पनवाड़ी और चाय वाले के फाडू लौड़े-3
प्रणाम पाठको, मेरे आशिक़ो, मेरे चोदने वालों सबको सनी का प्रणाम…
दोस्तो, मैंने पूरी रात उस पनवाड़ी को चूस डाला।
सुबह हुई, वह मेरे घर से निकलने लगा, तभी सामने चाय वाला अपना खोखा खोल रहा था, उसने हमें देखा, अब मुझे इंतज़ार था शाम का, जब चाय वाला एक्शन लेगा।
मैं उसको ज्यादा भाव नहीं देना चाहता था। चाहता था कि वह मुझे पाने के लिए मेहनत करे, मेरी गांड के लिए तड़पे !
मैं अन्दर से तो चाहता था कि उसका लंड घुसे, पर मुझे कुछ संदेह भी था कि पान वाले ने उसको रात बारे में कुछ बताया है या फिर नहीं।
रोज़ की तरह वह सुबह मेरे ऑफिस जाने से पहले चाय देने आया, उसकी नज़र बदली-बदली थी। उसकी आँखों में ठरक और वासना के मिले-जुले भाव थे।
वह कुछ पूछना चाहता था, पर पूछ नहीं पाया, बस लंड खुजलाता वापस निकल गया। मैं भी ऑफिस के लिए निकल गया, वहाँ भी ध्यान उन दोनों में ही था।
मैं चाहता था कि चाय वाला मेरा यौन शोषण कर डाले, मुझे ज़बरदस्ती नंगा करे, मेरा नाज़ुक जिस्म उसके सामने कुछ न कर सके ! शाम को घर लौटा तो उसके पास रुक कर चाय का आर्डर दिया।
वह बोला- यार इतनी चाय पीना तेरे जैसे लड़के के लिए अच्छी नहीं है। नाज़ुक जिस्म लगता है अंग काले हो जायेंगे, तू चिकना है, दूध पिया कर !
‘दूध तो पिलाता हूँ मैं मुँह में !’ मैंने धीरे से कहा।
वह बोला- क्या कहा..?
मैंने सर हिलाया- कुछ भी नहीं !
मैंने दूसरी तरफ मुँह कर लिया। अचानक से मैंने मुँह इधर किया तो वो पजामे के ऊपर से लंड को मसल रहा था। अचानक से रुक गया मैंने हल्की सी मुस्कान बिखेरी और घर में घुस गया।
नहा-धोकर फ्रेश होकर मैं अन्तर्वासना चैक करने लगा और आठ बजे टिफिन आया, थोड़ी देर बाद मस्तराम चाय वाले ने घंटी बज़ाई।
“आओ.. कैसे आना हुआ !” मैंने सिर्फ बनियान और छोटी सी फ्रेंची पहनी हुई थी।
वह मेरे चिकने जिस्म का मुआयना करने लगा।
मैंने कहा- हाँ..जी.. इस वक़्त कैसे..?
बोला- आज दूसरी तारीख है, सोचा पैसों का हिसाब-किताब करके जाऊँ !
“कल सुबह कर लेते !”
“वह बात नहीं है सनी यार !” कहते उसने मुझे बाँहों में जकड़ लिया, मेरे चूतड़ों पर, मेरी गांड में, जाँघों पर हाथ फेरने लगा।
“अबे छोड़ दे कमीने.. यह क्या कर रहा है !”
“देख… देख.. सनी एक बार बस.. एक बार एक बार.. अपना रस पी लेने दे !”
“पागल हो गए हो क्या..?”
“हाँ.. साले तूने पागल कर दिया है !” उसने ज़बरदस्ती मुझे बिस्तर पर धकेला और अपने जिस्म की ताकत से मुझे अपने नीचे लिटा कर मसलने लग गया, कभी होंठों को चूमता कभी मम्मों को दबाता, निप्पल चूसता !
“साले छोड़ दे.. मुझे वरना चिल्ला ‘दूँगी’ !”
