सड़क पर मिली एक आंटी की फड़कती चूत

सड़क पर मिली एक आंटी की फड़कती चूत

दोस्तो.. मेरा नाम प्रवीण है। मैं 35 साल का अहमदाबाद में रहने वाला शादीशुदा इंसान हूँ। यह मेरी पहली और एकदम सच्ची कहानी है। अगर कोई भूलचूक हो तो कृपया माफ़ कर दीजिएगा।

बात कुछ 4 साल पुरानी है। मैं अपनी फैक्ट्री से अपने से शाम के 8 बजे घर जाने को निकला। मैं अपने घर के नज़दीक ही बस स्टॉप के पास से गुजर रहा था कि एक आंटी, जिनकी उम्र करीब 45 साल की होंगी.. वो बस स्टॉप के पास खड़ी थीं। शायद ऑटो रिक्शा का इंतज़ार कर रही थीं।

मैं वहाँ उनके करीब से गुज़र ही रहा था कि उन आंटी ने मेरे सामने कुछ हसरत भरी निगाह से देखा। मैंने अपनी बाइक रोक कर उन्हें अपने पास आने का इशारा किया। वो मेरे पास आई तो मैंने उन्हें बाइक पर बिठा लिया और वो भी बाइक पर मुझसे चिपक कर बैठ गईं।

उनके मम्मे बहुत ही बड़े-बड़े थे। वो मेरी पीठ में दब रहे थे। रास्ते में चलते-चलते ही बातें हुईं। उन्होंने अपना नाम वर्षा बताया। मुझे जाने क्या सूझा कि मैंने अचानक ही उनके मम्मों की तारीफ़ कर दी।
‘आंटी आपके मम्मे बहुत ही मस्त हैं.. और मुझे कुछ-कुछ सा होने लगा है।’

मेरी इसी बात पर वो हँस दीं। मैं समझ गया कि लाइन क्लियर है।

कुछ ही समय में उनके उतरने का स्थान आ गया। मैंने देखा कि वो भी वहीं रहती थीं.. जिस एरिया में मैं रहता था।
उनकी कॉलोनी मेरे घर से कुछ ही दूरी पर थी, मैंने उन्हें वहाँ तक ड्रॉप किया और अपना मोबाइल नंबर एक परची पर लिख कर दे दिया।
इसके बाद मैं अपने घर आ गया।

रात को खाना खाने के बाद मैं छत पर टहल रहा था कि मेरे मोबाइल पर एक मिस कॉल आया। मैंने कॉल किया तो वही आंटी बोल रही थीं।
मैंने आंटी से कुछ फॉर्मल बातें की।
वो एक विधवा औरत थीं.. उनके 2 बेटे थे।
करीब एक हफ्ते तक यूं ही बातों का सिलसिला चलता रहा।

फिर एक दिन हमने मिलने का प्रोग्राम बनाया और मैं उनको अपनी बाइक पर बिठा कर लम्बी ड्राइव पर ले गया।

रिंग रोड के नज़दीक एक सुनसान सड़क पर हम लोग रुक गए और बाइक पर ही बैठ गए। हम दोनों कुछ बातें कर रहे थे कि अचानक ही उन्होंने मुझे पकड़ लिया और कसके गले से लगा लिया।

मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया था, हमारे होंठ आपस में जुड़ गए, काफ़ी लंबे समय तक हम लोग एक-दूसरे को चूमते रहे।

फिर मेरे अपना हाथ उनके ब्लाउज में डाल दिया और उनके बड़े-बड़े चूचे दबाने लगा।
वो भी काफ़ी गर्म हो चुकी थीं।

उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया और पैन्ट के ऊपर से ही सहलाने लगीं।
मैं तो सातवें आसमान पर उड़ने लगा।

काफ़ी समय के बाद मुझे लगा कि मैं अपनी पैन्ट में ही झड़ जाऊँगा.. मैंने उन्हें अपने बाइक पर से नीचे उतार दिया और अब वो मेरे सामने खड़ी थीं।

