मैं फिर भी तुमको चाहूँगा
नमस्कार मित्रो, मैं भी आप लोगों की तरह अन्तर्वासना का बहुत बड़ा और पुराना प्रशंसक हूँ और अपनी कहानी आप तक पहुँचाना चाहता हूँ.
यह बात कुछ पुरानी है, उस वक़्त मैं अपने गाँव से दूर रांची में पढ़ाई करने गया था.
मेरे बगल के फ्लैट में एक छोटा परिवार, जिसमें एक भाई (छोटू, उम्र 28 साल) और उनकी बड़ी बहन ममता (उम्र 32 साल, जिनकी शादी पैसे की कमी और उनके आगे पढ़ने की इच्छा के कारण नहीं हो पा रही थी) और उनके पापा, जो कि एक रिटायर्ड पी डब्लू डी क्लर्क थे. ये सब काफी दिनों से किराये पर रहते थे. उनका फ्लैट सिर्फ एक रूम का था, जो काफी बड़ा था. वे लोग वहीं परदे आदि लगा कर खाना बनाते और सोने के लिए सिर्फ एक ही चारपाई का उपयोग करते थे. शुरू में मुझको थोड़ा अजीब लगता था, पर वो सिर्फ अपने में मगन रहते थे, तो मैं भी कुछ बोलता नहीं था. मुझे जो टॉयलेट दिया गया था, वो उनके टॉयलेट से बिल्कुल सटा हुआ और ऊपर से खुला हुआ था.
ममता दीदी थीं तो उम्र वाली, पर थीं खूब गोरी और भरे हुए स्तनों की. वो पूरे दिन में सिर्फ एक बार मेरे रूम के सामने सप्लाई पानी के आने पर ही आती थीं. मैं उन्हें तब ही देख पाता था.
वो सुबह करीब पांच बजे ही बाथरूम जाती थीं.
एक दिन अचानक मुझे भी सुबह में पेशाब लगी. मैं जल्दी में बाथरूम की तरफ दौड़ा, तभी मुझे एहसास हुआ कि बगल वाले बाथरूम में ममता दीदी हैं. मैं बड़े गौर से उनके पॉटी और पेशाब करने की आवाज सुनता रहा.
तभी अचानक चूड़ियों के खनकने की आवाज आई, जो कि उनके चूतड़ धोने के कारण हुई थी. मुझे ऐसा लगा जैसे उनके हाथ के नीचे मेरा हाथ है और मेरा हाथ उनके गांड और बुर में चल रहा है. इस आवाज ने मुझे बिल्कुल ही कामुकता भरा एहसास दिलाया. उस दिन के बाद अब उनकी गांड धोने की आवाज सुनने की ये मेरी रोज की आदत हो गयी थी. वो भी शायद धीरे धीरे मेरी इस हरकत को नोटिस कर रही थीं.
कुछ दिनों के बाद वो मुझसे सामान्य बातचीत करने लगी थीं और उनका व्यवहार भी थोड़ा फ्रेंडली हो गया था. अब जब वो पानी लेने मेरे रूम के सामने आतीं तो थोड़ा हंसतीं और अक्सर बिना दुप्पटे के आ जातीं, जिससे जब वो झुककर बाल्टी भरतीं, तो उनके सोने के रंग के चुचे मुझे अपनी और बुलाते.
ऐसा करीब चार पांच दिन चलने के बाद एक दिन जब वो पानी भर के चली गईं तो मैं उनका ख्याल करते हुए अपने लंड को आराम देने की कोशिश में मुठ मार रहा था. तभी अचानक किसी ने मेरे रूम की खिड़की (मेरे रूम में कोई आता जाता नहीं था, तो मैं बस खिड़की को यूं ही बिना कुंडी के उड़का कर रखता था, जिससे मैं कभी भी उसे तुरंत खोल कर ममता दीदी को देख सकूं) को मेरा नाम लेते हुए धकेल दिया. मैं अपना नंगा शरीर और लंड हाथ में लेकर उधर देखने की कोशिश की, वो ममता दीदी थी लेकिन मुझे नंगा देख कर खड़े पैर लौट गयी.
उस दिन के बाद दीदी मुझसे और फ्रेंक हो गईं. ये मुझे बाद मैं पता चला वो मुझसे माचिस मांगने के बहाने बातचीत बढ़ाने आयी थीं और मुझे अपने चुचे ज्यादा दिखाने लगी थीं.
