चाचा ससुर के साथ चुदाई का रिश्ता-2
कहानी का पहला भाग : चाचा ससुर के साथ चुदाई का रिश्ता-1
मेरी गरम देसी चुदाई की कहानी में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरे चाचा ससुर मेरी चुत चाट रहे थे और मेरे शौहर मुझसे फोन पर चाचा के बारे में बात कर रहे थे.
अब आगे..
मैं- वो बाहर हॉल में बैठे हैं, मैं आपको बाद में कॉल करती हूँ.
यह कह कर मैंने फोन काट दिया क्योंकि अब मुझ से रहा नहीं जा रहा था. चाचाजी अपनी पूरी जीभ मेरी चुत में अन्दर बाहर कर रहे थे और मैं मेरे दोनों हाथों से उनको अपनी चुत में दबाते हुए जीभ चुदाई का पूरा आनन्द ले रही थी- आह्ह्ह्ह मम्म्म्म सीस्स्स्स उइइइइ…
मैं अब फिर से झड़ने वाली थी तो मैंने अपने हाथों से जोर से चचाजान का सर अपनी चुत में दबा दिया, जिससे चाचाजी की जीभ मेरी चुत में अन्दर तक धंस गई. चाचाजी ने भी पोजीशन को समझते हुए चुत के अन्दर ही जीभ को लपलपाना शुरू कर दिया, जिससे मेरा मजा दुगना हो गया ‘आआह ईईई आआआआह आआआह..’
और आखिरकार मेरी चुत ने ढेर सारा वीर्य चाचाजी के मुँह पे ही छोड़ दिया. मेरा शरीर बिल्कुल निढाल हो चुका था. मैंने चाचाजी को खींच कर अपने ऊपर ले लिया और हम दोनों ने एक दूसरे के होंठ चूसना शुरू कर दिया.
तभी बाहर हॉल से सासू माँ की आवाज़ आई. हम दोनों हड़बड़ा कर एकदम खड़े हो गए. शुक्र था कि चाचाजी ने अपने कपड़े उतारे ही नहीं थे, तो वो अपने आपको ठीक करते हुए फ़ौरन बेडरूम से बाहर निकल गए ताकि सासू माँ अन्दर ना आ जाएं.
वो दोनों हॉल में ही बैठ गए.
सासू माँ- और आसिफ कहो, शाहीन का मूड ठीक हुआ या नहीं?
चाचाजी- हाँ भाभी, बस अब ठीक है.
मैं कपड़े पहन कर बाहर हॉल में आ गई मैं बहुत घबराई हुई थी.
सासू माँ- कैसी हो शाहीन?
मैं थोड़ा मुस्कुराते हुए बोली- अच्छी हूँ मम्मी जी.
सासू माँ- आसिफ अच्छा हुआ जो तुम आ गए वरना ये लड़की मेरी तो कोई बात ही नहीं सुनती है.
चाचाजी- भाभी, आप फिक्र ना करो शाहीन को जो चाहिये था.. वो मैंने अच्छी तरह से दे दिया है.
चचाजान मेरी तरफ देखकर नॉटी सी स्माइल कर रहे थे. सासू माँ को तो कुछ पता नहीं चला, पर मैं उनकी डबल मीनिंग बात समझ रही थी. मैंने अपनी नजरें झुका लीं.
“मैं चाय बना कर लाती हूँ..” कहती हुई झट से किचन में चली गई.
सासू माँ और चाचाजी हॉल मेरी बेटी के साथ खेल रहे थे.
मैं किचन में जो कुछ मेरे साथ हुआ, वह सोच कर मन ही मन अपने आपको कोस रही थी कि ये मैंने क्या कर दिया!! जान से ज्यादा प्यार करने वाले शौहर को धोखा दे दिया!! मेरी आँखों से पछ्तावे के आंसू निकलने लगे. मैंने मन ही मन तय कर लिया कि नहीं नहीं अब मैं ये बिल्कुल भी नहीं होने दूँगी, मैं मेरे शौहर को धोखा नहीं दूँगी.
मैं इन्हीं खयालों में थी कि मेरे पीछे से किसी के आने की आहट हुई. मैं पीछे मुड़ कर देखती इससे पहले ही चाचाजी ने पीछे से मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरी गरदन को चूमने लगे. उनका तना हुआ लंड मुझे चूतड़ों के छेद में महसूस हो रहा था.
