दोस्त की बहन की चुत चोदन का मजा
दोस्तो, सब लंड और चुतों को मेरा प्रणाम. मेरा नाम शुभ प्रताप सिंह है, मैं कोटा (राजस्थान) से हूँ. मेरी उम्र 20 साल है, मैं दिखने में गोरा और शरीर से जिम जाने के कारण हट्टा कट्टा हूँ. मैं अभी बी.कॉम के सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रहा हूँ. मेरे लंड का साइज़ 6 इंच है.. और मोटा होने के साथ ये बहुत मजबूत भी है, क्योंकि मैं रोज सरसों के तेल से अपने लंड की मालिश करता हूँ.
अन्तर्वासना डॉट कॉम पर यह मेरी पहली कहानी है, जो मेरे साथ घटित हुई है.
यह एक सच्ची घटना है, मेरा एक दोस्त है उसका नाम नवल है, वह मेरा सबसे पक्का दोस्त है. नवल मेरे साथ पढ़ता है. हम साथ मैं कॉलेज जाते और साथ में लंच करते थे. नवल के घर के लोगों से मेरा बहुत अच्छा व्यवहार है. उसके घर के सब लोग मुझे पसन्द करते थे. उसके घर मैं उसके पापा, मम्मी और उसकी बड़ी बहन नेहा रहते हैं.
उसके पापा, मम्मी को मैं अंकल आंटी कहता था और उसकी बहन को दीदी कहता था क्योंकि नेहा मुझसे उम्र में बड़ी थी. उसकी बहन नेहा बड़ी गजब की माल थी. उसकी उम्र 24 साल थी. एकदम गोरा बदन, बड़े-बड़े मम्मे, ऊंची उठी हुई गांड बड़ी कातिल जवानी थी. उसका फिगर साइज़ 32-28-36 का रहा होगा. कोई भी उसे एक बार देख ले तो उसका लंड खड़ा न हो जाए.. तो मेरा नाम बदल देना.
मेरा मन हमेशा उसे चोदने का करता था. मैं जब भी नवल के घर जाता तो नेहा दीदी को देखता रहता था. कभी-कभी वह भी मुझे खुद को देखते हुए देख लेती थी. वह भी जान गई थी कि मैं उसे देखता हूँ, पर उसने कभी कुछ नहीं कहा.
मैं नवल के घर में एकदम पारिवारिक सदस्य की तरह आता जाता था तो मेरी नेहा दीदी से बातचीत होती ही रहती लेकिन इन दिनों मेरी उसके साथ बातें कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगीं और मैं उसके साथ कुछ खुलने लगा.
अब मैं जब भी नवल के घर जाता, तो उसके साथ खुल कर बात करता, उससे हँसी मजाक करता और उसे छेड़ता रहता.
एक दिन अचानक नवल के घर गाँव से उसके चाचा का फ़ोन आया. उन्होंने बताया कि उसके दादाजी को दिल का दौरा पड़ा है. बहुत सीरियस हालत है. जल्दी सब लोग गाँव आ जाओ.
दादाजी शायद अपने अंतिम समय में थे. सब लोग गाँव जाने के लिए तैयार हो गए. पर नेहा दीदी नहीं गई क्योंकि उस समय उसके पेपर चल रहे थे. नेहा दीदी को घर पर अकेला भी नहीं छोड़ सकते थे. तो नवल के पापा ने मुझे फोन किया और मुझे सारी बात बताई. अंकल ने मुझे नेहा दीदी के साथ उनके घर पर रुकने को बोला.. तो मैंने हां कर दी.
फिर सब लोग गाँव चल गए. कॉलेज से आकर दिन में मैं मेरे 2-3 जोड़ी कपड़े लेकर नवल के घर चला गया. घर पहुंच कर मैंने घंटी बजाई तो नेहा दीदी ने दरवाजा खोला. मैंने नेहा दीदी को देखा, सच में आज वो किसी हिरोइन से कम नहीं लग रही थी. उस समय उन्होंने रेड कलर का टॉप वह ब्लैक कलर की स्कर्ट पहन रखी थी. मन तो कर रहा था कि इसको यहीं पटक के चोद दूँ, पर ऐसा नहीं कर सकता था.
