वैशाली आंटी की यौन तृप्ति-1

वैशाली आंटी की यौन तृप्ति-1

प्रेषक : अभिनय

दोस्तो, आज मैं पहली बार अपने साथ घटित किस्सा आप सभी से बता रहा हूँ।

यह बात एक साल पहले की है, मैं उस समय अपने काम मैं बहुत व्यस्त रहता था। मेरे पड़ोस में एक औरत रहती है, उसका नाम वैशाली है। उसकी उम्र होगी 45 के आस-पास। दिखने में वो कोई अप्सरा नहीं थी पर उसका फिगर बहुत गजब का है, 42-34-36 उसकी चूचियाँ देख कर मन में ऐसा विचार उठता था, क्या मैं इनका रसपान कर पाऊँगा? और क्या मैं वैशाली की मखमली गांड में अपना लौड़ा डाल सकूंगा और उसका ‘भुरता’ बनाऊँगा।

उसका पति है पर उसका होना ना होना बराबर है, आपको ‘मैं, मेरी बीवी और वो’ तो याद होगी, राजपाल यादव की मूवी, बस मेरी पड़ोसन का पति वही राजपाल यादव जैसा ही पूरा है, पर जब उसकी बीवी रात को टहलने निकलती है तो उसके मटकते नितम्ब देख कर मैं अपना लंड संभालता हूँ। हमारे परिवार आपस में अच्छे पड़ोसियों की तरह रहते हैं, एक दूसरे के घर आना-जाना है।

अब आप वैशाली को तो समझ ही गए होंगे, कुछ मैं अपने बारे में भी बता दूँ, मैं 20 साल का अच्छा खासा लौंडा हूँ, दिखने में भी अच्छा हूँ पर मैं गर्लफ्रेंड नहीं बनाता हूँ क्योंकि लड़कियाँ बातों को दिल पर ले लेती हैं और पीछे पड़ जाती हैं, जो किसी को परेशान करना कहलाता है और मुझे पसंद नहीं है। मेरा लंड 7 इंच लम्बा है और चूत का भोसड़ा बनाने के लिए काफी है।

तो अब मैं कहानी पर आता हूँ, कुछ दिन पहले मेरे घरवाले मेरे रिश्तेदार के घर गए हुए थे, पर मैं घर में अय्याशी करना चाहता था, जिसके लिए ऐसा मौका बहुत कम मिलता है। मैं काम का बहाना कर नहीं गया और अपने सारे दोस्तों को बताया कि मैं भी घरवालों के साथ जा रहा हूँ।

तो अब सबको पता था कि मैं अपने घरवालों के साथ गया हूँ। घर वालों को रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में बिठा कर मैं अपनी कार से बाज़ार गया और दारू की दुकान से 6 बियर की बोतलें खरीदीं और एक सिगेरट का पैकेट लिया और अपने घर आ गया।

मेरा खाना मेरी पड़ोसन वैशाली आन्टी के घर में था, पर मैं पहले पीना चाहता था इसलिए मैंने पहले एक बियर खत्म की और माउथ फ्रेशनर खाकर उनके घर गया। वैशाली आंटी खाना लगा रही थीं, मैं सामान्य व्यव्हार कर रहा था।

मैं खाना खा रहा था और उनसे बात कर रहा था कि खाना बहुत अच्छा बना है, तो वैशाली आंटी बहुत खुश हुईं। मुझे आंटी ने मिठाई भी खिलाई और फिर बात करने लगीं मेरी पढ़ाई के बारे में।

मैंने बताया कि दिसम्बर में एक्जाम होंगे।

तो बोलीं- अभी तो बहुत टाइम है, तुम क्यों नहीं गए?

