नैन्सी का सेक्सी चीत्कार
हैलो दोस्तो, मेरा नाम नैन्सी है।
अभी कुछ दिनों पहले ही आपने मेरी कहानी
नैन्सी और अनम का मधुर मिलन
पढ़ी।
बहुत से लोगों ने मुझे मेल भेजे, खैर ज़्यादातर तो सेक्स के भूखे लोगों के थे, कोई कुछ बकवास कर रहा था, कोई कुछ!
ये लोग मानसिक रोगी होते हैं, जो खुद कुछ नहीं कर सकते, मगर ये चाहते हैं कि लड़कियां खुद आकर उनके ऊपर गिरें कि मेरी ले लो … मेरी ले लो!
ऐसा कभी होता है क्या?
खुद पर विश्वास रखो और लड़की पर ट्राई करो, एक नहीं तो दूसरी पट जाएगी, और फिर उसके साथ जम कर मज़े करो और उसे भी मज़ा कराओ!
चलो छोड़ो इस बहस को, मैं आपको अपनी कहानी सुनाती हूँ।
मेरी एक सहेली है धरा (परिवर्तित नाम) वो इस वक़्त ऑस्ट्रेलिया में रहती है, शादीशुदा है, बालबच्चेदार है, मेरी तरह।
साल दो साल में जब भी वो भारत आती है तो मुझसे मिलकर ज़रूर जाती है, हर बार मुझे ऑस्ट्रेलिया आने का न्योता देती है।
मेरे दिल में भी बहुत इच्छा थी, मगर जाऊँ कैसे, बच्चा भी छोटा है, अभी 2 साल का है, पति की भी मुश्किल है, काम से छुट्टी नहीं मिलती।
मगर दिल में यह ख़्वाहिश ज़रूर थी कि एक बार तो विदेश घूम कर देखा जाए।
और मेरी किस्मत में भी था।
वैसे ही एक बार पति के साथ बैठी बैठी बात कर रही थी, तो ऑस्ट्रेलिया जाने की बात चल पड़ी।
पति बोले- अगर जाना चाहती हो, तो जा आओ, मैं गाँव से माँ को बुला लेता हूँ, छोटी बहन भी आ जाएगी, तुम थोड़े दिनों के लिए ही सही मगर घूम आओ।
मुझे तो ऐसी बिल्कुल भी उम्मीद ही नहीं थी कि मेरे पति मुझे अकेली भेजने के लिए कह देंगे, मैं बेशक इस बात पर हैरान थी मगर वो बड़े विश्वास से बोल रहे थे।
अगले दिन मैंने धरा से बात की, तो उसने कुछ ही दिनों में मुझे स्पोंसरशिप भेज दी, हमने भी अपने कागज पत्र लगा कर वीज़ा के लिए अप्लाई कर दिया।
और मेरा वीज़ा भी लग कर आ गया।
एक बार तो मुझे खुद विश्वास नहीं हुआ, और डर सा भी लगा, कि मैं तो कभी अपने मायके भी इनके बिना नहीं गई, तो विदेश कैसे जाऊँगी।
इन्होंने मुझे बहुत हौंसला दिया और ‘इंगलिश विंगलिश’ फिल्म भी दिखाई, कि देखो श्रीदेवी भी तो अकेली चली गई अमेरिका, इसी तरह
तुम भी चली जाओ।
खैर मैंने भी ठान ली और करीब 15 दिनो बाद मैं हवाई अड्डे पर खड़ी थी।
पहली बार जहाज़ में बैठी, मन में बहुत खुशी, कौतुहूल, डर और ना जाने कैसे कैसे विचार मन में आ रहे थे।
रात की फ्लाइट थी, मेरी तो भूख प्यास सब उड़ गई।
मगर जब जहाज़ उड़ गया तो मैं थोड़ी संयत हुई।
चलो ही ऑस्ट्रेलिया भी पहुँच गई, मुझे लेने धरा उसका पति और उसके बच्चे भी आए थे, सबसे बड़ी गर्मजोशी से मिली, गाड़ी में बैठ कर घर पहुंचे।
उसके बाद दो तीन दिन घूम घूमे, एक से एक बढ़िया खाया पिया पहना।
एक दिन धरा बोली- परसों हम लोग बीच पर जाएंगे, वहीं होटल में रहेंगे रात को!
