विधवा दीदी ने अपनी कुंवारी सहेली को चुदवाया
मेरी पिछली कहानी
विधवा दीदी ने मेरा लंड चूसा
में अब तक आपने जाना था कि विधवा दीदी काजल ने मेरा लंड देख लिया था और मेरे को चूस कर अपनी चुत चुदाई का वायदा ले लिया था. इसी बीच ज्योति के आ जाने के कारण वे मुझे अलग हो गई थीं. ज्योति पड़ोस में ही रहती थी और काजल दीदी की ख़ास सहेली थी. ज्योति के दाखिले का काम करवाने के बाद मैं दिल्ली जाने की तैयारी कर रहा था.
अब आगे..
मैं अभी तैयारी कर ही रहा था कि तभी मेरे मोबाइल पर एक अननोन नंबर से कॉल आई तो मैंने हैलो कहा. उधर से कोयल सी मीठी आवाज़ आई कि क्या मैं वीशु कपूर से बात कर सकती हूँ?
मैंने कहा- जी कहिए.. मैं वीशु कपूर ही बात कर रहा हूँ.
उधर से आवाज़ आई कि मैं कविता (बदला हुआ नाम) बोल रही हूँ. मैंने आपका बहुत नाम सुना है कि आप बहुत अच्छी सर्विस देते हो, इसलिए मुझे और मेरी दो सहेलियों को आपकी सर्विस चाहिये.
मैंने उससे कहा कि मैं अभी तो दिल्ली जा रहा हूँ, आपको लौटकर अपनी सर्विस दे पाऊँगा या फिर आप किसी और की सर्विस ले लीजिए.
कविता बोली कि मैंने सुना है कि आपका साइज़ काफी बड़ा और मोटा है और आपको टाइम भी ज्यादा लगता है?
मैंने कहा कि जी हाँ आपने सही सुना है.
तभी वो तपाक से बोली कि तो फिर जल्दी से मेरे फार्म हाउस पर आकर हम तीनों को शाँत कर दो और अपनी दुगुनी फीस लेकर दिल्ली चले जाओ.
मैंने सोचा कि यार वीशु गाड़ी के छूटने में अभी 5 घंटे बाक़ी हैं.. धंधे को क्यों छोड़ा जाए और वैसे भी दुगुने पैसे मिल रहे हैं.
ये सोचकर मैंने झट से हाँ कह दिया, तो कविता ने मुझे तुरंत ही अपने फार्म हाउस का पता नोट करवा दिया.
मैंने भी कुछ कंडोम के पैकेट लिए और अपनी बाइक उठाकर कविता द्वारा बताये गए पते पर पहुँच गया.
वहाँ पहुँच कर मैंने वॉचमैन से कविता के बारे में पूछा तो उसने बताया कि कविता मैम का सुबह फोन आया था कि मैं आज आ रही हूँ, और अभी एक सज्जन आयेंगे इसलिए उन्हें इज्ज़त से बैठने को कहना. उनको बैठा कर अगर तुम अपने घर जाना चाहो तो चले जाना.
मैंने उससे कहा- ठीक है तुम चले जाओ.
मुझे बैठा कर वो वॉचमैन अपने घर चला गया. करीब दस मिनट बाद काले रंग की ऑडी कार आकर रुकी और तो उसमें से मेरे पड़ोस की रहने वाली काजल दीदी, ज्योति और एक 24-25 की दूध जैसी गोरी और एकदम मस्त आइटम शायद उसका नाम कविता था, उतरीं और तीनों सुन्दरियां सीधी उस कमरे में आईं, जहाँ मैं लेटा हुआ था.
लिहाजा कविता ही उस कमरे में आई. क्योंकि यह फार्म हाउस कविता का ही था. बाक़ी काजल दीदी और ज्योति बाहर ड्रॉइंग रूम में बैठ गईं.
जब कविता ने उन दोनों को अन्दर बुलाया तभी वो दोनों अन्दर आईं. काजल दीदी मुझे देखकर खुश हो गईं, क्योंकि उन्होंने तो सुबह मेरा लंड चूसा था लेकिन ज्योति शर्मा रही थी.
मुझे बाद में काजल दीदी ने ही बताया था कि उन्होंने कविता से कह कर मुझे बुक किया था और आज का यह पूरा प्रोग्राम बनाया था.