मैं- चाचाजी ये क्या कर रहे हैं? मम्मी जी हैं?
चाचाजी ने मुझे अपनी बांहों में कसते भरते और गरदन को चूमते हुए कहा- नहीं, भाभीजान मेरे घर चली गई हैं शाहीन.. मेरी जान मैंने तुम्हें जो चाहिये था वो तो दिया, पर अब मुझे कब शांत करोगी!
मैं अपने आपको छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी. चाचाजी की मजबूत पकड़ से निकलना मुश्किल था. मैंने चाचाजी की तरफ देखकर मना करना चाहा, पर मैं कुछ कहती उससे पहले चाचाजी ने मेरे होंठों को अपने होंठों में भर के लिपलॉक कर लिया और चूसने लगे. वो दोनों हाथों से मेरे मम्मों को मसल रहे थे.
मैं भी धीरे धीरे बहकने लगी थी, पर जैसे तैसे मैंने अपने आप पर कंट्रोल करते हुए सख्ती से चाचाजी को अलग कर लिया और चाचाजी से हाथ जोड़ कर कहा- प्लीज चाचाजी, मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ.. ऐसा मत कीजिये, ये गलत है.. हम ये सब नहीं कर सकते.
मेरी आँखों से आंसू निकल रहे थे, जिसे देखकर चाचाजी सहम से गए. चाचाजी थोड़ा डरते हुए बोले- क्या हुआ शाहीन!! अगर मैंने तुम्हारे साथ कोई जबरदस्ती की हो और तुम्हें अच्छा ना लगा हो तो मुझे माफ कर दो.
जबकि हम दोनों जानते थे कि मैं कितना मजा ले रही थी.
मैं- नहीं चाचाजी, वो बात नहीं है, पर मैं इरफान से बहुत प्यार करती हूँ और वो मुझ पर बहुत भरोसा करते हैं. मैं उन्हें धोखा नहीं देना चाहती. ये गलत है और आप भी मुझसे प्रोमिस कीजिए कि आज के बाद आप आज जो कुछ भी हुआ, उसे भूल जाएंगे और कभी भी इस तरह की हरकत नहीं करेंगे.
शायद वो भी मेरी बात सुन कर अपने आप में गिल्टी फील कर रहे थे.
कुछ पल गमगीन रहने के बाद… चाचाजी- तुम ठीक कह रही हो शाहीन.. मैं बहक गया था, मुझे माफ कर दो. मैं वादा करता हूँ कि आज के बाद इस तरह की गल्ती कभी नहीं होगी और हम पहले जैसे थे.. वैसे ही रहेंगे.
हम दोनों ने एक दूसरे को स्माइल दी और चाचाजी चले गए.
मैंने राहत की सांस ली और अपने काम में लगने की कोशिश करने लगी.
पर ना जाने क्यों मेरा मन बार बार आज हुए हादसे के बारे में सोचने लगता. मेरी आँखों के सामने बार बार मेरी चुत की चटाई का मंजर आ जाता. इसी तरह पूरा दिन काम में मन नहीं लगा.
शाम को जब इरफान घर पर आए तो मैं उनसे नजरें नहीं मिला पा रही थी. कुछ दिनों तक चाचाजी घर पे नहीं आए.
करीब 6-7 दिन बाद वो कुछ काम से घर पे आए तो मेरे मन में घबराहट सी होने लगी. मेरे मन में फिर से वो सारे मंजर घूमने लगे. मैं चाचाजी से नजरें चुरा रही थी. मैं कुछ बहाना बना कर अपने रूम में चली आई और आँखें बंद करके अपने आपको शान्त करने लगी.
तभी मुझे अपनी चुत में कुछ गीलापन महसूस हुआ, तो मैं फ़ौरन बाथरूम में गई और अपनी सलवार उतार कर देखा तो मेरी चुत ने रस छोड़कर मेरी पेंटी को गीला कर दिया था. मैंने पेंटी उतार दी और अपनी आँखें बंद करते हुए उंगलियों से चुत को सहला दिया. आँखें बंद करते ही वो सारे मंजर मेरे सामने घूमने लगे जिसमें चाचाजी मेरी चुत को फुल लेन्थ चाट रहे थे, अपनी जीभ को मेरी चुत में डीपली अन्दर बाहर कर रहे थे. इधर वास्तव में मेरी उंगलियां उस सपने को पूरा कर रही थीं.