अब वो जब भी बाथरूम जातीं, तो जोर से आवाज करती थीं. मुझे लगता था कि ये उनकी तरफ से न्योता है. पर उस समय मैं छोटा था, तो मेरी आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं हुई.
कुछ दिन इसी तरह चलने के बाद मुझसे रहा नहीं जाने लगा और दी भी खुलकर अपने चुचे और चूतड़ दिखने लगी थीं.
एक दिन अचानक करीब दोपहर में हमारे यहां सप्लाई का पानी दो दिनों के बाद आया तो मैं और दी दोनों अपने अपने कमरे से दौड़ कर बाल्टी लेकर निकले, क्योंकि हमारे पीने के पानी का स्टॉक लगभग ख़त्म हो चला था. पहले बाल्टी लगाने के चक्कर में हमारे शरीर का ऊपरी हिस्सा आपस में टकराया और उनकी दोनों सोने की चुचियां मेरी छाती को लगते हुए मेरे मुँह के ऊपर से निकल गईं.
दोस्तो, एक तो नयी उम्र… ऊपर से कुँवारा लंड और सोने पे सुहागा, बिहार की गोरी गोरी चुचियां. दोपहर होने के कारण पूरे कंपाउंड में कोई नहीं था. तो मैंने भी आवेश में उनकी एक चूची को दबा दिया हालाँकि दीदी के मुँह से एक ‘आह…’ की आवाज निकली, पर मैं डर के मारे दौड़ कर अपने रूम में छिप गया.
दोस्तो, मैं बता नहीं सकता, सिर्फ इतने सब में मैं दिन भर उनको याद कर करके खूब मुठ मारता रहा.
फिर एक दिन अचानक दोपहर में हम एक साथ बाथरूम गए और अन्दर जाने के बाद दोस्तों मैं बता नहीं सकता, दीदी की एक एक हरकत मुझे साफ महसूस होने लगी या शायद वो मुझे महसूस कराना चाहती थीं. उनके सलवार खोलने पर उनकी पायल की आवाज ने मुझे वहीं पर मुठ मारने को मजबूर कर दिया और मेरे मुँह से आह आह की हल्की लेकिन लगातार आवाज आने लगी.
अब दीदी नहाने लगी थीं और वो भी ‘श्श्शश्स श्श्श…’ की आवाज किए जा रही थीं. मेरे आगे नहीं बढ़ने की वजह शायद छोटू भैया थे, जो मुझ पर शक करते थे. उन्होंने एक दो बार मुझे उनकी बहन को घूरते हुए भी पकड़ा था. इस वजह से भी मैं भी डरा डरा रहता था.
मैंने कुछ दिन तक दीदी को नहीं घूरा और कुछ दिनों के बाद वो मुझे गुस्से से देखने लगी थीं. लेकिन जब वो देखतीं तो फिर बस देखते ही रहती थीं. इस वजह से मुझे भी उनकी तड़प का एहसास हो चला था.
अब वो बाथरूम आतीं तो नल पूरे प्रेशर में ऑन कर देतीं, जिससे उनकी कोई आवाज मुझ तक नहीं पहुँच पाती.
मैं दोनों तरफ से जल रहा था और शायद वो भी. इसी तरह दो से तीन महीने बीत गए. मुझे भी अब इस बात का एहसास हो चला था कि वो मुझसे इतनी सीनियर हैं और अब उनकी शादी भी होगी, तो थोड़ा अपसैट रहने लगा था.
अब मैं रात रात भर उनके बारे सोचता और मन ही मन अफ़सोस करता रहता था.
अचानक एक रात जब मैं बाथरूम जाने के लिए निकला, तो उनके रूम से बेड हिलने की आवाज आयी, जो कि एक निश्चित अन्तराल पर आ रही थी.
मुझे कुछ समझ नहीं आया, पर मैं उस रात सो नहीं पाया और सुबह का इंतजार करने लगा. आज मैंने तय कर लिया था कि या तो ये रूम छोडूंगा या दीदी को चोदूँगा.
