अपनी इस जवानी को कहाँ लेकर जाऊँ
मैं एक कॉलेज में तैराकी का प्रशिक्षक था, मेरा काम लड़कियों को तैराकी का प्रशिक्षण देना था।
आप सब यह बात तो जानते ही हैं कि तैराकी प्रशिक्षक होना मतलब कि मज़ेदार फुद्दियों से घिरे रहना।
तैराकी सीखने के लिए जैसे जैसे लड़कियाँ मेरे पास आ रहीं थीं, वैसे वैसे मेरी चूत प्राप्ति की संभावना बढ़ती जा रही थी।
रंग बिरंगी लड़कियाँ कोई, सूट में कोई जीन्स में और कोई स्कर्ट में आतीं। सबको तैरना सीखना था, क्योंकि सब जान्ती है कि तैराकी से बदन का आकार मॉडलों जैसा बनाने में मदद मिलती है। और इन लड़कियों को घर में खा खा कर मोटी होने के अलावा कोई काम नहीं रह गया है इन लड़कियों को और इसलिए मैंने उनको तैरने का प्रशिक्षण देकर उनके बदन को सही आकार में लाने का काम हाथ में लिया था। लेकिन मेरा मकसद तो उनके बदन को अपनी बाहों में लाना था।
तैरना एक अच्छा कसरत है पर चुदाई से बेहतर कसरत कुछ नहीं, इसलिए मैंने इनमें से कुछ सुन्दर लौंडियों को चोदने का सोचा हुआ था।
मैंने इन सबको पूरी गर्मी तैरने का प्रशिक्षण देकर इनमें से एक को जो बेहतर तैराक निकलती, उसे तैरने के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा दिलाना था। इससे मेरे कालेज का नाम होता और मेरा भी।
जाहिर है कि वही लड़की इस कम्पिटीशन के लिये चुनी जानी थी जो सबसे सुन्दर हो और चूत देने के लिए हर पल तैयार रहे।
इस वजह से मैंने संगीता जैन को चुना जो सबसे सेक्सी लड़की थी उस पूरी भीड़ की सबसे माडर्न थी और सबसे फ्रैंक भी।
पूल में मुझसे अपने चूचे तो वो वैसे ही दबवा चुकी थी और अपने चयन के लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार थी।
यह मौका चूकने का सवाल ही नहीं था मेरा तो एक दिन मैंने उसे अपने चैम्बर में बुलाया और सेलेक्शन की सारी शर्तें बता दीं।
बस उसने हाँ कही और मेरे चूत मारने का इंतजाम हो गया और मैंने इसलिए उसको तरणताल में ही चोदने का प्लान बनाया था।
वो तैयार थी और उसको चूत मरवानी थी, उसकी चूत में भी खुजली मच ही रही थी।
मैंने उसको बुलाया ट्रेनिंग के लिए, मार्च के महीने पहले हफ़्ते में हल्की ठंड थी और मैंने ट्रेनिंग के लिए जो भी समय चुना उस समय पर कोई भी उस तरफ़ नहीं आता।
अब मैंने उसको बुला कर पूल में उतरने को कहा।
वो कांप रही थी ठंड के मारे पर मैं तो ट्रेनिंग के नाम पर उसे नंगी देखना चाहता था।
आज पहली बार उसकी चूत को मारने का मौका मिलने वाला था।
मैंने उसको अपने कपड़े उतारने का निर्देश दिया, वो आई तो जींस में थी पर जैसे जैसे उसने अपना टाप उतारा, उसके इंडियन ब्रा को देख कर मेरा मन कलुषित होने लगा, मेरी कामवासना जाग उठी। उसकी चूचियाँ एकदम नुकीली थीं और पैड वाले ब्रा में और भी सेक्सी दिख रहीं थीं।
उसने बेहिचक अपने कपड़े उतारकर स्विम सूट पहना, उसकी झांटें और साईड आर्म्स के बाल मुझे दिखाई दे गये।
साली चुदासी रंडी बाल भी नहीं बना के आई थी।
मैंने कहा- ये बाल तैरने में दिक्कत करेंगे और पानी का बहाव तुमको धीमा कर देगा।
तो उसको मुस्कराने के अलावा कोई और जवाब न सूझा। उसने अपनी पेंटी तिरछी करके मुझे चूत का उभार दिखाया और कहा- सर, दिक्कत तो इस उभार से भी है।
फिर उसने अपनी चूचियाँ दोनों हाथो से दबाते हुए कहा- इतनी बड़ी चूचियाँ भी तो तैरने में दिक्कत करती हैं, अपनी इस जवानी को कहाँ लेकर जाऊँ प्रशिक्षक साहब?