करीब 5 मिनट में मैं झड़ गई..
मैं सोच रही थी कि ये मुझे क्या हो गया है.. क्यों मेरा तन मन चाचाजी की तरफ खिंचता चला जा रहा है. चाचाजी के बारे में सोचते ही क्यों मेरी चुत पानी छोड़ने लगती है.
और ये बात भी सच थी कि उस हादसे के बाद जब इरफान के साथ मैंने सेक्स किया था तो उसमें मैं पूरी तरह सेटीस्फाइड नहीं हुई थी और चाचाजी को देखते ही मेरी चुत ने अपने आपको खुद ही सेटीस्फाइड कर लिया था.
मैं फ्री होकर बाहर आई तब तक चाचाजी जा चुके थे. ऐसे ही और दिन गुजरते गए.
मैं दिन ब दिन चाचाजी की तरफ खिंचती जा रही थी. अब तो जब भी मैं और इरफान सेक्स करते, उस वक्त मैं आँखें बंद करके चाचाजी को इमेजिन करती तो ही मैं संतुष्ट हो पाती. मैं अब चाचाजी से चुदना चाहती थी, चाचाजी के लिए मेरी फेन्टेसी अब बढ़ती ही जा रही थी और चाचाजी तरफ देखने का मेरा नजरिया ही बदल गया था, जिसे शायद चाचाजी ने भी महसूस किया था.
करीब एक महीने के बाद दिसंबर में क्रिसमस की छुट्टियों में 7 दिन के लिए हमारा शिमला कुल्लू मनाली जाने का प्रोग्राम बना. मैं मन ही मन बहुत खुश थी. हमारी और चाचाजी की फैमिली मिला कर कुल 6 बड़े और 2 बच्चे थे. चाचाजी ने अपनी स्कार्पियो कार में जाने का सुझाव दिया, जिस पर सब मान गए.. क्योंकि इरफान भी एक अच्छे ड्राइवर थे.
फिर 23 तारीख दोपहर को 12 बजे हम कार लेकर निकले. चाचाजी उस वक्त ड्राइविंग कर रहे थे और उनके पास फ्रन्ट सीट पर चाचीजी बैठी थीं. मेरे सास ससुर और चाचाजी का बेटा बीच की सीट पर बैठे और सबसे पीछे की सीट पर मैं और इरफान हमारी बेटी को लेकर बैठ गए.
लगभग 18-20 घंटे का सफर था, सब लोग हंसी मजाक करते हुए जा रहे थे. रास्ते में हमने एक चाय पानी का हॉल्ट भी किया. रात करीब 8 बजे हमने एक होटल पर रुक कर खाना खाने के लिए हॉल्ट किया.
करीब 1 घंटा रुकने के बाद हम निकल ही रहे थे कि चाचाजी ने इरफान से कार चलाने को कहा और चाची से पूछा कि तुम पीछे आ रही हो कि यहीं बैठोगी.
उन्होंने मना किया कि मैं यहीं ठीक हूँ. वैसे भी शाहीन को बच्ची के साथ यहाँ नहीं सैट होगा.
मैं मन ही मन बहुत खुश हुई और शायद चाचाजी भी.
वह पीछे आकर मेरे सामने वाली सीट पर बैठ गए, जिससे मेरे पैर चाचाजी के पैर से टच हो रहे थे, शायद वो जानबूझ कर मेरे पैर को अपने पैर से सहला रहे थे. उनकी छुअन से ही मुझे सेक्स की फीलिंग आने लगी दी.
गाड़ी की स्पीड बढ़ते ही मुझे ठंड लगने लगी, सो मैंने एक कम्बल को अपने ऊपर कंधों तक डाल लिया, जिसका एक सिरा चाचाजी ने अपने ऊपर डाल लिया. मैं और चाचाजी अब एक ही कम्बल में थे. अंधेरा बहुत था, सो किसी को कुछ दिखाई देने का चान्स नहीं था. सामने से आती हुई गाड़ी की रोशनी में चाचाजी अपनी हवसी नजरों से मुझे घूर रहे थे.
करीब 1 घंटे के बाद गाड़ी में सब सो गए, सिर्फ इरफान और चाची बातें कर रहे थे. मैं अपनी आंखें बंद करे पड़ी थी.
