भाई ने अपनी बहन की चूत की चुदाई करवाई मुझसे-1
यह कहानी है एक भाई बहन की जिनका नाम है समीर और हिना!
समीर ने मेरी पिछली कहानियाँ पढ़ मुझे फेसबुक पर अपना दोस्त बनाया और फिर उसने बताया कि कैसे वो अपनी भी सगी बहन को रोज रात बिस्तर में लिटा कर चोदता है।
बात करते करते बहुत बार समीर ने अपनी बहन को चोदते हुए मुझे वेबकैम पर दिखाया। मैं भी देख कर मुठ मार लेता था।
आइये जरा उसकी बहन की बारे में थोड़ा सा बता दूँ।
18 साल की नाजुक कमसिन कलि जिसको कुछ दिन पहले ही उसके सगे भाई ने खिलाया है। हाथ में भरपूर आ जाने वाली नाज़ुक चूची और उसके ऊपर एक मोती घुंडी जो इतनी सुन्दर है कि देखते ही उसको चूसने का मन करता है… नीचे सुराही ही पतली होती कमर, पेट पर जरा भी मोटापा नहीं… मानो किसी हीरोइन की कमर हो… और उसके नीचे एक चौड़ी सी गांड… कसम से दोस्तो, जब वो कुतिया बनती है तो उसकी गांड किसी जन्नत से कम नहीं लगती, दिल तो करता है कि उसी के अन्दर घुस जाऊँ!
हल्के बालों से घिरी एक सांवली सी चूत दिखती है जो हर लंड लेने के लिए कुलबुलाती रहती है, हर वक़्त काम रस बहाती रहती है मानो कह रही हो कि मुझे अभी यहीं पटक कर चोद दो।
जब चलती है तो गांड ऐसे इठलाती है मानो कह रही है कि मेरी गांड की चाल देख कर तुम्हारी पानी निकल जायेगा।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ और बताता हूँ कि परी जैसी दिखने वाली हिना को कैसे मुझ जैसे 6 फीट 2 इंच के शैतान ने चोद चोद कर अपनी कुतिया बनाया।
वो शाम जब एक मासूम नाजुक कलि एक जंगली शैतान के चंगुल में ऐसी फंसी कि उसके बाद वो उसके लंड की दीवानी हो गई।
बात है आज से तीन सप्ताह पहले की जब मेरी पिछली कहानी प्रकाशित हुई
कैसे मैंने दोस्त की माँ की चुदाई की,
जिसे आप सबने बहुत पसंद किया और बहुत लोगों, भाभियों ने मुझसे मिलना की इच्छा जताई।
मैं यहाँ बता दूँ कि मुझे कई सौ लड़कों ने भी मैसेज किया कि मैं किसी का नंबर या ईमेल आईडी उन्हें दे दूँ… मैं बताना चाहूँगा दोस्तो कि यह कभी नहीं हो पायेगा, मैं अपने किसी भी दोस्त का कांटेक्ट नंबर आप किसी को नहीं दे सकता। मैं अपने सभी दोस्तों की निजता की इज्जत करता हूँ और उनका भरोसा नहीं तोड़ सकता।
जब समीर से मेरी बात शुरु हुई तो मुझे लगा कि यह भी किसी का नंबर माँगने ही आया होगा, लेकिन तभी एक दिन मुझे फेसबुक पर समीर का वीडियो कॉल आया और मैंने उसके साथ वीडियो चैट शुरु किया तो मेरे होश उड़ गए…
वह एक नाज़ुक सा हाथ समीर के लंड पर चल रहा था और उसको मुठिया रहा था। मैंने भी अपना लंड निकल कर कैमरा पर दिखाया, थोड़ी देर बाद कॉल बंद हो गई।
समीर ने बाद में बताया कि वो कैम चालू करके चुदाई नहीं करता है। उसने मुझे बताया कि वो अपनी सगी बहन को कुछ टाइम से चोद रहा है। उसने बताया कि कैसे उसकी बहन मेरी कहानियों की फ़ैन है और मेरी कहानी पढ़ कर बहुत गर्म हो जाती है।
ऐसे हम रोज़ बातें करते!
