भाई की करतूत पापा को बताई तो …
नमस्कार दोस्तो, यह मेरी दूसरी कहानी है. मेरी पहली कहानी थी
बहन की सास और मेरी माँ से सेक्स
यह कहानी मेरी एक मित्र की है. जिसे वो अपने ही शब्दों में बता रही है.
मेरा नाम प्रिया है. मेरे घर में मैं, मम्मी, पापा और एक भाई है. पापा का अपना खुद का बिजनेस है और माँ सरकारी स्कूल में टीचर है. भाई मुझसे दो साल छोटा है. उसका नाम रोहित है. वह स्नातक की पढ़ाई कर रहा है.
यह कहानी आज से एक साल पहले की है. मेरे भाई की उम्र 18 साल के ऊपर जाने वाली थी. वह मुझसे उम्र में 4 साल छोटा है. बात तब की है जब उस वक्त मेरा भाई बाहरवीं पास करने ही वाला था. मैं अपने ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में थी.
तो उस दिन हुआ यूँ था कि मेरा भाई अपने कमरे में अपना कुछ काम कर रहा था. मुझे किसी और काम से उसके कमरे में जाना पड़ गया, उसने मुझे अचानक से अपने कमरे में आती देख कर अपना लेपटॉप बंद कर दिया. वह थोड़ा सा घबराने लगा. मैंने जब उससे घबराहट का कारण पूछा तो उसने नहीं बताया. मैंने भी उस वक्त उस पर ज्यादा जोर नहीं दिया. मुझे ये भी पता था कि उसका किसी के साथ चक्कर चल रहा था. शायद वह उस वक्त उसी से बात करने में लगा होगा वीडियो कॉल पर.
मैं समझ तो गई थी कि उसकी घबराहट का कोई और कारण नहीं हो सकता है. मैं उसके कमरे से अपनी किताब लेकर चुपचाप निकल गई.
एक दिन की बात है जब पापा बिजनेस के काम से शहर से बाहर गये हुए थे. उसी दिन नानी की तबियत खराब हो गई. मेरी माँ मेरी नानी के घर पर उनकी देखभाल करने के लिए चली गयी. मैं और मेरा भाई, हम दोनों के अलावा उस दिन हमारे घर पर कोई भी नहीं था. रात का समय हो गया तो मैंने खाना बनाया और खाना खाते समय भाई से पूछा कि उसका किसी के साथ चक्कर तो नहीं चल रहा है?
वह बोला- तुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि मेरा किसी के साथ चक्कर चल रहा है?
मैंने कहा- उस दिन जब मैं तेरे कमरे में गई थी तो तू किसी से वीडियो कॉल पर बात कर रहा था. मुझे लगा कि तेरी कोई सेटिंग होगी.
वह बोला- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है.
मैंने कहा- देख, मैं तेरी बहन हूँ. अगर ऐसी कुछ बात है तो तू मुझसे शेयर कर सकता है. मैं तेरी मदद करने के लिए तैयार हूँ.
वह बोला- नहीं, ऐसी कोई भी बात नहीं है.
यह कहकर वह उठ कर चला गया. मुझे उसका बर्ताव कुछ अजीब सा लग रहा था. रात को करीब एक बजे के लगभग मेरी नींद खुली तो मैं पेशाब करने के लिए बाथरूम में गयी. मैंने देखा कि भाई के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था. मैंने अंदर झांक कर देखना चाहा कि वह सही से सो रहा है या नहीं. मैं उसकी बड़ी बहन हूँ और मुझे उसकी फिक्र रहती थी.
मैंने झांक कर देखा तो वह अपने कमरे में नहीं था. मैं एकदम से परेशान हो गयी. मैंने सारा का सारा घर छान मारा मगर वह कहीं नहीं मिला मुझे. उसके बाद मेरे दिमाग में छत का ख्याल आया. मैं छत पर जाने लगी. मैंने देखा कि छत का दरवाजा खुला हुआ था. वैसे मुझे भी रात में अकेले छत पर जाने में डर लग रहा था मगर फिर भी मैं हिम्मत करके छत पर पहुंच गयी.
मैं छत पर पहुंच कर देखने लगी तो हैरान रह गयी कि वह छत पर भी नहीं था. मैं सोच में पड़ गयी कि यह लड़का आखिर गया तो गया कहाँ?
