चूची से जीजाजी की गाण्ड मारी-9

चूची से जीजाजी की गाण्ड मारी-9

अलीशा सुधा
इसके बाद जीजाजी थोड़ी शैम्पेन कामिनी के मम्मे पर छलका कर उसे चाटने लगे। मैंने अपने शैम्पेन की प्याली में जीजाजी के लौड़े को पकड़ कर डुबो दिया, फिर उसे अपने मुँह में ले लिया।
कामिनी की चूचियों को चाटने के बाद चमेली की चूचियों को जीजाजी ने उसी तरह चूसा। फिर मुझे टेबल पर लिटा कर मेरी बुर पर बोतल से शैम्पेन डाल कर मेरी चूत को चाटने लगे।
कामिनी मेरी चूचियों को गीला कर चाट रही थी और चमेली के मुँह में उसका मनपसंद लौड़ा था। हम सब इन क्रिया-कलापों से काफ़ी गरम हो गए।
अपनी-अपनी तरह से शैम्पेन पीकर हम चारों ने मिलकर उसे खत्म कर दिया, जिसका हल्का सुरूर आने लगा था।
जीजाजी बोले- चलो अब एक बाजी हो जाए…!
कामिनी जीजाजी के लण्ड को बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखते हुए बोली- शाहबेआलम, पहले किस कनीज की लेंगे..!
मैंने जीजाजी की दुविधा को समाप्त करते हुए कहा- पहले तो होस्ट का ही नंबर होता है, वैसे हम लोग तुझे हारने नहीं देंगे।
चमेली फिर बोली- हाँ..! दीदी जीजाजी हैं तो बहुत दमदार जल्दी झड़ने का नाम नहीं लेते, पर तू चिंता मत करो, सुधा दीदी ने इन्हें जल्दी खलास करने का उपाय मुझे बता दिया है, अपनी चूची से इनकी गाण्ड मार दो …बस शाहबेआलाम.. खलास..!
जीजाजी का मन कामिनी पर तो था ही उन्होंने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया और हॉल में बिछे गद्दे पर ले आकर लिटा दिया।
फिर उस पर झुक कर उसके चूचुकों को मुँह में लिया। कुछ देर उसके दोनों चूचुकों को चूसने के बाद उसकी टाँगों को फैला कर बुर पर मुँह लगा कर, टीट चाटने लगे। कामिनी तो पहले से ही चुदवाने के लिए बेचैन थी।
उसने जीजाजी को अपने ऊपर खींच लिया और लण्ड पकड़ कर बोली- अब नहीं सहा जा रहा है… अब इसे अन्दर कर दो… मेरी बुर इसे चूसना चाहती है।
उसने लण्ड को अपनी बुर के मुँह पर लगा दिया। जीजाजी ने एक जोरदार शॉट लगाया कामिनी चीख उठी, “ओह मार डाला … बड़ा तगड़ा है… ओह … ज़रा धीरे…!”
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इधर मैंने और चमेली ने कामिनी की एक-एक चूचुक अपने मुँह में ले लिया। जीजाजी धक्के की रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ा रहे थे और कामिनी ‘उहह हाईईईईईईई ओह’ करती हुई नीचे से चूतड़ उठा-उठा कर अपनी बुर में लण्ड ले रही थी।
चमेली पीछे से जाकर कामिनी की बुर में अन्दर-बाहर होते हुए लण्ड को देखने लगी। फिर देखते-देखते जीजाजी के अंडकोष को हल्के-हल्के सहलाने लगी, जो कामिनी के चूतड़ पर ठाप दे रहे थे।
मैं चुदाई कर रहे जीजाजी के सामने खड़ी हो गई और उन्होंने मेरी बुर को अपने मुँह में ले लिया।
कामिनी नीचे से अब मज़े लेकर चुदवा रही थी और बड़बड़ा रही थी- हाय मेरे कामदेव… हय..! मेरे चोदू सनम… तुम्हारा लौड़ा बड़ा जानदार है…! लगता है पहली बार चुदवा रही हूँ… मारो राजा धक्का … और ज़ोर से…… हाईईईई! और ज़ोर से… और जूऊओर सीईए… आज तो रात भर चुदाई का प्रोग्राम है… तीन- तीन बुर से लोहा लेना है… तुमने तो चोद-चोद कर जान निकाल दी… हाई इस जालिम लौड़े से फाड़ दो मेरी बुर्र्र्र्र्र… बहुत अच्छा लग रहा हाईईईईई… हाईई और ज़ोर सीईई मेरे रज्जा और ज़ोर सीईए…… अरी सुधा अपनी बुर मुझे भी चुसा…बड़ा मज़ा आ रहा है…!