और एक सप्ताह बाद समीर ने मुझे अपनी इच्छा बताई कि वो अपनी बहन की चूत मुझसे चुदते देखना चाहता है। लेकिन शायद उसके सामने उसकी बहन को शर्म आएगी।
मैं दिल ही दिल बहुत खुश हुआ क्योंकि ऐसी हॉट एंड सेक्सी कमसिन कलि रोज नहीं मिलती चोदने को!
मैंने उसे विश्वास दिलाया कि तुम बस मुझसे मिलवाओ उसे… बाकी तुम्हारी सारी इच्छाए मैं पूरी कर दूंगा।
समीर ने अपनी बहन को मुझसे मिलने के लिए मना लिया और एक हफ्ते बाद वो लोग पुणे आ गये मिलने के लिए!
क्योंकि वो दूसरे शहर में रहते थे, वो दोनों शुक्रवार की शाम को आये और दो दिन मेरे घर ही रहने का प्लान था।
हिना को सिर्फ यह पता था कि हम दोस्तों की तरह मिल रहे हैं, चुदाई का कोई सीन नहीं होगा।
शाम को मेरे घर की घंटी बजी, मैंने दरवाजा खोला तो देख समीर और हिना खड़े थे… हिना को तो मैं देखते ही रह गया दोस्तो… मानो मिलने से पहले पूरी तैयारी से आई है… सांवले रंग के चेहरे पर एक अलग ही नूर था, बड़ी बड़ी काली आँखें, कान में गोल झुमके, गालों पर लाली और मुझ से नजरें मिलते ही शर्म से नज़र झुका कर उसका लाल हो जाना.. दुनिया की सारी काम वासना मानो उसके चेहरे पर आ गई थी… मेरा तो मन कर रहा था कि अभी इसे अपनी बाहों में लेकर इसके रस भरे होठों तो चूस लूँ!
मुझे जो खेल शुरू करना था उसकी शुरुआत मैंने तुरन्त कर दी… अन्दर आते मैंने समीर को सालों से बिछड़े भाई की तरह गले लगा कर स्वागत किया… यह सिर्फ इसलिए कि मैं हिना को भी स्वागत के बहाने अपनी बाँहों में ले सकूँ!
फिर मैं हिना की तरफ मुड़ा, वो थोड़ी घबराई हुई थी क्योंकि उसे पता था क्या होने वाला है!
और मैं उसकी तरफ बाहें खोल कर बढ़ा तो न चाहते हुए भी उसने अपनी बाहें खोल मुझे गले लगा लिया और हम दोनों के शरीर में एक करंट दौड़ गया।
मेरी चौड़ी मरदाना छाती पर उसकी नाज़ुक, मुलायम चूचियाँ दब गई, दोनों के मुख एक हल्की सी आह निकल गई। उसका बदन मुझे किसी रुई की तरह लग रहा था।
दूर खड़ा समीर यह सब देख मुस्कुरा रहा था मानो मुझे शाबाशी दे रहा हो।
उसने अपने लंड को थोड़ा ठीक किया… ये सब देख उसका लंड खड़ा होने लगा था।
तब मैं और हिना अलग हुए, हिना का चेहरा शर्म औ हया से एकदम लाल हो गया था, वो वहीं नजरें झुकाए खड़ी रही।
मैंने उन दोनों को उनका कमरा दिखाया, दोनों थके हुए थे तो सोने चले चले गए।
इसके बाद जो भी हुआ, वो मेरे बनाये प्लान के हिसाब से था, मैं समीर को व्टसऐप्प पर मैसेज कर कर के बताता गया और वो करता गया।
जब वो दोनों उठे तो शाम हो चुकी थी, हिना ने कपड़े बदल कर टाइट पजामा और एक टीशर्ट डाल ली थी।
हिना को समीर ने हम तीनों के लिए चाय बनाने को कहा.. हिना किचन में चाय बना रही थी, कमरे से किचन साफ दीखता है लेकिन हिना ने ध्यान नहीं दिया कि मैं उसे देख रहा हूँ।
तभी पीछे से समीर आया, धीरे से हिना को अपनी बाहों में ले लिया.. हिना थोड़ा घबरा गई लेकिन समीर ने कुछ बोल कर उसे चुप कराया।
अब हिना की गांड मेरी तरफ थी और समीर का चेहरा.. वो अपनी बहन के होठों को बुरी तरह चूस रहा था और उसकी पीठ को हाथ से सहला रहा था.. और तभी उसने हिना की चौड़ी रसीली गांड को दबोच लिया।
