दोस्त और उसकी बीवी ने लगाया ग्रुप सेक्स का चस्का-1
प्यारे दोस्तो, आप सभी को सनी वर्मा का प्यार भरा नमस्कार!
मैं जो कहानी आप सभी को सुनाने जा रहा हूँ यह मेरे जीवन की एक सच्ची घटना है, केवल गोपनीयता की दृष्टि से नाम बदल दिये हैं मैंने!
इस किस्से की शुरुआत तब हुई जब मैं चौबीस साल का छह फीट का एक बांका नौजवान था, मेरी शादी हुए एक साल हो चुका था, पर व्यापार के कारण मैं अपनी पत्नी से अलग गाजियाबाद में रहता था। यहाँ मेरी गैस एजेंसी थी, कमाई बढ़िया थी।
पत्नी के ज्यादा नजदीक मुझे घरवालों ने जान बूझकर नहीं जाने दिया था मगर कुदरत की दी हुई चीज से मैं हाथ से खेलकर खुश हो जाया करता था।
फ़िर भी एक अनबुझी आग अन्दर ही अन्दर भड़क रही थी, रोज रात को अश्लील किताबें पढ़ना और मोबाइल पर अन्तर्वासना की कहानी पढ़ना या मोबाइल पर ही इन्डियन पोर्न वीडियो देखना और मुठ मार कर सो जाना ही जिन्दगी बन गया था।
उधर मेरी बीवी जो मुझसे ज्यादा कामातुर थी, वो परेशान रहती थी और मुझे रोज वहाँ लाने की जिद करती थी पर घरवालों के डर से न तो मैं कभी कुछ कह पाया न वो कुछ बोली।
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पंद्रह दिन में एक बार पत्नी के पास जा पाता था, उस दिन रात भर चुदाई होती। यह हम दोनों की इच्छा थी कि जब तक साथ नहीं रहेंगे, तब तक बच्चा नहीं करेंगे।
अगले दिन अगले पंद्रह दिनों के बाद मिलने की आस में मुझे गाजियाबाद वापस आना पड़ता!
मेरे पड़ोस में एक पंजाबी परिवार रहता था, पूरा परिवार था, उनका होलसेल कपड़ों का व्यापार था, उस परिवार की सबसे छोटी बहू कामिनी लगभग तीस साल की होगी, मगर लगती उम्र मुझसे छोटी थी और बला की खूबसूरत थी।
उसका पति राजीव बतीस साल का सेक्स में बहुत रूचि रखने वाला व्यक्ति था। यह बात अक्सर उसकी बातों से मालूम पड़ती थी जब वो सेक्स और रोमांच की बात खुलेआम करता था।
उनके दो जुड़वाँ बच्चे हुए थे और वो अपने बाबा दादी के साथ उनके कमरे में रहते, सोते थे।
इस कारण राजीव कामिनी को अपने लिए पूरा वक़्त मिल जाता था।
उनकी और मेरे मकान की छत मिली हुई थी इसलिए रात को हम लोग अपनी अपनी छत पर से गप्पें मार लेते थे। जब मैं घर से वापस आता था तो राजीव कामिनी बड़ी बेबाकी से पूछ लेते थे कि खाट तोड़ी या नहीं?
और मैं बस हंस कर रह जाता!
एक रात को वो दोनों ऊपर खाना खा रहे थे, मुझे देख कर मुझे जबरदस्ती बुला लिया, मैं छत कूदकर ही चला गया।
उन्होंने मुझे अपने साथ खाने पर बिठा लिया।
हालाँकि मुझे बहुत संकोच हो रहा था क्योंकि भाभी केवल एक फ्रॉक पहने थी और राजीव लुंगी में था जिसे उसे घुटने के ऊपर बंधा था। भाभी के गोल गोल मम्मे साफ दिखाई दे रहे थे।
मैं भी टी शर्ट और लोअर में था।
भाभी ने मुझे अपने पास बिठाया था, मेरी हालत ख़राब हो रही थी और लोअर में तम्बू बन चुका था।
राजीव ने हंस कर कहा- कब तक मुठ मारता रहेगा, एक लोकल इंतजाम भी कर ले।
मैं शर्मा गया भाभी के सामने।
अब वो मेरे लोअर की ओर इशारा करके राजीव से बोली- सनी वाकयी बहुत परेशान है, कुछ तो तुम्हें इसके लिए करना चाहिए। इसका मन भी कैसे लगता होगा?