हमारे घर की बगल में चाचा की छत जुड़ी हुई थी. मैंने सोचा कि चाचा की मदद लेती हूँ. मैंने चाचा को आवाज देने के लिए उनकी छत पर जाकर देखा. उनकी छत पर एक छोटा सा कमरा बना हुआ था.
एक बात मैं आपको बता दूँ कि मेरे चाचा के पास कोई औलाद नहीं है. वह रोहित को ही अपना बच्चा मानते हैं. मेरे दिमाग में सबसे पहले चाचा का ही ख्याल आया कि वह रोहित को ढूंढने में मदद कर सकते हैं.
जब मैं उनकी छत से गुजर रही थी तो मुझे उस छोटे से कमरे के अंदर से कुछ आवाजें आती हुई सुनाई दीं. मेरा ध्यान उस कमरे की तरफ गया तो मैंने देखा कि उस पर कोई दरवाजा नहीं लगा हुआ था. मैं कमरे की तरफ बढ़ने लगी तो आवाजें तेज होने लगीं.
मैंने अंदर झांक कर देखा तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. मेरी चाची ने सारे कपड़े उतारे हुए थे और वह मेरे भाई के लिंग से खेल रही थी. जो चाची मेरे भाई को अपना बेटा मानती थी वह मेरे भाई के लिंग को हाथ में लेकर सहला रही थी. आज मुझे समझ में आया कि वह मेरे भाई से इतना प्यार क्यों करती है. अब मैं ये भी समझ गयी थी कि मेरा भाई भी रात में चाची से ही बात करता रहता होगा. मैं तुरंत पीछे हट गई.
मगर पता नहीं मेरे मन में क्या आया कि मैंने दोबारा अंदर झांकने के बारे में सोचा. जब मैंने दोबारा झांका तो चाची मेरे भाई के लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी. मेरे भाई की आंखें बंद थीं. रोहित मस्ती में सिसकारियाँ ले रहा था ‘स्स्स … आह्ह … चाची … उफ्फ … चूसो इसे!’ उसके मुंह से कुछ इस तरह के शब्द निकल रहे थे.
“आह्ह … बहुत मजा आ रहा है चाची. चूसती रहो ऐसे ही ओह्ह …”
चाची उसके लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और चाची के दूध हिल रहे थे. एक बार तो मुझे देखने में मजा आया लेकिन अगले ही पल यह ध्यान आया कि चाची तो मेरे भाई को बिगाड़ रही है. मैंने सोचा कि मैं ऐसा नहीं होने दूंगी.
मैंने हिम्मत करके कमरे में कदम रखे और जोर से चिल्लाई- चाची, ये क्या कर रही हो मेरे भाई के साथ?
मुझे देख कर दोनों की ही हवाइयां उड़ गईं. उन दोनों के बदन पसीना-पसीना हो गये.
मैं दोबारा चिल्लाई- चाचा जी कहाँ हैं? मैं उनको आपकी इस करतूत के बारे में सब कुछ बता दूंगी. मैं अभी चाचा को बुला कर लाती हूँ.
चाची बोली- नहीं बेटी, तेरे चाचा शादी में गये हुए हैं. तू किसी से कुछ मत कहना नहीं तो मैं किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहूंगी. तुझे अपने भाई की कसम है कि तू किसी को कुछ नहीं बताएगी.
मैंने कहा- चाची, आपको शर्म नहीं आती कि आप अपने से उम्र में इतने छोटे लड़के के साथ ऐसी गन्दी हरकत कर रही हैं? आप मेरे भाई को फंसाना चाहती हैं?
इतने में रोहित बोल पड़ा- दीदी, प्लीज आप चली जाओ. मैं आपके पीछे-पीछे आता हूँ और आपको सारी बात बता दूँगा.
मैंने एक जोर का झापड़ रोहित के मुंह पर जड़ दिया. वह वहीं पर चुप हो गया. रोहित अपने कपड़े पहनने लगा.
चाची मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगी. मैं रोहित का हाथ पकड़ कर अपने साथ नीचे उसको कमरे में ले गयी.
रोहित बोला- दीदी, मुझे माफ कर दो. मैं आज के बाद कभी ऐसा नहीं करूंगा.