और उसने आंख मार दी।
मैं समझ गया था कि उसकी चूत में खुजली मच रही थी इसलिए मैंने उसे अब एक्शन में आने को कहा।
मैंने उसे निर्देश दिये कि अब पानी में उतर कर कुछ कलाबाजियाँ दिखाओ और मुझे यह देखने दो कि तुम कितना अच्छा करने वाली हो
लेकिन वो भी साली हराम की लौँडिया, उसने अपने को काम से ज्यादा सेक्स के प्रति समर्पित कर रखा था और इसलिए उसने आँख मारने और मुस्कराने के अलावा कुछ न किया।
मैंने जब ज्यादा जोर दिया तो उसने अपने ब्रा के किनारे ढीले करने शुरु किये। वो जान चुकी थी कि मेरी कमजोरी क्या है और मैं किन चीजों पर मर मिटता हूँ।
उसकी ब्रा के किनारे ढीले होते ही उसके चूचे दृष्टिगोचर होने लगे जिन्होंने मुझे बेचैन करना शुरु कर दिया था।
मैंने अपना लंड अपने पैंट में सेट किया और उसके हुस्न का चक्षुचोदन जारी रखा।
मुझे मजा तो बेइंतहा आ रहा था पर मैं उसकी चूत मारने के इंतजार में था, इस फालतू के ट्रेनिंग सेशन का कोई मतलब नहीं था, इस सारी कवायद का मतलब तो सिर्फ इस जलपरी की गर्म जवानी को जल से भिगोने के बाद चोदने से था।
मेरी प्लानिंग एकदम सही जा रही थी और इस लौंडिया की चुदने की इच्छा भी कुछ ज्यादा ही थी, वो चुदास रही थी।
जैसे जैसे वो अपने कपड़े को ढीला कर रही थी, मेरी लंगोट भी ढीली हो रही थी। मेरा पजामा तंग रहता है पर लंगोट ढीली ही रहती है क्योंकि मेरा कैरेक्टर ढीला है।
मैंने उस चुदासी जलपरी को चोदने के लिए जल में उतरने को कहा, मैं जानता था कि जैसे वो पानी में उतरेगी, इस तैराकी सूट के गीला होकर उसके अंदरुनी अंगों से चिपकने के चलते मुझे उसकी बेहतर शेप दिखाई देगी।
वो पानी के अंदर मचल रही थी, मैं पानी के उपर चेयर पर बैठा उसके हुस्न का आनन्द ले रहा था।
उसने पानी में जाते ही गजब कर दिया, अपनी ब्रा का एक हिस्सा खोल दिया, उसका दायाँ चूचा बाहर निकल कर झांकने लगा।
इस गोल चूचे को देख कर मेरा सर गोल गोल घूमने लगा, मैं आउट आफ कंट्रोल होने जा रहा था कि मेरा मन किया मैं पानी में कूद कर इस रंडी को अभी चोद दूँ पर थोड़ा कंट्रोल करना था, अभी उसे पूरा नंगा देखना था।
उसने अपने इस नंगे चूंचे के काले निप्पल्स पर ऊँगलियाँ नचाते हुए मुझे चूसने की दावत दी, वो लगातार पानी के अंदर भीगे बदन अपने हुस्न के जलवे बिखेर रही थी, हर पल मेरी धड़कनें बढ़तीं जा रहीं थीं।
मैंने ज्यादा देर करने के बजाय उसको जल्दी से अपने हुस्न का पूरा दीदार कराने को कहा।
उसने अपना बायाँ चूचा दिखाने के लिए अपनी ब्रा की डोर ढीली कर दी। अब उसका हुस्न पूरा दिख रहा था, नंगे चूचे गर्वान्वित होकर खड़े थे और उसकी मासूमियत मुझे चोदने का निमंत्रण दे रही थी।
बस किसी तरह से अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए मैं पानी के ठंडेपन से बचने के लिए किनारे से ही मजा लेने के पक्ष में था।
वो हसीन अपनी जवानी को दिखाए जा रही थी, अब उसने दोनों चूचों को अपने दोनों हाथों में लेते हुए रगड़ते हुए मलना शुरु किया जिससे उसकी सांसें लगातार तेज होती गईं, बढ़ती सांसों की धौंकनी से पता चल रहा था कि वो चुदने के लिए बेकरार होती जा रही है। मैंने उसको कहा- जरा अपने निप्पल उमेठो।
उसने अपने काले काले अंगूर सरीखे निप्पलों को कठोरता से मलना शुरु किया।
अब उससे रहा नहीं जा रहा था, वो तैराकी पूल के किनारे रेलिंग पर आकर खड़ी हो गई, आधा बदन पानी में आधा बदन पानी के ऊपर। मैं कुर्सी लगाकर उसके पास बैठ गया मुझसे बातें करते हुए उसने सेक्सी बात जारी रखी।
मैंने उसे कहा- अपनी पेंटी उतारो!