तो मैंने बोला- मेरी कोचिंग क्लास है।

तो बोली- आजकल के बच्चे कितनी पढ़ाई करते हैं।

मैं मन ही मन बोला- पढ़ाई नहीं, चुदाई करते हैं।

मै आंटी से बोला- मैं चलता हूँ, मुझे प्रोजेक्ट बनाना है।

तो बोली- सौंफ तो खा लो, फिर चले जाना।

वो सौंफ देने मेरी तरफ झुकी तो मैं उनकी चूचियों को देखने लगा। मेरा लंड वहीं मुझे परेशान करने लगा। एक तो बियर अपना हल्का सा असर दिखाने लगी थी। मैंने अपने आप को संभाला और वहां से अपने घर आया। दरवाज़ा लॉक करके मैं अपने कमरे में आया, लैपटॉप चालू किया और एक बियर निकाली और पीने लगा।

फिर मैं अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगा हो गया। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। रात भर मैं बियर पीता और ब्लू फिल्म देखता रहा और वैसे ही नंगा सो गया। सुबह उठा तो दस बज रहे थे। लोअर पहन कर मैंने बियर की बोतलें पन्नी में भरीं और एक तरफ रख दीं।

इतने में दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी, मैंने दरवाज़ा खोला तो वैशाली आंटी थीं। मैं अपना मुँह खोलता, उससे पहले आंटी ने बोलना चालू कर दिया- कब से घन्टी बजा रही हूँ, काम वाली बाई आकर चली गई, तुम तो सोते रहते हो !

फिर वो बोलीं- फ्रेश होकर आ जाओ, नाश्ता कर लेना।

फिर बोलीं- जिम जाते हो क्या?

मुझे याद आया मैं सिर्फ लोवर में आ गया था, पर मेरा ध्यान उनकी बातों में कहाँ था। मैं तो गाऊन के ऊपर से उनकी चूचियाँ देख रहा था, बहुत गजब की लग रही थीं।

मेरा लंड खड़ा हो गया था और आंटी को सलामी दे रहा था।

शायद आंटी ने सलामी देख ली थी तो वो कुछ बोलतीं, मैं बोल पड़ा- मैं फ्रेश होकर आता हूँ।

और तुरंत दरवाज़ा बंद करखे बाथरूम में घुसा लोवर निकाल कर फेंका और लंड को पकड़ कर मुठ्ठ मारने लगा, मैं आंटी की चूचियों के बारे में सोच रहा था, मुठ्ठ मार रहा था और कुछ ही देर में मेरा माल निकल गया, फिर लंड को पानी से धोया और फ्रेश हो कर आंटी के घर गया।

जब तक मैं पहुँचा 11 बज चुके थे। अंकल ड्यूटी पर जा चुके थे मैं कुर्सी पर बैठा था। आंटी आईं, मैं उन्हें ही देख रहा था।

आंटी सामने आ कर खड़ी हो गईं और बोलीं- क्या हुआ बेटा ! लो, नाश्ता कर लो ! तब तक मैं नहा कर आती हूँ, तुम अभी जाना नहीं।

मैं नाश्ता करने लगा। आंटी नहाने चली गईं फिर मेरे अन्दर का जानवर जगा, मैंने सोचा कि इसको नहाते हुए देखा जाए। मैं बाथरूम के दरवाज़े से अन्दर झाँकने की कोशिश करने लगा, पर शायद वो नीचे बैठ कर कपड़े धो रही थीं।

मैं उठ कर बाहर आया और टीवी देखने लगा। थोड़ी देर में वो नहा कर निकली तो सलवार सूट पहने थीं।

मैं बोला- मैं घर जा रहा हूँ।

और अपने घर आ गया। दस मिनट बाद फिर दरवाजे की घण्टी बजी। मुझे गुस्सा आया, अब कौन आ गया? देखा तो आंटी थीं। मैंने उन्हें अन्दर बुलाया और बैठाया।

मैं अन्दर रूम में आया तो वो भी आ गईं और कितना सामान फैला कर रखा है, पूरे कपड़े इधर-उधर पड़े हैं।

फिर घर साफ़ करके विशाली बोली- तुम दरवाज़े से क्या देख रहे थे?

मैं घबरा गया कि मुझे कहीं देख तो नहीं लिया आंटी ने? मेरी फटी, मैं बोला- कब?

तो बोली- जब मैं नहा रही थी, साले क्या देख रहा था ! हमेशा की तरह मेरी चूची और गाण्ड ! जब भी तू मुझे देखता है मेरी गांड और चूचियों पर तेरी नज़र रहती है साले ! आंटी पर नज़रें क्यों डालता है? अपनी उम्र की लड़कियों पर डाल !