हम बीच पर गए, मैंने भी वहाँ बिकनी पहन कर देखी, पहले पहले तो मुझे बड़ी शर्म आई, धरा के पति के सामने यूं आधी नंगी होकर आने में, मगर यहाँ तो सब बिकनी में थे, थोड़ी देर में मैं भी नॉर्मल हो गई।
और मैंने यह भी देखा कि धरा के पति ने सिर्फ एक या दो बार ही मुझे देखा, न तो उसने मुझे घूरा, न ही मेरे जिस्म को चोरी चोरी ताड़ा।
मैंने खूब एंजॉय किया… सच कहूँ, बिकनी पहन कर ऐसी आज़ादी महसूस हुई कि मेरा तो दिल चाह रहा था कि यह बिकनी भी उतार फेंकूँ और बिल्कुल नंगी होकर बीच पर दौड़ लगाऊँ!
मगर यह न्यूडिस्ट बीच नहीं था, तो मैं ऐसा नहीं कर सकी।
पर मैंने अपने दिल की बात धरा को बताई- ए धरा सुन, एक बात कहूँ, मेरा दिल कर रहा है कि मैं न इस बिकनी को भी उतार फेंकूँ और पूरी तरह नंगी होकर इस बीच पर यहाँ से वहाँ भागती फिरूँ!
धरा बोली- तो अपनी यह इच्छा संभाल कर रख, रात को हम दोनों यहाँ आएँगी, तब तुम अपनी इच्छा पूरी कर लेना।
बीच से हमारा होटल कुछ ज़्यादा दूर नहीं था, सो रात को करीब 11 बजे हम दोनों वैसे ही बहाना सा करके बीच पर घूमने आ गईं। थोड़ी देर आस पास देखा, कोई नहीं था दूर दूर तक खाली बीच सिर्फ समुंदर की लहरें और हवा… घना अंधेरा!
मैंने धरा से पूछा- अब क्या करें?
वो बोली- करना क्या है, चल कपड़े उतार!
हम दोनों ने आस पास देखा और अपने अपने कपड़े उतारे और बिल्कुल नंगी हो गई।
और फिर बस दौड़ पड़ी समुंदर की ओर… जाकर सीधा लहरों पे जा गिरीं।
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पहली बार ऐसा मज़ा आया कि बिल्कुल नंगी होकर समुंदर में नहाई।
भारत में तो ऐसा संभव ही नहीं है।
कितनी देर हम दोनों सहेलियाँ बिल्कुल नंगी कभी पानी में कभी रेत पर इधर उधर पागलों की तरह दौड़ती भागती रहीं।
मगर फिर थोड़ी सर्दी लगने लगी तो हम कपड़े पहन कर वापिस होटल आ गई और सो गई।
अगले दिन हम बाज़ार घूमने गए।
मगर बाज़ार से बाहर निकलते समय मेरा पाँव मुड़ गया और मैं गिर पड़ी।
धरा और उसका पति मुझे उठा कर हॉस्पिटल ले गए।
पता चला के पाँव में मोच आ गई है, मांस फट गया, डॉक्टर ने 3 दिन तक बेड पर ही रहने की और 15 दिन आराम करने की सलाह दी, पाँव पर पट्टी बांध दी।
मुझे बड़ी निराशा हुई कि मेरा तो घूमने फिरने का प्रोग्राम ही खत्म हो गया। अपने पति को भी मैंने फोन पर बताया।
खैर और हो भी क्या सकता था।
सारा दिन हॉस्पिटल में लेटी टीवी देखती रहती।
मेरी देखभाल के लिए एक नीग्रो लड़का था। जो बहुत ही प्यार से मेरा ध्यान रख रहा था, मुझे दवाई, खाना और बाकी सब जरूरतों को वो बड़े अच्छे ढंग से पूरा कर रहा था।
एक दिन में ही उससे दोस्ती हो गई, उसका नाम माइकल था।
बेशक वो काला सा बदशकल सा, पतला लंबा सा था मगर उसका स्वभाव बहुत ही अच्छा था, मुझे बड़े प्यार से नैन्सी नैन्सी कहता रहता था।
एक दिन मैंने कहा- मुझे बाहर घूमना है!
