मामा से चुदाई की भानजी की व्यथा कथा-1
नमस्कार दोस्तो… मेरी पिछली कहानी
गलतफहमी
और
सम्भोग से आत्मदर्शन
को आप लोगों का भरपूर प्यार मिला, जिसके लिए मैं आप सबका आभारी हूँ।
मेरे कहानियों को पढ़ कर आप लोगों के बीच का ही एक पाठक रोनित राय अपनी भी एक हिंदी एडल्ट कहानी प्रकाशित करवाने की चेष्टा करने लगा। फिर उसने मेरे कहने पर छोटे-छोटे हिस्सों में मुझे अपनी कहानी हिन्दी में लिख भेजी, जिसे संकलित कर मैं आप लोगों के बीच उपस्थित हुआ हूँ।
अतः यह उसी की बताई कहानी है जिसमें मूलतः उसी की पटकथा और विचार हैं। कहानी की सच्चाई या शब्दों से मेरा कोई वास्ता नहीं है, इस कहानी के लिए मैं केवल एक माध्यम हूँ, तो आइये उसी के शब्दों में कहानी का आनन्द लीजिए.
नमस्कार दोस्तो, मैं रोनित जयपुर, राजस्थान से हूँ। सबसे पहले मेरी ओर से सभी चूत और लंडों को प्रणाम! आज मैं आप सब लोगों के सामने अपनी एक सच्ची कहानी पेश करने जा रहा हूँ, आशा करता हूं कि आप सब को यह पसंद आएगी। यह मेरी अन्तर्वासना पर पहली कहानी है, आप सबसे कहानी पढ़ने और मेरे प्रथम प्रयास पर सहयोग की अपेक्षा करता हूं.
मैं कॉलेज छात्र हूँ, दिखने में तो मैं एक साधारण सा नौजवान हूँ, परंतु एक नंबर का चोदू भी हूँ। वैसे हाईट हेल्थ हिन्दी में बोलें तो कद काठी अच्छी है पर ज्यादा स्टाइल और दिखावा ना करके साधारण लाईफ स्टाइल को पसंद करता हूँ। फिलहाल मैं अपने परिवार के साथ ही जयपुर में रहता हूँ।
मैं अपने बचपन से ही हर चीज जानने का इच्छुक रहता था। और इसी के चलते मुझे जवानी की शुरुआत से ही अंग्रेज़ी फ़िल्म देखने और उसे देख कर मुठ मारने का शौक रहा है इसिलए मेरा लंड काफी बड़ा और मोटा है। लगभग सात इंच मोटाई और तीन इंच घेरे वाला सांवला सा लंड है, गोलियां भी बड़ी सी तनी हुई रहती हैं, और मेरा गुलाबी रंगत लिए हुए सुपारा तो किसी भी महिला को दीवाना बना सकता है।
यह कहानी मेरी और नेहा की है।
बात उन दिनों की है जब मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ता था। हमारे स्कूल में लड़के लड़कियां एक साथ पढ़ते थे, वो मेरे ही क्लास में पढ़ती थी, जिसकी मैं बात कर रहा हूं और जिसका नाम नेहा था। दिखने में वो काफी सुंदर, हाट और माल टाईप आइटम थी, तीखे नैन-नक्श वाली उस लड़की का गोरा बदन, बाल रेशमी, होंठ गुलाबी और शबनमी कटार जैसी आँखें थी, जिस पर वो काजल का शृंगार करके और भी गजब ढाने लगती।
कम उम्र के बाद भी उसके मोटे-मोटे ऊपर की ओर ताकते स्तन, और मोटी सी भरी हुई पूर्ण गोलाई लिये हुए गांड एकदम से क़यामत ही ढा देती थी। उसका फिगर यही कोई 32.28.34 के लगभग रही होगी।
वो मुझे शुरुआत से ही काफी अच्छी लगती थी।
वो और उसका परिवार मेरे घर के पास ही रहते थे। हमारे पड़ोस में उन्हें शर्मा फैमिली के नाम से जानते हैं। उन्हें यहाँ रहते अभी कुछ तीन साल ही हुए हैं। उनके घर में वो तीन मेंबर है माँ बाप और एक बेटी।
नेहा बिल्कुल सादगी के साथ रहती है, उसका बदन जरूर कामुक है, पर वो पढ़ने में काफी कमजोर है। हम पड़ोसी तो थे ही, जिसके कारण हम दोनों में लंबे समय से दोस्ती थी। मैं पढ़ाई में काफी होशियार था इसलिए वो कई बार मेरे घर मुझसे पढ़ाई के सिलसिले में कुछ पूछने आ जाया करती थी। हम दोनों एक ही टीचर से विज्ञान की ट्यूशन क्लास लिया करते थे। विज्ञान वाले टीचर का घर, हमारे घर से तकरीबन एक किलोमीटर की दूरी पर था। हम दोनों घर से पैदल ही साथ में जाया करते थे।
नेहा अकसर हमारे घर आती जाती रहती थी, पड़ोसी होने के नाते ये आम बात थी। और वो मुझसे कभी कभार अपनी बुक भी चेक करवा लिया करती थी।
ऐसे ही रविवार के दिन नेहा मेरे घर पर आई और कहा- रोनित, मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए।
मैंने कहा- बोलो, मैं तुम्हारी क्या हेल्प कर सकता हूँ?
