बच्चे की चाहत में चुद गई
प्रेषक : समीर
मेरा नाम समीर है, हिसार, हरियाणा का रहने वाला हूँ। मैं आज आपके सामने अपनी एक कहानी लेकर आया हूँ। आशा है कि आपको पसन्द आयेगी।
मुझे शुरु से ही भाभियाँ और आन्टियाँ बहुत पसन्द हैं इसलिये मुझे जब भी किसी भाभी या आंटी को चोदने का मौका मिलता है तो मैं चूकता नहीं हूँ।
वैसे मैं बता दूँ कि मेरी उमर 26 साल और लण्ड 6.5 इंच लम्बा है और आन्टियों और भाभियों को बहुत पसन्द आता है।
करीब 4 साल पहले एक शादी-शुदा जोड़ा हमारे पड़ोस में रहने के लिये आया। औरत करीब 27 साल की थी।
देखने में क्या क्यामत थी यारों !
और उस पर उसका मस्त फ़िगर, लगभग 34-27-36 का, रंग एकदम गोरा, जब वो कूल्हे मटकाकर चलती थी तो और भी क़यामत लगती थी।
मैं तो उसे देखते ही उसे चोदने की सोचने लगा।
शुरु-शुरु में तो उसकी और हमारी कम ही बात होती थी। सुबह उसका पति काम पर चला जाता तो वो दिन भर घर में अकेली रहती।
धीरे-धीरे उसकी और मेरी माँ की बातचीत शुरु हो गई। तब पता लगा कि वो लोग पंजाब के रहने वाले थे और उसका पति एक मार्केटिंग कम्पनी में काम करता था, उसके पति का तबादला हिसार हो गया था इसलिये वो लोग हिसार आ गये थे।
जैसे कि मैंने बताया कि वो दिन में अकेली रहती थी और उसको बाहर का कोई काम होता तो वो मेरी माँ को बोल देती और मेरी माँ मुझे।
धीरे-धीरे उसकी और मेरी भी बातचीत शुरू हो गई और मेरा भी उसके घर में आना-जाना शुरु हो गया।
जब मैं उसके घर जाता तो मेरी नजर हमेशा उसके सेक्सी शरीर को टटोलती रहतीं। उसको भी शायद धीरे-धीरे समझ में आने लगा था कि मैं क्या देखता रहता था।
धीरे-धीरे उसकी और मेरी अच्छी बातें होने लगी। बातों-बातों में पता लगा कि उसकी शादी को 8 साल हो चुके थे। उसके पिता अक्सर बीमार रहते थे इसलिये उसके घर वालों ने उसकी शादी जल्दी ही कर दी थी, पर उसका अभी तक उनका कोई बच्चा नहीं था।
एक दिन किसी काम से मैं उसके घर गया, वो उदास बैठी हुई थी। मैंने पूछा तो वो बोली कि पति तो नौकरी पर चले जाते हैं, और सारा दिन वो घर में अकेली रहकर बोर हो जाती है, टीवी भी कब तक देखे।
तो मैंने ऐसे ही बातों-बातों में उससे कहा- आप लोग बच्चा क्यों नहीं प्लान कर लेते?
मेरे इतना कहते ही वो और उदास हो गई। ऐसा लगा कि जैसे मैंने उसकी किसी दुखती रग पर हाथ रख दिया हो, वो मुश्किल से अपने आँसू छुपा पा रही थी।
मैंने मौके का फ़ायदा उठा कर उसके आँसू पोंछने के बहाने उसके गोरे-गोरे नरम गालों को छुआ और एक कोहनी से उसका एक स्तन हल्के से दबा दिया और बातें घुमाकर उसका मूड ठीक किया।
गर्मियों के दिन थे। करीब दिन के 12 बजे के आस-पास मेरे मोबाइल पर उसका फोन आया- समीर कुछ काम है, प्लीज एक बार घर आ जाओ।
मैं करीब 10 मिनट बाद उसके घर गया और घन्टी बजाई।
उसने दरवाजा खोला, उसको देखते ही मेरे तो होश उड़ गये, उसने गुलाबी रंग की एक हल्की पारदर्शी मैक्सी पहनी हुई थी, जिसमें उसके ब्रा के कट्स साफ़ दिखाई दे रहे थे।
क्या क्यामत लग रही थी यारो ! गोरे-गोरे शरीर पर गुलाबी मैक्सी कहर ढहा रही थी। ऊपर से उसके गोरे-गोरे उभारों के बीच की घाटी साफ़ दिख रही थी। मेरा लण्ड तो एकदम तोप की तरह उसके बदन को जैसे सलामी देने को तैयार हो रहा था।
मन तो कर रहा था कि इसको अभी नंगी करके इसके चूचों को निचोड़ दूँ और अपना लंड इसकी चूत में डाल दूँ।
पर मैंने अपने आप को सम्हाला और नजरें उसके सीने से हटा कर उसके चेहरे की तरफ़ देखा और बोला- हाँ भाभी, क्या काम है?