मैंने कहा- ठीक है. अभी तो मैं तुझे छोड़ रही हूँ. रात काफी हो गयी है. जाकर अपने कमरे में सो जा चुपचाप. तुझसे मैं सुबह इस बारे में बात करूंगी.
मैं भी अपने कमरे में आकर सोने की कोशिश करने लगी. मगर मेरी आंखों के सामने अभी भी वही सीन चल रहा था. चाची और रोहित कैसे मजे ले रहे थे. मैंने सोने की बहुत कोशिश की मगर मुझे भी अपने और दीपक (मेरा बॉयफ्रेंड) के बीच हुए सेक्स के बारे में वही सीन याद आने लगे. मगर अब दीपक के साथ मेरा ब्रेक-अप हो गया था. मैंने खुद को संभाला और आंख बंद करके सोने की कोशिश करने लगी.
कुछ देर के बाद मेरी आंख लगी ही थी कि मुझे अपनी नाइटी में ऐसा महसूस हुआ कि किसी के हाथ चल रहे हैं मेरे बदन पर. मैंने घबरा कर आंख खोल कर देखा तो रोहित ने अपना हाथ मेरी नाइटी में डाला हुआ था.
मैं चिल्लाई- बद्तमीज, ये क्या कर रहा है?
रोहित बोला- दीदी, आप थोड़ी देर के बाद नहीं आ सकती थी छत पर? मेरा काम अधूरा ही रह गया. मैं चाची के थोड़े मजे ही ले लेता. अब मुझसे कंट्रोल हो ही नहीं रहा है.
मैंने उसे कस कर एक चांटा मारा और कहा- तू जरा सुबह होने दे. मैं तेरी सारी करतूतें पापा को बता दूंगी.
रोहित ने एकदम मुझे गले से लगा लिया और मेरी नाइटी के ऊपर से मेरे चूचों को दबाने लगा. मैं हैरान थी कि उसमें इतनी हिम्मत कहाँ से आ गई है. उसने अगले ही पल मेरी नाइटी को ऊपर उठा कर मेरे चूचों को पीना शुरू कर दिया. उसकी जीभ जब मेरे चूचों पर लगी तो मैं बहकने लगी. मगर मैंने खुद को संभाला और रोहित को पीछे धकेल दिया. मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसको कमरे से बाहर निकाल दिया और अपने बेड पर आकर लेट कर रोने लगी. रोते हुए मेरी आंख लग गयी.
सुबह के आठ बजे के लगभग मेरी आंख खुली तो मैं अपने कमरे से बाहर गयी और रोहित के कमरे में जा कर देखा तो वह सो रहा था. उसके बाद फ्रेश होकर मैंने नाश्ता बनाया. रोहित को नाश्ता करने के लिए कहा मगर उसने मेरे हाथ के बने नाश्ते में से कुछ भी नहीं खाया. शायद वह चाची के पास ही कुछ खाकर आ गया था. माँ अभी तक नानी के घर से नहीं आई थी.
नाश्ता करने के बाद पापा भी आ पहुंचे. मैंने दरवाजा खोला और पापा को देखते ही उनके गले से लग कर रोने लगी.
पापा बोले- क्या हुआ? तू रो क्यूं रही है?
मैंने कहा- पापा आप नहा-धो कर फ्रेश हो जाओ. उसके बाद मैं सारी बात आप को बताती हूँ.
यह कहकर मैं पापा के लिए चाय बनाने चली गई. पापा को लग रहा था कि शायद रोहित और मेरे बीच में लड़ाई हो गई है. मगर मैं तो जानती थी कि हमारे बीच भाई-बहन वाली साधारण लड़ाई नहीं हुई है. हमारे बीच में तो कुछ दूसरी लड़ाई हुई थी.
मैंने पापा को रात वाली सारी बात बता दी और पापा ने रोहित को उसके कमरे से बुला कर बहुत बुरा-भला कहा. वह नाराज होकर घर से चला गया. पापा भी अपने कमरे में चले गये. पापा शराब पीने लगे. वैसे तो पापा शराब नहीं पीते थे मगर उनके दिमाग को शांत करने के लिए वह आज पी रहे थे.
मैंने पापा के लिए खाना बना दिया और खाना खाने के बाद उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया. अपने पास बिठा कर पापा ने मुझसे रात वाली बात विस्तार से बताने के लिए कहा. वैसे तो मैं शरमा रही थी मगर पापा ने पूछा था तो बता रही थी. पापा ने उस समय पजामा और बनियान पहन रखी थी. मैंने लोअर व टी-शर्ट डाली हुई थी.
