मेरठ की अंजलि को बनाया लेस्बियन- 2
मुझे पहली बार पता चला कि अंजलि तो चूत पीने में पूरी खिलाड़ी है।
पांच मिनट के अंदर हम दोनों पसीने में नहा गईं थी। हम दोनों की चूत से पिचकारी निकल रही थी, थकान से चूर हम दोनों उसी हालत में सो गये।
सुबह जोर जोर से दरवाजा पीटने की आवाज सुनकर मेरी आँख खुली।
दरवाजा खोलने पर बाहर रवि और ललित खड़े थे, मुझे देखते ही कहने लगे कि दस मिनट से दरवाजा पीट रहे हैं। रात में देर से सोईं थीं क्या?
अब मैं उन्हें क्या बताती.. कह दिया कि सुबह तीन बजे सोये हैं।
मेरा जवाब सुनकर ललित ने तो भरोसा कर लिया लेकिन रवि मुस्कराते हुए बोले- मतलब मिशन पूरा हो गया।
सुबह नौ बजे हम नाश्ते की मेज पर थे, अंजलि बहुत चहक रही थी, ललित उसकी हालत देखकर हैरान थे, कहने लगे- भाभी जी, आप तो बस कमाल हो, अगली बार रवि अकेले नहीं आयेगा, आपको भी साथ आना होगा।
मैंने भी कहा- ठीक है, लेकिन इस बार जब मै आऊँगी तो घर पर नहीं रहेंगे, कहीं नदी किनारे घूमने चलेंगे।
थोड़ी ही देर बाद हम और रवि घऱ के लिये रवाना हो गये थे।
घर लौटने पर रवि काफी मस्त नजर आ रहे थे, उन्होंने शरारत भरे अंदाज में पूछा- मैडम, आगे का क्या इरादा है?
मैंने कहा- आप ही बताओ, आमतौर पर होता उतना ही है जितना पति चाहता है।
रवि ने कहा- कह तो ठीक रही हो! दरअसल ललित चाहता है कि एक वो हम दोनों की चुदाई सामने होते देखे। अब अंजलि देखना चाहेगी या नहीं इसका कुछ पता नहीं।
मैंने कहा- अंजलि को मैं राजी कर लूंगी, आखिर उसकी चूत पी चुकी हूँ।
लेकिन रवि ने कहा- अंजलि ही तो दिक्कत है, वो अकेले में तो सब कर सकती है लेकिन किसी मर्द के सामने करने को राजी नहीं होगी।
मैंने रवि से कहा- यह मुझ पर छोड़ दो।
रवि बोले- यार, एक बार अंजलि की चूचियाँ ही दिखा दो, दोस्त की बीवी है इसलिये उसकी चूत में घुसना आसान नहीं होगी।
मैं रवि का मतलब समझ रही थी लेकिन गाँव की मानसिकता वाली अंजलि को समझाना भी तो आसान नहीं था।
अगला महीना जैसे जल्दी ही आ गया, हम फिर मेरठ के लिये निकल पड़े, इस बार दो दिन रुकने का प्रोग्राम था।
मेरठ में ललित घर के बाहर ही मिल गया, कहने लगा- भाभी जी, पूरे महीने अंजलि इतनी मस्त रही कि मैं तो दफ्तर की लड़कियाँ भी भूल गया।
अंदर जाने पर अंजलि मिली, अबकी बार टॉप पहने खड़ी थी, मैं उसके गले मिली तो अंदाज हुआ कि उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी।
मैं उसके कान में फुसफसाई- इतनी आजादी ठीक नहीं है।
उसका जवाब था- इतने टाइट हैं कि ब्रा की जरूरत भी नहीं होती है।
हमने हल्का फुल्का नाश्ता किया।
बातों ही बातों में ललित ने बताया- यहाँ पास में ही एक पिकनिक प्वाइंट है। शाम छः के बाद वहाँ केवल पति-पत्नी या जोड़े ही जा सकते हैं।
शाम को हम पिकनिक प्वाइंट पर पहुँच गये थे, भीतर बड़ा सा स्विमिंग पूल था जिसमें बीस जोड़े मस्ती कर रहे थे।
चूंकि सभी जोड़े थे इसलिये सभी बेशर्म बने हुए थे।
मुझे ललित की पसंद काफी अच्छी लगी।
हमने एक कोने की सीट पकड़ी, मैं और रवि एक साथ बैठे था, सामने की सीट पर अंजलि और ललित।