उसने कहा- मुझे एक सवाल का हल जानना है, मुझे लगता है तुम मेरी मदद कर सकते हो।
मैंने कहा- कहो ना क्या जानना है, मुझे अच्छा लगेगा अगर मैं तुम्हारे किसी काम आ सका।
तब उसने कहा- जब घर पर कोई नहीं हो, तब तुम मुझे कॉल करना।
मैं थोड़ा असमंजस में था कि क्या बात होगी। और खुश भी था क्योंकि लड़की जब अकेले में मिलने की बात कहे तो आपकी लाटरी लग सकती है।
मैंने स्माईल के साथ ओके कहा।
फिर उसने अपना मोबाइल नम्बर दिया, उसका मोबाइल नं. मेरे पास पहले से था पर उसने मुझे कोई दूसरा नं. दिया और कातिल सी मुस्कान देकर चली गयी।
मैंने उसे दोपहर में कॉल किया, उस वक्त मेरे घर पर कोई नहीं था।
उसने खुश होकर कहा कि वह मेरे घर आ रही है।
अब मैं उसके आने का बेसब्री से इंतजार करने लगा।
वो मेरे घर आ गई और साथ में एक विज्ञान की पुस्तक लेकर आई। पुस्तक देख कर मुझे लगा कि पढ़ाई की कोई बात होगी। मैंने कहा- नेहा बताओ क्या परेशानी है?
वो बोली- रोनित, मुझे यह बताओ कि यह मासिक धर्म क्या होता है?
मुझे अजीब सा लगा क्योंकि वो लड़की होकर भी मुझसे मासिक धर्म के बारे में पुछ रही थी। फिर मेरा दिमाग घूमा, शायद ये मुझसे कुछ और चाहती है।
मैंने दिल की बात दिल में ही रहने दी और कहा- तुम्हें क्यों पता करना है मासिक धर्म के बारे में! और ऐसे भी तुम लड़की हो तो तुम्हें तो सब पता ही होगा।
फिर उसने जो कहा, वह सुन कर मैं डगमगा गया और लगभग गिरने जैसी हालत हो गई।
उसने कहा- मुझे मासिक धर्म आने बंद हो गये हैं, मुझे लगता है कि मैं प्रेगनेंट हूँ। क्योंकि मासिक धर्म कबसे नहीं आ रहा है मैं ये भी जानती हूँ। लेकिन तुमसे मासिक धर्म के बारे में सब जान कर कंफर्म करना चाहती हूँ।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या बोलूं… मैंने उससे पूछा- तुम प्रेगनेंट कैसे हो गयी?
जब उसने मुझे अपनी आप बीती बताई तब मुझे ऐसा लगा कि संसार में लड़कियां सुरक्षित ही नहीं हैं।
मैंने नेहा को कहा- तुम अगर मुझे अपना सच्चा दोस्त मानती हो तो सब खुल कर बताओ।
तब नेहा ने मुझे कसम दी कि वो मुझे सब बतायेगी पर मैं किसी और को ना बताऊँ!
