हम भी इन्सान हैं-1

हम भी इन्सान हैं-1

प्रेषक : सिद्धार्थ शर्मा

सबको मेरा यानि सिद्धार्थ का नमस्ते ! मैं अन्तर्वासना का पुराना प्रसंशक रहा हूँ तो मैंने सोचा क्यूँ न अपनी कहानी भी आप लोगों को बताऊँ।

मैं सिद्धार्थ, उम्र 19 वर्ष, लखनऊ का निवासी हूँ। बात पिछले साल की है मेरा इंटर था तो फ़रवरी के महीने में प्रक्टिकल के बाद हमारी छुट्टी हो गई थी तो मैं घर पर ही रह कर पढ़ता था। मेरे मोहल्ले की एक लड़की थी अनुपमा वो भी मेरी उम्र की ही थी, उसके और मेरे परिवार में आपस में अच्छा रिश्ता था इसी लिए मेरी और उसकी दोस्ती भी गहरी थी। वो इकोनोमिक्स की स्टुडेंट थी और मैं गणित का।

मैं दिन भर घर पर अकेले ही रहता हूँ, क्यूंकि मम्मी पापा दोनों ही काम पर जाते हैं यही हाल उसके घर का था।

एक दिन दोपहर में मैं खाना खाकर उठा ही था कि घर की घंटी बजी, जाकर देखा तो अनुपमा थी।

मैंने पूछा- क्या है?

तो कहने लगी- घर का सिस्टम ख़राब है, कुछ प्रिंट आउट निकलने हैं।

मैंने कहा- आ जाओ !

मैं हाथ धोने चला गया और वो जाकर कंप्यूटर चलाने लगी। थोड़ी देर काम करने के बाद वो नेट चलाने लगी जैसे ही उसने इन्टरनेट एक्स्प्लोरर खोला तो कुछ नंगी साईट खुल गई जो मैंने पिछली रात खोली थी। यह देख मेरी तो हालत ख़राब हो गई पर वो बड़ी नादानी से बोली- वाह रे जनाब ! यह चल रहा है पढ़ाई की जगह?

तो मैंने भी रहत की सांस ली और बोला- बस कभी-कभार !

तो कहती- ठीक है ! ठीक है ! होता है !

तो मैंने चुटकी ली और बोला- तुम भी देखती हो क्या?

तो बड़ी शैतानी से बोली- हम इंसान नहीं हैं क्या?

यह तो मैं जानता था कि उसका बॉय फ्रेंड है, मैंने उससे पूछा- कभी किया भी है?
तो उसने बोला- नहीं।
उसका यह बोलना ही था कि मैंने अपना हाथ उसकी जींस पर रखा और उसका पैर सहला दिया तो वो बोली- अबे ओये ! क्या कर रहा है?
तो मैंने कहा- कुछ नहीं, बस इंसान हूँ !
तो वो हंस दी।

बस उसका हंसना ही था कि मैंने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया और उसे पकड़ कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और 5 मिनट तक उसके होठों का रसपान किया।

इतने में वो गर्म हो गई थी। यूं तो मैं भी अब तक कुंवारा था पर थोड़ा बहुत तो ब्लू फिल्म में देखा ही था।

मैं उसे अपने बेड पर ले गया और उसे लेटाया और उसका टॉप और जींस उतार दिया वो बस मेरे सामने सफ़ेद ब्रा और काली पैंटी में लेटी थी। आज मुझे लगा कि वो कितनी सुन्दर है।

मैंने भी अपनी टीशर्ट और लोअर उतार दिया अब मैं सिर्फ निकर में था। मैंने उसके स्तन दबाये तो उसकी सिसकारियाँ निकलने लगी। मैंने उसकी ब्रा निकल दी उसके मोटे सफ़ेद स्तन मेरे सामने थे, मैं उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।

इतने में न जाने कब उसका हाथ मेरी निकर में चला गया, तब मुझे लगा यह बड़ी खिलाड़ी है। मैं खड़ा हो गया और अपनी निकर निकाल ली तो उसने झट से बैठ कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।

वाह क्या अनुभव था वो ! इतना आनन्द तो मुझे कभी नहीं आया था, मैंने उससे पूछ ही लिया- तुम तो बहुत तेज हो !