दीदी ने मुझे अन्दर आने को बोला, मैं अन्दर आ गया. वह मुझे सोफे पर बिठा कर पानी लेने चली गई. मैं पीछे से नेहा दीदी की उछलती गांड को देख रहा था. दो मिनट बाद वह पानी लेके आई और साथ में कुछ नाश्ता भी लाई.
पानी पीने के बाद हम दोनों नाश्ता करने लगे और फिर इधर उधर की बातचीत करते हुए हँसी मजाक करने लगे. यूं ही हँसी मजाक करते करते कब शाम हो गई, पता ही नहीं चला.
फिर शाम होते ही दीदी ने मुझे कहा कि फ्रेश हो आओ, मैं भी फ्रेश होकर आती हूँ. फिर खाने की भी तैयारी करनी है.
मैंने कहा- ठीक है दीदी.
मैं तैयार होकर आ गया, नेहा दीदी खाना बनाने लगी थीं. मैं भी उनकी हेल्प कर रहा था. फिर खाना बनने के बाद हम दोनों ने साथ में खाना खाया.
खाना के बाद नेहा दीदी ने बोला- चलो अब सो जाते हैं.
मैं अलग रूम में सोने जाने लगा तो नेहा दीदी ने बोला- शुभ तुम भी यहीं सो जाओ.
मैंने बोला- ठीक है.
उसके साथ सोने की जानकार मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था. अब मैंने सोच लिया था कि आज तो कुछ भी हो जाए, नेहा दीदी को चोद कर ही रहूँगा.
हम दोनों एक ही बेड पर लेट गए और लेटे लेटे बात करने लगे.
मैंने नेहा दीदी को बोल दिया कि दीदी आज आप बहुत सेक्सी लग रही हो.
यह सुनकर नेहा दीदी ने बहुत ही कामुक स्माइल दी और कहा- तुम भी स्मार्ट लग रहे हो.
मैं कुछ खुश हो गया कि दीदी को भी कुछ कुछ हो रहा है.
फिर नेहा ने मुझसे बोला- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने बोला- दीदी नहीं है.
नेहा दीदी ने मेरी बांह पर हाथ फेरते हुए कहा- क्यों नहीं है? तुम तो इतने हॉट लड़के हो.. इतनी मस्त बॉडी है.
मैंने उनकी इस हाथ सहलाने वाली हरकत से गरम होते हुए बेझिझक कह दिया- आपकी जैसी सेक्सी लड़की मिली ही नहीं.
दीदी आँख मारते हुए बोली- चल झूठे.. तू बहुत झूठ बोलता है.
मैंने उनकी बॉडी को टच करते हुए कहा- नही यार दीदी.. सच में मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, जब आपकी जैसी इतनी सेक्सी लड़की मिलेगी तो जरूर बना लूँगा.
कुछ तो शुरू हो ही गया था, शायद दीदी को मेरा हाथ फेरना भी गरम सा लगा और नेहा दीदी ने बहुत ही कामुक स्माइल देते हुए कहा कि तो अब बना लो.. अब तो सेक्सी लड़की तेरे सामने ही है.. तुझे किसने रोका है.
अब मेरी समझ में सब आ गया. आज नेहा दीदी भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने नेहा दीदी को जल्दी से ‘आई लव यू..’ बोल दिया.
नेहा दीदी ने भी मुझे ‘आई लव यू टू शुभ..’ बोल दिया. वो कहने लगी कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. पर इतने दिनों से बोलने का मौका ही नहीं मिला.
बस फिर क्या था. मैंने तुरंत अपने होंठ नेहा दीदी के होंठों पर रख दिए और नेहा दीदी को किस करने लग गया. वह भी बड़ी गर्मजोशी से मेरा साथ दे रही थी. उसने मेरे मुँह में अपनी जीभ ठेल दी. मैं उसकी जीभ पीने लगा और मैंने उसके गले को चाटना से काटना शुरू कर दिया.