काजल दीदी और कविता ने ज्योति को समझाया- देख ज्योति, तेरी चूत की सील ये नहीं तो कोई और तोड़ेगा लेकिन पता नहीं उसका लंड कैसा हुआ? हो सकता है.. उसके लंड में इतना दम न हो या उसका साइज़ इसके जैसा न हो तो फिर तुझे मजा नहीं आएगा. लेकिन मैंने सुना है कि इसका साइज़ बहुत बड़ा और मोटा है और ये बहुत देर तक चोदता भी है. इसलिए हमारी बात मान.. तू अपनी चूत की सील इस लड़के से ही तुड़वा ले क्योंकि बड़े और मोटे लंड से सील तुड़वाने का जो मजा है, वो पतले और छोटे लंड से नहीं आता. मैं मानती हूँ कि छोटे और पतले लंड से दर्द कम होता है लेकिन वो बच्चेदानी तक नहीं पहुँचता है और जब तक लंड बच्चेदानी तक ठोकर न दे, तब तक लड़की को मजा नहीं आता इसलिए थोड़ा सा दर्द सहन करना जरूरी होता है. उसके बाद मजा ही मजा आता है. मैं तुझे इसलिए समझा रही हूँ क्योंकि मैंने भी एक छोटे और पतले लंड से सील तुड़वाई थी और कसम से मुझे पहली बार में थोड़ा ही मजा आया था लेकिन जब मैंने दूसरी बार चुदवाया तो उस आदमी का लंड बहुत ही बड़ा और मोटा था, जिसने शुरू में मुझे बहुत दर्द दिया, पर बाद में बहुत मजा भी दिया. तब से लेकर आज तक मैं चुदने से पहले लंड की लंबाई और मोटाई देख लेती हूँ, तभी अपनी चुत में घुसवाती हूँ.
जब कविता ने ज्योति को समझाया, तब वो मुझसे अपनी चूत की सील तुड़वाने को राजी हुई.
इधर मेरा लंड उन तीनों हसीनाओं को देखकर मेरे पजामे में ऐंठ ऐंठ कर टेंट बना रहा था.
तभी काजल दीदी ने मुझे खड़ा किया और मेरी टी-शर्ट उतार दी. कविता ने मेरी बनियान उतार दी. फिर ज्योति से मेरा पजामा उतरवाकर मुझे पूरा नंगा कर दिया और ज्योति को मेरा लंड पकड़ने को कहा.
ज्योति ने मेरा लंड दोनों हाथों से पकड़ लिया और वो मेरा लंड बिना हिलाए डुलाये पकड़े रही.
काजल दीदी ने ज्योति से कहा- इसको पकड़े ही रहेगी या सहलायेगी भी?
अब ज्योति को मेरे लंड को आगे पीछे करके सहलाना शुरू किया तो कविता ने ज्योति को फिर से टोका कि लंड खड़ा हो गया है, इसे मुँह में लेकर चूस और लंड के सुपारे को नंगा करके उसे जीभ से चाट.. तुझे बहुत मजा आएगा. जैसा कि ब्लू फिल्मों में लड़की लड़के का लंड चूस चूस कर मजे लेती है, वैसे मजा ले.
ज्योति ने वैसे ही किया, जिससे मेरे लंड का सुपारा एक बड़े मशरूम की तरह फूल गया और टमाटर के जैसे लाल हो गया.
तभी काजल दीदी और कविता ने मिलकर ज्योति की कमीज़ और सलवार उतार दी. अब ज्योति सिर्फ सफ़ेद ब्रा और सफ़ेद पैंटी में रह गई. इधर ज्योति मेरा लंड चूसती रही, तब तक काजल दीदी ने ज्योति की ब्रा का हुक खोल दिया, जिससे ज्योति के बूब्स एकदम से उछल कर बाहर आ गए.
क्या चूचे थे ज्योति के.. एकदम गोल गोल और बड़े बड़े.. मेरा मन कर रहा था सब कुछ छोड़कर उसके मम्मों को खा जाऊँ. लेकिन मैंने जल्दबाजी करना उचित नहीं समझा और मैं ज्योति के मम्मों को हाथ से दबाने लगा. कसम से उसके चूचे एकदम टाइट और अनछुए थे. उन पर मैं हाथ फिरा फिरा कर दबाने लगा.