तो उसने बोला- मैंएने अपने बॉय फ्रेंड आकाश का लंड चूसा है पर आगे कुछ नहीं किया।

थोड़ी देर में मैंने उसकी पैंटी निकाल दी। उसकी चूत बहुत गीली थी पर बहुत बाल थे वहाँ पर, फिर भी बहुत सुंदर लग रही थी। मैंने उसको लेटाया और उसकी चूत चाटने लगा, वो एक दम ही पागल हुई जा रही थी।

थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा, अन्दर धकेला ही था कि मुझे बहुत दर्द हुआ ! था तो कुंवारा लंड ही न।

जब मेरा यह हाल था तो उसका क्या होगा, मैं समझ सकता था। पर मैंने थोड़ा जोर लगते हुए लंड अन्दर डाल दिया।

वो लगभग चिल्ला पड़ी और मेरी भी हालत ख़राब हो ही गई थी, दर्द के मारे मैंने लंड बाहर खीचा तो देखा कि लंड पर खून था और चमड़ी कुछ अजीब सी दिख रही थी। फिर मैंने उसकी चूत में अपना थूक लगाया और फिर कोशिश की तो किसी तरह लंड अन्दर गया मुझे तो इतना दर्द नहीं हुआ। इस बार पर उसकी हालत जरूर ख़राब थी, उसकी चूत फट चुकी थी और खून निकल कर बह रहा था। मैंने उसे संभाला और थोड़ी देर रुकने के बाद अपना लंड निकला और फिर उसे उसकी चूत में धकेला इस बार मुझे भी थोड़ा लगा और उसे भी।

कुछ ही देर में दर्द सिसकारियों में बदल गया।

वो बस आह आह कर रही थी और न जाने क्या क्या बोल रही थी। यह मेरा पहली बार था तो मैं बहुत जल्दी ही झड़ गया।

फिर मैं उसके बगल में जाकर लेट गया। थोड़ी देर में मम्मी के आने का टाइम हो रहा था तो मैंने कहा- अब तुम घर जाओ, मैं कल 11 बजे तुम्हारे घर आऊँगा।

तो उसने शैतानी से बोला- क्यूँ?

तो मैंने भी कहा- इंसानियत दिखाने !

वो हंस दी, उसने मुझे चूम लिया और वो उठ कर कपड़े पहनने लगी। वो ढंग से चल तक नहीं पा रही थी पर किसी तरह वो घर गई।

फिर मैंने अपना कमरा साफ़ किया और पढ़ने बैठ गया, पर मेरा मन तो अनुपमा में लगा था। रात भी मुट्ठ मारने की कोशिश की पर कटे पर दर्द भी बहुत हो रहा था लंड में। सुबह होते होते दर्द बहुत हद तक कम था।

मम्मी पापा के जाने के बाद मैं उसके घर पहुँचा तो उसने गेट खोला तो सच में वो क़यामत लग रही थी, पीला टॉप। काली स्कर्ट।

उसने मुझे अन्दर बुलाया और खुद गेट बंद करने लगी। जैसे ही मैं अन्दर जा रहा था, वो पीछे से आई और सीधे लिपट गई और उसने कहा- क्या हाल है जानेमन?

मैंने कहा- हाल बेहाल है।

हम दोनों हंस दिए।

मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और उसे चूमने लगा। वो भी मेरे होठों को पागलों की तरह चूसे जा रही थी। मैं उसे सोफे पर ले गया और हम दोनों बैठ गए। हमारे होंठ तो जैसे एक दूसरे से चिपक गए थे। मैंने उसकी टी-शर्ट के ऊपर से ही उसके स्तन दबाने शुरू किये तो वो जैसे पगला गई और उसने मेरे होंठ लगभग काट ही लिए।इतने में उसने मुझे पीछे धकेला, मेरे को सोफे पर लेटा सा दिया और वो बड़ी सेक्सी तरीके से मेरी जींस उतारने लगी।

फ़िर उसने मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

क्या मस्त लौंडिया है यार वो ! मुझे बस नशा सा होने लगा।मैंने कहा- सब सोफे पर ही करोगी क्या?