सुबह जैसे ही उनकी उठने की आवाज आयी, मैं उनके दरवाजे पे जा के खड़ा हो गया. तभी दीदी ने दरवाजा खोला और अपनी सलवार को हाथ में लिए हुए पर्दा हटाया. उन्होंने ऊपर कुर्ती डाली हुई थी, इस कारण उस समय मैं उनके गोरे गोरे पैर देख पा रहा था. मैंने अपने आपको रोकने की पूरी कोशिश की, पर रोक नहीं पाया और मैंने अपने बाएं हाथ से उनकी कुर्ती को उठा दिया. फिर अपने घुटनों पर बैठते हुए उनकी कमर को पकड़ा और उनकी नाभि पर मेरा होंठ चला गया, जिसे मैंने पूरी शिद्दत के साथ अपने जीभ को उनकी नाभि के चारों ओर घुमाया.
इतने में दी ने मुझे धक्का दिया और मैं दरवाजे के बाहर परदे को पकड़ता हुआ बाहर आ गया. तभी मेरी नजर अन्दर चारपाई पर सिर्फ चड्डी पहन कर सोये छोटू भैया पर गयी.
दोस्तो, सच में उस समय मैं भाई बहन के सेक्स संबध के बारे सोच भी नहीं सकता था. इस कारण मुझे कुछ अटपटा सा लगा.
तो मैं अपने आप को काबू नहीं कर पाया और दी जब उठ कर दरवाजा खोली तो मैं वहीं पर बैठ कर उनको किस करने लगा.
अचानक उनके धक्के से मैं बाहर आ गया और दी ने दरवाजे को अहिस्ता के साथ बंद करते हुए मुझे अपनी ओर खींच लिया. मैं उस वक़्त सिर्फ उनको देखे जा रहा था. वे बिल्कुल किसी स्वर्ग की देवी की तरह लग रही थीं. उनका गोरा रंग, सुबह उठने के कारण पूरे खुले बिखरे रेशमी और थोड़ा कर्ल लिए हुए उनके बाल, जिनकी कुछ लटें उनकी बायीं आँख पर गिर रही थीं. उनके पूरे सुर्ख गुलाबी भरे भरे होंठ और इन सबसे ऊपर उनकी आँखें, जिनमें पता नहीं, मेरे लिए कितना प्यार था.
अचानक दी ने मुझे पूरी तरह से पकड़ लिया और मुझे किस करने लगीं. मैं भी जोश में आकर उनको किस करने लगा. तभी दी ने मेरे सर के पीछे से मुझे अपनी पूरी ताकत से अपनी ओर खींच लिया. मैंने भी उनको किस करते हुए दीवाल पे टिका दिया. फिर अपना एक हाथ उनकी दोनों जाँघों के बीच उनकी मुलायम नर्म चूत को छूते हुए उनकी गांड की तरफ से निकाल कर उनको दीवाल के सहारे ऊँचा कर दिया. इसी पोज में मैं उनको बाथरूम की तरफ ले आया.
दोस्तो, मैं आपको यहां बताता चलूँ कि मुझे यहां रहते हुए करीब एक साल हो चला था और दी से मेरी बात भी मुश्किल से तीन बार हुई थी. वो भी बहुत ही फॉर्मल तरीके से. हमारे बीच सच कहूँ तो सिर्फ चुदाई वाली प्यास थी और चुदाई की चाहत थी, जिससे हम एक दूसरे से सिर्फ आँखों में देख कर महसूस कर लेते थे.
मैं दीदी को गोद में उठा के जैसे बाथरूम के अन्दर आया, दीदी मुझे बेतहाशा चूमने लगीं, उनका शरीर उस ठण्ड के मौसम में उतनी सुबह बिल्कुल 108 डिग्री के बुखार की तरह तप रहा था. उन्होंने अपनी कुर्ती उतारते हुए शावर चालू कर दिया और मुझसे लिपट गईं.
मुझे तो जैसे बिल्कुल होश ही नहीं था. जिसे मैं एक साल से सिर्फ सोचता आया, वो मेरे सपनों की तरह नंगी पूरी जोश में भरी हुई मेरी बांहों में थीं. दीदी सिर्फ अपनी भूरी डिज़ाइनर चड्डी में मुझसे किसी बेल की तरह चिपक गयी थीं. तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरे लंड की नसें जैसे फटने वाली हों. मैंने अपने लंड को, जिसके ऊपर दी की गांड और चूत थी. उनके बीच से निकालते हुए दी की चड्डी के ऊपर से ही उनकी चूत पर रगड़ने लगा.