तो वो एक व्हील चेयर लेकर आया, मुझे अपनी गोद में बेड से उठा कर उसने व्हील चेयर पर बैठाया।
पहली बार मैं उसके सीने से लगी, ना जाने क्यों मेरा दिल धड़का, दिल चाहा के इसके सीने से ही लिपटी रहूँ।
वो मुझे बाहर हॉस्पिटल के बगीचे में ले गया, वहाँ कितनी देर इधर से उधर घूमाता रहा।
हम दोनों ने बहुत से बातें की, उसकी पत्नी से उसका तलाक हो चुका था।
मुझे उस पर बहुत दया आई, मगर दया से ज़्यादा मुझे प्यार आया।
जब हम घूम कर वापिस मेरे रूम में आए, तो उसने मुझे फिर से अपनी गोद में उठाया और व्हील चेयर से उठा कर बेड पे लिटाया, मैंने उससे कहा- माइकल, अगर मैं तुमसे कुछ कहूँ, तो तुम बुरा तो नहीं मानोगे?
वो बोला- नहीं नैन्सी, आप कुछ भी कहो, आपको क्या चाहिए!
मैंने कहा- क्या तुम मुझे किस कर सकते हो?
पहले तो उसने मुझे देखा फिर बोला- सॉरी मैडम, मगर मेरी ड्यूटी इसकी इजाजत नहीं देती।
मैं चुप हो कर लेट गई।
शाम को धरा आई, तो मैंने उससे यह बात बताई।
वो बोली- क्यों, हब्शी से चुदवाने का मन कर रहा है? वैसे भी इनके होते भी बहुत बड़े हैं।
मैंने कहा- नहीं यार, पता नहीं यह सेक्स की इच्छा थी, या क्या, मुझे उस पर बहुत प्यार आया, और मैंने उससे किस के लिए पूछा, पर उसने मना कर दिया।
वो बोली- देख यहाँ तो पोसिबल नहीं है, जब छुट्टी होकर घर आ जाएगी, तब इस से बात कर लेंगे, इसे घर ही बुला लेंगे, सारा दिन घर में मज़े करना।
मुझे समझ में नहीं आया कि मैं हाँ करूँ या न करूँ।
इसके साथ क्या मैं सच में सेक्स ही करना चाहती हूँ, या सिर्फ उसके अच्छे स्वभाव पर ही मैं मोहित हो गई हूँ।
जिस दिन मुझे छुट्टी मिली, मैंने जाने से पहले माइकल से कहा- माइकल, मुझसे मिलने आओगे मेरे घर?
वो बोला- ज़रूर नैन्सी, जब आप बुलाओगी, मैं ज़रूर आऊँगा।
मैं घर आ गई, धरा ने अपनी जॉब से छुट्टी ले ली थी, वो मेरी देख भाल में लगी थी, एक दिन मुझसे बोली- अरे सुन तेरे उस हब्शी यार को बुला लूँ, तेरी सेवा पानी कर जाएगा?
मैंने भी कह दिया- बुला ले।
धरा ने उसको फोन किया और मुझे बताया कि वो कल आएगा।
मैं मन में सोचने लगी ‘क्या कल मैं उससे सेक्स कर लूँगी?’
और अगर कर लिया तो जब वापिस जाऊँगी, तो पति के सामने कैसे जाऊँगी।
फिर सोचा अनम से भी तो किया था, तब क्या पति को पता चला, इससे भी कर लूँगी।
शाम को जब बाथरूम गई तो मैंने अपनी झांट, बगल के बाल सब साफ कर दिये, बेशक मेरे मन में दुविधा थी, मगर साथ की साथ मैं अपनी तैयारी भी कर रही थी।
अगले दिन सुबह 10 बजे माइकल आया, आज उसने बहुत बढ़िया सूट पहना था, टाई लगाई थी, हाथ में फूलों का गुलदस्ता मेरे लिए, और एक वाईन की बोतल भी लाया।
धरा उसे मेरे रूम तक लाई।
मैंने बैठे बैठे ही उससे हाथ मिलाया तो वो आगे झुक कर हल्का सा मेरे गले मिले, जैसे किसी दोस्त से मिलते हैं।
हम बातें करने लगे तो धरा जाकर कोल्ड ड्रिंक्स ले आई।
हम पीने लगे, मेरे मन में बहुत उथल पुथल थी कि इसे क्या कहूँ, कैसे कहूँ।
मगर मेरी समस्या का समाधान धरा ने कर दिया, बोली- माइकल, नैन्सी ने तुमसे होस्पिटल में किस मांगी थी, अगर चाहो तो तुम अब उसे किस दे सकते हो, अब तुम ड्यूटी पर भी नहीं हो।
माइकल ने मेरी तरफ देखा, मैं हल्के से मुस्कुरा दी।
माइकल ने मुझसे पूछा- नैन्सी, आपको बुरा तो नहीं लगेगा?