मैं जल्दी से उसके मम्मों को टॉप के ऊपर से ही दबाने लगा और थोड़ी देर बाद मैंने उसका टॉप भी उतार दिया. दीदी ने ब्लैक कलर की ब्रा पहन रखी थी. उसकी गोरी चमड़ी पर गाली ब्रा बड़ी सेक्सी लग रही थी.
मैंने उसकी ब्रा को जल्दी से उतारा और उसके दोनों मम्मों को ब्रा से आजाद कर दिया. मैंने देखा कि इतने गोल गोल, गोरे गोरे मम्मे हवा में उछलते हुए मुझसे शायद कह रहे थे कि थैंक्यू शुभ.. अब जल्दी से हमें चूस भी लो.
मैंने झट से मुँह में दीदी के एक दूध को भर लिया और पीने लगा. कभी एक दूध चूसता तो कभी दूसरा दूध पीता. दीदी भी बड़ी मस्ती से अपने मम्मों को मुझसे चुसवाने का मजा लिए जा रही थी. दस मिनट तक दीदी के मम्मों को पीने के बाद मैंने नीचे से उनकी स्कर्ट को ऊपर कर दिया. मैं दीदी की मक्खन मलाई सी चिकनी जांघों को सहलाने लगा और चाटने लगा.
उसके मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आहा..
कुछ ही मिनट बाद मैंने दीदी की स्कर्ट को उतार फेंका और वह अब मेरे सामने सिर्फ पेंटी में ही रह गयी थी. नेहा दीदी ने सफ़ेद कलर की पेंटी पहन रखी थी. उस समय वह गजब की माल लग रही थी. मैं उसकी चुत को पेंटी के ऊपर से ही चाटने लगा. नेहा दीदी जोर जोर से मदभरी आवाजें निकालने लगीं.
उनकी पेंटी चूतरस और मेरे चाटने से एकदम भीग गई थी. इसलिए मैंने पेंटी को भी उनके शरीर से अलग कर दिया. दीदी मेरे सामने एकदम मादरजात नंगी पड़ी थी. उनकी चुत इतनी प्यारी लग रही थी. एकदम गुलाबी कलर की.. अनछुई चुत, जिस पर झांट का एक बाल भी नहीं था. शायद आज ही चूत को चमेली सा चिकना किया था.
मैंने जल्दी से दीदी की चुत को मुँह में भरा और बेताबी से चुत चाटने लगा. दीदी ने भी अपनी चुत पसार दी थी, तो मैं अब बहुत जोर जोर से दीदी की चुत को चाट रहा था. नेहा दीदी भी बेड पर उछल उछल कर चुत चुसवा रही थी. जल्दी से उसकी चूत का पानी निकल गया.
नेहा दीदी झड़ने के बाद कुछ पल के लिए एकदम निढाल हो गई. फिर थोड़ी देर बाद वह मेरे सारे कपड़े खोल कर मेरे लंड को मुँह में लेने लगी और लॉलीपॉप की तरह लंड चूसने लगी. मुझे बहुत मजा आ रहा था.
करीब 15 मिनट तक दीदी ने मेरे लंड को चूसने के बाद मेरा पानी भी निकलवा दिया. दीदी मेरे लंड के रस को पूरा का पूरा गटक गई.
लंड झड़ जाने के बाद मैं सीधा होकर उसके बगल में लेट गया और उसे किस करने लगा.. उसके मम्मों को दबाने लगा. थोड़ी ही देर में, मैं फिर से गरम हो गया. अब मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया और अपना लंड को उसकी चुत पे रगड़ने लगा.
वह भी चुदास से भड़क उठी थी तो सिसियाते हुए बोलने लगी- आह.. अब मत तड़पाओ.. जल्दी से अन्दर डाल दो.
मैं लंड को दीदी की चुत में अन्दर डालने लगा. पर मोटे लंड होने के कारण चूत के अन्दर घुस नहीं पा रहा था.
दीदी ने मुझे अपने ऊपर से हटाया और बोली- रुको.. कुछ चिकना लगा देती हूँ.
