भाभी की मचलती जवानी की प्यास
दोस्तो, मैं आपके सामने अपनी नई सच्ची सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ. मैं घटना का जिक्र आरम्भ करूँ, उससे पहले.. मैं अपने बारे में आपको बता देता हूँ. मेरा नाम दीपक है और मैं बदायूँ से हूँ. मेरी लम्बाई 5 फुट 7 इंच है. मैं अच्छी सेहत का मालिक हूँ.
यह कहानी मेरी नई भाभी की है, जिनकी शादी में शामिल होने के लिए मैं गांव आया था.
मेरी भाभी का नाम ज्योति है, उनका रंग दूध की तरह गोरा है, हाइट में वो मेरे कान तक हैं. उनका फिगर एकदम मस्त है. कटीली आँखें, गुलाबी होंठ, लम्बी गर्दन, एवरेस्ट और कंचनजंघा जैसे उनके मम्मे, पतली कमर और चौड़ी गांड किसी के लंड को खड़ा कर देने में एकदम सम्पूर्ण माल. जब भाभी चलती हैं, तो मैं चोर नजरों से उनकी गांड को देखता रहता और सबकी नजरें बचा कर अपने लंड को सहला लेता. अब तो मैं कभी कभी भाभी के नाम की मुठ भी मारने लगा हूँ.
एक दिन मैंने उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मुझे कोई भाव नहीं दिया. उनका रूखा और चिड़चिड़ापन देख कर मैं समझ गया कि इनकी चुदाई भैया ठीक से नहीं कर पा रहे हैं. जिसकी वजह से इनका मूड खराब है.
अब मैं भाभी को चोदने के सपने देखने लगा.
एक दिन मेरा ये सपना सच हुआ. उस दिन मेरी ताई जी ने मुझसे कहा- एक पंखा अपनी नई भाभी के कमरे में लगा दे… और मैं मन्दिर जा रही हूँ.
मैं बड़ा वाला फर्राटा लेकर उन कमरे में लगाने पहुँचा तो देखा कि भाभी सो रही हैं. मैंने उन्हें बिना जगाए पंखा उनके पैर की तरफ लगा कर स्विच ऑन कर दिया. पंखे की हवा का प्रेशर इतना तेज था कि उनकी साड़ी उड़ कर उनके पेट पर पहुंच गई.
उसके बाद का जो नजारा था, जिसे देख कर मेरे होश उड़ने लगे. भाभी ने गुलाबी रंग की जालीदार पेन्टी पहनी हुई थी. जिसमें अन्दर का नजारा साफ दिखाई दे रहा था. उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. भाभी की चूत एकदम चिकनी दिखाई दे रही थी.
पंखे की आवाज से भाभी जाग गईं और जल्दी से अपनी साड़ी ठीक करने लगीं.
मैं कमरे से वापस जाने के लिए मुड़ा, तभी भाभी ने मुझे रोक लिया, मुझे अपने पास बुलाया और कहा कि जो तुमने देखा वो किसी से कहोगे तो नहीं?
मैंने शरारत भरी निगाह से उनकी ओर देखा.
भाभी भी मुझे गर्म मूड में दिखीं, शायद इससे पहले वे कोई चुदाई का हसीन सपना देख रही थीं, जिस कारण उनकी आँखों में मुझे वासना दिख रही थी.
मैंने उनकी तरफ देखा कि भाभी का ब्लाउज भी ऊपर से खुला हुआ था. उनके बड़े गले के ब्लाउज में से उनकी चूचियों की दूधिया घाटी मेरे लंड को आतंकवादी बनाने पर तुली थी.
मैंने भाभी के सामने लंड सहलाते हुए कहा- भाभी एक शर्त पर.. अगर आप मुझे पास से अपनी चूत देखने दें तब.
भाभी ने मेरे फूलते लंड को एक पल के लिए देखा और अपने पल्लू को ढुलका कर मेरी तरफ झुक कर अपनी मारू जवानी के दीदार कराते हुए मुस्कुराने लगीं.
फिर भाभी बोलीं- आप ये क्या कह रहे हो.. क्या आपने मेरी वो देख ली है?
मैंने खुलते हुए कहा- हां भाभी अभी तो आपकी चुत एक जालीदार पैकेट में देखी थी.. एकदम सफाचट चूत सी दिख रही थी.. इसीलिए तो मेरा लंड बेकाबू सा हो गया है.
मैंने भाभी के सामने जानबूझ कर लंड चूत शब्द का प्रयोग करते हुए अपने लंड को मसल कर उनके सामने अपनी चुदास बिखेरी थी, ताकि भाभी के मन भी यदि कोई आग है तो वो और भड़क जाए.
पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन मेरे बार-बार कहने पर वो मान गईं. उन्होंने कहा कि पहले दरवाजा बन्द कर दो, वर्ना कोई आ जाएगा.