मेरी बात सुनकर पापा बोले- यह तो हर कोई करता है. औरत और मर्द के बीच में यह सब होना आम बात है बेटी. तू इसको लेकर इतनी परेशान क्यों है? इतना हो-हल्ला करने की क्या जरूरत है?
मैं पापा को अजीब सी नजरों से देख रही थी कि पापा ये बोल क्या रहे हैं?
पापा बोले- सेक्स तो औरत और मर्द के बीच में ही होता है. इसमें कोई रिश्ता मायने नहीं रखता. अब तू जा और जाकर सो जा.
रात को जब मैं सो रही थी तो मुझे सपना आया कि मेरा पुराना बॉयफ्रेंड दीपक मेरे गले में बांहें डाले हुए है. वह मेरे दूधों को पी रहा है. मेरी चूत को सहला रहा है. मुझे मजा आ रहा था और मैं सपने में पूरी मस्ती में खोई हुई थी. मेरे मुंह से कामुक सिसकारी निकल रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… जोर से करो … पी जाओ दीपक … मेरे दूधों को काट लो … आह्ह … बहुत मजा आ रहा है.
उसके बाद सपने में ही दीपक ने मुझे जोर से काटा तो मेरी आंख खुल गई. मैंने देखा कि कमरे में पूरा अंधेरा था और कोई सच में ही मेरे दूधों को पी रहा था.
मैंने सोचा कि ये जरूर मेरा भाई रोहित ही होगा. पापा के समझाने के बाद मेरे दिमाग में जो बात चल रही थी उसके चलते मैंने रोहित को ऐसा करने से रोकना ठीक नहीं समझा. मैं समझ गई थी कि रोहित शायद मुझसे बदला ले रहा है. मुझे भी सुरूर में मजा आ रहा था. मैंने रोहित को कुछ नहीं कहा और न ही उसे यह पता लगने दिया कि मैं जाग रही हूँ.
मेरा लोअर अब तक उतर चुका था. उसके बाद मेरी चूत पर दो गर्म-गर्म होंठ आकर लगे. मस्ती से एक गीली जीभ मेरी चूत में आकर घुसने का प्रयास कर रही थी.
मेरे मुंह से निकल गया – आआह्ह्ह … उम्मम … घुसा दो पूरी अंदर तक.
तड़पते हुए मेरा हाथ पीछे की तरफ जाने लगा. मेरा हाथ बेड के साइड में रखे लैम्प के स्विच पर जा लगा और लाइट जल गई. मैंने देखा कि जो जीभ मेरी चूत में घुसी हुई थी वह मेरे भाई रोहित की नहीं बल्कि मेरे पापा की थी.
पापा को देखकर मेरे अंदर एक अलग सा रोमांच भर गया. मैं भी यही सोच रही थी कि सेक्स में कोई रिश्ता नहीं होता है. अगर कोई रिश्ता होता है बस लंड और चूत का होता है.
फिर भी मैंने थोड़ा सा कंट्रोल करते हुए कहा- पापा, क्या कर रहे हो?
पापा बोले- बेटी, मैं तुझे कली से फूल बना रहा हूँ.
मैंने मन ही मन कहा कि पापा मैं तो कली से फूल पहले ही बन चुकी हूँ मगर आपको नहीं पता है इस बारे में.
मैंने फिर कहा- नहीं पापा, प्लीज ऐसा मत करो.
मगर अब तक बहुत देर हो चुकी थी. मेरी अस्वीकृति अब स्वीकृति में बदलती जा रही थी. पापा नहीं रुके और मेरी चूत को पूरा निचोड़ कर रख दिया. पापा ने जल्द ही मुझे पूरी नंगी कर दिया. पापा ने कमरे की सारी लाइटें जला दी थीं. अब हम दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से देख सकते थे.
पापा ने कहा- प्रिया, इतनी सुंदर तो तेरी माँ भी नहीं है.
पापा सच ही कह रहे थे क्योंकि मेरे चूचे पूरे 36 के साइज के थे. चूतड़ भी 36 के साइज से ज्यादा ही थे. कमर 30 के साइज की है. मेरा रंग गोरा और आंखें एकदम प्रिया प्रकाश की तरह हैं. हर कोई मुझ पर फिदा था और आज मेरे पापा भी मुझ पर फिदा हो गये थे. पापा ने मेरे चूचों को अपने हाथों से दबा लिया और अपना लंड मेरे चूचों के बीच में ऊपर नीचे करने लगे.
