कॉलेज लाइफ में पर पुरुष से प्यार
दोस्तो, मेरा नाम नीतू है।
बात तब की है.. जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी। मैं और मेरी क्लासमेट एक रूम में ही रहते थे।
मेरी रूममेट हमेशा अपने बॉयफ्रेंड से रात-रात भर फ़ोन पर बातें किया करती थी।
मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था.. तो मैं अकेलापन महसूस करके रह जाती थी।
हमारी बिल्डिंग के पास एक गार्डन है और एक रेस्टोरेंट भी है। मैं रोज शाम को वहाँ नाश्ता करने जाती थी और छोटे बच्चों को खेलते हुए देखती थी।
एक दिन जब मैं वहाँ गई.. तब वहाँ एक डेढ़ साल की बच्ची रो रही थी, उसके आस-पास कोई नहीं था। तो मैं उसके पास गई और उससे उसका नाम पूछा और थोड़ी बात की.. और उसे आइसक्रीम दिला दी।
थोड़ी देर बाद उसने बताया कि उसका नाम परी है और वो अपने पापा के साथ आई है।
इतने में उसके पापा भी वहाँ आ गए और उन्होंने मुझे थैंक्स बोला और कॉफ़ी ऑफर की।
मैंने ‘ना’ कहा.. लेकिन बाद में उनके बहुत रिक्वेस्ट करने पर ‘हाँ’ बोल दिया।
उनका नाम नितिन था और वह सिटी में नए थे।
अब जब मैं पार्क में जाती थी.. तो नितिन और परी से मिलती थी। बातों-बातों में नितिन ने बताया कि उनकी वाइफ की डेथ उनकी परी के जन्म के समय ही हो गई थी और परी के लिए उन्होंने दूसरी शादी नहीं की।
मुझे उनके लिए दुःख लगा।
अब हम रोज 2-3 घन्टे पार्क में बातें करते थे और रात को मैसेज किया करते थे।
मुझे अब वो अच्छे लगने लगे थे। परी और मैं भी आपस में घुल-मिल गए थे।
एक सन्डे को नितिन का कॉल आया और उन्होंने बोला- मेरे ऑफिस से अर्जेंट कॉल आया। मुझे 5-6 घन्टे के लिए जाना है.. अभी तक परी की आया भी नहीं आई है.. तो क्या तुम परी का ध्यान रख लोगी?
मैंने ‘हाँ’ कर दी.. नितिन मुझे लेने मेरी बिल्डिंग के पास आए और मुझे साथ लेकर अपने घर पर छोड़ दिया और ऑफिस चले गए।
उनके घर पर मैंने परी को खाना दिया और उसे नहलाने लगी.. तो मेरा ड्रेस गीला हो गया।
मैंने उसे सुलाया और कपबोर्ड में ड्रेस देखने लगी, मुझे नितिन की वाइफ की बहुत साड़ी और ब्लाउज मिले। उसकी और मेरी फिटिंग लगभग एक सी थी। मैंने सोचा कि ड्रेस सूखने पर वापस चेंज कर लूँगी।
नितिन को आने में अभी टाइम था.. तो मैंने एक-एक करके साड़ी पहन कर देखना शुरू कर दीं।
उसमें एक पिंक कलर की साड़ी थी.. जब मैंने वो पहनी.. तभी दरवाजे की घंटी बजी और परी की नींद खुल गई और वो रोने लगी।
मैंने दौड़ कर दरवाजा खोला तो नितिन थे, मुझे उनकी वाइफ की साड़ी में देख कर वे चौंक गए।
मैं जाकर परी को शांत करने लगी, थोड़ी देर बाद वो शांत हो गई।
जैसे ही मैं खड़ी हुई.. तो नितिन ने मुझे पीछे से पकड़ लिया। मैं कुछ समझती.. तब तक नितिन ने मेरे नंगे पेट पर और छाती पर हाथ फेरना चालू कर दिया।
मैंने विरोध किया.. पर उनकी ताकत ज्यादा थी।
थोड़ी देर बाद मुझे भी अच्छा लगने लगा और मेरा विरोध कमजोर होने लगा। उन्होंने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मुझे चुम्बन करने लगे, मैं भी साथ देने लगी।
कब हमारे कपड़े उतर गए.. पता ही नहीं चला। वो मेरे स्तनों को चूसने लगे.. मैंने अपनी आंखे बंद कर लीं और उनके बाल पकड़ लिए।
वो कभी मुझे किस करते तो कभी स्तन चूसते.. कुछ मिनट बाद उन्होंने मुझे चोदने की स्थिति में लिटा कर अपना लिंग मेरे अन्दर घुसा दिया।
मुझे थोड़ा दर्द हुआ पर मैं सहन कर गई।
दस मिनट के बाद हम साथ ही झड़ गए और वैसे ही लिपट कर सो गए।
एक घन्टे बाद नींद खुली तो नितिन मुझे ‘सॉरी’ बोलने लगे।
मैंने भी कहा- जो कुछ भी हुआ उसमें मेरी भी मरजी थी।
तो वो खुश हुए और मुझे चूमने लगे।
उस रात मैं उनके घर में ही रही। उसके बाद हर 3-4 दिन बाद हम सेक्स करने लगे थे। बाद में जब मेरा कॉलेज खत्म हुआ और मैं वो शहर छोड़ कर पढ़ाई के लिए दूसरे शहर में चली गई।
यह मेरी सच्ची कहानी है। मुझे मेल करें और अपने विचार भेजें।
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