लच्छेदार झांटों वाली
प्रेषिका : श्रुति
हेलो मेरा नाम श्रुति है, मेरी उम्र 18 साल है, वैसे तो कालेज में मेरा नाम प्रज्ञाली सिंह है। मैं अन्तर्वासना सेक्स कहानियों की नियमित पाठिका हूँ। इसीलिये मैंने यह सोचा कि क्यों ना अपनी आप बीती सभी को बताऊँ !
मैं लखनऊ में अपने परिवार के साथ रहती हूँ। मेरे परिवार में पापा दिलीप उम्र 56 साल, मम्मी उमा 38 साल, भाई नीरज 20 साल और मैं एक किराये के मकान में रहते हैं, वहीं उसी मकान में दूसरे कमरे में एक लड़का रानू उम्र 26 साल रहता है, हम उसे चाचा कहते हैं। मेरे पापा भौत सीधे या यों कहें कि बेवकूफ थे, दिन भर पूजापाठ में लगे रहते थे, एक जवान औरत को क्या चाहिए, शायद उन्हें मालूम ही नहीं था।
मेरी मम्मी जवान, खूबसूरत एक सुडौल शरीर की मालकिन हैं, उनके वक्ष 34 के है पर वो 32 नम्बर की ब्रा पहनती हैं, कमर और चूतड़ों का आकार 34-36 है। मेरी मम्मी बहुत हँसमुख हैं।
कुछ दिन पहले की बात है, जब पापा बैंक चले जाते, तब चाचा घर पर आते और टीवी देखते थे। मम्मी उनके लिये चाय बना कर लाती थी। उस समय मम्मी अधिकतर साड़ी और ब्लाउज में चाचा के पास जाती थी और हमेशा अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला रखती थी, जिससे उनके गोल-गोल चूचे हमेशा सामने झलकते थे और उस पर काले मोतियों का छोटा सा मँगलसूत्र बहुत सेक्सी लगता था।
चाचा एक दिन मम्मी से कह रहे थे- क्या गजब लग रही हो रानी !
और मम्मी इस बात पर मुस्कुरा दी।
इस बात से मैं हैरान रह गई, मुझे पता ही नहीं चला कि दोनों के बीच कब प्यार हो गया, चाचा मम्मी से कह रहे थे- मैं तुमसे प्यार करता हूँ उमा !
मम्मी भी चाचा से कह रही थी- तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो रानू।
एक दिन घर में कोई नहीं था सिवाय मम्मी और मेरे ! तभी चाचा आए और अन्दर वाले कमरे में जाकर मम्मी को बाहों में लेकर चूमने लगे। मैंने यह चुपचाप देख बाहर वाले कमरे से कहा- मम्मी, मैं बगल वाली आँटी के पास जा रही हूँ, थोड़ी देर में आ जाऊँगी।
इतना कह कर मैं बाहर चली आई। फिर कुछ देर बाद मैं दबे पैर अन्दर गई, तो देखा कि चाचा पूरे नन्गे थे और उनके 7″ के लण्ड को मम्मी अपने हाथों में लेकर चूस रही थी। एक बार चाचा का 7″ लण्ड देखके मेरा भी मन किया कि जाकर उसे चूसूँ पर हिम्मत नहीं की, बस अपनी चूत में उंगली डाल ली। पह्ली बार किसी मर्द का इतना लम्बा और मोटा लण्ड देखा था, बचपन में एक बार नीरज भैया को नंगे देखा था पर तब वो फ़ुन्नी था, अब भैया 20 के हो गये हैं, अब कभी मौका लगा तो उनके लण्ड के दर्शन करुँगी।
धीरे धीरे चाचा ने मम्मी की साड़ी उतार दी, अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में थी, उनके 34 इन्च के चूचे चाचा खूब जोर जोर से सहला रहे थे, और एकाएक उन्होने उनके बदन से उनका ब्लाउज उतार दिया और उनके चूचों को मुँह में लेकर चूसने लगे।
मम्मी ने चाचा से कहा- और जोर से चूसो मेरे राजा ! मेरी वर्षों से दबी जवानी की गर्मी निकाल दो मेरे राजा !, श्रुति के पापा तो अब बूढ़े हो गये हैं, 18 साल की भरी जवानी में एक 35 साल के मर्द से शादी हो गई थी। कई साल हो गये हैं, गर्मी शान्त कर दो ! चूसो रानू ! जमके चूसो ! ये जवानी के पहाड़ तुम्हारे हैं, चूसो, जमके चूसो !