ऐसा करते हुए उनका लंड मेरे मुंह तक पहुंच रहा था जिसको मैं मुंह लेने की कोशिश करती तो वह मेरे मुंह में चला जाता था.
मैं पापा के लंड को चूस कर फिर से बाहर निकाल देती थी. बहुत दिनों के बाद मेरे बदन पर कोई लंड नाच रहा था. दीपक ने तो मुझे तीन-चार बार ही चोदा था. उसका लंड भी इतना बड़ा नहीं था. जबकि मेरे पापा का लंड को सात इंच के करीब था. मेरे पापा का लंड दीपक के लंड की तुलना में मोटा भी अधिक था जो मेरे मुंह में भी ठीक ढंग से नहीं आ पा रहा था.
पापा बोले- बेटा, अब और मत तड़पा मुझे. अपनी चूत दे दे मुझे. मुझसे अब कंट्रोल नहीं हो रहा है.
मैंने पापा के सामने एक शर्त रख दी कि माँ के आने के बाद भी मुझे आपके लंड से चुदाई करवानी है. मेरी शर्त को पापा खुशी-खुशी मान गए.
पापा ने मेरी कमर के नीचे तकिया रख दिया.
मैंने सोचा कि दीपक तो ऐसा कुछ भी नहीं करता था. खैर, जो भी हो. मैं भी देखना चाहती थी कि पापा मेरी चुदाई में क्या नया करने वाले थे.
पापा ने मेरी दोनों टांगों को चौड़ी कर दिया और अपना लंड मेरी चूत पर टिका कर रगड़ने लगे. मैं तड़प उठी और पापा को लंड अंदर डालने के लिए कहने लगी. पापा ने एक झटका मारा तो मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया. उनका आधा लंड मेरी चूत में घुस चुका था. मेरे मुंह से चीख निकल गयी. उफ्फ … उम्म … आआह्ह … फ्फ …
पापा ने मेरे होंठों को दबा कर मेरी चीख बंद कर दी. अब वह धीरे-धीरे से मेरी चूत में अपने लंड को हिलाने लगे. मेरी चूत से खून निकलने लगा था जिसे देख कर पापा की खुशी का ठिकाना न रहा. पापा ने मुझे और ज्यादा प्यार करना शुरू कर दिया.
पापा बोले- वाह मेरी रानी, क्या चूत है तुम्हारी! मेरे लंड ने तेरे भोसड़े को खोल दिया.
दरअसल बहुत दिनों के बाद इतने मोटे लंड से चुदने के कारण मेरी चूत से खून बाहर आ गया था. फिर पापा ने पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया और दे दनादन मेरी चूत को चोदने लगे. पापा के लंड से चुदाई का आनंद लेते हुए मैं भी कामुक स्वरों से पापा का जोश बढ़ाने लगी थी. आह्ह … ओहह … आआआ … स्स्स … अम्म … आह …
दीपक के लंड से चुदते हुए मुझे इतना मजा कभी नहीं आया था. पापा का लंड मेरी चूत में गपागप अंदर जा रहा था. मेरी चूत पापा के लंड को पूरा निगलने लगी थी. जब पापा के लंड का टोपा मेरी चूत की गहराई में जाकर लगता था तो मैं पापा को अपने ऊपर खींच लेती थी.
मुझे पापा के लंड से चुदने में बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था. पापा ने मेरे चूचों को अपने दोनों हाथों पकड़ लिया और नीचे से मेरी चूत में धक्के देना चालू रखा. पापा मेरे चूचकों को भींचते हुए मेरी चुदाई करने लगे थे.
मेरे चूचे इस तरह तन गए थे कि लगने लगा था कि बस अब उनमें से दूध निकलने ही वाला है. पापा ने मेरे चूचकों को कस कर भींचा और एक जोर का धक्का मारा. आह्ह् … मेरे मुंह से जोर की चीख निकल गई. पापा को मेरी चूत चोदने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था. अब मेरे मन में भी एक जिज्ञासा पैदा होने लगी थी कि पापा मेरी माँ की चूत को किस तरह चोदते होंगे. क्या माँ भी मेरे पापा के लंड से चुद कर इतना ही मजा लेती है?