राजीव मस्ती में बोला- चल तेरा कुछ जुगाड़ करता हूँ… शाम को तू यहाँ आ जाया कर, एक एक पैग साथ लगाया करेंगे और तुझे मस्त वीडियो दिखाया करूँगा।
मैं समझ नहीं पा रहा था कि आज कामदेव मुझ पर मेहरबान क्यों हो रहे हैं।
खाना खाकर राजीव ने लुंगी उठा कर मुँह पौंछा तो मैंने देखा कि उसका औजार बहुत बड़ा नहीं है।
मुझे झांकते देखकर भाभी बोली- यह क्या सनी, आदमी का क्या देखना, देखना है तो लड़की का देखो!
अब मेरी भी शर्म खुल चुकी थी, मैंने भी हंस कर कह दिया- कभी दिखवा दो।
राजीव मस्ती के मूड में था, ये सुनते ही उसने कहा- ये कौन सी बड़ी बात है!
और कामिनी की फ्रॉक पर झपट्टा मारकर उसे उठाने की कोशिश की।
उसकी नीयत भांप कर कामिनी हँसते हुए वहीं खाट पर गुल्टी खाकर मुड़ गई मगर इस कोशिश में उसकी फ्रॉक ऊपर उठ गई और जन्नत का नजारा मैंने कर लिया।
इस बात को राजीव ने नहीं देखा पर कामिनी जान गई कि उसने मेरी चाहत पूरी कर दी है।
अब मेरा कामिनी को और उसका मुझे देखने का नजरिया बदल गया था।
मैं भी हँसते हुए उनसे गुडनाइट बोल कर आ गया और दो बार कामिनी की चूत का ख्याल करके मुठ मार कर सो गया।
सुबह उठा तो सीधे छत पर गया पर कामिनी कहीं दिखाई नहीं दी।
नहा कर दुकान गया, मगर काम में मन नहीं लग रहा था।
तभी मोबाइल बजा, दूसरी ओर कामिनी थी, मेरी तो बज गई, आवाज नहीं निकल रही थी।
कामिनी बोली- क्यों नाराज हो, अब तो तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई।
मेरी तो जैसे जान में जान आई, मैंने विश करके थैंक्स बोला।
वो हंस कर बोली- बस इतना ध्यान रखना कि राजीव को कुछ पता नहीं।
वो बोली- वैसे तो राजीव बहुत खुले दिमाग का है, वो तो हरदम मुझसे कहता है कि बिना ब्रा के टॉप पहन कर घूमने चलो या रात को लॉन्ग फ्रॉक पहन लो जिसमें वो जब चाहे हाथ घुसा सके।
मैंने कामिनी से यह वादा किया कि मैं राजीव को कुछ नहीं बताऊँगा।
इसके बाद मेरी और कामिनी की रोज तीन चार बार बातें होने लगी, हम बातों में खुलने भी लगे।
एक दिन वो मुझे बाजार में मिली। उसने अभी ख़रीदा ऑरेंज कलर का सूट दिखाया। वो गोरी थी, उस पर ये रंग फबेगा, ऐसा मैंने उससे कहा।
बाद में लेडीज शॉप से मैंने ऑरेंज कलर का अंडरगारमेंट्स सेट ख़रीदा। साइज़ पसंद करने में सेल्सगर्ल ने मेरी हेल्प की। इसके बाद मैंने कलर मैचिंग की नेलपालिश भी ली।
शाम को कामिनी को फ़ोन किया कि तुम्हारे लिए एक रिटर्न गिफ्ट है।
वो बड़ी बेशर्मी से हंस कर बोली- क्या अपना दिखाओगे रिटर्न में?
मैंने कहा- वो तो कभी भी देख लेना, आज तो भाभी कुछ खास लाया हूँ तुम्हारे लिए!