मैंने सिर्फ ना में सर हिलाया।
वो अपनी कुर्सी से उठा और मेरे पास बेड पर आकर बैठ गया, अपना चेहरा मेरे चेहरे के पास लेकर आया, मेरी ठोड़ी उठा कर ऊपर को की और मेरे होंठों पर एक हल्का सा किस किया।
मुझे सच बहुत मज़ा आया, मैंने कहा- एक और!
इस बार उसने मेरा ऊपर वाला होंठ अपने होंठों में ले लिया और चूस कर मुझे किस किया और अपनी जीभ भी उसने मेरे ऊपर वाले होंठ पर फिराई।
जब वो अलग हुआ तो मैंने कहा- फिर से करो, माइकल!
इस बार उसने मेरे दोनों होंठ अपने होंठों में ले लिए, और मैंने भी कस कर उसको अपनी बाहों में भर लिया।
जैसे मेरे अंदर मेरे सब्र का बांध टूट गया हो, मैंने खुद उसका नीचे वाला होंठ अपने होंठों में पकड़ लिया और ऐसे चूसा जैसे कोई बच्चा लोलिपॉप चूसता है।
जब हम अलग हुये तो वो बोला- तुम तो बहुत गर्म हो, क्या सारा दिन हम किसिंग ही करते रहेंगे?
इतने में धरा बोली- नहीं, सब कुछ करेंगे, पर पहले थोड़ी थोड़ी वाइन हो जाए!
वो वाइन लाने चली गई, तो मैंने माइकल से कहा- माइकल, मुझे नहीं पता क्यों, पर मुझे लगता है, मुझे तुमसे प्यार हो गया है, मुझे इस बात की भी चिंता नहीं कि अगर मेरे पति को पता चल गया तो क्या होगा?
वो बोला- अगर तुम्हारा पति तुम्हें छोड़ भी देता है, तो मुझे बताना, मैं तुमसे शादी करने को तैयार हूँ, मुझे भी तुम बहुत अच्छी लगती हो नैन्सी!
कह कर माइकल ने मुझे फिर से पकड़ लिया और हम दोनों फिर से एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।
इतने में धरा आ गई, उसके हाथ में 3 गिलास और वाइन की बोतल थी।
उसने गिलासों में डाली और हम तीनों ने चीयर्ज कह कर वाइन पीनी शुरू कर दी।
अभी कुछ और बात शुरू करते इस से पहले ही धरा बोली- अरे माइकल, मैंने बहुत सी ब्लू फिल्मों में देखा है, तुम लोगों के तो बहुत बड़े बड़े होते हैं, तुम्हारा कितना बड़ा है?
माइकल हंस कर बोला- आपको कितना चाहिए?
वो बोली- यह तो देख कर ही पता चलेगा।
माइकल बोला- मेरा लंड करीब 10 इंच का है।
धरा बोली- मेरे पति का तो सिर्फ 6 इंच का है, नैन्सी तेरे पति का कितना बड़ा है?
मैंने थोड़ा सा शर्माते हुये कहा- 5 इंच का होगा शायद!