मैंने उनको बताया कि ताई जी मन्दिर गई हैं.
मैंने दरवाजा बन्द कर दिया और जल्दी से बेड पर आकर उनके पास बैठ गया. मैंने भाभी के होंठों के एकदम करीब आते हुए सरगोशी से कहा- भाभी जी, अब अपनी वो दिखाओ न.
उन्होंने मेरे होंठों की तरफ दूर से अपने होंठ चुम्बन की मुद्रा में बनाए और कहा- क्या दिखाऊं?
मैंने भी होंठों गोल करके कहा- ऊंहा.. भाभी अपनी चुत दिखाओ न?
भाभी बोलीं- सिर्फ देखना है न..!
मैंने कहा- पहले माल तो दिखाओ मेरी जान, आगे का खेल तो बाद में होगा.
भाभी ने बैठे बैठे इठलाते हुए अपनी साड़ी ऊपर को कर दी.
आह.. क्या अहसास था वो, मैं भाभी की चुत की झलक दूर से तो पहले ही देख चुका था लेकिन पास से भाभी की सफाचट चुत देखने का मजा ही अलग था.
मैंने भाभी से कहा- मैं इसे छूकर देख सकता हूँ?
भाभी ने पीछे टिकते हुए अपनी टांगें पसार कर कहा- जो करना है जल्दी करो मेरे प्यारे देवर जी.
मैंने भाभी की पेन्टी के ऊपर से ही उनकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. भाभी ने मदमस्त मजे का अहसास करते ही अपनी आंखें बन्द कर लीं.
मैंने एक हाथ उनके मम्मों पर रख दिया और भाई के रसभरे चूचों को दबाने लगा.
भाभी के मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
उनकी पेन्टी गीली हो चुकी थी, तभी मैंने एक उंगली उनकी चूत में घुसा दी, जिससे वो चिहुँक उठीं. अब उनके मुँह से कामोत्तेजक आवाजें निकलने लगीं. जिसे सुन कर मेरा लंड अन्डरवियर के अन्दर ही कुतुबमीनार बना जा रहा था.
मैंने देर न करते हुए उनके अधखुले ब्लाउज को उनके शरीर से अलग कर दिया. अन्दर वो लाल रंग की जालीदार ब्रा पहने थीं, जिसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थीं. मैंने उनकी ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया.. और एक उंगली उनकी चूत में करने लगा.
भाभी ने अपनी चुत एकदम से खोल दी और मेरी फिंगर फक का मजा लेने लगीं. कुछ देर बाद भाभी का शरीर अकड़ने लगा. मैंने अपनी उंगली उनकी चुत में पेलने की रफ्तार बढ़ा दी. भाभी भी कमर चला कर मेरा साथ देने लगीं. उनके मुँह से लगातार मादक सिसकारियां निकल रही थीं, जिनसे कमरे का वातावरण और भी सेक्सी हो गया था.
मैंने भाभी से कहा- डार्लिंग अपनी ब्रा खोल दो और मेरे मुँह में अपना निप्पल दो..
भाभी ने झट से अपनी ब्रा का हुक खोल दिया और अपने उछलते हुए मम्मों को बड़ी मस्ती से मेरे सामने एक बार हिला दिए. मैंने लपक कर एक मम्मे को अपने मुँह में भर लिया. इस बीच मेरी उंगली लगातार भाभी की चुत को चोदे जा रही थी. भाभी की चुत अब बहुत रसीली हो गई थी और मेरी उंगली सटासट चुत में अन्दर बाहर ही रही थी. साथ ही मैं उनके मम्मे चूस रहा था.
उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया उनकी सांस तेज हो गई और उनकी चूत से कामरस की धारा बहने लगी. वो हांफने लगीं. उनका हाथ मेरे लंड पर आ गया था. उनकी चुदास बहुत बढ़ चुकी थी. मैंने एक हाथ से अपना खड़ा लंड निकाल कर उनके सामने कर दिया. मेरे बड़े लंड को देख कर भाभी की नजरें एकदम से खुश हो गईं. भाभी ने बिजली की फुर्ती से मेरे लंड को अपने हाथ में भर लिया.
अब भाभी ने अपनी जीभ अपने होंठों फिराने लगीं, मैं समझ गया कि भाभी को लंड चूसना है. मैंने उनकी चुत से उंगली बाहर निकाली और स्थिति बनाते हुए उनके मुँह की तरफ लंड कर दिया. भाभी ने झट से अपने मुँह में मेरा लंड भर लिया और चूसने लगीं.
भाभी के मुँह की गरमी पाकर मैं सातवें आसमान पर था. फिर हम ओरल सेक्स के लिए 69 की पोजीशन में आ गए. वो मेरा लंड लॉलीपॉप की तरह चूस रही थींलंड लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं और मैं उनकी चूत का मादक रस निचोड़ रहा था.
