुसा दो मेरी
मस्त चुदाई करो मुझको ऐक बार फ़िर से अपने बच्चे की माँ बना दो।
इसका ये मतलब हुआ कि हम भाई-बहनों में से कोई मेरे चाचा का बच्चा है। ये सब देख कर मेरा हाथ अपने आप मेरे लन्ड पे चला गया। फ़िर चाचा ने मम्मी को घोड़ी बना के भी चोदा,
इसके बाद थोड़ी देर में पुच्च-पुच्च की आवाज आने लगी मतलब
चाचा ने अपने लन्ड का पानी मम्मी की चूत मे छोड़ दिया। इधर मेरे लन्ड ने भी पानी छोड़ दिया, मम्मी और चाचा थोड़ी देर में ही बाहर आने वाले होंगे ये सोच कर मैं अपने कमरे में
आ कर सो गया। सुबह 10 बजे के करीब मेरी आँख खुली, मम्मी
नाश्ता बना रहीं थी। उस सुबह मम्मी के चेहरे पे हल्की मुस्कान थी,
मुझको देख कर मम्मी ने कहा कि फ़्रैश हो जाओ ओर आ कर नाश्ता कर लो। मैं ने मन में सोचा कि देखो
चुद्दो कैसे सती सावित्री बन रही है। रात में इतनी चुदाई के बाद भी मम्मी
सुबह फ़्रैश लग रहीं थी । ये मेरी सच्ची कहानी है, जिसको जो समझना है समझे।
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