चूत की चुदाई और मेरा जिस्म
दोस्तो, मेरा नाम प्रिया है, मैं B.Tech की स्टूडेंट हूँ और अभी फ़ाइनल ईयर में हूँ। मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियां पढ़ी हैं और मुझे इस साईट की कहानियां बहुत अच्छी लगीं.. तो मैंने अपनी भी एक कहानी लिखने की सोची, यह मेरी पहली कहानी है..
मैं बी.टेक. थर्ड इयर से ही कॉलेज से बाहर कमरा लेकर अपनी फ्रेंड्स के साथ रह रही थी, हम लोग जिस घर में रहते हैं वहाँ मकान-मालिक और उनकी बीवी नीचे वाली मंज़िल पर रहते हैं.. और हम लोग ऊपर वाले हिस्से में रहते हैं।
हमारे मकान-मालिक की शादी हुए अभी 3-4 साल ही हुए हैं। उनकी डेढ़ साल की एक बच्ची भी है।
हम लोग उनको भैया-भाभी ही बुलाती हैं।
भैया बहुत हट्टे-कट्टे और लम्बे बहुत ही कसरती जिस्म के मालिक हैं, भाभी बहुत ही सुंदर हैं, उनके फ़िगर पर तो गली के सारे मर्द फिदा हैं। उनका कामुक जिस्म 5 फुट 10 इंच लंबाई वाला और उस पर 36-34-36 का फ़िगर उनको और भी मदमस्त बना देता है।
मैंने और मेरी फ्रेण्ड ने उनसे कई बार पूछा कि भाभी आपके फ़िगर का राज़ क्या है.. तो वो मज़ाक करते हुए बार-बार बोलती हैं- शादी के बाद तुम्हारा भी ऐसे ही हो जाएगा.. चिंता मत करो।
घर में ऊपर छत पर एक बड़ा सा जाल लगा है और उसके ठीक नीचे भाभी के रसोई की खिड़की है.. वो भी काफी बड़ी है। भाभी जब खाना बनातीं तो मैं जाल के पास बैठ कर उनसे बातें किया करती थी।
एक दिन मेरी फ्रेण्ड अपने डॉक्यूमेंट लेने के लिए घर गई हुई थी और मैं किसी काम से बाहर गई हुई थी.. मुझे नहीं पता था कि भैया घर पर ही हैं।
रात के 8 बज़ रहे थे.. मैं जब घर वापस आई.. तो मेन-गेट के बगल से सीढ़ियों से होते हुए सीधे अपने कमरे में चली गई।
शायद भैया-भाभी को पता नहीं चला कि मैं आ गई हूँ।
मैं रोज़ की तरह जाल के पास गई.. तो देखा कि भैया और भाभी रसोई में थे और भैया ने भाभी को पीछे से पकड़ रखा था।
यह देख कर मेरे मन की कुटिल वासना जागी और मैं वहीं लेट गई। मैं वहाँ लेट कर सिर्फ अपनी आँखें जाल के पास लगा कर खिड़की में झाँकने लगी।
थोड़ी ही देर में भैया ने भाभी को घुमाया और किस करने लगे। वे दोनों लोग इस बात से पूरी तरह से अंजान थे कि मैं देख रही हूँ।
भैया किस करते-करते भाभी की नाइटी उतारने लगे और भाभी ने भी उनकी लुंगी खींच ली। भैया सिर्फ अंडरवियर में थे और भाभी ब्रा और पैंटी में रह गई थीं।
भैया भाभी को चूमे जा रहे थे.. कभी होंठों पर.. तो कभी मम्मों पर.. जबरदस्त चुम्मियां ले रहे थे।
काफी देर के बाद भाभी नीचे बैठ गईं और भैया का अंडरवियर नीचे करके उनका लण्ड चूसने लगीं.. भाभी उनका लवड़ा खूब हिला-हिला कर चूसे जा रही थीं, भैया काफी मज़े में ‘आह.. आह..’ किए जा रहे थे।
फिर उन्होंने भाभी को उठा कर रसोई के पत्थर पर झुकाया और उनकी पैन्टी उतारी और अपना मुँह उनके चूतड़ों की दरार में घुसा दिया। अब वे अति कामुक मुद्रा में भाभी की गाण्ड और चूत चाटने लगे।