हिना चिहुंकी और हटने की कोशिश की लेकिन समीर ने जाने नहीं दिया।
और ऐसे करते करते वो दोनों घूम गये.. अब समीर की पीठ मेरी तरफ थी और हिना और समीर एक दूसरे की किस कर रहे थे।
जैसे ही समीर ने हिना के बूब्स पर हाथ रखा, हिना ने एक आह की और चुम्बन छोड़ समीर से गले लग उसे कस कर पकड़ लिया मानो उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा।
मैं ये सब देख अपने कमरे के दरवाजे पर आ गयया और अपने कच्छे के ऊपर से अपना खड़ा लंड सहलाने लगा।
तभी हिना की नज़र उठी और उसने मुझे देखते हुए पकड़ लिया। उसकी तो मानो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई.. उसने मुझे लंड सहलाते हुए देखा.. एक बार उसकी नज़र मेरे लंड पर भी गई.. मैंने उसको देख कर एक स्माइल दी और फिर कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया।
करीब 15 मिनट बाद में बाहर निकला तो वे दोनों हाल में टीवी देख रहे थे। चाय सामने मेज पर रखी थी।
मुझे देखते ही समीर खुश हुआ और हम चाय पीने लगे।
अब मैं चोर नजरों से हिना से नजरें मिलाने लगा.. हम दोनों के बीच एक अलग तरह की खेल शुरू होने लगा था, एक दूसरे को देख कर हम समझने लगे थे.. उसका राज मुझे पता चल गया था… नजर मिलते ही वो शर्मा जाती और मैं बार बार उसे स्माइल देता!
रात हुई तो मैंने मूवी लगा दी और सभी बत्तियाँ बुझा कर हम तीनों फिल्म देखने लगे। मैंने और समीर ने जानबूझ कर हिना को बीच में बिठाया था… शायद अब वो भी इस खेल का आनन्द लेने लगी थी.. थोड़ी खुल गई थी… उसे एहसास होने लगा था कि घर से इतना दूर बंद कमरों में कुछ भी होगा तो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। शायद उसे मेरे ऊपर भरोसा होने लगा था।
सोफे पर तीन लोगों की जगह थी, काफी जगह थी लेकिन मैं और समीर जानबूझ कर थोड़ा हिना से चिपक कर बैठे थे।
थोड़ी देर बाद मुझे कुछ हरकत महसूस हुई, हिना थोड़ी असहज लगी मानो समीर को मना कर रही हो। मेरे दिमाग में कई तरह के ख्याल आने लगे, समीर हिना के चूचे दबा रहा है या वो उसकी कमर और जांघों पर हाथ फिरा रहा है… या कहीं उसने हिना का हाथ अपने लंड पर तो नहीं रख दिया?
तभी मैं हिना से बोला एक भरी से आवाज में बोल- क्या हुआ हिना.. सब ठीक है न?
हिना शर्मा गई और न चाहते हुए भी बोली- जी जी, कुछ नहीं!
अब मुझे मजा आने लगा था, सिर्फ हिना को लग रहा था कि जो हो रहा हो वो किसी को नहीं पता.. लेकिन मुझे और समीर को सब पता था… दोस्तो किसी को अपनी कामवासना में फ़ंसाना का समय सबसे कामुक होता है।
मैं धीरे से बोला- सब दिख रहा है मुझे हिना.. हा हा!
हिना बोली- ह्म्म्म!
मैं बोला- तुम्हारी जैसे सुन्दर और हूर को यही लंगूर मिला था… तुम्हें तो मेरे जैसा मर्द चाहिए लम्बा चौड़ा… यह तो किसी लायक नहीं!
दोस्तो, औरत में बस यही एक कमी होती है, उसे जब भी कुछ बेहतर मिलता है तो वो अपने आप पर काबू नहीं रख पाती और उसे पाने की कोशिश में सब खो देती है।
हिना बोली- हम्म.. ऐसा नहीं है.. समीर बहुत अच्छा है।
मैं बोला- नहीं.. एक तो वो तुम्हारा भाई है… दूसरा अपना हुस्न देखो और इसे देखो.. तुम्हारे लायक ही नहीं… तुम्हें मेरी होना चाहिए।
वैसे तुम्हें मैं कैसे लगता हूँ?