मैंने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल कर अपना लम्बा लंड बाहर निकाल कर उनके हाथ में थमा दिया। वो बड़े प्यार से उसे सहलाने लगीं.. फिर धीरे से झुक कर अपने मुँह में ले लिया।
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मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, बहुत देर तक उन्होंने मेरा लंड चूसा।

कुछ ही पलों बाद मुझे लगा अब मैं झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने उन्हें अपना मुँह हटाने को कहा.. मगर वो मानने को तैयार ही नहीं थीं।

एक जोरदार पिचकारी मेरे लंड से निकल कर सीधे उनके गले में पहुँच गई। वो भी बिना किसी हिचकिचाहट मेरे वीर्य को पीती चली गईं, फिर अपनी जीभ से मेरे लंड को चाट-चाट कर साफ़ कर दिया और मेरे सामने खड़ी हो गईं।

अब उन्होंने मुझसे कहा- तुम्हारा तो हो गया.. अब मेरा क्या होगा?
मैंने कहा- यह जगह चुदाई के लिए सही नहीं है.. कोई भी आ सकता है।

वो अपनी चुदाई की प्यास वजह से कुछ उदास हो गईं।
मुझे भी कुछ बुरा सा लग रहा था कि मेरा काम तो हो गया, मगर इनका क्या होगा?

मैंने उन्हें कहा- आप मेरे लंड को फिर से तैयार कर दो।

उन्होंने बिना समय गंवाए तुरंत ही मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लग गईं।

कुछ ही पल में मेरा लंड फिर से लोहे के रॉड की तरह तन गया।
मैंने उन्हें बाइक पर हाथ रख कर झुक जाने को कहा, वो थोड़ी हिचकिचाहट के बाद मान गईं।

वहीं उन्हें मैंने बाइक पर घोड़ी बना कर उनकी साड़ी उनकी गांड तक ऊपर कर दी और पीछे से अपना लंड डाल दिया। ज़ोर से झटका देने की वजह से वो ज़ोर से चिल्ला पड़ीं- आआयईईईई.. मार डालेगा क्या?

मैंने भी धीरे-धीरे से पीछे से धक्का देना चालू कर दिया और साथ-साथ उनके बड़े-बड़े मम्मे भी दबाता चला गया।

अब उनकी चूत से पानी बहना चालू हो गया, वो भी साथ देने लग गईं।
वो पीछे.. और मैं आगे धक्का देने लगे।

उन्हें काफ़ी मज़ा आ रहा था.. वो चुदाई करते हुए चिल्ला रही थीं- आह्ह.. ज़ोर से और ज़ोर से करो.. बस करते ही रहो.. आआहह.. ज़ोर-ज़ोर से चोद राजा.. आह्ह.. बड़ा मज़ा आ रहा है.. बहुत महीनों बाद किसी का लंड मेरी चूत में गया है.. आह्ह फाड़ दे मेरी चूत..

चूंकि मैं एक बार झड़ चुका था तो अबकी बार झड़ने में बहुत समय लग रहा था। वो भी पीछे की ओर धक्के मार-मार कर थक गई थीं.. और एक बार झड़ चुकी थीं।

वो बोल रही थीं- अब बस भी कर..

मगर मैं झड़े बिना कैसे निकल जाता।

कुछ देर और धक्के देने के बाद मैं भी झड़ने वाला था। मैंने उनसे पूछा- कहाँ निकालूँ?
तो उन्होंने कहा- मेरी चूत में ही निकाल दे.. बहुत समय से मेरी चूत ने वीर्य का स्वाद नहीं चखा।

थोड़ी देर में मैंने भी अपना लावा उनकी चूत में छोड़ दिया और उनको संतुष्ट कर दिया।

चुदाई के बाद दोबारा मिलने का वादा कर के हम लोग वापस आ गए।

आंटी को फिर मैंने कई जगहों पर ले जाकर बहुत बार चोदा। एक बार स्लीपिंग कोच वाली लग्जरी बस में अहमदाबाद से सूरत ले गया था।
वहाँ पर पूरी रात हमने 5 बार चुदाई की थी।

वो कहानी अगली बार बताऊँगा, फिलहाल के लिए बस इतना ही!

दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी? अपनी राय मुझे ज़रूर बताईएगा।
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