भाभी बहुत तेजी से हाँफने लगीं और जल्दी से लौड़ा अन्दर डालने के लिए बोलने लगीं।
तब भैया ने उनकी ब्रा खोली और मम्मों को दबाने लगे और चूसने लगे। मैं तो भैया का लौड़ा देख कर बहुत गरम हो गई थी.. लेकिन छत पर होने के कारण कुछ कर भी नहीं सकती थी और इस तरह की लाइव ब्लू-फिल्म के सीन को छोड़ कर जा भी नहीं सकती थी.. तो बस मैं लेट कर देखती रही।
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गाण्ड चूसने के बाद भैया ने अपना लौड़ा हाथ में लेकर भाभी की चूत पर रगड़ने लगे। उनका लण्ड की नोक एकदम लाल हो गई थी और सुपारा खूब चमक रहा था।
भाभी की चूत भी उनके पानी से गीली होकर चमक रही थी। मैं भी मुश्किल से अपने पर कंट्रोल कर पा रही थी।
भैया ने फिर धीरे से लण्ड को भाभी की चूत में घुसेड़ दिया.. भाभी के मुँह से एक मीठी सी ‘आहह’ निकली और भैया ने धक्के देना शुरू कर दिया।
शुरू में तो वे बहुत प्यार से धक्के लगा रहे थे.. लेकिन थोड़ी ही देर में वो राजधानी एक्सप्रेस की तरह चुदाई कर रहे थे।
भाभी भी रसोई के पत्थर का सहारा लेकर पीछे होकर धक्के मार रही थीं। उन दोनों की इस चुदाई के कारण भाभी के मम्मे रसोई के पत्थर से बार-बार लड़ रहे थे।
अब मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था.. तो मैं भी अपनी जींस के अन्दर हाथ डाल कर लेट गई और उनकी चुदाई के साथ मेरी उंगली भी मेरी चूत के अन्दर-बाहर होने लगी थी।
तभी भैया हाँफने लगे और उन्होंने लण्ड भाभी की चूत से निकाल कर उनकी गाण्ड के छेद पर रख दिया और उनका सारा पानी भाभी के चूतड़ों की दरार से होता हुआ नीचे गिर रहा था।
फिर भैया ने भाभी को उसी पत्थर पर वैसे ही झुकाया और उनसे चिपक गए।
अब भाभी बोलीं- अभी मेरा नहीं हुआ है..
वो अपनी उंगली चूत पर फिरा रही थीं.. तो भैया ने उनकी टाँगें थोड़ी फैलाईं और चूत में जल्दी-जल्दी उंगली करने लगे.. लेकिन भाभी झड़ ही नहीं रही थीं।
तब तक भैया का लौड़ा फिर से खड़ा होने लगा था.. तो भाभी उनका लण्ड पकड़ कर अपनी लपलपाती चूत में घुसाने की कोशिश करने लगीं।
लेकिन भैया ने मना कर दिया और उंगली करते रहे और 10 मिनट के बाद भाभी झड़ गईं।
अब मैं उठी और अपने कमरे के बाथरूम में गई और अपने सारे कपड़े उतार कर अपनी चूत में उंगली करने लगी। थोड़ी देर तक भैया-भाभी की चुदाई के नजारे याद करते हुए मैं बहुत सारे पानी के साथ स्खलित हो गई।
अब मैं बिना कपड़ों के ही बिस्तर पर काफी देर लेट कर उस चुदाई के वाकिये को याद करती रही।
उस दिन से मैं उन दोनों लोगों पर नज़र रखे हुए हूँ.. अगर कोई नया किस्सा हुआ.. तो जरूर लिखूँगी.. तब तक के लिए गुडबाय.. मुझे मेल जरूर कीजिएगा।
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कहानी का अगला भाग : भाभी की चूत चुदाई की थ्योरी और प्रेक्टीकल
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