इधर ज्योति का मुँह मेरे लंड के ज्यादा मोटा होने के कारण दर्द करने लगा तो ज्योति ने मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया और जोर जोर से हाँफने लगी.
तभी काजल दीदी और कविता ने मेरे लंड और पोते लपक लिए और बड़े मजे से चूसने लगीं. इधर मैंने ज्योति की पैंटी उतार दी और मैं ज्योति की चूत की तरफ आ गया. जैसे ही मैंने ज्योति की चूत के दाने पर अपनी जीभ लगाई, तो ज्योति ऐसे उछली, जैसे उसे 1000 वाट का करंट लगा हो.
मैं उसकी चूत में उंगली कर करके चूत के दाने को जीभ से चाटता रहा और करीब दस मिनट बाद उसका बदन एकदम अकड़ने लगा. अगले ही पल उसकी चूत ने एक जोरदार पिचकारी छोड़ दी, जिससे मेरा मुँह पूरी तरह भीग गया लेकिन मैंने उसकी चूत के दाने को जीभ से चाटना नहीं छोड़ा.
इससे हुआ ये कि ज्योति दुबारा से सिसकारने लगी और अपने दोनों हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी. साथ ही वो अपनी कमर को ऊपर नीचे हिलाने लगी.
कुछ देर बाद ज्योति बड़बड़ाने लगी- वीशु भैया, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. अब तुम अपना लंड मेरी चूत में डाल दो और चूत को फाड़ डालो.
मैंने भी मौके की नज़ाकत को समझते हुए ज्योति की चूत से अपनी जीभ हटा दी और काजल दीदी को उसके होंठ चूसने को कहा. कविता को उसके चूचे दबाने और पीने को कहा.
वो दोनों आज्ञाकारी बच्चे की तरह ज्योति के होंठ और मम्मों को चूसने और दबाने लगीं.
तभी मैंने अपने लंड का सुपाड़ा खोला और उसे ज्योति की चूत पर घिसने लगा. सही मौका देखकर मैंने अपना लंड ज्योति की चूत के छेद पर सैट किया और एक जोरदार धक्का लगा दिया, जिससे मेरा लंड ज्योति की चूत को फाड़ता हुआ करीब 3 इंच तक घुस गया. इससे ज्योति को बहुत तेज दर्द हुआ लेकिन काजल दीदी के होंठों में होंठ फँसे होने के कारण उसकी चीख नहीं निकल सकी. वो सिर्फ गूँ गूँ करके रह गई.
मैं उसी जगह पर थोड़ी देर के लिए रुक गया और फिर 3 इंच लंड से ही धीरे धीरे ही धक्के लगाता रहा. इधर कविता द्वारा ज्योति के चूचे चूसे और दबाये जाने से ज्योति का दर्द मजे में बदल गया और वो नीचे से अपनी कमर को हिलाने लगी. तभी मैंने अपने लंड को ज्योति की चूत से बिना निकाले पूरा खींच लिया और पूरी ताकत से एक और जोरदार धक्का लगा दिया, जिससे मेरा लंड ज्योति की चूत में 7 इंच तक घुस गया ज्योति एकदम से तड़फ उठी लेकिन वो कुछ कर न सकी.
फिर मैं वहीं रूककर धीरे धीरे धक्के लगाता रहा और करीब 10 मिनट बाद ज्योति अपनी कमर को फिर से हिलाने लगी.
तभी फिर से मैंने अपना लंड बिना निकाले पूरा बाहर खींच लिया और दुगुनी ताकत से एक जोरदार धक्का लगा दिया. जिससे मेरा लंड ज्योति की चूत में जड़ तक घुस गया, इधर ज्योति को बहुत तेज़ दर्द हो रहा था.. तो मैं करीब 2 मिनट के लिए रुक गया और अपने लंड से ज्योति की चूत में धक्के मारना बंद कर दिए.
कुछ पल बाद फिर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू किए. अब मैं एक हाथ से ज्योति का बांयाँ बूब दबाने लगा और दूसरे बूब को मुँह में लेकर चूसने लगा. साथ साथ धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.
