छत पर पड़ोसन भाभी की चुदाई देखी

छत पर पड़ोसन भाभी की चुदाई देखी


नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम महेश है. मैं छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का रहने वाला हूँ. मैं दुर्ग के पास के एक गांव से हूँ … लेकिन अभी मैं शहर में रह रहा हूँ. इधर रहते हुए मुझे लगभग दो साल होने वाले हैं. अभी मेरी उम्र 20 वर्ष की है. मेरा कद 5 फुट 2 इंच का है, रंग गेहुंआ है. स्नातक की पढ़ाई कर रहा हूँ.

आज मैं आप सभी को मेरे साथ हुए कुछ समय पहले की बात बताने आया हूँ. मैं काफी लम्बे समय से अन्तर्वासना की सेक्स कहानी का पाठक रहा हूँ. मुझे रोज ही इधर कोई न कोई नई कहानी के साथ हुई सेक्स घटना के बारे में पता चलता.

मेरे साथ हुई ये घटना कोई काल्पनिक कहानी नहीं है बल्कि एक सच्ची घटना है, जो मेरे साथ हुई है.

सन 2017 की जुलाई की बात है. जब मैं छात्रावास में रहने के लिए आया था. मैं पहली बार घर से बाहर निकला था.

मेरे हॉस्टल के पास एक लॉज हैं. वहां कोई ना कोई रोज आता ही रहता था. मेरे छात्रावास से लॉज साफ़ दिखता था. उसमें आने वाले लोग लड़कियां लाते थे. अन्दर क्या होता था, मुझे वो सब कुछ बातें नहीं पता था. लेकिन मैं रात में छत पर बैठकर ये सब देख कर गर्म हो जाता था. मेरे पूरे शरीर में हवस भरना शुरू हो जाती थी.

मुझे आए हुए पांच दिन हुए थे. उस दिन मैंने एक जवान लड़की को बूढ़े आदमी के साथ देखा. वे लोग सेक्स करने के लिए लॉज में आए थे. जिस कमरे में वे गए हुए थे, उसकी खिड़की से मुझे अन्दर का नजारा साफ़ दिख रहा था.

उसन दोनों ने सेक्स करना शुरू कर दिया. मुझे पूरा नजारा छत से साफ़ दिख रहा था. कमरे में अन्दर बिजली जल रही थी और मैं छत के अँधेरे में था. तो शायद उन लोगों को इस बात का अहसास ही नहीं था कि उनकी कामुक हरकतों को कोई छत से भी देख सकता था. वे दोनों अपनी चुदाई में मस्त थे.

उधर से मुझे सामने वाले सभी कमरों के अन्दर का सब कुछ साफ़ दिखता था. उन कमरों की ये खिड़कियां पीछे की तरफ खुलती थीं. उनमें आने वाले लोग हवा के लिए खिड़कियों को खोल लेते थे.

अब मैं रोज रोज रात को किसी ना किसी देखने के लिए छत पर आ जाता था.

मुझे रोज कोई ना कोई नया खेल देखने मिलने लगा. हर दिन कोई नया जोड़ा आता था और मुझे उनकी मस्त चुदाई का खेल दिखता. मैं तो बस चुदाई देखता और लंड हिला कर मुठ मार लेता. फिर बाथरूम में जाकर अपने लंड को धो लिया करता था.

मुझे हर तरफ सेक्स दिख रहा था, लेकिन करने के लिए कोई छेद नहीं मिल रहा था. मैंने आज से पहले कभी सेक्स किया भी नहीं था. लेकिन अब रोज रोज चुदाई देखने के कारण माहौल बदल सा गया था.

एक रात करीब एक बज रहा था, गर्मी बहुत ही ज्यादा थी, तो मैं ऊपर जाकर कुछ देर बैठा रहा. फिर दस मिनट बाद बगल वाले घर में रहने वाले एक आदमी और औरत छत पर आ गए. वे दोनों छत पर घूमते हुए छत की चारों ओर देखने लगे. उनको यूं देखते हुए मैं समझ गया कि कोई खेल शुरू होने वाला है, इसलिए मैं छिप कर बैठ गया.

कुछ देर तक वे दोनों यूं ही घूमते रहे, जब उनको कोई नहीं दिखा, तो थोड़ी देर बाद उस आदमी ने सिगरेट जला ली और लंड सहलाते हुए सिगरेट पीने लगा. उस औरत ने आदमी से सिगरेट ले ली, उसने भी धुंआ उड़ाया और उस आदमी से मस्ती करने लगी.

मैं उनकी छत से दो छत के बाद था. मैं उन दोनों को देखता रहा कि वे क्या करने के मूड में दिख रहे हैं. उस भाभी ने अपनी मेक्सी की डोरी खोल दी और मुझे उसकी ब्रा में कैद चूचियां दिखने लगीं. आदमी ने केवल लोअर पहना हुआ था.