मैं घुटनों के बल बैठ कर अपनी बुर को कामिनी के मुँह में लगा दिया।
अब जीजाजी मेरी चूचियों पर मुँह मारते हुए धक्के पर धक्के लगाने लगे और कामिनी नीचे से अपनी गाण्ड उछाल-उछाल कर चुदवा रही थी और पूरे कमरे में चुदाई की आवाज़ गूँज रही थी।
थोड़ी देर बाद जीजाजी ने कामिनी को ऊपर कर लिया और अब कामिनी ऊपर से धक्का मार-मार कर चुदाई करते हुए बड़बड़ा रही थी- हाय राजा..! क्या लण्ड है… ओह हाईई … चोदो राजा… बहुत अच्छा लग रहा है… ओह हह हाऐईयइ मेरा निकलने वाला है… ओह मैं गईईई..!
वो झड़ चुकी थी और उसने जीजाजी के होंठों को चूम लिया। जीजाजी अभी झड़े नहीं थे, उन्होंने अपना लौड़ा कामिनी के बुर से निकाल कर मेरी बुर में पेल दिया।
मैं भी अब तक काफ़ी गर्म हो चुकी थी, नीचे से गाण्ड उछाल-उछाल कर जीजाजी के बेताब लण्ड को अपने बुर में लेने लगी।
चमेली मेरी चूचियों के चूचुकों को एक-एक कर चुभलाने लगी।
मैं पहले ही बहुत गरम हो चुकी थी सो कुछ ही धक्कों में मैं भी झड़ने के करीब थी।
“ओह मेरे चोदू सनम… क्या जानदार लौड़ा है…मेरी बुर को चोद-चोद कर निहाल कर दो… मारो राजा मारो…कस-कस कर धक्के……चोद दो…चोद दोऊऊओ ईईई हाईईई मैं गईईई..!” और मैं भड़भड़ा कर झड़ गई।
अब चमेली की बारी थी। चमेली जीजाजी के ऊपर आ गई और बोली- बड़े चुदक्कड़ बनते हो, अब मैं तुम्हें झड़ाऊँगी..!”
उसने जीजाजी के लौड़े को बुर में लगाया और एक ही झटके में पूरा निगल लिया। फिर उसने अपनी चूची जीजाजी के मुँह में लगा कर चुदाई करने लगी।
कामिनी ने अपनी चूची चमेली के मुँह में लगा दी। मैं काफ़ी थक गई थी। जीजाजी ने चार बार चोद कर बेहाल कर दिया था।
मैं लेट कर इन तीनों को देखने लगी।
चमेली ऊपर से कस-कस कर धक्के लगा रही थी और बड़बड़ा रही थी, “हाय.. ! मेरी बुर के चोदन हार… चोद-चोद कर इस साले लण्ड को डाउन करना है … हाईईईईईईई रजाआ ले लो अपनी बुर को… हाय रज्जाअ अब आ जाओ नाआअ साथ-साथ…हाँ राजा हाँ हम दोनों साथ झड़ेंगी..ईई ओह माआअ मैं अपने को रोक नहीं पा रही हूँ … जल्दी करो … ओह मैं गईईईई..!”
और चमेली भी झड़ कर जीजाजी के सीने पर निढाल हो गई।
जीजाजी ने अपने ऊपर से चमेली को हटाया और कामिनी को पकड़ कर बोले- आओ रानी अब तुझे अमृत-पान कराऊँगा..!”
उन्होंने कामिनी को लिटा कर उसके पैरों को फैलाया और उसके चूतड़ के नीचे तकिया लगा कर बुर को ऊँचा किया।
फिर उसे चूम लिया और बोले- हाय रानी क्या उभरी हुई बुर है; इसे चोदने के पहले इसे चूसने का मन कर रहा है..!”
कामिनी बोली- ओह..! मेरी बुर के यार… जैसे चाहे सो करो ये तीनों बुर आज तुम्हारी हैं..!”
जीजाजी कामिनी की बुर की टीट चूसने लगे कामिनी मुझसे बोली- सुधा आ तू, मुझे अपनी बड़ी-बड़ी चूची पिला दे..!”
मैं बोली- ना बाबा..! मेरे में अब और ताक़त नहीं है, चार बार झड़ चुकी हूँ.. तू अब आपस में ही सलट ले..!”
इस पर चमेली उसके पास आ गई और अपनी चूची को उसके मुँह में लगा दिया। कुछ देर बुर चूसने के बाद जीजाजी उठे और कामिनी के बुर में अपना लौड़ा घुसा दिया और दनादन धक्के मारने लगे।
कामिनी नीचे से सहयोग करने के साथ गंदे-गंदे शब्दों को बोल कर जीजाजी को उत्साहित कर रही थी, “जीजाजी आप पक्के चुदक्कड़ हैं.. तीन-तीन बुर को पछाड़ कर मैदान में डटे हैं… चोद दो रज्जाआ चोदो… मेरी बुर भी कम नहीं है… कस-कस कर धक्के मारोओ मेरे चुदक्कड़ रज्जाआअ… मेरी बुर को फाड़ दो…अपने मदन-रस से सींच दो मेरी बुर को… ओह राजा बड़ा अच्छा लग रहा है… चोददो… चोददो… चोदो… और चोदो… राजा साथ-साथ गिरना… ओह हाईईइ आ भी जाओ मेरे चुदक्कड़ बलम..!”