धरा बोली- तो माइकल, क्या तुम हम दोनों को अपना विशाल दिखा सकते हो।
वो बोला- क्यों नहीं, मगर दिखाऊँगा उसको जो बदले में मुझे भी मेरी मनपसंद चीज़ देगी।
धरा बोली- हम दोनों ही तुम्हारी हैं, जिसकी चाहो ले लो। पहले तो मैं चाहती थी कि धरा हम दोनों के बीच में न आए, मगर उसने मेरे लिए बहुत कुछ किया, तो मैंने सोचा, इसे भी मज़े ले लेने दो।
माइकल ने अपना गिलास नीचे रखा और उठा कर खड़ा हो गया।
पहले उसने अपनी टाई खोली, फिर कोट उतारा, उसके बाद शर्ट उतारी, फिर बूट, जुराबें, और फिर पैंट खोली।
अब वो सिर्फ चड्डी में था, और चड्डी में से भी उसका लंबा बड़ा सा लंड अपने पूरे आकार में दिख रहा था।
पहले माइकल मेरे पास आया, मैंने चड्डी के ऊपर से उसका लंड पकड़ कर देखा, एकदम से सख्त और लंबा, मोटा, जैसे लकड़ी का कोई डंडा हो।
मैंने दोनों हाथों में पकड़ कर उसे महसूस किया और सोचा, आज तो तू गई, इतना मोटा और लंबा लंड आज तेरे अंदर जाएगा, तू तो इसका आधा भी नहीं ले सकती।
फिर माइकल धरा के पास गया।
धरा ने सबसे पहले उसके लंड को अपने दाँतों से पकड़ा, अपनी टी शर्ट का गला खींच कर नीचे कर दिया और अपने दोनों बड़े बड़े गोरे बूब्स बाहर निकाल कर माइकल के हाथ में पकड़ा दिये, माइकल उसे बोबे दबाने लगा तो धरा ने उसका लंड चड्डी से बाहर निकाला और अपने हाथ में पकड़ लिया- वाऊ, क्या औज़ार है, आज तो मुझे ज़िंदगी का सबसे ज़्यादा मज़ा आने वाला है।
और वो तो लगी उसके लंड को चूसने।
थोड़ा चुसवाने के बाद माइकल वापिस मेरी तरफ आ गया, उसने अपनी चड्डी भी उतार दी, वो भी अपनी झांट वगैरह सब साफ करके आया था।
जब मेरे सामने आया, तो मैं तो अपने सामने इतना बड़ा पुरुष का लंड देख कर हैरान ही रह गई।
काला लंबा लंड…
मैंने उसका लंड अपने दोनों हाथों में पकड़ा तो माइकल ने खुद मेरा मुँह पकड़ कर अपने लंड से लगा दिया और मैंने अपनी आँखें बंद करके उसे ऐसे मुँह में लिया जैसे पता नहीं दुनिया की सबसे स्वादिष्ट चीज़ खाने जा रही हूँ।
माइकल ने मेरी शर्ट के बटन खोले और जितनी देर मैं उसका लंड चूसती रही, वो मुझे नंगी करता रहा और फिर जब मैं बिल्कुल नंगी हो गई तो माइकल ने पूछा- नैन्सी, कैसे करना पसंद करोगी?
मैंने आँखें खोल कर माइकल को देखा, उसके पीछे धरा भी बिल्कुल नंगी खड़ी थी, अपनी बारी के इंतज़ार में!
मैंने कहा- पीछे से!
माइकल पहले मुझे उल्टा लेटाया, फिर मेरे उस पाँव को साइड पे किया जिसमें मोच आई थी, और फिर वो मेरी जांघ के ऊपर बैठ गया, मगर उसने अपना पूरा वज़न मेरी टांग पर नहीं डाला, अपने लंड का टोपा पहले उसने मेरी चूत और मेरे चूतड़ों की दरार में फेरा।
एक बार तो मुझे लगा, इतना मोटा और लंबा लंड अगर मेरी गांड में घुस जाये तो मेरी तो गांड ही फट जाए, खून तो पक्का निकलेगा।
खैर उसने सिर्फ घुमाया और फिर अपने लंड का टोपा मेरी चूत पे रखा- डालूँ क्या नैन्सी?
उसने धीरे से पूछा, मैंने हाँ में सर हिलाया।
और उसने ज़ोर लगाया, जैसे कोई बंद मुट्ठी मेरी चूत में घुसी हो, इतना मोटा टोपा उसके लंड का। जिसे कहते हैं न फुल टाईट, वैसे उसका लंड फुल टाईट मेरी चूत में घुसा।
‘तुम बहुत टाईट हो नैन्सी…’ माइकल बोला।
अब उसे क्या बताऊँ कि यार तेरा ही औज़ार बड़ा है, मेरी तो जितनी है उतनी ही है, इससे पहले इसमें इतना बड़ा औज़ार घुसा ही नहीं।
थोड़ा और ज़ोर लगाया और उसका और लंड मेरे बदन के अंदर घुस गया।
मुझे ऐसे लग रहा था जैसे मैं आज पहली बार चुद रही हूँ, इतनी टाईट तो पहली बार मेरे बॉय फ्रेंड का भी नहीं गया था, जब मैंने अपना कुँवारा बदन उसके हवाले किया था।
उस वक़्त दर्द तो हुआ था, मगर आज तो जैसी किसी ने पूरी तरह से चूत को बंद ही कर दिया हो।
मैंने महसूस किया कि उसका लंड मेरी बच्चेदानी तक पहुँच गया था।
मैंने धरा से पूछा- धरा कितना अंदर चला गया?