कुछ देर बाद भाभी आदमी के नजदीक को हो गईं. अब वे दोनों एक दूसरे से चिपट कर खड़े हो गए थे. अभी इतना ही हुआ था कि मैं समझ गया कि वो चुदाई की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन मैं ये नहीं समझ पा रहा था कि क्या वे दोनों खुली छत पर ही चुदाई का मजा लेंगे, या नीचे चले जाएंगे. वो दोनों शायद पति पत्नी थे.

फिर उस आदमी ने अपने दोनों हाथों से अपनी पत्नी के चूचों को मसलना शुरू कर दिया. वो भी साथ ही साथ देने लगी.

उसकी मद्धिम स्वर में उम्म … आहंन … की आवाजें सुनाई दे रही थीं.

फिर भाभी अपने पति को अपने से दूर करने लगीं. भाभी ने अपनी नाईटी को निकाल दिया और वो बस ब्रा और पेन्टी में आ गई थीं. लाल रंग ब्रा और पेन्टी पीली थी. मैं तो बस देखता ही रहा भाभी की पीले रंग की पैन्टी पूरी साफ दिखाई दे रही थी.

मैंने उनको पास से देखने कोशिश की. मुझे उनकी चुदासी आवाजें साफ सुनाई देने लगी थीं. वो दोनों वहीं छत पर बिछी दरी पर लेट गए थे. इससे ये तय हो गया था कि उनकी चुदाई का खेल शुरू हो गया था.

मैं उन्हें पास से देखने वाला चाह रहा था. मैं हिम्मत करके उनके बगल वाली छत पर चला गया. इधर आकर मैंने उन दोनों को देखना शुरू कर दिया. हालांकि मुझे कुछ साफ़ नहीं दिख सकता था, क्योंकि वे लोग सेक्स करने के लिए छत के फर्श पर लेट गए थे.

फिर मैंने इधर उधर देखा और इस छत की मुंडेर पर ऐसी जगह छिप गया, जहां से उन दोनों को साफ़ देखा जा सकता था.

मैंने चुदाई की लीला देखना शुरू कर दिया. उस आदमी ने अपने दोनों हाथों से अपनी पत्नी के मम्मों को पकड़ रखा था और वो मम्मों को बड़ी बेदर्दी से मसल रहा था. भाभी मस्ती से चूचों की रगड़ाई का मजा लेते हुए मस्ती में आवाजें निकाल रही थीं. वो आदमी मम्मों के साथ भाभी को किस भी कर रहा था.

कुछ देर बाद भाभी उठीं और उन्होंने अपनी ब्रा और पेन्टी को उतार दिया.

ओहो क्या मस्त रसीले मम्मे थे. मेरा लंड तो पागल हो गया था. मेरा भाभी के बड़े बड़े मम्मे दबाने का मन करने लगा था, पर अपने नसीब में भाभी के मम्मे नहीं दिख रहे थे.

मैं इस वक्त एकदम उत्तेजित सा बैठा था. मेरी एक आवाज भी मुझे किसी झंझट में फंसा सकती थी. किसी ने सही कहा है कि चुत के चक्कर में आदमी क्या क्या कर बैठता है.

उधर भाभी मेरे सामने ही नंगी हो गई थीं. उनका पति जमीन पर लेटा हुआ था. वे दोनों लंड और चूत को सहलाते हुए कुछ मस्ती की बातें करने लगे थे.

फिर भाभी बगल में लेट गईं और उनका पति उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां दबाने लगा.

“उई मां उउह … उच्च हहह … लगती है यार … जरा धीरे दबाओ न …”

मैंने इतने करीब से किसी नंगी भाभी को सेक्स करते कभी नहीं देखा था. सच में भाभी के क्या बड़े बड़े दूध थे. मेरी तो ये सब देखते हुए ही हालत खस्ता हो गई थी … पर क्या कर सकता था.

उस आदमी ने अपने दोनों हाथों से अपनी पत्नी का दूध निकालना शुरू कर दिया और उसने कहा- आह आज पूरे 15 दिन बाद चोदने का मौका मिला है.

शायद ये आदमी कहीं बाहर नौकरी करता था. फिर वह भाभी के ऊपर चढ़ गया और धीरे धीरे उसने अपनी पत्नी की चुत में लंड पेल दिया.

जैसे ही लंड चुत में घुसा, भाभी जी ने एक आह निकालते हुए कहा- आह मर गई.

लंड पूरा घुस गया था. अब वे लोग सेक्स करने लगे थे. मैं भी उस लॉज में सारी रात दूर से चुदाई का मजा देखने वाला, आज इतने करीब से चुदाई देख रहा था, तो मेरा मन करने लगा था कि काश मुझे भी चुदाई का मौका मिल जाता.

वे दोनों सेक्स का मजा ले रहे थे. आदमी ने चुदाई की गति बढ़ा दी थी. उसकी पत्नी ‘उईई उम्म..’ की आवाज किए जा रही थी.