उसने पानी में ही अपनी पेंटी उतार दी, उसकी झांटों से भरी चूत मुझे पानी की लहरों में दिख रही थी।
पारदर्शी पानी में झलकती उसकी देसी चूत मुझे चोदने का निमंत्रण देती प्रतीत हुई और मैंने उसको अपनी चूत के अंदर मेरे लंड के जाने का अनुभव करने का आदेश दिया।
उसने ‘आह्ह्ह ! फक मी सर!! प्लीज सक माय ऐस्स !’ करते हुए अपनी गांड पानी के अंदर हिलानी शुरु कर दी थी।
वो दीवानी हो चुकी थी, उसे रहा नहीं गया तो उसने अपनी चूत में उंगली करते हुए सिसकारियाँ भरनी शुरु कर दीं और मुझे अपना लंड हाथ में लेकर उसके सुपाड़े को रगड़ना पड़ा।
अब मैंने उसे पानी से बाहर निकलने को कहा। वो मेरे सामने आकर खड़ी हो गै और मेरे पैंट के अंदर से मेरे लंड को खींच कर निकाल लिया, वो पहले से खड़ा था किसी कठोर पत्थर की तरह।
बिना हत्थे वाली कुर्सी थी इसलिए उसको सामने से उपर बैठने में थोड़ी भी दिक्कत नहीं हुई और वो अपनी गीली चूत लेकर मेरे लंड पर बैठ गई। उसकी गीली चूत में मेरा मोटा लंड सर्र से समाता चला गया और वो मेरे कंधे को पकड़ कर ऊपर नीचे बैठने उठने लगी।
इस तरह मैं नीचे था और वो मेरे उपर थी। तरणताल की जलपरी की चूत मेरे लंड के उपर अठखेलियाँ खेल रही थी और वो हरपल नये नये एंगल बना के मेरे लंड की सवारी कर रही थी।
इस तरह उसके चूत के हर कोने में लंड की धमक सुनाई दे रही थी। वो हर पल अपनी स्पीड बढाती चली गई और मैं अपने लंड के कठोरता को बढ़ाता चला गया।
मैंने साथ साथ उसके चूचों को पकड़ कर मसलना जारी रखा और वो इसका आनन्द उठाती रही।
फिर मैंने उसे जूनूनी चुम्बन करते हुए उसके निप्पलों पर दांतों के निशान बना दिये।
यह था उसकी मोहर और नम्बर वन होने का निशान जिसे वो हमेशा नहीं भूल सकती।
मैंने फिर होटल के कमरे में ले जाकर वाइन पिलाने के बाद दमदार तरीके से उसकी चुदाई की।
रात भर चुदाई के बाद मैंने सुबह उसे कहा कि वो तो मॉडलिंग में अपना भाग्य आजमाये और मैंने उसे तरीका भी बताया कि कैसे वो मॉडलिंग की लाइन में आ सकती है।
उसने अपने जलवे से प्रायोजकों को प्रसन्न किया और माडलिंग का असाइनमेंट पा गई।
आज भी वो बी ग्रेड फिल्मों की हिट हीरोइन है और मैं वही प्रशिक्षक का प्रशिक्षक, फिर भी नई चूत की मलाई मिलती रहती है।
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