मेरे मुँह से निकल गया- उनमें वो बात कहाँ !

तो आंटी बोलीं- तो मुझमें ऐसी क्या बात है? जो उन जवान लड़कियों में नहीं? मैं तो बुड्डी हो गई हूँ मोटी हूँ। फिर तुझे मेरे में ऐसा क्या पसंद है जो मुझे देखता रहता है?

मैंने सोचा इसको पटाने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।

अब मैं आगे बढ़ा और बोला- जो बात आप में है वो आज की लड़कियों में कहाँ? आप इतनी खूबसूरत हो, सेक्सी हो !

बोली- वो मैं तभी समझ गई थी, जब तेरा लण्ड मुझे सलाम कर रहा था।

मैं बोला- आंटी, क्या मैं आपको एक बार चूम सकता हूँ?

तो बोली- तुझे मेरे में कुछ मज़ा नहीं आएगा।

मैं बोला- वो आप मेरे पर छोड़ दो, मैं कर लूँगा।

मैंने उनके रसीले काले होंठों पर अपने होंठ रखे, तो एक अजीब सा करेंट लगा मुझे ! मैंने अपनी जीभ उनके होंठों पर फेरी तो आंटी ने मेरी जीभ अपने होंठों में लेकर मेरी जीभ चूसने लगी।

मैंने सोचा नहीं था कि कुछ ऐसा भी हो जायेगा, पर उनके मुँह से एक अलग सी खुशबू आ रही थी, जिससे मैं पागल सा हो रहा था। मैं अपनी जीभ उनके मुँह में चारों तरफ घुमा रहा था फिर मैं उनकी लार को पीने लगा। वो अपनी जीभ से मुझे अपनी लार पिलाने लगी।

फिर मैं अपना हाथ उनकी चूचियों पर ले गया और कमीज के ऊपर से दूध दबाने लगा। उनके गले पर चूमने लगा, अपनी जीभ को उनके गले में फेरने लगा। वो बहुत तेज़ी से मेरी पीठ पर हाथ फेर रही थीं। उसके बाद मैं उनके कान में अपनी जीभ से प्यार करने लगा।

वो बोल पड़ी- आज तक मुझे कभी ऐसा अहसास नहीं हुआ।
मैं चुप रहा कुछ नहीं बोला। मैंने उसके बाद उनका कुरता उतार कर उनकी ब्रा पर हाथ फिराने लगा और फिर मैंने अपने हाथ ऊपर किए और उनकी बगल को सूंघने लगा।

वो सिसियाई- यह क्या कर रहे हो तुम? मुझे गुदगुदी हो रही है, बहुत पागल हो। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

तो मैंने अपना काम जारी रखा और आंटी को तो तब पागल कर दिया, जब मैंने उनके अंडर-आर्म्स पर अपनी जीभ फेरी।

आंटी बिस्तर पर उछलने लगीं, फिर मैंने उनको बिस्तर पर लिटाया और उनकी ब्रा उतार दी। पर उनकी बगलों की महक अभी तक मेरे मुँह और नाक में थी। मेरा लंड पूरी सख्ती के साथ खड़ा था।

आंटी मेरे लण्ड को मसल रही थीं। मैं उनकी चूची दबाने लगा। उनकी चूची के निप्पल के चारों तरफ के हिस्से का रंग काला था, जो मुझे और उत्तेजित कर रहा था।

मैंने अपनी जीभ वैशाली के निप्पल पर रख दी। आंटी एकदम से उठ गईं तो मैंने उनके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया। आंटी ने मेरी टीशर्ट उतार दी। मैं दोनों चूचियों को बहुत देर तक चूसता रहा और आंटी अपने हाथ मेरी पीठ पर फेरती रहीं।

मैं अपना हाथ उनकी सलवार पर ले गया और नाड़ा खोल कर उसको उतार दिया। अब आंटी सिर्फ पैन्टी में थीं।

उनसे रहा नहीं गया तो बोलीं- यह गलत बात है?

कहानी जारी रहेगी।

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