मेरी बीवी को मेरे दोस्त ने चोदा

मेरी बीवी को मेरे दोस्त ने चोदा

अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो,
मेरी पिछली कहानी
मेरी बीवी निहाल हो गई
पढी.
उस खास रात को गुजरे करीब दो महीने बीत चुके थे। खास रात इसलिए क्योंकि नीना ने मेरे साथ मेरे दोस्त अमित के मस्त लंड का मजा लिया था। उस रात पूरे दो घंटे तक हम तीनों ने चुदाई के खेल का छक कर मजा लिया था, मेरी बीवी मेरी आँखों के सामने पूरी नंगी होकर मेरे दोस्त से चुदी थी।

इस बीच मेरी चुदैल बीवी नीना को अमित की फिर याद सताने लगी। कई बार उसने मुझसे इशारे में अमित की तारीफ भी की, मगर शायद पति होने के अहम में मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया।

एक दिन शाम के करीब सात बजे रहे थे, हम दोनों पति पत्नी अपने घर की बालकनी में बैठ कर ठंडी हवा का लुत्फ उठा रहे थे। फरवरी का महीना था।
इतने में उधर टहलते हुए अमित दिखाई पड़ा।
औपचारिकता में हम दोनों ने एक दूसरे को हलो किया। साथ ही नीना ने भी हलो करते हुए अमित की ओर स्माइल पास किया।

बच्चे ट्यूशन के लिए गए थे, घर खाली था, जिससे अमित के आगे बढ़ते ही मैं मूड में आ गया और खुल कर उस चुदाई वाली रात की बातें करने लगा।
नीना तो जैसे खुल्लम खुल्ला चुदाई की बात करना ही चाह रही थी। मगर बनावटी नाराजगी जताते हुए नीना ने मुझसे कहा- चुप रहो, तुम तो नंबर एक के चापलूस हो। केवल चुदाई की बात करना जानते हो, कुछ फन करना तो चाहते नहीं, न ही मुझे मजे लेने देते हो।
मैं नीना को मनाने लगा- क्या बात करती हो? कहो तो आज फिर उसी तरह से मौज मस्ती करते हैं अमित के साथ!
नीना और भी खफा होने का नाटक करने लगी, बोली- तुम्हें उस दिन की चुदाई याद नहीं या? अमित ने कितनी समझदारी के पीछे अपना भी लंड डाल दिया। तुम्हें कभी ऐसी आइडिया दिमाग में आ सकता था? फिर आज कैसे हम यह सब कर सकते हैं? आज तो घर में बच्चे हैं.

मैंने नीना को प्यार से समझाना शुरू किया, मैंने उससे कहा- देखो, मैं जैसा कहता हूं, वैसा ही करते हुए जाओ। तुम बच्चों को जल्दी से डिनर करा के दस बजे तक सुला देना। बाकी सब मैं सम्भाल लूंगा।
नीना ने एक बार फिर मेरी ओर घूरा।
मैंने समझाया- बच्चों को कह देंगे कि हम लोग आपकी बुआ के घर जा रहे हैं और एक दो घंटे में आ जाएंगे। जाएंगे भी दीदी के यहां। लौटते समय अमित के घर में उसके साथ लव गेम खेल कर लौटेंगे बस!
नीना भी खुश हो गई, उसे मेरे ऊपर भरोसा था।

दोस्तो, आपको बता दूँ कि मेरी दीदी भी मेरे ही मुहल्ले में ही रहती हैं उन्होंने भी लव मैरिज की थी और अपने जमाने की मोहल्ले और शहर की चर्चित चुदक्कड़ रही है। मगर उनकी कहानी फिर कभी।
मेरे घर के तीन घर के बाद अमित का घर मोड़ पर है और उनके चार घर बाद मेरी दीदी का। उस समय अमित कुंआरा हुआ करता था इसलिए बाहर वाले कमरे में रहता था।
दस बजे के बाद उसके घर कोई नहीं आता जाता था। अंदर उसक भाई भाभी और बूढे मां-बाप रहा करते थे।
खैर, हमने अपने मन में प्लान बना लिया और अमित के मोबाइल पर फोन लगा कर बता दिया कि लौटते समय मुझे मिल ले, क्योंकि आज उसकी भाभी यानी नीना मूड में है।
उसने मुझसे जानना चाहा कि अचानक कैसे ये प्लान बन गया?
मैंने उसे साफ किया- यार पहले मिलो तो, तब सब बताता हूँ।