तो वो कमर मटकाते हुए अपने कमरे में जाने लगी, मैं भी उसके पीछे पीछे हो चला। अन्दर जाते ही फिर उसने वही किया उसने मुझे धकेला और लंड चूसने लगी पर इस बार मैंने उसे अपनी तरफ घुमा दिया और उसकी स्कर्ट निकाल दी। उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थी आज उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसकी चूत बहुत गजब की लग रही थी।

मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू की तो उसने भी जोर से मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया। लगभर 7-8 मिनट बाद मैंने उसे हटाया और उसके शरीर से टॉप निकाल फेंका। उसे लिटाया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा वो कहने लगी- अन्दर डाल भी दो !

तो मैंने भी एक ही झटके में अन्दर डाल दिया, वो इसके लिए तो तैयार ही नहीं थी, उसे बहुत दर्द हुआ, चूत तो कल ही फटी थी उसकी ना !!

मैंने धीमे से लंड उसकी चूत में अन्दर डालना शुरू किया, लंड थोड़ी कठनाई से ही सही पर अन्दर गया, मैंने धीमे धीमे उसकी चूत चोदना शुरू की, वो सिसकारियाँ ले रही थी, मुझे भी कल के मुकाबले आज ज्यादा मजा आ रहा था।

मैंने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी थोड़ी देर उसे चोदने के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे घोड़ी बनने को कहा वो भी आराम से बन गई। मैंने अपना लंड उसकी चूत में पीछे से डाला इस बार लंड कुछ ज्यादा ही अन्दर तक गया। मैंने धक्के लगाने शुरू किये, हम दोनों पसीने से तरबतर थे।

चोदते वक़्त मेरी नजर उसकी गांड पर गई, क्या गांड थी उसकी ! देख कर ही उसे खाने का मन करने लगा पर मैंने सोचा कि आज नहीं, वरना दर्द से मर न जाये साली।

कुछ देर चोदने के बाद मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है तो मैंने उसे सीधा किया और अपना सारा माल उसके वक्ष पर गिरा दिया। हम दोनों थक गए थे बुरी तरह, हम वहीं लेट गए, मुझे कब झपकी लग गई पता ही नहीं चला।

अचानक मुझे महसूस हुआ मेरे लंड से कोई खेल रहा है, देखा तो अनुपमा उसे लेकर हिला रही है। यह देखना था कि लंड दुबारा तन गया। मैंने सोचा अब इसकी गांड मार ही ली जाए और थोड़ी देर लंड चुसवाने के बाद मैंने उससे कहा- मैं तुम्हारी गांड मारूँगा।

तो वो थोड़ा सा डर गई पर बोली- ठीक है, पर देखना ज्यादा दर्द न हो।

मैंने उससे उल्टा किया और उसके नीचे दो तकिए लगा दिए जिससे उसकी गांड ऊपर हो गई। मैंने उसकी गांड को पहले एक कपड़े से पौंछा, फिर उसे चाटना शुरू किया। थोड़ी देर बाद मैंने अपने लंड और उसकी गांड पर खूब थूक लगा कर तैयार किया। मैंने अपना लंड उसकी गांड की गहराइयों में घुसेड़ना शुरू किया, उसकी गांड कसी थी पर थोड़ी देर कोशिश करने के बाद लंड घुस ही गया। उसे दर्द हुआ पर वो बर्दाश्त कर ही गई किसी तरह ! फिर मैंने उसकी गांड चोदना शुरू किया, मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदा। उसकी गांड की गर्माहट ने मेरे लंड की हालत ख़राब कर दी। लगभग बीस मिनट चोदने के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया।

उसकी गांड से मेरा रस बह रहा था। क्या नजारा था वो ! किसी नामर्द का भी लंड खड़ा हो जाए !

फिर हम दोनों ने खाना खाया। फिर मार्च अप्रैल में हमारे इम्तिहान चले, तो हमने अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया।

फिर आया मई ! मई का आना क्या था, मैं उसे रोज चोदने लगा।

कहानी जारी रहेगी।

कैसी लगी आपको मेरी कहानी, मुझे बताइयेगा जरुर !

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प्रकाशित : 13 जून 2013

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