अचानक रवि ने मुझे चूम लिया। खुले में.. भीड़ के बीच चुम्मी का अलग मजा आया। मैंने अंजलि की आँखों में देखा, उससे लग रहा था कि अंजलि को अच्छा तो लगा लेकिन करने से हिचक रही थी। यानि अब अंजलि को मुझे ही तैयार करना था।
सामने स्विमिंग पूल का नजारा मस्त कर देने वाला था, मैंने अंजलि से कहा- चल थोड़ा नहा लेते हैं।
हम दोनों ने नेकर और टॉप पहने और स्विमिंग पूल में उतर गये। पाने में कई बार हम दोनों की चूचियाँ टकराईं तो अंजलि थोड़ी गर्म होती नजर आई। मैंने स्विमिंग पूल में ही उसकी चूत को भी थोड़ा सा छेड़ दिया।
अंजलि काफी हैरान नजर आ रही थी। मैंने उससे जब अपनी चूत को सहलाने को कहा तो वो तैयार नहीं हुई।
हम करीब आधे घंटे तक स्विमिंग पूल में रहे। तब तक रवि औऱ ललित सामने बैठे कोल्ड ड्रिंक पीते रहे।
अब हमने बाहर निकलने की सोची, हमारे कपड़े शरीर से चिपके हुए थे और अंजलि ने तो ब्रा भी नहीं पहनी थी। उसकी चूचियों के काले प्वाइंट पहाड़ की तरह तने हुए थे। मैंने बाहर निकलते हुए रवि को आंख मारी।
रवि चोरी छिपे अंजलि को देख रहे थे। ललित ने अंजलि को कपड़े बदलने नहीं दिये, उसे अपने पास बैठा कर चिपका लिया।
मैंने गौर किया तो ललित का लंड खड़ा हो गया था, एक बार उसने अंजलि की चूचियों पर हाथ फेरने की कोशिश की लेकिन अंजलि ने उसका हाथ हटा दिया।
इसके बाद रवि और ललित भी पानी में गये। मैंने दोनों पर कड़ी निगाह रखी तो अंदाज हुआ कि पानी के भीतर दोनों ने एक दूसरे के लंड पकड़ रखे थे। हो सकता है पानी के भीतर ही दोनों ने लंड से जूस निकाल भी दिया हो।
रात को रवि मेरे पास ही सोये, कहने लगे- अंजलि की चूचियाँ तो गजब की हैं, पीने को मिल जाएं तो मजा आ जाये।
मैंने कहा- ललित के बारे में पता है न… वो तैयार ही नहीं होगा!
रवि बोले- ठीक है लेकिन एक बार दोनों को ठुकाई करते हुए दिखवा दो।
मैंने कहा- ठीक है, कल देखते हैं।
अगले दिन मैंने नाश्ते की मेज पर कहा- कल पानी में भीगने से थकान हो गई है, मैं रवि से मालिश करवाना चाहती हूँ।
यह सुनकर ललित कहने लगे- अंजलि भी थक गई होगी, मैं की अंजलि की मालिश करूँगा।
अब हमने अंजलि की तरफ देखा तो अनमनी सी लगी, बोली- एक साथ नहीं करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है, छत पर इंतजाम करते हैं और दोनों पार्टियों के बीच परदा रहेगा।
ललित का मकान तीन मंजिला था। आसपास के सभी मकान एक मंजिल के। यानि अगर हम छत पर डेरा जमायें तो किसी के देखने का खतरा नहीं था।
छत पर दो गद्दे डाल कर उन पर प्लास्टिक की शीट बिछा दी गई। दोनों गद्दों के बीच से गुजर रहे कपड़े सुखाने के तार पर एक साड़ी का परदा डाल दिया गया। अब दोनों ही पार्टियाँ एक दूसरे की आवाज तो सुन सकती थी लेकिन देख नहीं सकते थे।
अंजलि इस इंतजाम से खुश थी।
बिस्तर पर पहुँच कर मैंने अपने कपड़े उतार दिये, रवि भी केवल अंडरवियर में थे।
रवि ने मुझे तेल लगाना शुरू किया, जब उनके हाथ मेरी चूचियों पर पहुँचे तो मुझे सनसनी होने लगी, मैंने कुछ तेज आवाज में कहा- रवि मेरी चूचियों की अच्छी तरह से मालिश करो।
मेरी आवाज सुनकर अंजलि तो चुप रही लेकिन ललित ने रवि से पूछा- दोस्त, कैसा चल रहा है?