तभी अचानक उनके पापा की आवाज आयी- इतनी सुबह में शावर चला कर क्या कर रही हो… बाहर आ जाओ मुझे पेशाब लगी है.
दी ने कहा- आप रूम में चले जाएं, मैं थोड़ी गन्दी हो गयी हूँ, सो पैर साफ करके आती हूँ.
दोस्तो, उस समय मुझे एहसास हुआ कि प्यार क्या होता है. जब दी की आँखों में आंसू आ गए और उन्होंने मुझे बड़े प्यार से हग देते हुए मेरे लंड को जोर से आगे पीछे किया.
ओह दोस्तो, मुझे मुठ मारने का वो एहसास आज तक याद आता है. उसे याद करके मैं अभी भी मुठ मार लेता हूँ.. सिर्फ छह सात बार आगे पीछे करने से मैं बुरी तरह से झड़ गया. जब मैं झड़ रहा था तब दी ने अपने दोनों हथेलियों को मेरे लंड के सामने लगा दिया और मेरे स्पर्म को अपने दोनों हाथों में ले कर बड़ी प्यार से उसे चूम लिया. फिर दी ने अपने हाथ धो लिए और कपड़े पहनते हुए बाहर निकल गईं. मैं भी सावधानी बरतते हुए वहां से अपने रूम में आ गया.
उस दिन के बाद हमारी तड़प और बढ़ गयी और बस हमें मौके की तलाश थी.
एक दिन जब मैं अपने कॉलेज से लौट रहा था, अचानक मैंने दी को अपने आगे चलते हुए देखा. वो ऑटो लेने जा रही थीं और मैं भी.
मैंने दी को आवाज़ दी, उन्होंने मुझे देखा और एकदम से स्टैंडबाई पे चली गईं. वो इतनी खूबसूरत थीं कि मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनका हाथ पकड़ते उनसे बगल के नक्षत्र वन चलने को कहा. दी ने बड़ी सी स्माइल के साथ तुरंत हाँ कर दी.
हम जैसे वहां पहुंचे, दी ने मुझसे कहा- आज मैं तुमसे बहुत सारी बातें करूँगी.
हम वहां बैठने के लिए बने बेंच पर बैठ गए. दी ने बड़े प्यार से अपना सर मेरे कंधों पर रख दिया. दोस्तों मैं तो जैसे (आई ऍम दी किंग ऑफ़ दी वर्ल्ड) वाली फीलिंग पर था.
तभी दी ने मुझे गाल पर किस करते हुए कहा- तुमने मुझे एक नई दुनिया दिखा दी, अब तुम्हारे बिना मैं कैसे रह पाऊँगी.
मैंने भी दी से कहा- मैं आपसे शादी कर लूँगा.
मेरी इस बात पर ममता दी सीरियस हो गईं और उन्होंने मुझसे कहा- तुम मेरे बारे में जानते क्या हो? बड़े आए मुझसे शादी करने वाले.
इतना कह कर वो रोने लगीं.
मैंने भी उनको रोने दिया, मुझे शायद लग रहा था कि दी के अन्दर कुछ तो है जो ये मुझे बताना चाहती हैं.
तभी दी ने मुझसे कहा- छोटू डेली मुझ पे चढ़ता है और जबरदस्ती मुझे चोदता है. पापा भी ये बात जानते हैं, पर पापा के बूढ़े होने के कारण, वो उनको मारपीट करके धमका कर रखता है और इसी कारण वो मेरी शादी भी नहीं होने देना चाहता है. अब बोलो करोगे मुझसे शादी?
इतना कह कर वो सुबक सुबक रोने लगीं. मैंने उन्हें समझाते घर के सामने वाली गली तक छोड़ा और उसके अगले ही दिन मुझे अपने गाँव किसी काम से चार दिनों के लिए आना पड़ गया.
चार दिनों के बाद जब मैं लौटा तो देखा दी के रूम पे ताला लगा है. मेरा मन तुरंत किसी आशंका से भर गया. मैं तुरंत अपने मकान मालिक के पास गया और उनसे मुझे जानकारी मिली कि वो सब छोड़ कर अपने गाँव शिफ्ट हो गए हैं.
दोस्तो, मुझे ये आज तक समझ नहीं आया कि मेरा उनसे रिश्ता क्या था? क्या वो सिर्फ हवस थी.. या उनका अनकहा प्यार था, जो मुझे आज भी दिखता है.
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