वो कुछ नहीं बोली, मैंने अपना सर घूमा कर देखा तो वो माइकल के होंठों से होंठ जोड़ कर खड़ी थी और माइकल उसके मोटे मोटे बोबे दबा रहा था।
मैंने फिर धरा से पूछा तो वो बोली- अभी तो आधा ही गया है।
मगर उसके बाद माइकल से बोली- माइकल कोशिश करो अगर तुम्हारा सारा लंड इसकी चूत में समा जाए तो?
माइकल ने और ज़ोर लगाया, मुझे और तकलीफ हुई, जैसे कोई सांप अंदर घुस रहा हो, मगर बहुत थोड़ा सा ही अंदर जा पाया।
माइकल बोला- नैन्सी, तुम 7 या 8 इंच तक का लंड ले सकती हो, इससे गहरी तुम्हारी चूत नहीं है।
मगर धरा बोली- चिंता मत करो, मैं तुम्हारा पूरा लंड ले सकती हूँ, जब मेरी चूत लोगे तो पूरा डालना।
मैंने भी जोश में कह दिया- माइकल, ट्राई करो शायद पूरा चला जाए।
माइकल ने और ज़ोर लगाया, मुझे और तकलीफ हुई, जैसे वो मेरी बच्चेदानी को और पीछे धकेल रहा हो, या फिर मेरी बच्चेदानी को ही न फाड़ दे।
फिर मैंने सोचा ‘साला दो मिनट के मज़े के लिए मैं अपना शरीर क्यों खराब करूँ?’
मैंने माइकल से कहा- बस करो माइकल, और अंदर मत डालो, जितना चला गया, उतना ही बहुत है।
उसके बाद माइकल धीरे धीरे मेरी चुदाई करने लगा।
मगर उसका लंड जितनी बार भी मेरे जिस्म के अंदर बाहर जाता, उतनी बार ही मेरे मुँह से एक सिसकारी, या हल्की सी चीख निकल जाती।
मुझे तो ऐसे लग रहा था जैसे मैं कोई बहुत छोटी बच्ची हूँ, जो इस वहशी के हाथ पड़ गई हूँ।
‘हाय, उफ़्फ़, आह, इस्स, आई, आ, उफ़्फ़…’ जैसे न जाने कितने शब्द मेरे मुँह से लगातार निकल रहे थे।
मेरे ये दर्द के बोल, मेरा ये सीत्कार माइकल के मन में और भी जोश पैदा कर रहा था, जो उसके द्वारा लगाए जा रहे हर धक्के में मुझे दिख रहा था।
बेशक वो आराम से धीरे धीरे मुझसे सेक्स कर रहा था, मगर उसके बदन की ताकत और उसके लंड की सख्ती मुझे अंदर तक छील रही थी, मेरी हाय तौबा लगातार मची हुई थी।
धरा भी उसकी होंठ छोड़ कर नीचे आ गई और मेरी चूत से बाहर जितना लंड था, उसे ही चूमने चाटने लगी, इसी दौरान उसने कई बार मेरी चूत को भी चाट लिया।
सच में हब्शी लोगों को अगर भगवान ने सुंदरता नहीं दी, तो ये खूबी दे दी कि अगर औरत तुम्हारे रूप पर न मरी तो तुम्हारे लंड पर ज़रूर मर मिटेगी।
कोई 4-5 मिनट की चुदाई के बाद माइकल ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला, फिर उसने मुझे सीधा करके लेटाया, और मेरी टांग साइड पे करके फिर से मुझे अपने हिसाब से सेट किया।
मैंने खुद उसका मोटा लंबा लंड पकड़ कर अपनी चूत पे रखा, पानी छोड़ छोड़ कर तो मेरी चूत पहले ही बहुत चिकनी हो रही थी, बस रखते ही लंड अंदर को फिसल गया।
माइकल मेरे ऊपर लेट गया, हम दोनों के होंठ जुड़ गए, माइकल ने मेरे दोनों बूब्स अपने हाथों में पकड़ कर दबाये- बहुत सॉफ्ट बूब्स हैं तुम्हारे नैन्सी।
मैंने खुद अपना बूब माइकल के मुँह से लगाया, वो मेरे बूब को चूसने लगा, फिर दूसरा बूब चूसा।