अमित कोई आधे घंटे बाद मुझसे मिला। मैंने अमित को कहा- आज रात साढ़े दस बजे के बाद हम लोग तुम्हारे कमरे सीधे घुस जाएंगे। तुम दरवाजा बंद मत करना और बदन पर केवल लोवर पहने रहना ताकि फटाफट वाले अंदाज में मस्त चुदाई का मजा मिल सके।
अमित ने सिर्फ ओके कहा।

तय प्लान के मुताबिक, हम लोग बच्चों को खिला पिला कर साढ़े नौ बजे के करीब घर से निकले और दीदी के यहां आधे पौना घंटे तक चाय पीने के बाद निकल लिए। तब तक साढ़े दस ही बज चुके होंगे, मैं अपनी बीवी नीना का हाथ पकड़ कर चल रहा था। जैसे ही हम अमित का घर के सामने पहुंचे कि नीना का हाथ पकडे पकड़े मैं अमित के कमरे में चला गया।
अमित तो हमारा ही इंतजार कर ही रहा था।
अंदर घुसते ही मैंने तुरंत दरवाजा बंद किया और चिटकनी लगा ली.

और हां, उस दिन नीना ने साड़ी पहन रखी थी। उसने शायद नोटिस नहीं लिया था कि इससे चुदाई में दिक्कत आएगी।
बस उर तो क्या करना था, मेरे कहे के हिसाब से अमित ने अपना लोवर नीचे सरका दिया और इस तरह उसका आठ इंच का मस्त लंड हवा में लहराने लगा।

लम्बे खड़े लनद को देख कर अब मेरी बीवी नीना भी मचलने लगा, उसने पलट कर मेरी ओर देखा और पक्की चुदैल की तरह बोली- आखिर तुमने अपने मन की कर ली ही न? बच्चे जाग जाएंगे तब क्या होगा घर में!
अमित ने बड़े प्यार से नीना के हाथ को अपने हाथ में लेकर कहा- छोड़ो भाभी, अभी अपने इस देवर के लंड की चिंता करो, बाकी बातें बाद में देखेंगे।

इतना सुनना था कि मेरी बीवी ने लपक कर अमित का लंड अपनी ओर खींच लिया और बोली- आज तो इस हरामी को नहीं बक्शूँगी। बहुत सताया है इस ने मुझे।

अब मैंने देर करना ठीक नहीं समझा, फटाक से नीना की साड़ी को उसके बदन अलग किया और पेटीकोट के नाड़े को खींच कर खोल डाला।
देखते देखते ही मैंने अपनी चुड़ैल बीवी के ब्लाउज के हुक खोलना शुरू किया। तब तक नीना अमित के लंड के सुपारे को ऊपर नीचे करने में जुट चुकी थी।
अब सफेद ब्रा में नीना की बड़ी, मस्त चूचियां किसी सफ़ेद कबूतर के जोड़े जैसी लगने लगी थीं।

पीछे से मैं नीना की 36 इंच साइज की चुचियों को मसलने लगा और मेरी बीवी कामुकता वश हल्की हलकी सिसकारी भरने लगी।

अभी तक हम तीनों ही खड़े हुए थे। बिना देर किए मैंने नीना की एक टांग उठाई और अमित को इशारा कर के मेरी बीवी की गीली चूत में उसका लंड डालने को कहा।
जैसे ही अमित ने अपने लंड को मेरी बीवी चूत के मुहाने पर लगाया कि नीना भड़क उठी और बोली- यार, तुम लोग दो दोस्त हो, फिर भी मेरी चूत को ऐसे ही बिना कहते चूसे चोद डालोगे? इसमे अपनी जीभ नहीं चलाओगे?

अमित तो जैसे यही तो सुनना चाह रहा था, उसने मेरी चुदासी बीवी को गोद में उठा कर बेड पर डाल दिया और उसकी दोनों जांघों के बीच में आकर अपनी जीभ की करामात दिखाने लगा।
तब तक मैं अपनी मैडम की चूचियां पीने लगा।

अगले पांच मिनट के भीतर नीना के निप्पल तन गए और चूचियां कड़क हो गई। अब नीना से अपनी चूत की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी। तो वह खुल कर चिल्ला कर बोली- अब मेरी चूत में कोई लंड डाल भी दो यारो, मत सताओ मुझे!

अमित और मैंने एक दूसरे की ओर देखा और मैंने हंसते अमित से नीना की चाहत पूरी करने को कहा। तब तक मैं नीना के बालों को सहलाने लगा और एक झटके से अमित ने अपना तगड़ा
लंड मेरी बीवी की चूत के छेद पर रखा और उसे हाथ से चूत की दरार में रगड़ने लगा. मेरी बीवी बेचैन हो कर अपने चूतड़ उछाल उछल कर अपनी चूत में लंड घुस्वाने को आतुर हो रही थी लेकिन मेरा दोस्त अमित उसे और तड़पाना चाहता था, और गर्म करना चाह रहा था.