वो हल्की सी मुस्कान के साथ बोली- अन्दर तो आओ।
मुझे उसके इरादे भी कुछ नेक नहीं लगे रहे थे। मैं उसके पीछे-पीछे अन्दर चला गया।
उसने बड़े प्यार से मुझे सोफ़े पर बिठाया और बोली- क्या लोगे?
मैंने भी थोड़ा शरारत भरा जवाब दिया, उसके वक्ष की तरफ़ देखकर मैं बोला- भाभी आज तो दूध पीने का मन कर रहा है।
वो मेरा इशारा समझ गई थी, पर वो रसोई में गई और थोड़ी देर बाद एक दूध का गिलास ले आई और मुझे देने लगी।
वक्त की नजाकत को समझते हुए मैं थोड़ा आगे बढ़ा और बोला- भाभी ये वाला दूध नहीं, ये दूध तो मैं रोज पीता हूँ, आज कुछ दूसरा दूध मिल जाये तो कुछ बात बने।
मामला एकदम साफ़ था, वो चुदना चाहती थी और मैं चोदना।
पर वो अन्जान बनते हुये बोली- समीर कौन सा दूध?
मैंने बिना देर किये उसका हाथ पकड़ कर उसको अपने पास सोफ़े पर खींच लिया और उसके एक उभार को दबा कर कहा- भाभी आज तो इनका दूध पीना है।
उसके मुँह से एक हल्की सी ‘आह’ निकली।
वो बोली- समीर थोड़ा आराम से।
बस अब क्या था। उसके ऐसा कहते ही मैंने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिये और बिना रुके उनका रसपान करने लगा।
क्या होंठ थे उसके एकदम मलाई जैसे नरम !
वो भी पूरा साथ दे रही थी और मेरे होंठों को चूस रही थी।
ऐसा लग रहा था कि जैसे वो कई दिनों से भूखी थी।
सादा सा चुम्बन कब स्मूच में बदल गया, पता ही नहीं चला। साथ ही मेरे हाथ उसके सीने पर चल रहे थे।
मैं मैक्सी के उपर से ही उसके उरोज दबा रहा था। करीब 15 मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद हम अलग हुये।
मैंने उसकी मैक्सी उतारी, अब वो सिर्फ़ गुलाबी ब्रा और पैन्टी में थी।
‘अये हए, क्या बयान करूँ उसके बदन की सुंदरता ! एकदम दूध से धुली हुई और बूब्स तो एकदम मुस्म्मियों से गोल और तने हुये।’
मेरा तो मन कर रहा था कि दिन-रात इसको चोदता ही रहूँ।
मैं उसको सिर से पाँव तक चूमने लगा। जल्दी ही मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी भी निकाल दी।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना मुँह उसके संतरे पर रख दिया और उसके एक निप्पल को अपने होंठों में दबा लिया।
उसके मुँह से एक उत्तेजित ‘आह’ निकली। अब मेरा मुँह उसके दुद्दुओं पर था और मेरे हाथ उसके मखमली बदन पर चल रहे थे, कभी उसकी नाभि पर, कभी उसकी पीठ पर, कभी उसके चिकने और गोल-गोल चूतड़ों पर।
उसने अपने हाथों से मेरा मुँह अपने उरोजों पर दबाया और बोली- समीर जोर से चूसो इन्हें।
और मैंने उसकी गेंदों का जोरदार मर्दन शुरु कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उसके मुँह से ‘आहें’ निकल रही थीं।
अब मेरा हाथ उसकी चूत को टटोल रहा था। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। ऐसा लग रहा था कि जैसे आज ही उसने अपने बाल साफ़ किये हों।
मैं धीरे-धीरे उसकी चूत को ऊपर से सहला रहा था। वो धीरे-धीरे और गर्म हो रही थी। फिर मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। मेरे ऐसा करते ही वो चिहुँक उठी।
मैं धीरे-धीरे अंगुली को उसकी चूत में चलाने लगा। उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
मैंने उसके बूब्स को चूस-चूस कर लाल कर दिया और अब मैं अपना मुँह उसकी नाभि से होते हुये धीरे-धीरे नीचे लाने लगा और उसकी चूत पर एक हल्का सा चुम्बन किया।