भाभी ने लंड को चूसने की स्पीड बढ़ा दी, जिससे मेरे शरीर मे करंट सा दौड़ने लगा.
करीब पांच मिनट की लंड चुसाई के बाद ही मेरे लंड ने तेज धार के साथ अपना लावा उगलना शुरू कर दिया, जिसे भाभी पूरा पी गईं.
इधर मैं पूरे जोश में भाभी की चूत चाट रहा था, सो भाभी ने भी अपनी चूत से कामरस की नदी बहा दी. भाभी के चुत रस की एक भी बूँद को बेकार किए बिना सारा रस मेरे हलक के नीचे उतर गया.
अब हम दोनों एक बार स्खलित हो चुके थे. सो कुछ शिथिल जरुर हो गए थे, लेकिन चुदाई की आग और बढ़ गई थी.
मैं सीधा हो कर भाभी से लिपट गया और दो मिनट हम लोग अपनी साँसों को काबू में करते रहे.
इसके बाद मैंने भाभी के कपड़े पूरी तरह से अलग किए और अपने कपड़े भी उतार कर उनके ऊपर चढ़ गया, भाभी ने भी अपनी बांहें पसार कर मुझे अपने आगोश में भर लिया.
मेरे लंड में तनाव आ गया था सो मैंने भाभी की टांगों को खोल कर लंड के सुपारे को उनकी चूत के मुहाने पर रख दिया और लंड को चूत पर रगड़ने लगा. जिससे भाभी फिर सिसियाने लगीं, भाभी मुझे चूमते हुए बोलीं- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है जान, अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दो और चोद डालो मुझे.. आह.. चोद डालो..
मैंने लंड को चूत पर रख धक्का लगाया, जिससे आधा लंड चूत के अन्दर चला गया. मेरा मोटा लंड भाभी की चुत में जैसे ही घुसा, वो चिल्ला दीं- आह.. उई माँ फट गई मेरी चूत.. साले.. भोसड़ी के.. जरा धीरे कर..
मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और अगला धक्का मार कर अपने मोटे लंड को भाभी की चूत की गहराई में बैठा दिया.
भाभी के मुँह से घुटी सी चीख निकली. लेकिन मैंने बिना रहम दिखाए हुए उनको दबोच रखा था. भाभी मेरे नीचे पिसने लगी थीं. मैंने धक्के लगाना चालू रखे. कुछ ही देर में भाभी चिल्लाने लगीं- आह.. तेज और तेज.. अअअ.. अहहहहहइ.. मैं मर गई.. जोर से चोदद.. और चोदद..
मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और भाभी की चूत ने उछल उछल कर लंड को गपागप खाना शुरू कर दिया.
कुछ मिनट की धकापेल से भाभी की चुत से रस का फुव्वारा छूट पड़ा और वे झड़ गईं. मेरे लंड को गरम पानी का अहसास हुआ लेकिन मेरे लंड में अभी भी आग थी सो मैंने भाभी की चुत की चुदाई जारी रखी.
अब भाभी चूत से ‘फच.. फचफच..’ की आवाजें आने लगीं. मैंने धक्के चालू रखे, कुछ देर बाद भाभी फिर से झड़ गईं.
अब मेरा शरीर भी अकड़ने लगा था. मैंने स्पीड और बढ़ा दी और भाभी की चूत में ही झड़ गया. हम दोनों कुछ देर बेड पर पड़े हांफते रहे, भाभी मेरी पीठ को सहलाती रहीं और मुझे गर्दन पर चूमती रहीं.
कुछ देर बाद फिर मैंने भाभी के मम्मों को चूसना शुरू कर दिया. भाभी फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गईं. हमने फिर से हाहाकारी चुदाई शुरू कर दी और अबकी बार बहुत देर तक चुदाई का मजा लिया.
चूंकि घर में ताई भी नहीं थीं, सो हम दोनों बिंदास चुदाई का मजेदार खेल खेलने में लगे रहे. उस दिन मैंने भाभी को तीन बार चोदा, जिसमें वो पूरी तरह संतुष्ट हो गई थीं. उनकी चूत सूज कर फूल गई थी. हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए.
मैंने भाभी को फिर बांहों में भर लिया, वो बोलीं- अभी मन नहीं भरा क्या?
मैंने कहा- भाभी, तुम हो ही इतनी मस्त कि मन भर ही नहीं सकता.
वो बोलीं- मैं तो यहीं हूँ, जब चाहो तब अपनी इच्छा पूरी कर लेना.
मैंने उन्हें किस किया और नीचे आ गया.
ये थी मेरी सच्ची सेक्स कहानी, आपको कैसी लगी. आप अपनी राय अवश्य भेजें.
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