वो उठ कर क्रीम लेकर आई और मुझसे बोली- इसे लगाओ.
मैंने थोड़ी क्रीम उसकी चुत पर और थोड़ी अपने मूसल लंड पर लगाई. अब मैंने लंड को उनकी चुत पर अच्छे से सैट किया और जोर से झटका दे मारा. इस बमपिलाट झटके से करीब मेरा आधा लंड चुत में घुस गया.
लंड चूत में क्या घुसा, दीदी के मुँह से बहुत जोर की चीख निकल गयी. दीदी की आंखों से आंसू निकल गए. दीदी ने दर्द से तड़फते हुए मुझसे तुरंत लंड को बाहर निकालने को बोला- आह.. मर गई.. शुभ बहुत दर्द हो रहा है.. जल्दी इसे बाहर निकालो.
पर मैंने उसकी बात नहीं मानी. लंड को उसी हालत में छोड़ कर, मैं उसे किस करने लगा. थोड़ी देर बाद जब दीदी नार्मल हुई. तो उसकी चीखें कम हो गईं. मैं समझ गया कि अब चूत और लंड में मुहब्बत हो गई है. ये जानकार मैंने एक और झटका जोर से लगा दिया.
दीदी की फिर से जोर से चीख निकल गयी और वो फिर से दर्द से तड़पते हुए रोने लगी- आह.. साले मार दिया.. तूने मेरी चुत फाड़ दी.. भोसड़ी के जल्दी से लंड को बाहर निकाल.
दीदी मुझे गाली बकने लगी थी. उसकी चुत से खून टपकने लगा था. बेड पर खून ही खून हो गया.
पर इस बार मैंने झटके देना बंद नहीं किया और लगातार लंड से झटके देता रहा. थोड़ी देर बाद दीदी को मजा आने लगा और दीदी भी चूतड़ उठा उठा कर लंड लेने लग गई.
मैंने लंड पलते हुए ही कहा- साली कुतिया, अब लंड का मजा लेने लगी उस वक्त तो मुझे भोसड़ी के बोल रही थी.
दीदी मुझे मुक्का मारते हुए बोली- साले, मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा था.
मैंने उसकी चूची को चूसते हुए कहा- साली रंडी, अब तेरी चूत का भोसड़ा न बनाया तो कहना.. ले मादरचोदी लंड का मजा ले.
अब दीदी भी मुझे गाली बकते हुए चुदाई का मजा लेने लगी- भैन के लंड साले चोदने में दिमाग लगा.. आह बड़ा मजा आ रहा है.. और जोर से चोद कुत्ते.
बस फिर क्या था.. धकापेल चुदाई चलने लगी और अंत में दीदी के दो बार झड़ने के बाद मैं भी उसकी चुत में ही झड़ गया.
फिर दीदी बेड से उठ कर बुर पर लगे खून को साफ करने बाथरूम जाने लगी.. तो उससे चला नहीं जा रहा था. मैं उसको गोद में उठा कर बाथरूम ले गया. फिर मैंने बाथरूम में उसकी चुत को साफ किया.. और उसने मेरे लंड को साफ किया.
उस रात मैंने दीदी को हर पोजीशन में तीन बार चोदा. दीदी 4 बार और मैं 3 बार झड़ चुका था. हम दोनों बहुत थक भी गए थे. अब दीदी की चुत फट कर सूज सी गई थी. हम दोनों ऐसे ही नंगे बेड पर सो गए.
दीदी के घर वाले चार दिन बाद कोटा आए. तब तक हमने घर के हर कोने में चुदाई की. बाथरूम में, रसोई में, बेड पर.. खाते पीते.. हर समय खूब चुदाई की.
आज भी हमें जैसे ही मौका मिलता है, तो हम चुदाई का मजा ले लेते हैं.
यह थी दोस्त की बहन की चुत फाड़ चुदाई की सेक्सी कहानी. आपको कैसी लगी दोस्तो? मुझे ईमेल जरूर लिखिएगा.
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