धरा के बूब्स भी चूसे।
फिर मैंने और धरा ने एक दूसरे के बूब्स चूसे।
माइकल ऊपर हम दोनों के कभी होंठ तो कभी बूब्स चूस रहा था और नीचे कमर हिला हिला कर कर मेरी चूत को भी चोद रहा था। मैंने अपनी ठीक वाली टांग उसके ऊपर रख ली।
‘मज़ा आ रहा है?’ माइकल ने पूछा।
मैंने कहा- इतना मज़ा तो मुझे आज तक कभी नहीं आया।
माइकल ने मेरे होंठों को चूमा और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाली, पहले तो थोड़ी सी… फिर डालता गया डालता गया, मुझे तो लगा इतनी लंबी जीभ से जैसे मेरा मुँह ही भर गया।
मैंने भी बड़े प्यार से उसकी जीभ को चूसा बल्कि उसने खुद अपनी जीभ मेरे सारे मुँह के अंदर घुमा दी, मेरे मुँह के अंदर दाँत तालु जीभ सब कुछ चाट गया वो।
मेरी तो बार बार आँखें बंद हो रही थी।
‘लगता है तुम झड़ने वाली हो! है न नैन्सी?’ माइकल बोला।
मगर उसके बोलते बोलते मैंने उसके होंठ पर अपने दाँत से काट लिया, नीचे से अपनी खुद की कमर उचकाई, बार बार, और फिर नीचे ही गिर गई।
जब माइकल ने अपना लंड बाहर निकाल लिए तो धरा ने शीशे में मुझे मेरी चूत दिखाई, जैसे कोई गुफा हो, लंबी गुलाबी गुफा, अंदर तक साफ दिख रहा था।
मैं शांत हो कर लेट गई, तो धरा ने माइकल को नीचे लिटा लिया और खुद उसके ऊपर बैठ गई, और सच में उसने ऊपर बैठ कर जब माइकल का लंड अपने अंदर लिया तो सारा ही ले गई।
मैं बेड पे लेटे लेटे धरा का सेक्स देख रही थी, वो तो खूब उछल उछल कर चुदवा रही थी और कोई 4-5 मिनट की उछल कूद के बाद वो भी झड़ गई मगर माइकल अभी तक वैसे ही थी, एकदम से कड़क!
मैंने पूछा- माइकल, तुम कितनी देर में अपना माल झाड़ते हो?
वो बोला- यह मेरी मर्ज़ी पर है, क्या तुम एक बार और सेक्स करना चाहोगी?
मैंने कहा- हाँ ज़रूर, पर इस बार थोड़ा ज़ोर से करना, पिछली बार तुमने बहुत प्यार से किया था, मज़ा तो आया, मगर मुझे थोड़ा रफ सेक्स पसंद है।
वो बोला- तो ठीक है, अपने पाँव का ख्याल रखना, और देखना इस बार मैं कैसी माँ चोदता हूँ तुम्हारी!
माइकल ने मुझे फिर से बिल्कुल सीधा करके लेटाया, मेरी ठीक वाली टांग अपने कंधे पर रखी और अपना लंड फिर से मेरी चूत पे रख दिया।
और इस बार बिना मुझसे पूछे अंदर डाल दिया।
‘आह…’ मेरे मुँह से एक हल्की सी सिसकारी निकली और फिर उसने अपना लंड पीछे किया और इस बार और ज़ोर से और अंदर तक प्रहार किया।
‘आउच…’ मेरे अंदर चोट लगी तो मेरे मुँह से निकला, मगर अगली बार तो उसने इतनी ज़ोर से अपना लंड मेरी चूत के अंदर मारा जैसे कोई डंडे से मारता है।
‘आऊ…’ एक और चीख मेरे मुँह से निकली।
मगर उसके बाद तो उसने क्या स्पीड पकड़ी, जैसे सुपर फास्ट गाड़ी हो… धड़ाधड़… धड़ाधड़… लगातार बिना रुके उसने 8 मिनट मुझे चोदा।
इतनी रफ्तार से पहले 3 मिनट में ही मेरा पानी छूट गया, और अगले तीन मिनट में फिर दूसरी बार!