वो इतरा कर बोली- मुझे भाभी मत बोला करो, नाम लिया करो।
मैंने कहा- राजीव भैया बुरा मान गए तो?
वो बोली- उन्हें किसी चीज का बुरा नहीं लगता, जब तक मैं खुश हूँ।
मैंने भी बेशर्म होकर पूछ ही लिया- अच्छा और किस चीज का उन्हें बुरा नहीं लगेगा जिसमें आप खुश हो?
वो मेरा मतलब समझ गई, हंस कर बोली- पहले मुझे खुश तो करो!
मैंने उससे पूछा- गिफ्ट कैसे दूँ आपको?
वो अब तक मजाक समझ रही थी।
जब मैंने कहा- कुछ लिया है तुम्हारे लिए!
तो वो बोली- छत पर रख दो।
मैं दुकान नौकर पर छोड़ कर घर गया और उसकी छत पर पैकेट रख आया।
उतरते समय मैंने देख लिया कि वो छत पर आ गई थी।
मैं दुकान पर धड़कते दिल से आकर बैठ गया, इंतज़ार करने लगा उसके फ़ोन का मगर उसका कोई फ़ोन नहीं आया।
मेरे को घबराहट होने लगी कि मैंने कितनी बड़ी गलती कर ली!
रात को घर पहुँचा तो उसके मकान की तरफ देखने की भी हिम्मत नहीं हुई।
नहा कर खाना खाने होटल भी नहीं गया, डर रहा था कि राजीव के घर आने पर वो उससे शिकायत करेगी।
पता नहीं राजीव क्या करेगा।
मैं सोच ही रहा था कि राजीव की ऊपर से आवाज आई- अबे सो गया क्या? ऊपर आ!
मैं लुंगी टी शर्ट में ऊपर डरते डरते गया।
ऊपर राजीव अकेला था, बोला- पैग लगाएगा?
मेरी तो गांड फटी पड़ी थी, मैं खिसियाते हुए बोला- हाँ क्यों नहीं।
राजीव ने बोतल खोल कर दो पैग बनाये।
अपना ज्यादा बनाया।
मेरे यह पूछने की हिम्मत नहीं हुई कि भाभी कहाँ है।
पैग मुझे देते हुए उसने नीचे देखकर सीटी मारी।
मैंने पूछा- सीटी क्यों?
वो बोला- यह हमारा पासवर्ड है, ग्रीन सिग्नल का!
मैंने पूछा- ग्रीन सिग्नल किस चीज का?
वो बोला- भोसड़ी के, देख सब समझ में आ जायेगा।
अगले ही पल कामिनी एक प्लेट में पनीर और काजू लेकर ऊपर आई।
क्या स्वर्ग की हूर लग रही थी।
उसने एक शार्ट टॉप और शार्ट स्कर्ट पहनी थी।
मैं तो बिना पलक झपकाये उसे देखने लगा।
राजीव बोला-, देखी जा… छेड़ीं ना…
कामिनी भी बनावटी गुस्सा दिखाते हुए राजीव से बोली- जब सनी यहाँ था तो मुझे ये कपड़े क्यों पहन कर आने को कहा?
राजीव ने शायद पहले से भी पी रखी थी, वो सुरूर में बोला- पहन कर आने को ही तो बोला है, कोई उतारने को तो बोला नहीं है सनी के सामने।
कामिनी हमारे पास आकर बैठ गयी, वो आज मुझसे दूर राजीव की बगल में बैठी थी।
राजीव ने अपना पैग उसके होठों से लगा दिया।
पहले तो कामिनी ने मना किया फिर एक सिप ले लिया।
हम दोनों बातें करते पीने लगे। बातें धीरे धीरे साथ साथ नहाने पर आ गई।
राजीव बोला कि वो दोनों हमेशा साथ साथ नहाते हैं।
मैंने कहा कि ज्वाइंट फैमिली में रहने के कारण मैं ऐसे सुख से दूर हूँ।
कामिनी जो अब तक चुप थी, वो हंस कर राजीव से बोली- चलो आज तुम और सनी साथ साथ नहा लो।
तभी राजीव को नीचे से उसके भाई ने आवाज दी और कोई चाभी मांगी।
कामिनी बोली- मैं तो इन कपड़ों में नीचे नहीं जाऊंगी।
मजबूरी में राजीव को ही जाना पड़ा।
उसके जीने से नीचे उतरते ही कामिनी पागलों की तरह मुझसे लिपट गयी और चुम्बनों की बरसात करने के बाद बोली- थैंक्स। इतना सुंदर गिफ्ट तो आज तक राजीव ने भी कभी नहीं दिया।
उसके जलते हुए होठों से अलग होने का मन नहीं कर रहा था, पर जीने पर आहट सुन कर हमने अपने को संभाला।
आते ही राजीव ने हंस कर पूछा- कमीने चख कर देखी या नहीं?