तभी चाचाजी ने अपना हाथ मेरी जाँघों पर सहलाना शुरू किया. मैं मन ही मन खुश हुई, मेरी तो जैसे मुराद पूरी हो गई. कुछ देर जाँघों पे हाथ फेरने के बाद चाचाजी का हाथ मेरी सलवार के नाड़े पे आया, वो उसे खोलना चाहते थे. पर वह नहीं खोल पाए तो चाचाजी ने सलवार के ऊपर से ही मेरी चुत को सहला दिया.
फिर दोबारा चाचाजी ने नाड़ा खोलने की कोशिश की, पर कामयाब नहीं हुए.
मेरी हंसी छूट पड़ी, जिससे वे समझ गए कि मैं जाग रही हूँ. मैंने अपनी आंखें खोलीं, चाचाजी ने मुझे कामुक नजरों से घूरते हुए मेरी चुत पे चिकोटी काटी. मेरे मुँह से “सीस्स्स्सस..” निकल गई.
मैं इशारे से उन्हें मना कर रही थी और चाचाजी इशारे से मेरे नाड़े को खोलने के लिए कह रहे थे. मैं उनको परेशान करती हुई ना में सर हिला रही थी. वो बड़ी रिक्वेस्ट कर रहे थे और फिर एक और बार चाचाजी ने मेरी चुत पे जोर की चिकोटी काटी. मेरे मुँह से चीख निकलते हुए रह गई.
मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोलना शुरू किया, जिससे चाचाजी के चेहरे पे चमक आ गई.
सच में सलवार का नाड़ा बहुत टाइट था. बड़ा जोर लगाने पर खुला. चाचा जी तो जैसे बस इसी इन्तजार में थे. नाड़ा खुलते ही चाचाजी ने मेरी पेंटी में हाथ डाल कर मेरी गर्म चुत को थाम लिया और धीरे धीरे सहलाने लगे.
मैं मदमस्त हो कर आनन्द लेने लगी. मेरी चुत अब धीरे धीरे गीली होने लगी थी. कुछ ही पल में चाचाजी ने अपनी दो उंगलियां एक साथ चुत में अन्दर तक डाल दीं.
“सिस्स्स्स्स सस इइइइइसस..”
मेरी आंखें बड़ी हो गईं.. मैंने अपने आप पर कन्ट्रोल किया वरना मेरे मुँह से चीख निकल जाती. चाचाजी ने थोड़ी स्पीड बढ़ा दी, मैं बस मदहोश होकर अपनी चुत में फिंगर फक का मजा ले रही थी.
कुछ देर बाद चाचाजी ने सबको सुनाई दे, इस तरह कहा.
चाचाजी- चलो भई थोड़ी देर कमर सीधी करने के लिए लेट जाता हूँ.
मैंने और आगे से चाची ने साथ में ही कहा- हाँ हाँ.. लेट जाइए.
बस फिर क्या था चाचाजी मेरे कम्बल में लेटते हुए अन्दर आ गए और मेरी सलवार और पेंटी को घुटनों के नीचे तक सरका दिया. मैंने भी अपने पैर फैलाते हुए उनका स्वागत किया. चाचाजी ने मेरी रस भरी चुत पर अपनी गरम जीभ रख दी.
मैंने धीरे से “सिस्स्स्स्स उम्म्म्ममम अह्ह्ह्ह्ह..” करते हुए उनके सर को अपनी चुत में दबा लिया.
मैंने सामने की सीट पर अपने पैर ऊपर कर लिए, जिससे चाचाजी मेरी चुत को फूल लेन्थ चाटने लगे. मैं अपनी चुत चटाई का भरपूर आनन्द ले रही थी. तभी चाचाजी ने अपनी जीभ मेरी चुत में डाल दी, जिससे मेरी चुत का मजा और बढ़ गया.
चाचाजी अपनी जीभ को चुत में अन्दर बाहर कर रहे थे.
“आह्हहहहह आह्ह्ह्हहह अइइइ..”
करीब दस मिनट की जीभ चुदाई के बाद मैंने कन्ट्रोल खो दिया और चाचाजी के मुँह पे ही ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया. चाचाजी ने सारा वीर्य चाट चाट कर मेरी चुत साफ कर दी. मुझे बड़ी शर्म आ रही थी. मैं चाचाजी के बालों में प्यार से उंगलियां घुमा रही थी और चाचाजी मेरी चुत को चाट कर साफ कर रहे थे. मैं चाचाजी को लिपकिस करना चाहती थी, पर वो मुश्किल था.