कुछ देर बाद ज्योति नीचे से अपनी कमर उचकाने लगी और बड़बड़ाने लगी- आह.. हाँ वीशु भैया जोर से करो.. मजा आ रहा है..
उसकी बात सुनकर मुझे भी जोश आने लगा और मैंने भी स्पीड पकड़ ली.
वो बोली कि आह और तेज..
मैं उसे शताब्दी की स्पीड से पेलने लगा. करीब 5 मिनट बाद उसका बदन अकड़ने लगा और अगले ही पल वो झड़ गई लेकिन फिर भी मैं उसे पेलता रहा और अगले कुछ मिनट तक अलग अलग पोजीशनों में चोदता रहा.
इस दौरान ज्योति करीब 5 बार झड़ चुकी थी, लेकिन मैं अभी नहीं झड़ा था. जब मैं झड़ने के करीब आया तो मैंने ज्योति से कहा- अब मैं झड़ने वाला हूँ इसलिए बताओ ज्योति कि मैं कहाँ निकलूँ?
तब तक काजल दीदी बीच में ही बोल पड़ी- वीशु, मेरे मुँह में झड़ जाओ.
मैंने काजल दीदी को बोला कि दीदी इस समय मेरा लंड गन्दा है. इस पर ज्योति की चूत का खून लगा है.
काजल दीदी बोलीं- तो क्या हुआ मुझे तो तुम्हारा बीज पीना है.. और रही चूत के खून की बात.. तो मैं तुमसे वायदा करती हूँ कि मैं तुम्हारा लंड चाट चाट कर साफ कर दूँगी.
यह सुन कर मैंने अपना लंड ज्योति की चूत से निकाल कर काजल दीदी के मुँह में दे दिया और उनके मुँह को चूत समझकर धक्के लगाने लगा.
बस 8-10 धक्कों के बाद मेरे लंड ने काजल दीदी के मुँह में अपनी पिचकारी छोड़ दी. काजल दीदी मेरा सारा बीज गटक गईं और मेरे लंड को उन्होंने तब तक नहीं निकाला, जब तक मेरा लंड फिर से खड़ा नहीं हो गया.
पास लेटी ज्योति ने मुझे फिर से खींचा तो मैं उसके ऊपर गिर गया. मेरे गिरते ही ज्योति मुझसे बेल की तरह लिपट गई और मुझे बेतहाशा चूमने लगी.
तभी कविता ने ज्योति से पूछा- ज्योति ये बता कि तुझे चुदाई में कितना मजा आया?
ज्योति ने जवाब दिया- दीदी मुझे बहुत मजा आया, आप दोनों का बहुत बहुत धन्यवाद.
तभी ज्योति की नजर अपनी चूत और उस चादर पर पड़ी, जिस पर खून का एक बड़ा सा घेरा बन चुका था, जिसे ज्योति बड़ी ही हैरत से देख रही थी. वो कभी अपनी चूत को देखती, जिससे मेरा बीज, उसकी चूत का रज और खून का मिश्रण रिस रहा था.. तो कभी उस चादर को देख रही थी.
कुछ समय बाद ज्योति को पेशाब लगी और जैसे ही वो पेशाब करने को उठी तो उससे चला नहीं गया क्योंकि उसकी चूत कई जगह से कट फट गई थी.
मैं उसे नंगे ही गोद में उठाकर बाथरूम ले गया और वहाँ पर पानी से उसकी चूत में उंगली डाल डाल कर उसकी चूत साफ की और फिर आधा घंटे रेस्ट किया ताकि काजल दीदी और कविता को चोद सकूँ. चूँकि काजल दीदी और कविता दोनों ही पहले से चुदी हुई थीं इसलिए उन दोनों के साथ मुझे ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी. उन दोनों की चूत और गांड में मेरा लंड एक ही झटके में घुस गया था और उन दोनों (काजल दीदी और कविता) को मैंने चोदा और तीनों की एक एक बार गांड भी मारी.
ये थी मेरी एक लंड से तीन चूत की चुदाई की कहानी. आप बताइये दोस्तों कि आप सबको मेरी कहानी कैसी लगी? आप सब अपने अपने कमेंट्स कृपया मेरी मेल आईडी भेजें.
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