वो और बेचैन हो गई। मैंने अपनी अंगुलियों से उसकी चूत के होंठों को फ़ैलाया और अपनी जीभ उसकी क्लिट पर रख दी।
धीरे-धीरे मैं अपनी जीभ से उसकी क्लिट को सहलाने लगा और जीभ से ही उसकी चूत को चोदने लगा।
वो उत्तेजना में ‘आहें’ निकालते हुये मेरा नाम ले रही थी। थोड़ी देर में वो अपने चूतड़ उचका-उचका कर अपनी चूत चुदवाने लगी और और जोर-जोर से मेरा नाम लेने लगी।
मैं भी तेजी से अपनी जीभ उसकी चूत में चला रहा था। थोड़ी देर में ही वो अकड़ने लगी।
“समीर ! मैं तो गई… आह… आह…” करते हुये झड़ गई।
उसके झड़ते ही मैं बेड पर बैठ गया और अपने कपड़े उतारने लगा। उसकी आँखें बन्द थी और उसकी साँस अभी भी तेज थी।
2-3 मिनट बाद उसने आँखें खोली और उसके आँखें खोलते ही मैंने अपना लण्ड उसके हाथ में दे दिया।
बिना देर किये ही लण्ड को उसने अपने मुँह में ले लिया और पागलों की तरह चूसने लगी।
मैं भी अपने हाथ उसके बूब्स और चूत पर चलाने लगा।
थोड़ी देर में वो फिर तैयार हो गई और बोली- समीर अब और देर मत करो, जल्दी से इसे मेरी चूत में डाल दो।
उसके ऐसा कहते ही मैं उसके ऊपर आ गया और उसकी टांगों को चौड़ा करके अपना लण्ड को उसकी चूत पर रखा।
वो चूतड़ उठाकर लण्ड लेने की कोशिश कर रही थी।
मैंने एक धक्का मारा, 2-3 इन्च लण्ड उसकी चूत में गया। उसकी चीख निकल गई, वो बोली- समीर थोड़ा आराम से, मेरे पति का इतना बड़ा नहीं है। मुझे दर्द हो रहा है।
मैं धीरे-धीरे वहीं पर अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। जब उसे मजा आने लगा तो मैंने एक जोरदार धक्का मारा और पूरा लण्ड उसकी चूत में पेवस्त कर दिया।
दर्द के मारे उसकी चीख निकल गई।
पर थोड़ी देर बाद जब उसको मजा आने लगा तो वो कमर उठा-उठा कर लण्ड लेने लगी और मुँह से मादक आवाजें निकालने लगी- समीर चोद दो, मुझे कब से तरस रही थी, मैं ऐसी चुदाई के लिये। आज मेरी चूत की आग शांत कर दो आह… ह्ह… आअ… ह्हह…”
मैं धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था। उसकी कामुक ‘आहों’ से मुझे और जोश आ गया और मैं और जोर से लण्ड चलाने लगा।
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?
वो बोली- अन्दर ही निकाल दो।
फिर 2-3 जोरदार धक्कों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गये, उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गई, मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया।
करीब 5-7 मिनट बाद हम सामान्य हुये, वो बोली- समीर थैंक्स, आज तक मुझे कभी इतना मजा नहीं आया जितना आज तुमने मुझे दिया है।
और बोली- मेरे पति मुझे माँ नहीं बना सकते। क्या तुम मुझे माँ का सुख दोगे?
तब मेरी समझ में आया कि यह उस दिन बच्चे के बारे में पूछने पर उदास क्यों हो गई थी।
मैनें उसको माँ का सुख देने का वादा किया और एक बार और उसकी अच्छी तरह से चुदाई करने के थोड़ी देर बाद मैं वहाँ से चला आया।
उसके बाद तकरीबन रोज मैं उसकी चुदाई करता। कुछ समय बाद वो गर्भवती हो गई।
एक दिन उसने मुझे खास तौर पर बुलाया और यह बात बता कर मेरा धन्यवाद किया।
कुछ समय बाद उसके पति ने अपना तबादला पंजाब में ही करवा लिया और वो लोग यहाँ से चले गये।
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