कामिनी ने झूटे को उसकी छाती पर मुक्का मारते हुए कहा- कुछ तो देख कर बोला करो?
राजीव नशे के सुरूर में तो था ही, उसने कामिनी की टॉप में हाथ डाल कर उसके मम्मे रगड़ दिये।
कामिनी को भी मस्ती छा रही थी, उसने भी राजीव की लुंगी खींच दी।
बेशर्म राजीव ने लुंगी खोल कर अलग रख दी और बोला- ले रात को उतारता, अभी उतार देता हूँ।
मैंने उसे लुंगी दी- भाई ठण्ड लग जाएगी, अभी तो पहन ले।
कामिनी राजीव से चिपक कर बैठ गई और एक सिप और मार लिया।
कुछ पलों बाद मैंने महसूस किया कि कामिनी ने अपना हाथ राजीव की लुंगी में डाला हुआ है और उसके औज़ार को मस्ती से हिला रही है।
मुझे लगा कि ये वो मुझे दिखाने को कर रही है।
मैंने भी हंस कर कहा- भाभी का हाथ कहाँ है?
राजीव तुरंत बोला- भाभी तो आज अपना हाथ तेरी लुंगी में डालना चाह रही है।
मुझे नहीं मालूम था कि क्या होने वाला है, यह सुन कर मैं तो बस यही बोला- भाभी की ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ, बशर्ते तुम्हें कोई एतराज न हो।
कामिनी ने फिर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा- आप भी न कभी भी कुछ भी बोल देते हो।
राजीव ने कामिनी को हाथ से धकेलते हुए मेरी ओर किया।
कामिनी इठलाते हुए मेरे पास आई और बोली- अब घर जाओ।
मैं उठने को हुआ राजीव ने मेरी लुंगी पकड़ कर बिठा लिया, बोला- साली अब नखरे कर रही है। रात को चुदाई करते वक़्त कह रही थी कि एक बार सनी का दिखवा दो। अब पकड़वा रहा हूँ तो ड्रामा कर रही है।
राजीव ने उसका हाथ मेरी लुंगी के अन्दर कर दिया। बाकी का काम तो मेरे खड़े 6″ के लौड़े ने और कामाग्नि में जलती कामिनी के मचलते जज्बातों ने कर दिया।
उसने मेरा लंड कस कर पकड़ लिया और लम्बी लंबी सांसें लेने लगी।
मुझे लगा वो और नजदीकी चाहती है, मैंने उसके लबों पर अपने होंठ रख दिये। वो मेरा लंड जोर जोर से हिलाने लगी, शायद उसकी चूत में आग लग गई थी।
यह बात राजीव की समझ में आ गई थी। उसे शायद यह भी लगा कि अगर अपनी बीवी की चूत को उसने नहीं संभाला तो वो मेरा लंड अंदर कर लेगी।
राजीव ने उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसकी चूत में तेजी से उंगली करनी शुरू कर दी।
कामिनी की हालत ख़राब हो चुकी थी, उसकी चूत फव्वारा छोड़ चुकी थी, मेरा लंड माल छोड़ने को तैयार था।
मैंने उसके हाथ से अपना लंड छुड़ाया और तेजी से छत कूद कर अपने घर आ गया।
आते ही मैंने मुठ मार कर अपने को शांत किया और जिन्दगी का एक अनोखा अनुभव पाकर निढाल हो सो गया।
कहानी जारी रहेगी।
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