जब मेरी बीवी से अपनी कामुकता बर्दाश्त नहीं हुई तो उसने अमित को गाली देते हुए कहा- मादरचोद, अब घुसा भी दे अपने डंडे को मेरे छेद में!
लेकिन अमित अब भी अपना लंड मेरी बीवी की कलित पर और चूत की दरार में ही रगड़ रहा था.
मेरी बीवी ने अमित की छाती पर मुक्के बरसाने शुरू कर दिए तो अमित ने मुस्कुराते हुए अपने कूल्हों को एक झटका दिया और गचाक से उसका लंड मेरी बीवी की चूत में समा गया।

मेरी बीवी के मुख से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गया और उसके चेहरे पर संतोष का भाव दिखाई दिया. उसने मेरी ओर देखा और मुस्कुराने लगी.
मैंने पूछा- मजा आया?
वो बोली– हाँ… बहुत अच्छा लग रहा है.
फिर वो मेरे दोस्त अमित से बोली- छोड़ना शुरू करो यार… मेरी चूत में धक्के मारो! चोदो मुझे!
अमित मेरी बीवी की चूत में अपना लंड पेलने लगा मेरी बीवी आनन्द विभोर हो कर आहें, सीत्कारें भरने लगी. उसे बहुत मजा आ रहा था और मैं अपनी बीवी की चुदाई अपने दोस्त के बड़े लंड से होते देख कर खुश हो रहा था.

मैंने अपनी बीवी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूमने लगा, मैं काफी देर नीना से प्यार करता रहा, सहलाना, चूमना और चाटना सब कुछ चलता रहा और मेरा दोस्त मेरी बीवी की चुत को चोदता रहा.
अपनी बीवी की चुत चुदाई मेरे दोस्त से होते देख मुझे भी बहुत मजा मिल रहा था, जिसमें मेरी बीवी की खुशी, उसमें मेरी खुशी… मेरी बीवी खुशी और आनन्द से किलकारियां मार रही थी, मेरे दोस्त के लंड को अपनी चूत में घुसवा कर नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर अपने पति के सामने गैर मर्द से अपनी चूत चुदवा के मजा ले रही थी.

दस बारह मिनट की मिशनरी पोजीशन की चुदाई के बाद मेरे दोस्त में मेरी बीवी को घोड़ी बनाने को कहा. तो वो बेड पर घोड़ी बन गई और मेरे दोस्त ने फर्श पर खड़े होकर अपना लंड मेरी बीवी के चूतड़ों के बीच से झाँक रही उसकी चूत में एक झटके से डाल दिया तो मेरी बीवी चीख कर बोली- बहन चोद… अपनी माँ की चूत समझ के चोद रहा है क्या? साला मुफ्त का माल समझ के चोद रहा है भोंसड़ी का!
मेरा दोस्त कुछ नहीं बोला और उसने जोर जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए. मेरी बीवी सिसकारियां भर भर कर चूत चुदाई का मजा लेने लगी.

थोड़ी देर बाद मेरा दोस्त अमित झड़ने को था, उसने नीना को कहा- मैं झड रहा हूँ, कहाँ लेगी मेरा माल?
मेरी बीवी बोली- माँ के लौड़े, अपना लंड बाहर निकाल के मेरे चूतड़ों पर अपना माल निकाल दियो.
उसने ऐसा ही किया और 10-12 जोर के धक्के मार कर उसने अपना लंड चूत से बाहर निकाला और मेरी बीवी की गांड के छेद पर टिका कर अपना माल निकाल दिया.
फिर अमित एक उंगली से उस माल को मेरी बीवी की गांड में भरने की कोशिश करने लगा, मेरी बीवी की गांड में उंगली करने लगा.

आधे घंटे की इस चुदाई में मेरी बीवी नीना ने खूब मस्ती भरी चुदाई करवाई और हम दोनों एक बार फिर से दो महीने वाली याद में खो गए।

मेरी बिंदास चुदक्कड़ बीवी की गैर मर्द से चुत चुदाई की यह सेक्स स्टोरी कैसी लगी? मुझे मेल कर के अपने विचार जरूर बताएं। तभी अगली चुदाई की बात लिखूँगा।
आपाक दोस्त रितेश शांडिल्य
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