“यह हुई न बात.. आ गई जुबां पर बात (दूँगी)..” उसने खींच कर चड्डी फाड़ दी।
“हाय मत करो प्लीज़ !”
मेरी बनियान फाड़कर नंगा कर दिया और खुद खड़ा हुआ, पजामा उतार फेंका, कमीज फिर अंडरवियर !
“हाय इतना बड़ा लंड ! सच कहा था, उस पान वाले ने देखो इतना बड़ा लंड.. मेरी गांड फाड़ देगा.. रहम करो !”
“साली छिनाल.. तेरी फटेगी कैसे..? यह कौन सा पहली बार तेरे अन्दर जाएगा !” वह मुझे लिटा कर छाती पर घुटनों के बल बैठ कर अपना लंड मेरे होंठों से रगड़ने लगा।
हाय कितना मजा आ रहा था ! ऐसे करके नहीं, यह सब नहीं, उसने हाथ से मेरा ज़बड़ा खोला और फड़ाक से लंड घुसा दिया !
“चूस… सुना तुम बहुत मस्त लंड चूसते हो !” मैं धीरे-धीरे से उसका लंड चूसने लगा।
“देखो लंड तो चूस दूँगा.. पर गांड पर निगाह नहीं !” उसके लौड़े को गीला करके मैंने उसका लंड खूब चूसा।
“हाय क्या चूस रहे हो.. साली छिनाल.. तेरी माँ का भोसड़ा.. कितना बड़ा चुस्सड़ है… मुझे मना कर रहा था !”
“कमीने.. मत चोद मुझे.. साले मेरी फट जाएगी.. !”
“अभी बहनचोद हरामी.. गांडू.. नखरे मत कर !” कह कर उसने मुझे दबोच लिया और जगह-जगह मुझे चूमने लग गया जिसकी वजह से में भी मचलने लगा।
मेरी गांड फड़फड़ाने लगी, मैंने भी उसको कस कर जकड़ लिया, उससे बेल की तरह लिपटने लगा।
यह देख-देख कर उसका दिमाग सठिया गया और उसने मुझे छोड़ सीधे लिटाया।
बोला- साली कैसे चुदना चाहेगी !
“हाय कमबख्त.. जैसे चाहे चोद दे.. फाड़ दे.. मेरी !”
“साली अभी कैसे कह रही थी.. नहीं चुदना.. नहीं चुदना !”
“कुत्ते.. लौड़े.. अब मार ले मेरी गांड !”
उसने गांड के नीचे तकिया लगाया। छेद सामने रख कर उसने थूक से गीला करके लौड़ा अन्दर पेल दिया।
हाय मेरी तो फटने लगी थी… क्यूंकि उसका सच बहुत बड़ा था।
“हाय साली.. कितनी कसी हुई गांड है !”
उसने ज़ोर-ज़ोर से लौड़ा पेलना चालू कर दिया। जब वह अन्दर टकराता, मुझे बहुत ही मजा आता।
करीब पांच मिनट ऐसे ही फाड़ने के बाद उसने घोड़ी बनाया और लगा पेलने और पेल और पेल… करीब पांच मिनट उसने वैसे चोदा और वह झड़ने लगा। मेरी गाण्ड उसके रस से भर गई क्यूंकि इतनी उतावली हो गई थी लौड़ा लेने के लिए कि कंडोम ही नहीं पहना।
पहली ट्रिप लगाने के बाद वह बोला- मैं रात को यहीं रुकूँगा.. बस अभी आता हूँ !
थोड़ी देर बाद वह लौटा, इंग्लिश दारु की बोतल लेकर आया था।
दो पैग मैंने लगाए, बाकी उसने ! पूरी रात उसने मुझे मसला, सुबह के चार बजे वहाँ से निकला। मेरा कीमा बना कर रख दिया और गांड सुन्न कर डाली।
यह थी ‘मेरी चाय वाले के साथ भी चुदाई हो गई।’
जल्दी जब किसी मस्त तरीके से चुदा तो आपके सामने हाजिर होऊँगा। तब तक के लिए बाय-बाय !
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