चाचा काफ़ी देर तक मम्मी के उरोज चूसते रहे, सहलाते रहे फिर मम्मी झुकी और चाचा के लण्ड को चूसने लगी और जोर जोर से मुंह से आगे पीछे करने लगी।
चाचा बोले- और जोर से चूस ! मजा आ रहा है !
मम्मी बोली- हाँ रानू, मजा आ रहा है ! यार कितने दिनो बाद एक कुंवारा लण्ड चूसने को मिला है। कितना मस्त नमकीन सा स्वाद आ रहा है।
यह बात सुन कर मेरे मन में भी ख्याल आया कि काश मैं भी इस स्वाद का मजा ले सकती !
फिर मैंने तय किया कि एक दिन मैं भी चाचा के लण्ड का स्वाद चखूँगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
15 से 20 मिनट तक मम्मी चाचा का लण्ड चूसती रही और अचानक एक तेज तर्राट पिचकारी चाचा के लण्ड से निकली और चाचा ने उसे मम्मी के मुख पर छोङ दिया, और देखते ही देखते मम्मी वो सफ़ेद क्रीम चट कर गई और बोली- कितने दिनों बाद कुंवारे लण्ड की क्रीम खाने को मिली है मेरे राजा !
चाचा बोले- साली, बुड्ढे की क्रीम का क्या करती थी?
मम्मी ने कहा- बुड्ढे की क्रीम तो शादी के बाद श्रुति और नीरज को पैदा करने में लग गई और जब ये दोनों हो गये तो बुड्ढे का लण्ड खड़ा नहीं होता था तो क्रीम कहाँ से निकलती।
यह सुनकर मैं हैरान हो गई कि मेरे पैदा होने से इस क्रीम का क्या सम्बन्ध, पर यह मैं बाद में समझ गई थी।
फिर चाचा का हाथ मम्मी के पेटीकोट के नाड़े पर गया और उसे भी उनके बदन से अलग कर दिया।
अब मम्मी पूरी नंगी थी चाचा के सामने, चाचा उनकी चूत को हाथों से सहला रहे थे और कह रहे थे- क्या मस्त चूत है ! इतनी गुद्देदार फ़ूली हुई चूत !
उन्होंने पहले कभी फोटो में भी ऐसी चूत नहीं देखी थी जिसमें इतने मस्त लच्छेदार काले बाल हों कह रहे थे- तुम्हारी लच्छेदार झांटों वाली चूत मुझे बहुत पसन्द आई उमा।
यह सुनकर मैंने भी तय किया कि मैं भी अपनी चूत पर लच्छेदार झांटे रखूँगी ताकि चाचा जैसे मर्द मेरी झांटों में फ़ंस जाएँ और मेरी चूत में ही घुसे रहें।
फिर वो मम्मी की चूत में अपनी अंगुली डाल कर अच्छी तरह से आगे-पीछे करने लगे।
10-12 मिनट के बाद मम्मी बोली- अब नही सहा जा रहा है मेरे राजा, चोद डालो इस प्यासी चूत को, फाड़ डालो, मुझे चोदो, जम कर चोदो, आज सारी प्यास बुझा दो, अब देर ना करो, चोद डालो इसे !
चाचा बोले- अभी लो मादरचोद, तेरी चूत की गर्मी निकालता हूँ !
