मेरे लण्ड की मालकिन

मेरे लण्ड की मालकिन

दोस्तो,
मैं राज आप लोगो को धन्यवाद करना चाहता हूँ, मेरी पहली कहानी
लैपटॉप ने चूत चुदाई का सपना किया पूरा
को अपना समर्थन देने के लिए…
मुझे हजारों मेल आये जिससे मुझे इस बात का अनुभव हुआ कि आपको मेरी कहानी बहुत पसंद आई।
आशा करता हूँ कि इस बार भी आपको निराश होने का मौका नहीं मिलेगा।

मैं आपके लिए एक बार फिर से हाजिर हूँ अपने जीवन की नई घटना के साथ, यह मेरे जीवन की दूसरी सबसे खूबसूरत घटना है।

इस समय मैं दवा की एक कम्पनी में काम करता हूँ जिसकी वजह से मुझे बहुत से लोगो से मिलना पड़ता है, काफी लोगों के पास मेरा मोबाइल नम्बर है।
अभी कुछ समय पूर्व मुझे एक अनजान नम्बर मैसेज मिला पर मैंने अनजान नंबर की वजह से कोई जवाब नहीं दिया।
पर अचानक उसी नंबर से और भी मैसेज आने लगे। मैं जब भी कॉल करता कोई कॉल नहीं उठाता था। फिर मैंने भी मैसेज कर के पता लगाने की सोची।

बात शुरू हुई जिससे पता चला कि वो कोई औरत है, उसने कोई दवा पूछने के लिए मैसेज किया था। बात बात में उसने बताया कि वो अपने पति से खुश नहीं है और पति के लिए दवा पूछना चाहती है।
उसकी नई नई शादी हुई थी पर उसका पति उसको खुश नहीं कर पा रहा था।

उसके बताने के मुताबिक वो दिल्ली की ठण्डक में भी पंद्रह दिन में उसके साथ सेक्स करता था और उसमें भी उसको खुश नहीं कर पाता था।

बात आगे बढ़ी तो पता चला वो जवानी की आग में जल रही है, वो समाज के डर से किसी से कछ कहना नहीं चाहती थी इसलिए अपने पति के लिए दवा जानना चाहती थी ताकि उसकी जवानी की आग किसी और को न जला दे।

मैंने उसको समझाया कि दवा तो है पर उसमें काफी समय लग सकता है तो आपको इन्तजार करना पड़ेगा।
वो मान गई और बाद में कॉल करने के लिए कहा।

एक दो दिन बाद उसका कॉल आया और उसने मुझे दवा लेकर एक रेस्टोरेंट में बुलाया, मैं बताये गए समय पर रेस्टोरेन्ट पहुँचा पर वहाँ कोई नहीं था।

काफी खोज करने के बाद मुझे लगा कि किसी ने मेरे साथ मज़ाक किया होगा, मैं वापस आने के लिए बाहर निकल आया और कैब बुक कर ही रहा था कि मुझे उसका कॉल आया उसको और पूछा- तुम कहाँ पर हो?

मैं गुस्से में बोला- मैं वापस जा रहा हूँ क्योंकि मैं पहले ही बहुत इन्तजार कर चुका हूँ।
उसने सिर्फ दो मिनट और रुकने को कहा। शायद वो वही आस पास ही थी, मैं भी मान गया पर मैं अंदर नहीं गया, बाहर ही था।

इतने में मुझे दोबारा कॉल आया यह पूछने के लिए कि मैं कहाँ पर हूँ।

मैंने उससे उसके बैठने की जगह पूछी ताकि मैं बाहर से ही उसे देख सकूँ और जब मैंने उस जगह देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई, वहाँ पर एक गोरी चिट्टी औरत या यूँ कहो कि जवानी के दरवाजे पर कदम रखी हसीन लड़की, जिसको देख कर बुड्ढों का लण्ड भी सलामी देने लगे, बैठी हुई थी।

उसके गुलाबी होंठ देख कर मन कर रहा था कि जाकर अभी उसको किस कर दूँ।
वो हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहने हुए थी, उसके पहनावे से लग रहा था कि वो किसी अच्छे घर से है।

खैर मैं अपने आप को कंट्रोल करे हुए उसके पास पहुँचा, वो मुझसे नजर नहीं मिला पा रही थी।
मैंने बात करनी शुरू की तो पता चला कि उसका नाम भी उसी की तरह खूबसूरत था।

बात आगे बढ़ती गई, उसने दवा मांगी तो मैंने उसको दवा दे दी, उसने पैसे दिए और पूछा कि कितना समय लगेगा सही होने में!
मैंने बोल दिया कि वो तो बीमारी पर निर्भर करता है, अगर ज्यादा होगी तो ज्यादा समय लगेगा।

यह सुनकर उसने एक लम्बी आह भरी जिससे पता चलता है था कि काफी दिनों से वो तड़प रही थी।
हमने कुछ खाया पीया और वापस आ गए।

फिर हम अक्सर मैसेज में बात करने लगे।

एक दिन उसने सुबह सुबह कॉल किया और पूछा- क्या आज तुम फ्री हो?
मैंने फ़ौरन हाँ बोल दिया।
तो उसने कहा- क्या तुम मेरे साथ मूवी देखने चलोगे?