जीजा जी हाँफ्ते हुए बोले- ओह… मेरी बुर की मलिका… थोड़ा और रुको.. बस आने वाला हूँ.. ओह मैं अब गयाअ …!
कामिनी भी बिल्कुल साथ-साथ झड़ी, उसकी बुर वीर्य की सिंचाई से मस्त हो गई।
कामिनी बोली- जीजाजी आज पूरी तरह चुदाई का मज़ा मिला..!
जीजाजी काफ़ी थक गए थे और कामिनी की चूचियों के बीच सर रख कर लेट गए। थोड़ी देर बाद कामिनी के ऊपर से उठे और मेरे बगल में लेट गए। उनका लौड़ा सुस्त पड़ा था।
मैंने उसे हिला कर कहा- आज इस बेचारे को बड़ी मेहनत करनी पड़ी, ओ..! कामिनी जीजाजी को तरोताजा करने के लिए कुछ टॉनिक चाहिए..!
कामिनी अपनी बुर साफ कर चुकी थी और जीजाजी के लण्ड को साफ करते हुए बोली- ताक़त और मस्ती के लिए सारा इंतज़ाम है आ जाओ टेबल पर, हम चारों नंगे टेबल पर आ गए, जहाँ विहस्की की बोतल और गिलास रखे थे।
कामिनी जीजू को विहस्की की बॉटल देती हुई बोली- जीजाजी..! आप सुधा की सील तो तोड़ चुके हैं, अब इसकी सील भी तोड़िए.!
जीजाजी ने बोतल ले ली और ढक्कन घुमा कर उसकी सील तोड़ दी और कामिनी को दे दी।
चमेली बोली- जीजाजी..! अब तक आप कितनी सील तोड़ चुके हैं..!
सब हँस पड़े कामिनी ने काँच के सुंदर गिलास में चार पैग तैयार किए फिर सब ने गिलास को उठा कर “चियर्स” कहा।
कामिनी बोली- आज का जाम जवानी के नाम..!
मैंने अपना गिलास जीजू के लण्ड से छुआ कर कहा- आज का जाम इस ‘चोदू’ के नाम..!”
चमेली जीजाजी के लण्ड को गिलास के विहस्की में डुबो कर बोली- दीदी की सील तोड़ने वाले के नाम..!”
जीजाजी ने हम तीनों की चूचियों से जाम छुआते हुए कहा- आज का जाम मदमस्त हसीनाओं के नाम..!”
फिर हम चारों ने अपने गिलास टकराए और शराब का एक घूँट लिया। थोड़ी छेड़-छाड़ करते हुए हम चारों ने अपने-अपने गिलास खाली किए। शराब का हल्का शुरूर आ चुका था।
जीजाजी बोले- सुधा..! कामिनी को ब्लू-फिल्म की सीडी दे दो वो लगा देगी..
जीजाजी जो सीडी आते समय ले आए थे उसे मैंने कामिनी को दे दिया।
कामिनी अपने चूतड़ हिलाती हुई टीवी तक गई और और सीडी लगा कर सीडी प्लेयर को ऑन कर दिया और पास पड़े सिगरेट के पैकेट ले वापस आ कर नंगे जीजाजी के गोद में दोनों तरफ पैर कर बैठ गई और थोड़ा एडजेस्ट कर लण्ड को अपनी बुर के अन्दर कर लिया।
इधर मैंने दूसरा पैग बना दिया।
कामिनी ने मुझसे एक सिगरेट सुलगाने के लिए कहा।
मैंने सिगरेट सुलगा कर एक कश लिया और कामिनी की चूचियों पर धुंआ उड़ा दिया, फिर कामिनी के मुँह में लगा दिया।
इधर चमेली ने भी एक सिगरेट जलाई और एक कश ले कर मेरी बुर में खोंस दी। जीजाजी ने उसे हाथ बढ़ा कर निकाल ली और धुंए के छल्ले बनाने लगे।
कामिनी ने मुझे अपनी सिगरेट पकड़ा कर गिलास उठा लिया और एक गिलास में ही जीजा-साली पीने लगे।
प्रिय पाठको, आपकी मदमस्त सुधा की रसभरी कहानी जारी है। आपके ईमेल की प्रतीक्षा में आपकी सुधा बैठी है।
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