भाभी ने चूत चुदवा कर की फीस भरी
दोस्तो.. अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पर यह मेरी पहली कहानी है। लेकिन मैं अन्तर्वासना का बहुत पुराना पाठक हूँ। मैंने इसकी लगभग सारी कहानियाँ पढ़ी हैं।
हिन्दी सेक्स स्टोरी पढ़ने की वजह से कई बार मेरे मन में अपनी कहानी लिखने का ख्याल आया लेकिन मैंने इसे नहीं लिखा। पर आज कुछ ऐसा हुआ कि मैं अपनी कहानी लिखने बैठ गया।
मैं राज.. दिल्ली का रहने वाला हूँ, वैसे तो मेरा बॉडी मसाज का काम है और मैं बहुत सारी लड़कियों, आंटियों और भाभियों की चुदाई कर चुका हूँ लेकिन दिखाने के लिए मैंने एक डाक्यूमेंटेशन सेंटर भी खोल रखा है.. जहाँ मैं अपने क्लाइंट से मिलता हूँ। कुछ लोग अपने कागज वगैरह भी बनवाने आते हैं।
एक दिन मैं अपने ऑफिस में अकेला बैठा हुआ था, एक माल सी लगने वाली भाभी आई। वो एक डाक्यूमेंट के बारे में बहुत परेशान लग रही थी कि उनका वह कागज़ नहीं बन रहा है।
उसने कहा- अगर आप कुछ ले देकर मेरा कागज बनवा सको तो बड़ी मेहरबानी होगी, मुझे खर्चा भी बता दो।
मैंने कहा- ठीक है आप अपने सारे कागज़ लेकर आएं और मुझे अपना नम्बर दे दीजिए।
वो अपने पति का नम्बर देकर और कल आने बोल कर चली गई।
वो दूसरे दिन नहीं.. तीसरे दिन आई और बोली- आप कागज देख लीजिए।
मैंने कागज चैक किए और उसे फीस बताई तो वह कहने लगी- मैं तो इतना नहीं दे सकती।
मैंने पूछा- कहाँ तक ‘दे’ सकती हो?
वो मेरी डबल मीनिंग बात से शरमा गई, बोली- देख लीजिए.. कुछ हो सके तो?
काम के बदले भाभी की चूत
मैंने बोला- ठीक है.. लेकिन अगर मैं आपके लिए कुछ करूँगा तो आपको भी मेरे लिए कुछ करना पड़ेगा।
उसने पूछा- क्या करना पड़ेगा?
तो मैंने कहा- फिलहाल तो दोस्ती करनी पड़ेगी।
उसने हँस कर पूछा- कैसी दोस्ती?
मैंने कह दिया- प्यार वाली दोस्ती।
दोस्तो, मैंने बहुत सारी महिलाओं को चोदा है.. और मेरी बहुत सी क्लाइन्ट मुझे मजे के साथ पैसा भी देती हैं, लेकिन वो इतनी सुन्दर थी कि मैं उसको चोदने का लालच छोड़ नहीं पाया।
जब मैंने उसे इतना खुला ऑफर दिया तो वो बोली- मैं सोचकर बताऊँगी।
मैंने कहा- कुछ एडवांस तो दे जाइए।
तो उसने अपने होंठ आगे कर दिए, मैं खुश हो गया और मैंने उस दिन एक किस करके उसे जाने दिया।
तीन-चार दिन बाद उसका फोन आया, उसने कहा- ठीक है.. मैं आपको संडे को मिलूंगी.. क्योंकि मेरे पति संडे को कहीं बाहर जा रहे हैं।
मैंने कहा- ठीक है दोपहर के बाद ऑफिस में आ जाना।
मैं संडे को अपनी झाँटें वगैरह साफ करके ऑफिस पहुँच गया और उसका इंतजार करने लगा। वो लगभग दो बजे के आस-पास आई। संडे होने के कारण ऑफिस बन्द था और कोई कस्टमर भी नहीं था, मार्केट में दुकानें भी इक्का-दुक्का ही खुली थीं, मैंने अपने ऑफिस का शटर आधा ही खुला रखा था।
भाभी चूत चुदवाने आई
उसने शटर खटखटाया तो मैंने शीशे का ग़ेट खोलकर उसे वैसे ही बुला लिया और शटर अन्दर से लॉक कर दिया। उसके बाद मैं उसकी तरफ मुड़ा और कंधों से पकड़ कर उसे अपने साथ चिपका लिया, पहली बार वह थोड़ा शरमा रही थी।
उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए मैं उसके गोल-मटोल चूतड़ों को भी सहलाने लगा।
धीरे-धीरे हम आगे बढ़ने लगे और मैंने उसकी चूचियाँ पकड़ लीं, फिर मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी मस्त चूचियाँ दबाने लगा।
मैंने चूचियाँ दबाते हुए उसका ब्लाउज खोल दिया, उसके बाद उसकी साड़ी और पेटीकोट भी निकाल दिया, अब वह सिर्फ ब्रा और पैंटी में रह गई थी।
फिर उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए और मुझे पूरा नंगा कर दिया।
मेरी चड्डी उतरते ही मेरा केले की तरह तना हुआ लंड बाहर आ गया। मैंने भी उसकी ब्रा और पैंटी उतार कर उसे पूरी नंगी कर लिया और सोफे पर उसे लिटा दिया।
उसके बाद मैंने उसकी चूचियाँ चूसनी शुरू कर दीं, वो बहुत जोर जोर से सिसकार रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… उन्न.. न्न.. .. न्नह्हह.. आआआ.. अह.. ऊउह्ह.. और चूसो आ..ह्ह..’
थोड़ी ही देर में वो भाभी पूरी गर्म हो गई और मेरा लंड पकड़कर सहलाने लगी। फिर मैं खड़ा होकर अपना लंड उसके मुँह के पास ले गया.. जिसे उसने झट से अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी, मैं धीरे-धीरे कमर आगे-पीछे करके भाभी के मुँह को अपने लंड से चोदने लगा।
अब उसको भी चुदाई की खुमारी चढ़ने लगी थी। उसके बाद तो जैसे दोनों को होश ही नहीं था, वो आवाजें निकालने लगी, मैंने अपना लंड उसके मुँह से बाहर निकाला और घूमकर उसके पैरों के पास आ गया, उस भाभी ने अपनी टाँगें चौड़ी करके मेरे लंड को आमंत्रित किया।
मैंने उसकी चूत के अपने लंड के निशानने पर लिया और एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर डाल दिया, उसके मुँह से ‘आ.. हह्ह्ह..’ की आवाज निकली, चूत के गीली होने की वजह से मेरा पूरा लंड सरसराता हुआ अन्दर चला गया।
भाभी भी पूरे जोश में थी.. वो नीचे से चूतड़ उठाने लगी, उसके मुँह से अजीब-अजीब आवाजें निकल रही थीं ‘आ.. ह्ह्ह्ह.. ओ.. ह्ह्ह्ह चोदो.. और जोर से ह्म्म्म्म.. आ.. ह्ह..’
कुछ देर के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब भाभी पूरी मस्ती में थी और मस्ती में सीत्कार कर रही थी ‘हाँअन राजाआ.. ऐसेईईए इसस्सह.. और जोर से चोदो.. फाड़ दो चूत को आज.. आज कुछ भी हो जाए.. लेकिन मेरी चूत फाड़े वगैर मत छोड़ना.. आआआअह..’
वो नीचे से कमर उठा उठा कर चिल्ला रही थी और बड़बड़ा रही थी।
कई मिनट की धुआंधार चुदाई के बाद भाभी झड़ने वाली हो गई, वो गांड उठा-उठा कर मुझसे चिपकने लगी.. इसी के साथ मेरा भी होने वाला हो गया।
मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
तो भाभी बोली- अन्दर ही झड़ जाओ।
थोड़े से धक्कों के बाद मेरा पानी अन्दर ही छूट गया और भाभी भी एकदम चिपक गई।
इसके बाद मैंने उसे कई बार चोदा।
उसके बाद भाभी जहाँ काम करती थी.. उसकी मदमस्त लेडी मैनेजर को भाभी ने मुझसे चुदवाया।
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