उसने बताया कि उसके पति को इन सब बातों में इंटरेस्ट नहीं है और आज वो बहुत अकेला फील कर रही है, घर पर भी कोई नहीं है। इसलिए पूछ रही है।
मेरी तो जैसे बिन मांगे मुराद पूरी हो गई हो।

उसने कहा कि वो टिकट अरेंज कर के दोबारा कॉल करेगी।
उसने कॉल करके बताया कि टिकट बुक कर दी है बताये हुए समय पर पहुंच जाना!
मैं तैयार हो कर वहाँ पहुंच गया और उसका इन्तजार करने लगा।

और जब वो आई तो क़यामत लग रही थी काली साड़ी में उसका गोरा बदन जैसे मुझे मदहोश कर रहा था, सारी भीड़ जैसे उसी को निहार रही थी।

उसने मुझसे बोला- अंदर चल कर बात करते हैं।
अब हम दोनों मूवी देखने अंदर पहुँच गए और अंदर पता चला उसने जान पूछ कर कार्नर की सीट बुक करी थी।

मूवी शुरू हुई थोड़ देर में मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया, उसकी तरफ से कोई रोक टोक होने की वजह से मैं समझ गया कि वो क्या चाहती है।

मेरा हाथ सरकते हुए उसके हाथ से ऊपर की तरफ बढ़ता जा रहा था और मेरा सर उसकी जुल्फों में घुसा हुआ था, उसकी बदन की खुशबू मानो जैसे किसी अप्सरा के बदन से आ रही हो!

मैंने उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए, उसने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया।
मैं आप लोगो को बताता चलूँ कि औरत की गर्दन उसको तैयार करने की सबसे मादक जगह है।

जैसे ही मेरे होंठ उसकी गर्दन पर छुए, वो मेरी तरफ घूम गई और मेरे होठों को अपने होठों से ऐसे मिला लिया जैसे वो अलग नहीं होंगे कभी!

यह चुम्मा चाटी का खेल काफी देर तक चलता रहा, उसकी गरम साँसें बता रही थी कि उसको इससे कहीं ज्यादा की चाहत है।
उसने मुझसे वापिस चलने के लिए कहा और मैं उसके पीछे पीछे चल दिया।

पार्किंग से उसने अपनी गाड़ी निकली और मुझे आगे की सीट पर बैठने को कहा।
मैं बिना कुछ बोले गाड़ी में बैठ गया।

अब गाड़ी अपनी स्पीड से जा रही थी और उसकी आँखों में मुझे हवस की आग साफ़ दिखाई पड़ रही थी।
कुछ देर बाद गाड़ी एक होटल में जाकर रुकी।

गाड़ी की चाबी उसने उसने बाहर ही छोड़ दी और रिसेप्शन पर डिटेल्स बता कर रूम की चाबी ले कर लिफ्ट से होते हुए रूम में जा पहुँची।

रूम के अंदर घुसते ही उसने दरवाज़ा लॉक किया और फिर से मेरे साथ किस करना शुरू कर दिया। मैं भी पूरी तरह से उसका साथ दे रहा था।
मैंने उसको बाहों में उठाया और बिस्तर पर ले आया।
अब उसकी हवस की आग बुझाने का समय था।

वो पागलों की तरह मुझे चूम रही थी, मैंने उसका ब्लाऊज़ खोलना शुरू कर दिया, पेटीकोट उसने खुद से उतार दिया!
अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी।

उसको देख कर मैं पागल हुए जा रहा था, मेरा लण्ड इतना टाइट था मानो सातों आसमानों को चोदने जा रहा हो!
मैंने उसको बाहों में भरा और उसकी ब्रा को होंठों से उतारना शुरू कर दिया।

पर जो मैंने देखा, उसने मुझे सब कुछ भुला कर अपना आशिक़ बना लिया।
उसके गुलाबी निप्पल जैसे आज तक अनछुए हों, उसके चूचे ज्यादा बड़े तो नहीं थे पर जितने भी थे, वो ऐसे लग रहे थे जैसे मुझसे कह रहे हों कि आज मेरा सारा रस चूस जाओ।

मैं भी बिना समय गवाएँ चूचों पर टूट पड़ा, वो निढाल होकर बिस्तर पर पड़ी थी मानो इसी दिन के इन्तजार में थी।

चूचियों को चूसते चूसते मेरा एक हाथ उसकी चूत की वादियों में कब दाखिल हो गया, मुझे पता भी नहीं चला पर उसको जरूर पता चल गया।

जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत की वादियों में पहुँचा, वो सिहर उठी उसकी चूत में पहले ही नदी बह चुकी थी।
मैंने उसकी पैंटी सरका कर उसके दर्शन करने चाहे तो देखा कि चूत भी बिलकुल गुलाबी रंग की थी, देख कर लग ही नहीं रहा था कि उस पर कभी लण्ड की मार पड़ी है।
उसने बाल शायद एक दो दिन पहले ही बनाये थे।

वो बिस्तर पर पड़ी तड़प रही थी और मैं उसकी चूत और चूचियों के साथ तरह तरह के खेल खेल रहा था।

अब उससे रहा नहीं जा रहा था, उसने मेरे कपड़े उतारे और मेरा लण्ड पकड़ा और मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया, साथ ही साथ वो अपनी चूचियों को भी दबा रही थी, उसका एक हाथ उसके चूत के दाने के साथ खेल रहा था, कमरे में उसके लण्ड चूसने के अलावा कोई आवाज़ नहीं थी, पूरा कमरा लण्ड चुसाई की आवाज़ से भरा हुआ था, ए सी चालू होने के बाद भी पसीने आ रहे थे।

अब वो मेरे ऊपर आ गई और चुदने क लिए तैयार थी, उसने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर चूत के मुख पर रखा और अंदर डालने की कोशिश करने लगी पर लण्ड उसकी चूत में पूरा अंदर नहीं जा पा रहा था।

उसकी आँखों में आँसुओं के साथ चुदने की ज़िद भी थी, वो लण्ड को बाहर निकलती और तेजी से चूत के मुह पर रख कर झटके से बैठ जाती… इतना करने बाद भी पूरा लण्ड अंदर नहीं जा रहा था।

अब मैंने उसको नीचे आने के लिए कहा, वो मान गई और बिस्तर पर लेट गई।
मैंने उसके दोनों पैर अपने कंधों पर रखे और चूत पर लण्ड का निशाना लगाया।

एक जोर का झटका ही था कि आधे से ज्यादा लण्ड उसकी चूत की गहराई में चला गया… इसी के साथ उसकी एक चीख से कमरा गूँज गया।
मेरा लण्ड अंदर ही था और मैं उसकी चूचियों को दबाते हुए उसको किस कर रहा था।

थोड़ी देर बाद मैंने एक और जोरदार झटका लिया और पूरा लण्ड उसकी चूत में समां गया। उसकी आँख से जैसे आंसुओं की नदी बह गई हो…

ये आँसू गैर मर्द से चुदने के अफ़सोस या दर्द के नहीं थे, ये आँसू उसकी चूत चुदने की खुशी के थे।

उसके बाद जो उसने जो चुदना शुरू किया उसको देख कर मैं दंग रह गया। वो शायद ब्लू फिल्में देख देख कर इतना कुछ जानती थी।

उसकी चुदाई की आवाज़ से पूरा कमरा भरा हुआ था ‘खच् खच् फ़च्च फच्च’ जैसी आवाज़ जो लण्ड और चूत के मिलन से निकल रही थी, माहौल को सुरूर से भर रही थी, साथ में उसक मुँह से निकलती हुई सिसकारियाँ ‘आह्ह ह्ह्ह्ह ओह्ह ह्ह्ह्ह् चोदोओओ ओओओ फाड़ड़ दो… मुझे आज चोद चोद के मार डालो… मुझे और भी शक्ति दे रही थी।

उसक गोल गोल उछलते हुए चूचे जैसे पनाह मांग रहे हो चुदाई से…
उसकी सेक्सी आवाज़ें सच में मेरे अंदर चुदाई के लिए उत्तेजना डाल रही थी।

यह चुदाई काफी देर तक चली, अब उसका शरीर अकड़ रहा था जो बता रहा था कि वो झड़ने वाली है।
उसने खुद को ढीला कर दिया पर मैं रुकने वाला नहीं था, काफी देर तक यूँ ही चोदने क बाद मैंने अपना सारा माल उसके चूचों पर निकाल दिया।

हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे की बाहो में नंगे पड़े रहे, मैं उसकी चूचियों से खेलता रहा।
वो भी काफी खुश दिखाई दे रही थी।

फिर हमने शावर लेते समय चुदाई करी और शाम तक चुदाई का खेल खेलने के बाद हम वापस आ गए।
उसने मुझे घर छोड़ा और अपने घर चली गई..

असली पति का तो पता नहीं पर चुदाई के लिए उसको एक नया पति मिल गया था।
हम अक्सर चुदाई करते हैं, मेरा सारा खर्चा वही उठाती है, बदले में मैं उसको अपने लण्ड की मालकिन बनाये रखता हूँ।

आज उसकी चूत फट चुकी है और मैंने उसको चूत टाइट करने की दवा दी ही जिससे उसकी चूत में कुछ सुधार आ चुका है लेकिन यह सुधार कब तक रहेगा न वो जानती है और ना मैं जानता हूँ क्योंकि उसकी चूत की चुदाई तो अभी जारी है।

आप अपनी राय मुझे मेल कर सकते हैं.. आपके मेल्स का इन्तजार रहेगा..
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