वे दोनों आज पूरे जोश में आकर चुदाई का लुत्फ़ उठा रहे थे. जिसके कारण मुझे वो अच्छी तरह से दिख रहे थे. चांदनी रात थी, इसलिए सब कुछ बड़ा साफ़ दिख रहा था.

औरत की आवाज तेज होने लगी थी. थोड़ी देर में मैं उन्हें देखकर सोचने लगा कि वो इतने दिनों से प्यासी थी. उसे किसी न किसी ने तो चोदा ही होगा. मुझे उस भाभी को चोदने का मन होने लगा था, इसलिए मेरे दिमाग ने ये सब सोचना शुरू कर दिया था.

तभी दो मिनट बाद उन दोनों ने अपनी चुदाई की अवस्था बदल ली. आदमी ने अपनी पत्नी को कुतिया बना दिया था. वे दोनों अब फर्श से उठ कर चुदाई करने लगे थे, जिससे मुझे और भी साफ़ दिखने लगा था. वो हचक के अपनी बीवी को चोद रहा था.

“उई मां उउहह … आआह … बड़ा मस्त चोद रहे हो यार … पूरा अन्दर तक जा रहा है … बस जल्दी मत झड़ जाना.”

आदमी ने भाभी की चूचियों को पकड़ा और दबा दबा कर लंड पेलना चालू कर दिया.

कुछ देर बाद आदमी के लंड ने पानी छोड़ दिया और वो भाभी के ऊपर ही ढेर हो गया.

भाभी ने अपने पति के रस को महसूस किया होगा, तो वो कहने लगीं- ओह्ह … शिट यार … इतनी जल्दी झड़ गए.

आदमी हांफता हुआ नीचे लेट गया. भाभी शायद अभी और देर तक मजा लेना चाहती थी. आदमी ने कुछ नहीं कहा वो चुपचाप लेटा रहा. भाभी भी कुछ नहीं बोल रही थीं, वे बस अपनी चुत में उंगली कर रही थीं.

कुछ देर बाद भाभी के बच्चे के रोने की आवाज आई तो भाभी नंगी ही नीचे जाने लगीं.
आदमी ने कहा- इधर ही ले आओ. अभी दुबारा करेंगे.
मैं समझ गया कि अभी चुदाई फिर से होगी.

भाभी अपने बच्चे को ऊपर ले आईं और उसे दूध पिलाने लगीं. उसके सो जाने के बाद उन दोनों ने फिर से सेक्स करना शुरू किया.

भाभी बोलीं- तुम नीचे लेटो, मैं ऊपर से करूंगी.

आदमी के लंड को चूस कर भाभी ने खड़ा किया और लंड पर चूत फिट करके बैठ गईं. भाभी की चूचियां इस वक्त बड़े जोर से हिल रही थीं. कोई दस मिनट भाभी ने शायद अपनी चुत को शांत कर लिया था. वे आह आह करते हुए आदमी की छाती पर ही ढेर ही गईं. उस आदमी ने भी कुछ नहीं किया, शायद वो भी झड़ गया था.

आधे घंटे बाद वे दोनों नीचे चले गए.

अब मुझे भाभी की चुत में अपने लंड के लिए एक आशा की किरण दिखने लगी थी.

दूसरे दिन शाम को मैं हिम्मत करके भाभी के घर गया. उधर वो आदमी नहीं दिख रहा था.

मैंने उनसे पूछा- भाभी जी क्या आपके घर में किराए के लिए कोई कमरा खाली है.
इस पर भाभी ने हंस कर कहा- तुम तो बगल के हॉस्टल में रहते हो न?
मैं सकपका गया, मुझसे कुछ कहते न बना.

भाभी ने हंस कर कहा- रात को छत पर आना, वहीं बताऊंगी कि कमरा खाली है या नहीं.
मैं चौंक कर उनकी तरफ देखने लगा.
भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा- कल रात छत पर तुम ही थे न?

मेरा पसीना छूट गया. मैं बिना कुछ कहे उधर से जाने लगा. भाभी ने पीछे से कहा- रात में छत पर आना, मुझे कुछ बात करनी है.
मैं चुपचाप सर हिलाता हुआ चला गया.

जब मैं रात को छत पर गया, तो मैं भाभी का इन्तजार करने लगा.

मैं सोच रहा था कि भाभी ने शायद कल मुझे चुदाई करते हुए देख लिया था. उनको मुझसे क्या बात करनी होगी और वे मुस्कुरा क्यों रही थीं.

ये सब मुझे जानने की उत्सुकता थी … आपको भी होगी.

जब भाभी जी छत पर आईं और उन्होंने मुझसे क्या मांग की, ये सब मैं आपको अपनी अगली सेक्स कहानी में लिखूँगा.

अभी मैं आप सभी के मेल के इन्तजार में हूँ.
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