इतना कह कर अपना लण्ड मम्मी की चूत में डाल दिया और तेजी के साथ चोदने लगे।
मम्मी के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी- उई माँअ उम्प्फ़ ! चोदो यार, क्या मस्त चुदाई करते हो, मजा आ रहा है और तेजी के साथ चोदो !
इतने में चाचा ने अपनी चुदाई की स्पीड और तेज कर दी।
यह सब देख कर मेरे मन में कई सवाल उठे, मैं उनकी बातें सुनकर इतनी मस्त हो गई थी कि मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी, मन कर रहा था कि जाकर चाचा के लण्ड पर अभी बैठ जाऊँ और अपनी चूत को भी चुदवा लूँ।
तभी मेरे हाथ लगने से खिड़की में रखी कटोरी गिर गई। मम्मी चुदाई में मस्त थी, उन्हें पता नहीं चला पर चाचा ने मुझे देख लिया पर उन्होंने ऐसे देखा कि कुछ हुआ ही ना हो, और फिर मम्मी की चुदाई में लग गये।
मैं खिड़की के पास से उन्हें देखती रही, चाचा ने 20 मिनट तक जम कर चुदाई की, फिर दहकता हुआ अपना लण्ड मम्मी की चूत से निकाला और मम्मी उसे सहलाने लगी और बोली- हो गया क्या?
चाचा बोले- नहीं उमा डार्लिंग ! अभी तो तुम्हारी गाँड मारनी है।
मम्मी बोली- नहीं उसमें नहीं यार ! दर्द होगा !
चाचा बोले- नहीं उमा डार्लिंग, जब तक कुतिया की तरह से तुम्हारी गाँड नहीं मारूँगा, तब तक मेरा लण्ड झड़ेगा नहीं क्योंकि चूत से ज्यादा गाँड में गर्मी होती है।
इतना कह कर चाचा ने मम्मी को कमर के सहारे पलट दिया, अब मम्मी की गाँड चाचा के लण्ड की ओर थी। चाचा ने लण्ड पर अयूर क्रीम लगाई और लण्ड को मम्मी की गाँड पर रखा और धीरे से धकेलने लगे।
मम्मी चिल्लाई- उई मां ! फाड़ डालेगा क्या? बहुत दर्द हो रहा है रानू !
चाचा ने मम्मी की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और पूरा का पूरा लण्ड मम्मी की गाँड में घुसेड़ दिया।
मम्मी चिल्लाई- उई मां ! गाँड है कोई म्यान नहीं कि पूरी तलवार डाल दी? बहुत दर्द हो रहा है जानू !
मैंने पहली बार गाँड मारने की बात सुनी थी, बस मन ही मन महसूस कर रही थी। चाचा मम्मी की गाँड तेजी के साथ मारने लगे, मम्मी दर्द से चिल्ला रही थी पर चाचा ने कोई ध्यान नहीं दिया, 10 मिनट बाद मम्मी को कस कर पकड़ लिया, शायद चाचा झड़ रहे थे !
तभी मम्मी बोली – सारा माल अन्दर ही मत छोड़ देना !
यह सुनकर चाचा ने अपना लण्ड निकाला, और मम्मी के मुँह में डाल दिया और सफ़ेद क्रीम मम्मी के मुँह में छोड़ दी। मम्मी उसे पूरा चट कर गई और चाचा के सीने में सर रख कर मुस्कराते हुए बोली- रानू, आज तुमने वर्षों की प्यास बुझा दी ! और वादा करो कि मेरा साथ हमेशा निभाओगे और ऐसे ही हमेशा चोदोगे।
चाचा बोले- मैं हमेशा ऐसे ही तुम्हारी चुदाई करूँगा।
यह मेरी सच्ची कहानी थी जो मेरे सामने आई। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, अपने विचार जरूर भेजना !
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मेरी अगली कहानी का इंतजार करना, मैं अपने साथ हुई सच्ची घटनाओं को ही कहानी के रूप में आपके सामने पेश करूँगी।
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