पर चाचाजी कहाँ रुकने वाले थे. चाचाजी का हाथ मेरी गरदन में आया और अपनी तरफ झुका लिया और मेरे होंठों को लिपलॉक कर लिया.
कुछ देर तक लिपकिस करने के बाद चाचाजी ने मेरे कान के पास आके धीरे से कहा- शाहीन मेरी जान अब तुम्हारी बारी है.. मुझे खुश करने की.
ये कहते हुए चाचाजी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने तने हुए लंड पर रख दिया.
मुझे बहुत शर्म आ रही थी.
चाचाजी ने अपनी पेन्ट की जिप खोलकर अपने तने हुए लंड को बाहर निकाल कर मेरे हाथ में थमा दिया. मैं अंधेरे की वजह से उसे देख तो नहीं सकती थी, पर मेरे हाथ में होने से पता चलता था कि वह इरफान के लंड से काफी मोटा और लंबा था. मैं अपने हाथों से चाचाजी के लंड को सहला रही थी.
कुछ देर बाद चाचाजी ने मेरे कान में धीरे से कहा- मेरी जान चूसोगी नहीं इसे??
मैं- नहीं नहीं…
चाचाजी- क्यों? तुम्हें अच्छा नहीं लगा?
मैं- मैंने कभी ऐसा नहीं किया.
चाचा जी- तो आज कर लो, तुम्हें बहुत मजा आएगा और मुझे भी.
यह कहते हुए चाचाजी खड़े से होते हुए अपनी सीट पर बैठ गए, जो आगे चाची ने भी देखा.
आगे से चाची बोलीं- हो गई कमर सीधी??
चाचाजी ने कहा- हाँ अब ठीक है.
फिर मुझे देख कर चाचाजी ने कहा- शाहीन अब तुम भी थोड़ी देर लेट जाओ.
मैंने सिर्फ “हाँ” कहा और लेट कर अपने ऊपर कम्बल डाल लिया, जो चाचाजी के पेट तक था. चाचाजी ने अपनी पेन्ट को नीचे की तरफ सरका दिया, जिससे उनका तना हुआ लंड मेरे मुँह के बिल्कुल करीब आ गया. मैंने उनके लंड को अपने हथेली में थाम लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी.
चाचाजी ने मेरे बालों में हाथ डाल के मेरे होंठों को अपने लंड पे चिपका लिया. चाचाजी के लंड से यूरीन और स्पर्म की मिलीजुली खुशबू आ रही थी, जो मुझे और कामुक बना रही थी. पर मेरे लिए पहला और बिल्कुल नया अनुभव था.
इरफान(मेरे शौहर) का भी कभी लंड मैंने मुँह में नहीं लिया था. मैंने कभी कभी ये करना चाहा तो उन्होंने मना कर दिया. लंड चुसवाने को इरफान एक गंदी हरकत मानते थे, पर आज उनके चाचा उनकी जवान बहू के मुँह में अपना लंड देने को बेताब थे.
मैंने धीरे धीरे चाचा जी के लंड को चूमना शुरू किया और अपना मुँह खोल के चाचाजी के लंड को अपने मुँह में ले लिया. ये बड़ा अजीब सफर था. आगे मेरे शौहर और पूरी फैमिली बैठी थी और पीछे में मेरे चाचा ससुर का लंड अपने मुँह से चोद रही थी.
जैसे जैसे मैं लंड चूसती गई मेरा इन्टरेस्ट बढ़ता गया. कुछ ही देर में मैं एक ब्लू फिल्म की मॉडल की तरह चाचाजी के लंड को अपने मुँह में लेके उन्हें भरपूर मजा दे रही थी. चाचा जी बस आँखें बंद कर के मोन कर रहे थे और मेरे बालों में हाथ डाल कर अपने लंड पर दबा रहे थे.
फ्रेंड्स, अभी मेरे चाचा ससुर के साथ मेरी चुदाई की कहानी का मंजर आपको बताना बाकी है. आप मुझे मेल कीजिएगा.
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कहानी जारी है.
कहानी का तीसरा भाग: चाचा ससुर के साथ चुदाई का रिश्ता-3
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