मगर वो तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
मेरी टांग दुखने लगी, सारा बदन दुखने लगा, मेरे दोनों बूब्स उसने बड़ी मजबूती से पकड़ रखे थे, उसकी दोनों हाथों की उंगलियाँ जैसे मेरे बूब्स में धंस गई थी, मैं तो बस बेबस सी उसकी ताकत और जोश के आगे जैसे हार गई।
जब दो बार मेरा हो गया तो मैंने माइकल को कहा- बस करो माइकल प्लीज़, मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकती।
माइकल ने धरा को इशारा किया तो वो तो एक सेकंड में घोड़ी बन गई, माइकल ने एक झटके से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और सीधे जाकर धरा की चूत में घुसा दिया।
और फिर वही हाल उसका किया मगर धरा उसे आराम से ले रही थी, उसका पूरा जोश वही सह सकती थी, मैं नहीं।
कोई 8-9 मिनट माइकल ने धरा को पूरी तरह से प्रताड़ित करते हुये चोदा।
धरा की आँखों का सारा काजल बह के उसके चेहरे पर फैल गया, उसके होंठों की सारी लिपस्टिक माइकल खा गया, उसके बाल बिखरा दिये।
और जब माइकल का खुद का झड़ने वाला हुआ तो उसने पूछा- तुम दोनों में से कौन मेरा माल पीना चाहेगी?
हम दोनों ने कहा- मैं!
तो माइकल ने अपना लंड धरा की चूत से निकाल लिया और अपने हाथ से मुठ मारने लगा।
धरा मेरे साथ आ कर मेरे बेड पे लेट गई, और हम दोनों माइकल के लंड के सुराख को देखने लगी कि कब इसमें से गर्म वीर्य की वर्षा होगी।
और फिर माइकल ने ‘ऊह आह…’ करते हुये अपने लंड का रस हम दोनों पर गिराना शुरू किया, ये लंबी लंबी धारें छोड़ीं, हम दोनों के मुँह, छाती पेट सब भर दिये।
कुछ हमारे चेहरे पर भी गिरा, धरा ने तो मेरे मुँह पर गिरा उसका माल भी चाट लिया, मैंने अपने होंठो पर गिरा हुआ थोड़ा सा वीर्य टेस्ट किया।
झड़ने के बाद माइकल ने हम दोनों के चेहरे पर अपना लंड घिसाया- मज़ा आ गया, तुम भारतीय कुत्तियों को चोद कर, बहुत ही गर्म और सेक्सी हो तुम दोनों!
हमने भी उसका वीर्य से भरा लंड चाट लिया, बल्कि धरा ने तो मेरे मुँह से भी उसका वीर्य चुरा कर पी लिया।
दोनों औरतें मस्त और पस्त होकर लेटी पड़ी थी और नीचे फर्श पर माइकल गिरा पड़ा था।
कितनी देर हम सब ऐसे ही नंगे लेटे रहे, फिर उठ कर बाथरूम गए, माइकल मुझे अपनी गोद में उठा कर लेकर गया, जैसे मुझे उसने हॉस्पिटल में उठाया था।
इस बार मैं और प्रेम और विश्वास से उसके सीने से चिपकी हुई थी।
हम तीनों नहाये, बाहर आकर अपने अपने कपड़े पहने, फिर रूम को सेट किया।
उसके बाद जब माइकल जाने लगा, तो मैंने कहा- माइकल, मैं तुम्हें ज़िंदगी भर नहीं भूलूँगी, तुमने मुझे वो आनन्द दिया है, जो मेरी कल्पना के भी परे था। थैंक यू मई लव!
मैंने कहा तो माइकल ने फिर से मुझे चूम लिया और बोला- जब तक तुम औस्ट्रालिया में हो, जब चाहो मेरी सेवायें ले सकती हो, और अगर सारी ज़िंदगी के लिए चाहो, तो हमेशा के लिए मैं तुम्हारा हो सकता हूँ।
कह कर वो चला गया।
उसके बाद सब ठीक रहा, मगर पता तब चला जब मैंने अगले दिन सो कर उठी, कितना दर्द हुआ मेरी चूत में, बता नहीं सकती, पेन किल्लर खा खा कर दर्द को दबाया।
एक महीना ऑस्ट्रेलिया में रह कर और करीब 20 बार और माइकल से सेक्स करने के बाद मैं वापिस भारत वापिस आई।
मगर भारत सिर्फ मेरा जिस्म आया, अपना मन तो मैं वहीं माइकल के लंड से ही बंधा हुआ छोड़ कर आ गई।
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