हिना फंस गई.. उसे ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी शायद क्योंकि समीर से बहुत अच्छा दीखता हूँ।
हिना- आप तो हीरो जैसे दिखते हो..
मैं- तुम कौन सी हिरोइन से कम हो हिना.. मेरी हो जाओ.. हम दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हैं।
ये सब बिल्कुल दबी आवाज में हो रहा था… उधर समीर भी हिना के जिस्म से खेल उसकी कामुकता को भड़का रहा था।
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तभी मैंने हिना के हाथ पर अपना हाथ रख दिया… पहले वो चौंक गई और मेरी तरफ देखा.. कुछ इंच का फासला था हमारे दरमियाँ…
हिना बोली- समीर के सामने नहीं!
मैं बोला- ठीक है मैं समझ सकता हूँ!
लेकिन मैंने उसका हाथ नहीं छोड़ा और धीरे धीरे उसका हाथ सहलाने लगा और वो भी मेरी तरफ झुक गई मानो प्यार में दोनों एक दूसरे में खोये!
समीर को बस हिना के जिस्म से मतलब था लेकिन मैं हिना के दिल में उतर रहा था।
इधर मैं हिना को प्यार की बातों में उतार रहा था, उधर समीर अपना काम कर रहा था.. तभी समीर ने हिना का हाथ अपने लंड पर रख कर उसे मुठ मारने को कहा।
हिना उसकी मुठ मारने लगी तो उसका शरीर हिलने लगा.. मुझे समझते देर न लगी और मैंने पूछ लिया- क्या कर रही हो हिना?
हिना शर्मा गई और ‘धत्त’ बोल कर चुप गई।
समीर अब सोफे पर पीछे होकर बैठ गया और हिना की मुठ मारने का मजा ले रहा था, हिना का शरीर अब मेरा था।
मैंने मौका देख हिना की कमर में अपना हाथ डाल दिया और वो भी एक माशूका की तरह मेरी छाती पर सर रख मुझमें खो रही थी पर उधर समीर का लंड भी हिला रही थी।
मैंने धीरे धीरे अपने हाथ से हिना की कमर पर सहलाना शुरू किया।
‘इस्श्ह्ह… ऐसा मत करो.. कुछ होता है मुझे…’ हिना बोली।
लेकिन मैं रुका नहीं… और फिर धीरे धीरे मैं हिना के पूरे जिस्म पर अपने हाथ को हल्के हल्के फिराने लगा.. वो हल्की छुवन कामवासना को बढ़ा रही थी, हिना की पकड़ मेरे हाथ पर अब कसने लगी थी, उसके जिस्म की आग अब भड़क रही थी।
तभी शायद समीर झड़ने वाला था और वो हिला.. तो हम अलग हो गए।
वो बोला- मैं अभी आता हूँ!
और वो बाथरूम में चला गया।
उसके जाते ही हम दोनों ने एक बार एक दूसरे की आँखों में देखा और फिर एक साथ एक दूसरे पर टूट पड़े.. जन्मों के प्यास की तरह एक दूसरे को चूस रहे थे, एक दूसरे को कस कर बाहों में ले चूमे जा रहे थे, मेरा हाथ हिना के जिस्म के हर कोने में घूम घूम कर उसका नाम ले रहा था।
जैसे ही मैंने उसकी चूचियों पर हाथ रखा.. एक बड़ी सी आह निकली हिना के मुख से- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह्ह्ह रोहित…
उसके निप्पल एकदम कड़क हो गए… मैंने हल्के से उनको दबाया तो हिना का पूरा शरीर अकड़ गया.. मैंने उसके होठों को चूसना शुरु कर दिया।
तभी दरवाजा खुलने की आवाज हुई और हम दोनों ठीक हो कर बैठ गए, दोनों की सांसें बहुत भरी हो चली थी।
मैंने समीर को इशारा किया और वो कुछ हिना के कान में बोला और फिर मुझे बोला- मुझे नींद आ रही है दोस्त, मैं चला सोने!
मैंने कहा- ठीक है, मैं और हिना तो फिल्म पूरी देख के ही सोएँगे.. क्यों हिना?
हिना ने मुझे एक कामुक मुस्कान दी और थोड़ा चहक कर समीर को बोली- हाँ भाई, मैं बाद में आ जाऊँगी.. तुम सो जाओ!
और समीर चला गया सोने!
कहानी जारी रहेगी।
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