रवि ने जवाब दिया कि रेनू अपनी चूचियों की मालिश कस कर करवाना चाहती है।
इस पर ललित ने पूछा- तेल लगाने से भाभी की ब्रा खराब नहीं होगी?
‘…ब्रा.. कैसी ब्रा..?’ रवि ने कहा- अरे भाई, रेनू तो पूरी नंगी पड़ी है। क्या अंजलि ने कुछ पहन रखा है?
इसके जवाब में ललित बोला- …हाँ.. ब्रा पैंटी पहन रखी है।
रवि ने कहा- तुरंत दोनों को उतार दो, तेल से खराब हो जाएंगी।
इसके बाद अंजलि की हल्की सी ना-नुकुर की आवाज आई लेकिन ललित ने उसे भी पूरी नंगी कर दिया।
मैं और रवि तेज आवाज में लंड चूत की बातें कर रहे थे। बीच बीच में ललित भी शामिल हो जाता था।
अचानक अंजलि ने भी तेज आवाज में ललित से कहा- चूत में ज्यादा तेल डालो।
मैं और रवि मंद मंद मुस्करा रहे थे, अंजलि की शर्म मिटने लगी थी।
अब मैंने रवि से कहा- मेरी मालिश पूरी हो गई है। अब मैं आपके लंड में तेल लगाना चाहती हूँ।
इतना सुन कर रवि अंडवियर उतार और नीचे लेट गये.. मैं रवि के ऊपर चढ़ गई…
रवि बोले- लंड में तेल लगाने की जरूरत क्या है.. तुम्हारी चूत को इतना तेल पिलाया है। लंड को चूत में डाल दो.. लंड में तेल लग जायेगा।
मैंने भी कहा- ठीक है, तुम अब चुदाई चाहते हो तो ठीक है…
और अपनी चूत को रवि के लंड में पिरो दिया।
चूत चिकनी थी इसलिये आसानी से लंड सरकता गया।
हमने ऐसी आवाज निकालनी शुरू कर दी जैसे हमारी चुदाई की रफ्तार बढ़ गई हो लेकिन हम चुदाई कर नहीं रहे थे, हम तो मौके का इंतजार कर रहे थे।
हमारी बातें सुन कर ललित ने अंजलि से कहा कि वो भी खुले में उसे चोदना चाहता है, अंजलि पूरी मस्त हो चुकी थी, वो भी बोली- चोद दो मेरे राजा, तुम्हारा पप्पू भी तो पूरा गर्म हो गया है।
पर्दे के दूसरी तरफ से दोनों की सांसें तेज होने लगीं- ऊंह… आह… मार डाला… कितना मोटा है…
अंजलि पूरी तरह बेशर्म हो गई थी!
अचानक रवि ने इशारा किया तो मैंने हाथ बढ़ाकर पर्दा खींच दिया।
सामने ललित का लंड अंजलि की चूत में घुसा हुआ था। दोनों हमें देखकर एक बार चौंके लेकिन उनकी रफ्तार इतनी बढ़ गई थी कि उसे रोकना संभव नहीं था।
रवि ने कहा- ललित पूरा जोर लगाओ, अंजलि की चूत में पूरा लंड जाना चाहिये।
मैंने भी कहा- अंजलि, हारना नहीं है चूत को कस कर दबा ले… लंड घुसाने में जोर लगाना होगा तो ललित को पूरा मजा आयेगा।
दोनों पागलों की तरह एक दूसरे पर चिपटे हुए थे.. पसीने में तरबतर… थोड़ी ही देर में ललित और अंजलि पूरी तरह से झड़ गये और वहीं पर गिरकर तेज तेज सांसें लेने लगे।
थोड़ी नार्मल होने पर अंजलि ने मुझसे शिकायती लहजे में कहा- बहुत बदतमीज हो गई हो रेनू, चलो अब अपनी भी चुदाई दिखा दो!
और मैंने खुशी खुशी रवि का लंड अपनी चूत में डाल लिया।
कहानी का समापन
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