मैं पापा के लंड से जोरदार चुदाई का आनंद लेते हुए मस्ती में डूबती जा रही थी. मन कर रहा था कि पापा अपने मोटे लंड से मेरी चूत को इसी तरह रगड़ते रहें. कुछ देर की चुदाई के बाद मेरा शरीर सिहरने लगा. मेरे मुंह से जोर की सिसकारी निकलने लगी. आआआ … आह्ह … पापा मैं आने वाली हूँ, तेजी से करो पापा ओह्ह … मैं बस होने वाली हूँ पापा उफ्फ … मैं अपनी चूत को पापा के लंड के धक्के के जवाब में ऊपर उछाल रही थी. पापा भी अब पहले से ज्यादा ताकत लगा रहे थे.
पापा ने मेरी टांगों को पकड़ा और दस-बारह धक्के बहुत ही जोरदार तरीके से लगा दिये. मेरी चूत ने पानी फेंकना शुरू कर दिया और चूत के रस में भीगते ही लंड चप्प-चप्प की आवाज करने लगा. इसी आवाज के साथ पापा मेरी चूत को चोदते रहे.
लगभग बीस मिनट तक पापा मेरी चूत का बैंड बजाते रहे. जब पापा ने बताया कि उनका रस निकलने वाला है तो मैंने पापा से कह दिया कि पापा मेरी चूत में ही अपना रस निकाल दें.
पापा ने दो-चार धक्कों के बाद मेरे चूचों को अपने हाथों में थाम लिया और उनकी गति धीमी पड़ती चली गई. पापा का गर्म वीर्य मेरी चूत में गिरने लगा. अपना सारा रस मेरी चूत को पिला दिया. मेरी संतुष्टि मेरे चेहरे पर मुस्कान बन कर उभर रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे मैं नशा करके लेटी हुई हूँ.
अपने पापा के जबरदस्त लंड से चुदने के बाद मेरी चूत आज बहुत दिनों के बाद शांत हो गई थी. कुछ देर के बाद मैंने अपने चूचों को छू कर देखा तो उनमें दर्द हो रहा था. पापा ने दबा दबाकर मेरे चूचों को नोंच डाला था. मेरे निप्पल अभी भी तने हुए थे. मैंने पापा की तरफ देखा तो वह भी बिल्कुल शांत थे.
कुछ देर तक नंगे पड़े रहने के बाद पापा फिर से तैयार हो गये. उन्होंने फिर से मेरी चूत को निशाना बनाया. दूसरी बार में पापा ने मुझे कुतिया बनाकर चोदा और मेरी गांड में उंगली भी डाली. तीसरी बार में उन्होंने मुझे बेड पर नीचे लटका कर चोदा और इस प्रकार उस रात चार बार पापा ने मेरी चूत को पेला. मेरी चूत मार कर पापा ने सच में उसका भोसड़ा बना दिया था. पापा और मैं उस दिन सुबह देर तक सोते रहे.
उसके बाद तो पापा कई बार मेरी चूत को चोद चुके हैं. मेरी माँ के साथ-साथ वह मेरी चूत की प्यास बुझाते रहते हैं. मुझे भी अपने पापा के लंड से चुदने में अलग ही मजा आता है. अब मैं पापा के लंड से चुदने का पूरा मजा लेती रहती हूँ. मगर साथ ही मेरे मन में इस बात को लेकर भी कौतूहल चलता रहता है कि मैं एक बार पापा को अपनी माँ की चुदाई करते हुए भी देखूं. अब मैं इसी इंतजार में रहती हूँ कि पापा से कब इस बारे में बात करूँ.
अब तो मैं रोहित के लंड से भी परहेज नहीं करना चाहती. मगर अभी तक रोहित ने मुझे उस दिन के बाद दोबारा से छेड़ने की कोशिश नहीं की है. मुझे पता है कि मेरा भाई जल्दी ही फिर से मेरे बदन के साथ खेलने का मौका ढूंढेगा. बस मैं इंतजार करती रहती हूँ कि मेरी कौन सी इच्छा पहले पूरी होगी.
अपने भाई रोहित के लंड से चुदने की या अपने माँ और पापा की लाइव चुदाई देखने की?
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