मैंने नेहा की बात पर हाँ कहा।
फिर उसने उदास होकर बताना शुरू किया:
तुम तो जानते ही हो कि मेरे पिताजी का कपड़ों का कारोबार है और मेरी माँ हाउस वाइफ है। मेरी बात त्योहार की छुट्टियों से शुरू होती है। दीवाली का टाइम था, जब मेरे मामा कैलाश जी दीवाली पर घर आये हुए थे, वो माँ से काफी छोटे हैं, उनकी शादी भी नहीं हुई थी, दिखने सोचने समझने में तो ठीक लगते हैं, पर उन्हें संगत के कारण ड्रिंक करने की लत लग गई है। वो काफी हैंडसम और मजबूत के शरीर वाले इंसान हैं। वे बिल्कुल वैसे ही हैं जैसा ज्यादातर औरतें चाहती हैं। उनको माँ और घर वाले प्यार से छोटू बुलाते हैं, उनकी उम्र लगभग 30 की होगी।
मैं शुरू से ही मामा जी की लाडली रही हूँ, वो मेरी हर जिद पूरी करते मेरा पूरा ध्यान रखते थे। पर अब वो बाहर रहते हैं तो ज्यादा मुलाकात नहीं हो पाती, पर अभी वो छुट्टी मनाने हमारे घर आये हुए थे, वो आकर हम सबसे मिल रहे थे उसी वक्त उन्होंने मुझे माथे पर चूमा और बोले- मेरी गुड़िया काफी बड़ी हो गई है।
माँ ने कहा- हाँ, हो गई है… पर तुम यहाँ बाहर ही खड़े रहोगे, या अंदर भी आओगे?
उनका चुम्बन मेरे लिए नया नहीं था, इसलिए कोई खास फर्क नहीं पड़ा, पर मामा जी ने चुम्बन के वक्त गले पर हाथ रखा था, वो मुझे थोड़ा सा अजीब लगा, या कहूँ तो मन को भटकाने वाला लगा।
उनके अंदर आने के बाद कुछ देर बातचीत हुई, फिर माँ ने मामा से कहा- तू फ्रेश हो जा, थका होगा, तब तक मैं खाना लगा देती हूँ।
मामा जी ने कहा- ठीक है… मैं अभी आया।
और फ्रेश होने चले गये।
फिर हम सबने साथ खाना खाया और मामा जी का मेरे कमरे में सोना तय हुआ। मामा जी बार बार मेरे बड़े होने का ही जिक्र कर रहे थे, मैं शरमा भी रही थी और मुझे अच्छा भी लग रहा था।
अब मामा जी का मेरे माथे पर चुम्बन और गले के पास उनके हाथों का स्पर्श मुझे याद आने लगा, क्योंकि अब मैं बड़ी हो चुकी थी और एक मर्द का स्पर्श मुझे गुदगुदा गया।
मामा जी मेरे रूम में जा कर फ्रेश हुए। तत्पश्चात हम सब ने खाना खाया और सोने चले गये।
मां ने मुझसे कहा- तू मेरे पास सो जा!
पर मैंने कहा- मैं बचपन से मामा के साथ ही सोते आई हूँ, ऐसे भी मामा बहुत दिनों बाद आये हैं मुझे उनसे बातें भी करनी है। इसलिए आज भी मैं उन्हीं के साथ सो जाऊँगी।
माँ ने कहा- ठीक है, तेरी मर्जी, पर उन्हें बातों में ज्यादा उलझाना मत जल्दी सोने देना, वो थका हुआ है।
अब मैं मामाजी के साथ अपने कमरे में सो गई, मेरे मन में इस वक्त तक चुम्बन की कुछ यादों के अलावा और कुछ ना था, इसलिए मैं बेफिक्र थी, मैं मामाजी के साथ अपने बिस्तर में भी सो सकती थी।
पर मामा जी ने नीचे बिस्तर लगा लिया और मैं बेड पर रही, हम दोनों ने ऐसे कुछ पुरानी बातें याद की, फिर हम सोने लगे।
उन्होंने ड्रिंक कर रखी थी शायद इसी लिये उनको जल्दी नींद आ गई।
पर मुझे आज पता नहीं क्यूँ नींद ही नहीं आ रही थी। वो लुंगी और बनियान में थे, रात को एक बजे मुझे पेशाब लगी तब मैं उठी। मैं हमेशा छोटी लाइट ऑन करके सोती हूँ।
जब मैं उठी तो मैंने देखा मामा जी गहरी नींद में है और उनकी लुंगी खुली हुई है और उनका लगभग 5 इंच का लन्ड दिख रहा है, जो खड़ा होने पर आठ इंच से भी बड़ा हो सकता था।
मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी मर्द का लन्ड देखा था, मेरी सांसें और आँखें वहीं अटक गई।
मैं भाग कर बाथरूम में चली गई पर मेरे दिमाग में मामा जी का लन्ड घूम रहा था, हालांकि की लंड चड्डी के अंदर था लेकिन उसका सुपारा चड्डी के बाजु से बाहर आ गया था और चमक रहा था।
मेरा हाथ अपने आप चूत पर चला गया और मैं अपनी चूत को सहलाने लगी, मैं जन्नत में थी और अपनि चूत सहलाने के पहले अनुभव का मजा ले रही थी, मैं आँखें बंद करके एक हाथ से अपनी चुचियों को जोरों से मसल रही थी और दूसरे हाथ से चूत के दाने को सहला रही थी।
मुझे नहीं पता कि ऐसा मैंने कितनी देर तक किया, पर जब मेरे शरीर में कंपकंपी आई और मेरी कुंवारी चूत ने पानी छोड़ा, तब मुझे जन्नत का सुखद अहसास हुआ।
पर एक अड़चन भी हो गई, मैं अपने मजे में यह भूल गई कि बाथरूम का गेट खुला ही रह गया है। जहाँ पर मामा जी खड़े थे और उन्होंने मुझे यह सब करते देख लिया था।
अब मैं शर्म के मारे उनसे नज़र नहीं मिला पाई और चुपचाप बिस्तर पर आ कर सो गई।
वो बाथरूम से आये और बेड पर मेरे साथ सो गए, मुझे उनका ऐसे साथ में सोना अजीब लगा, क्योंकि वो चाहते तो पहले भी साथ में सो सकते थे, पर अब साथ में सोना बहुत सी बातों का संकेत दे रहा था। पर मैं अपनी गलती की वजह से कुछ नहीं कह पा रही थी। मैं उनकी तरफ पीठ करके सोने का नाटक करने लगी।
इस हालत में दोनों खामोश रहे पर कुछ देर बाद मुझे मेरी कमर पर मामाजी का हाथ महसूस हुआ। मेरा रोम रोम खड़ा हो गया, मेरा दिल जोरों से धक-धक करने लगा, मामा जी की यह हरकत मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही थी, या शायद मेरे के किसी कोने में सुखद अहसास रहा भी होगा, तो मैं उसे समझ नहीं पा रही थी।
पर मैं कुछ नहीं बोल पा रही थी।
उनका हाथ अब मेरी कमर पर चल रहा था, मैंने उस वक्त टीशर्ट और लोअर पहना हुआ था, मामा जी के हाथ अब आहिस्ते से मेरी टीशर्ट के अंदर पहुंच कर मेरी नंगी कोमल सपाट पेट, सुंदर नाभि, और चिकनी कमर पर चलने लगा, स्वाभाविक ही है कि अब मेरी अन्तर्वासना जाग चुकी थी, मेरे चुचे कड़क हो रहे थे, सीना ऊपर नीचे हो रहा था, मम्में फूल कर और ज्यादा तन गये थे। और मेरी चूत से प्रिकम की कुछ बूंदें रिस रही थी।
मेरे रोयें इस तरह खड़े हो गये थे कि कोई चाहता तो उन्हें गिन भी सकता था।
अब मामा जी ने मुझे पकड़ कर अपनी तरफ किया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये. आग मुझे लग ही चुकी थी, पर मैंने उनसे खुद को छुड़वाने की कोशिश की, क्योंकि ये मेरा पहला संभावित सम्भोग था, और मैंने मामा जी के साथ कभी ऐसा सोचा भी नहीं था, इसलिए इतनी हरकतों और चूत की इजाजत के बाद भी मेरा दिल, मेरी अंतरात्मा इस चुदाई के लिए गवाही नहीं दे रही थी।
दोस्तो, हिंदी एडल्ट कहानी जारी रहेगी.. आप अपनी राय मुझे और लेखक को इन पतों पर दे सकते हैं..
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कहानी का अगला भाग: मामा से चुदाई की भानजी की व्यथा कथा-2
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